शिशु

शिशुओं के लिए बार्ले / जौ – कैसे चुनें, लाभ, व्यंजन और अन्य जानकारी

‘जौ’ जिसे ‘जई’ भी कहते हैं, एक पौष्टिक आहार है जो बच्चों के साथ-साथ वयस्कों के लिए भी अधिक फायदेमंद होता है। जौ में मौजूद गुण बच्चों को ऊर्जा प्रदान करते हैं । हालांकि, जौ के फायदों से सिर्फ भारत ही नहीं पूरी दुनिया वाकिफ है, इस अनाज की खेती संसार के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। जौ के विभिन्न व्यंजन देश में अत्यधिक लोकप्रिय हैं और इस खाद्य पदार्थ के पौष्टिक गुण बच्चों के आहार को पूर्ण करते हैं।

जौ का पोषण मान

जौ में मौजूद विटामिन ‘ए’, फोलेट और प्रोटीन उच्च मात्रा में होने के कारण यह बच्चे के स्वस्थ आहार के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है। जौ में मौजूद सभी पोषक तत्वों की जानकारी नीचे दी हुई तालिका में बताई गई है, आइए जानते हैं;

पोषक तत्व मान (प्रति 100 ग्राम ) पोषण तत्व मान (प्रति 100 ग्राम )
पानी की मात्रा 9.44 ग्राम ऊर्जा 354 के.कैल.
प्रोटीन 12.5 ग्राम लिपिड 2.3 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट 73.5 ग्राम कैल्शियम 33 मिलीग्राम
लौह तत्व 3.6 ग्राम मैगनीशियम 133 मिलीग्राम
फास्फोरस 264 मिलीग्राम पोटैशियम 453 मिलीग्राम
जिंक 2.77 मिलीग्राम कॉपर 0.49 मिलीग्राम
थायमिन 0.646 मिलीग्राम राइबोफ्लेविन 0.285 मिलीग्राम
नियासिन 4.6 मिलीग्राम विटामिन ‘बी6’ 0.318 मिलीग्राम
फोलेट 19 माइक्रोग्राम विटामिन ‘ए’ 22 आई.यू.
विटामिन ‘ई’ 0.57 मिलीग्राम विटामिन ‘के’ 2.2 मिलीग्राम

क्या आपके बच्चे को जौ देना सुरक्षित है?

जौ में अनेक पोषक तत्व होने के कारण इसे बच्चों के लिए एक सर्वोत्तम आहार माना जाता है। हालांकि, इसमें ग्लूटेन (एक प्रकार का प्रोटीन) होने के कारण यह खाद्य पदार्थ बच्चों को सबसे पहले आहार के रूप में न देने की सलाह दी जाती है। जौ में मौजूद ग्लूटेन बच्चों के इम्यून सिस्टम को प्रभावित कर सकता है और इसे बच्चों में सीलिएक रोग (ग्लूटेन द्वारा उत्पन्न एक ऑटोइम्यून बीमारी) का खतरा बढ़ जाता है। जिन बच्चों को गेंहू से एलर्जी होती है, उन्हें जौ भी नहीं देना चाहिए क्योंकि गेंहू और जौ से होने वाली एलर्जी एक-दूसरे से संबद्ध होने की संभावना होती है।

आपका बच्चा जौ खाना कब शुरू कर सकता है

शिशुओं को कम से कम सात या आठ महीने की उम्र के बाद ही जौ-आधारित आहार खिलाने की सलाह दी जाती है। बच्चे को पहली बार जौ खिलाने के बाद एलर्जी का पता लगाने के लिए लगभग 3 दिन तक इंतजार करें। फिर उसके बाद ही उसे नया भोजन खिलाएं, जैसा कि आप सभी नए खाद्य पदार्थों के लिए करती हैं।

जौ को अनेक रूपों में पकाया जा सकता है और आप इसे अपने बच्चे की पसंद के अनुसार महीन या दरदरा बना कर खिला सकती हैं। यदि आप बच्चे को थोड़ी मात्रा में जौ के सीरियल से शुरुआत करती हैं तो यह भी एक बेहतर विकल्प है।

जौ के फायदे

शिशुओं का पेट छोटा होता है और वे एक बार में थोड़ी मात्रा में ही भोजन ग्रहण कर सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि आप अपने बच्चे के हर आहार को पौष्टिक बनाएं। जौ के पौष्टिक गुण भोजन को भरपूर मात्रा में पौष्टिक आहार बनाते हैं। यही कारण है कि शिशुओं के लिए जौ का पानी सदियों से एक लोकप्रिय व पौष्टिक पेय पदार्थ है। जौ का सेवन करने से होने वाले फायदे निम्नलिखित हैं, आइए जानते हैं;

