जब बच्चे मुस्कराते हैं तो वे सबसे प्यारे लगते हैं, और जब मुस्कराते हुए उनके छोटे-छोटे दाँत दिखाई देते हैं तो उनकी मासूमियत और भी बढ़ जाती है। जब शिशु का पहला दाँत मसूड़ों से बाहर आना शुरू होता है, तो इस प्रक्रिया को टीथिंग कहा जाता है। कई बार यह प्रक्रिया शिशुओं के लिए दर्द और परेशानी देने वाली होती है। टीथिंग की मुश्किलों से निपटने के लिए आवश्यक है कि आप जानती हों कि इसके लक्षण क्या-क्या हैं।
शिशुओं में टीथिंग होने के संकेत और लक्षण निम्न हैं।
जैसे ही दाँत मसूड़ों में से बाहर आने लगते हैं, तो उनका दबाव मसूड़े की सतह को परेशान कर सकता है। इससे निपटने के लिए शिशु अपने पसंदीदा खिलौनों को काटना शुरू कर सकते हैं या अपनी उंगलियों को चबाने की कोशिश कर सकते हैं।
टीथिंग की प्रक्रिया दर्दनाक होती है जिससे शिशु परेशान हो सकता है। उसे किसी भी तरह इस से दर्द से राहत चाहिए होती है। जिसके परिणामस्वरूप शिशु कुछ भी खाने या पीने से मना करने लगता है।
यह शिशु के टीथिंग के शुरुआती लक्षणों में से एक है। दाँत निकलने से पहले शिशु के मुँह से अधिक लार टपकनी शुरू हो जाती है। उसे दस्त भी हो सकते हैं। डायपर में मल त्याग करने से डायपर रैशेज हो जाते हैं, जिससे शिशु और भी परेशान हो सकता है। नियमित रूप से डायपर को बदलें और यदि आपको शिशु के मल में पस या मवाद दिखाई दे, तो अपने डॉक्टर को सूचित करें।
लगतार लार टपकने का एक अन्य प्रभाव यह भी होता है कि मुँह के आसपास का भाग हमेशा गीला ही रहता है। इससे उस जगह की नरम त्वचा में जलन शुरू हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप रैशेज होते हैं। ये मुँह के चारों ओर, ठोड़ी पर और यहाँ तक कि गर्दन या छाती की जगहों पर जहाँ कहीं भी लार गिरती है, हो सकते हैं। बहुत बार पोछने से भी ये बढ़ सकते हैं। इसलिए इस भाग को सूखा रखने के लिए नरम बेबी वाइप्स का उपयोग करें ।
आपका शिशु मसूड़ों पर महसूस किए गए अजीब दबाव को कम करने के लिए हरसंभव कोशिश करेगा। अधिकांश शिशुओं को जो चीज मिले, उसे काटने के अलावा, चूसने की प्रवृत्ति होती है। बस यह सुनिश्चित कर लें कि आपका शिशु जो कुछ भी मुँह में डाले वह साफ और स्वच्छ हो।
कान, नाक और गले सभी एक दूसरे से जुड़े होते हैं। जब दर्द की शुरुआत होती है, तो मसूड़ों में महसूस होने वाले दर्द से, कभी-कभी कान में भी अजीब एहसास हो सकता है। कई बार, कान खींचने से अस्थाई रूप से दर्द कम हो जाता है और शिशु को इसकी आदत हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप वे लगातार अपने कान खींचने की कोशिश करते रहते हैं।
मसूड़ों पर दबाव और मुँह में दर्द के कारण शिशु आसानी से सो भी नहीं पाता है। दिन और रात की नींद बार-बार टूट जाती है जिससे शिशु नींद पूरी न होने के कारण लगातार बेचैन और दुखी रहता है।
जब हर तरह की कोशिश करके भी शिशु अपने दर्द को कम नहीं कर पाता है तो वह चिड़चिड़ा होने लगता है और बिना किसी कारण के रोने लगता है। छोटी-छोटी चीजें उसे परेशान कर सकती हैं। वह खिलौनों से खेलने के बजाय उन्हें भी फेंक सकता है । अपने शिशु की बेचैनी को शांत करने के लिए उसे प्यार से सहलाएं और राहत देने का प्रयास करें ।
जब टीथिंग के लक्षणों की बात आती है, तो बुखार भी उनमें से एक है। इसमें कोई तेज या वायरल जैसा बुखार नहीं होता और केवल शरीर थोड़ा गर्म हो जाता है। थर्मामीटर का उपयोग करके शिशु का बुखार नापती रहें । यदि तापमान 100.4 डिग्री से अधिक हो या बुखार अधिक समय तक रहे, तो इसका कारण कोई अन्य बीमारी या संक्रमण भी हो सकता है तब तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करना ही सबसे अच्छा है।
लगभग 3 महीने के समय में विभिन्न टीथिंग लक्षणों के बाद आपके शिशु को यह पता चलना शुरू हो जाएगा कि उसके पास अब दाँत हैं तो वह और नई-नई चीजों को चबाना और आजमाना चाहेगा। शिशु के दाँत निकलने का यह सफर थोड़ा कठिन और तकलीफ से भरा हो सकता है। छोटी-छोटी सावधानियां बरतने से और अपने शिशु का ध्यान दर्द से हटाने के लिए उसे व्यस्त करके, टीथिंग के दिनों की परेशानियां जल्दी खत्म हो जाएंगी।
जैसे हिंदी भाषा में बच्चों को सबसे पहले ‘वर्णमाला’ सिखाया जाता है वैसे ही गणित…
हिंदी की वर्णमाला में उ अक्षर का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अक्षर बच्चों के लिए…
हिंदी की वर्णमाला में 'ई' अक्षर का बहुत महत्व है, जिसे 'बड़ी ई' या 'दीर्घ…
जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती महिला की चिंता और उत्तेजना बढ़ती जाती…
आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों…
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…