  • पाचन में सुधार करता है

जौ एक फाइबर-युक्त आहार है जो पाचन-क्रिया में सुधार करता है और आपके बच्चे के मल त्याग को नियंत्रित करता है। जौ बच्चे के पेट की समस्याओं को खत्म करता है क्योंकि स्वस्थ पेट अर्थात स्वस्थ बच्चा।

  • हड्डियों को मजबूत करता है

जौ में अच्छी मात्रा में फॉस्फोरस होता है जो आपके बच्चे की हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है। शारीरिक हड्डियों के निर्माण में कैल्शियम के अलावा फॉस्फोरस की भी अहम भूमिका होती है।

  • लौह-तत्व के अवशोषण को बढ़ावा देता है

जौ में कॉपर की भी अच्छी मात्रा होती है, जो रक्त में लौह-तत्व के अवशोषण को बढ़ाता है। यदि लौह-तत्व रक्त में सही ढंग से अवशोषित नहीं हो पा रहा है तो बच्चे को लौह तत्व-युक्त आहार खिलने का कोई फायदा नहीं है।

  • लिवर (यकृत) को मजबूत करता है

अध्ययनों से पता चला है, कि नियमित रूप से आहार में ‘जौ’ को शामिल करने से पित्त में एसिड के अतिरिक्त उत्पादन में कमी करके लिवर के नुकसान से बचा जा सकता है।

  • एंटी-फंगल गुण

जौ में विभिन्न प्रकार के आर्गेनिक रसायन होते हैं, जो अपने एंटी-फंगल गुणों के लिए जाने जाते हैं।

शिशु के आहार के लिए जौ का चुनाव और इसे स्टोर कैसे करें

बिना छिलके वाली जौ और प्रोसेस्ड जौ स्टोर करने व पकाने के लिए सर्वश्रेष्ठ है। छिलके रहित जौ में पोषक तत्व अधिक होते हैं लेकिन प्रोसेस्ड जौ पकाने में आसान होती है। यह दोनों ही किस्में सूप, स्टू और ब्रॉथ के रूप में उपयोग के लिए बेहतरीन हैं और पकने के बाद इनका आकार फूलकर बड़ा हो जाता है। पिसा हुआ जौ एक और अन्य विकल्प है।

प्रोसेस्ड जौ को ठंडी व सूखी जगह पर कई महीनों तक स्टोर किया जा सकता है। यदि जौ का पैकेट है तो संभवतः उपयोग की अंतिम तिथि लिखी होगी । पिसे व पेस्ट बनाए हुए जौ को स्टोर करने के लिए इसे एक एयरटाइट कंटेनर में रखकर रेफ्रिजरेटर में रख दें। आप चाहे जिस भी तरह की जौ का उपयोग करें, इसको सड़ने व खराब होने से रोकने के लिए, इसे कम मात्रा में खरीदें।

जौ का सीरियल कैसे पकाएं?

यदि आप पैकेट वाला जौ खरीदती हैं, तो संभवतः उसपर पकाने के निर्देश दिए गए होंगे। एक कप कच्चा जौ पकने के बाद लगभग तीन से चार कप जौ में बदल जाता है।

लगभग दो बड़े चम्मच जौ सीरियल लें और पर्याप्त मात्रा में एक कटोरी पानी लें। दोनों सामग्रियों को तब तक मिलाएं जब तक सभी गांठें खत्म न हो जाएं। फिर इसे धीमी आंच पर 15 से 20 मिनट तक पकाएं। पेस्ट को पतला बनाने के लिए आप इसमें थोड़ा फार्मूला दूध या माँ का दूध भी मिलाकर अपने बच्चे को खिलाएं । स्वाद और प्राकृतिक मिठास बढ़ाने के लिए आप इस अनाज में मसला हुआ फल या फल की प्यूरी भी मिला सकती हैं।

शिशुओं के लिए जौ के स्वादिष्ट व्यंजन

नीचे दी हुई जौ से बनी अनेक व्यंजन विधियां दी हुई हैं जिन्हें आप घर पर ही तैयार कर सकती हैं। बच्चे को विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व स्वस्थ व्यंजन खिलाएं, यह उसे जरूर पसंद आएंगे।

1) जौ और शकरकंद की बॉल्स

सामग्री:

  1. 1 कप पकी हुई जौ
  2. 1 कप पका हुआ शकरकंद
  3. 1/2 कप सेब का सॉस या फल की प्यूरी
  4. एक चुटकी दालचीनी, अदरक, जायफल (8 महीने से अधिक आयु के बच्चों के लिए)

विधि:

एक कटोरे में सभी सामग्रियों को मिला लें और उनसे छोटी-छोटी बॉल्स बना लें। यह बच्चे के लिए एक स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार है।

2) जौ का सलाद

सामग्री:

  1. ¼ कप हल्का पका हुआ जौ
  2. ¼ कप हल्का पका हुआ गाजर
  3. ¼ कप पिसी और हल्की पकी हुई मटर
  4. ¼ कप हल्की पकी हुई शकरकंद

विधि.

ऊपर दी हुई सारी सामग्रियों को एक कटोरे में एक साथ मिला लें और बच्चे को स्नैक या नाश्ते के रूप मे खिलाएं।

3 ) जौ का पानी

सामग्री:

  1. 1 कप जौ
  2. ½ कप पानी
  3. गुड़ (आवश्यकतानुसार)

विधि:

जौ और पानी को प्रेशर कुकर में डालें और लगभग तीन सीटी आने तक पकने दें। पकने के बाद आंच से हटा दें और ठंडा होने दें। आप अपने बच्चे को इसमें गुड़ मिलाकर या पेस्ट की तरह मिश्रित कर लें। अब इस मिश्रण को छान लें और बच्चे को गुनगुना ही दें।

4) जौ और सेब का पॉरिज

सामग्री:

  1. ¼ कटोरी साबुत जौ
  2. ¼ कटोरी छिला और कटा हुआ सेब
  3. 3 ½ कटोरी पानी

विधि:

जौ को अच्छी तरह से धो लें और फिर तीन कप पानी डालकर प्रेशर कुकर में पकाएं। जौ पकने के बाद, इसे कुछ मिनटों तक कम आंच में पकने दें और इसमें बचे हुए पानी में सेब डालकर अच्छी तरह से मिलाएं। फिर मिश्रण को लगभग 10 मिनट के लिए धीमी आंच पर पकाएं और फिर मसल लें। फिर इसे ठंडा करके बच्चे को खिलाएं।

याद रखने योग्य बातें

अपने बच्चे के लिए जौ खरीदते और पकाते समय याद रखने योग्य कुछ बातें:

  • बच्चे साबुत जौ को नहीं पचा सकते हैं इसलिए इसे न खरीदें।
  • आप जौ को एयर टाइट डिब्बे में या फ्रिज में भी स्टोर कर सकती हैं।
  • इस्तेमाल से पहले यह जरूर जांचें कि जौ ताजी है या बांसी।
  • जौ खरीदने की शुरुआत थोड़ी-थोड़ी मात्रा से करें।

जौ अच्छी तरह से पका हुआ होना चाहिए ताकि बच्चे का पेट खराब न हो। इसके अलावा, यह ध्यान रखें कि शिशु को जौ थोड़ी-थोड़ी मात्रा में ही खिलाएं। जौ में अत्यधिक मात्रा में फाइबर होने के कारण बच्चे को अधिक मात्रा में खिलाने से उन्हें पेट की परेशानी हो सकती है।

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

करण नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Karan Name Meaning In Hindi

ऐसे कई माता-पिता होते हैं जो अपने बच्चे का नाम इतिहास के वीर महापुरुषों के…

6 days ago

डॉ. भीमराव अंबेडकर पर निबंध (Essay On Bhimrao Ambedkar In Hindi)

भारत में कई समाज सुधारकों ने जन्म लिया है, लेकिन उन सभी में डॉ. भीमराव…

1 week ago

राम नवमी पर निबंध (Essay On Ram Navami In Hindi)

राम नवमी हिंदू धर्म का एक अहम त्योहार है, जिसे भगवान श्रीराम के जन्मदिन के…

1 week ago

रियान नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Riyan Name Meaning in Hindi

आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ अलग और दूसरों से बेहतर…

2 weeks ago

राजीव नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Rajeev Name Meaning In Hindi

लगभग हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे का नाम सबसे अलग और…

2 weeks ago

35+ पति के जन्मदिन पर विशेस, कोट्स और मैसेज | Birthday Wishes, Quotes And Messages For Husband in Hindi

एक अच्छा और सच्चा साथी जिसे मिल जाए उसका जीवन आसान हो जाता है। कहते…

2 weeks ago