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शिशुओं के लिए हल्दी : जानें लाभ व दुष्प्रभाव

जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो यह विचार करना काफी आवश्यक हो जाता है कि हम अपने बच्चे के भोजन में क्या दे सकते हैं। अपने शिशु को भोजन देना कब से शुरू करना है और कितना देना है, इसके लिए आपको उपलब्ध खाद्य पदार्थों से संबंधित सभी तथ्यों की सही जानकारी होनी चाहिए।

यदि आप अपने बच्चे को हल्दी देने का विचार कर रहे हैं, तो यह अवश्य सुनिश्चित कर लें कि क्या यह ठीक रहेगा और यदि हाँ तो यह भी पता करें कि बच्चे को हल्दी कब और कैसे दे सकते हैं। इसके लाभ पता होना आवश्यक है, और साथ ही यह भी जांच लें कि कहीं इससे कोई नुकसान तो नहीं है।

हल्दी जो हल्दी के पौधे की जड़ से प्राप्त होती है का उपयोग भारत में कई सदियों से विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है। भारत में यह इतना लोकप्रिय है कि यह हर घर में पाया जाता है। इसका इस्तेमाल हर रसोई में होता है तथा इसका उपयोग विभिन्न रीति-रिवाजों में भी किया जाता है। इन तमाम उपयोगों के अलावा, इसके औषधीय गुणों के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। हल्दी में बीटा-कैरोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, फ्लेवोनोइड, फाइबर, आयरन, नियासिन, पोटेशियम, जिंक और कई अन्य उच्च पोषण सहित लगभग तीन सौ प्राकृतिक घटक पाए जाते हैं।

क्या छोटे बच्चों के लिए हल्दी सुरक्षित है?

ऐसे शिशु जिनकी उम्र 6 अथवा 8 महीने से अधिक हो, उन्हें हल्दी दी जा सकती है। यदि बच्चे को हल्दी देनी हो तो हमेशा थोड़ी मात्रा से ही शुरू करना चाहिए। बहुत अधिक मात्रा में हल्दी देना सुरक्षित नहीं है क्योंकि इससे उदर सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं।

अपने बच्चे के आहार में हल्दी को कब शामिल करें?

यह जानना महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे को हल्दी कब और कैसे दे सकते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि नवजात शिशुओं को किसी भी रूप में हल्दी देना सुरक्षित नहीं है। जब शिशु ठोस पदार्थ लेना शुरू कर दे तब आप उसे हल्दी दे सकते हैं लेकिन उससे पहले नहीं। जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तो आप उसके आहार में हल्दी शामिल कर सकते हैं।

बच्चों के आहार में प्राकृतिक तत्व शुरुआत से ही जोड़ना अच्छी बात है क्योंकि यह आदत उनके पूरी जिंदगी चलेगा ।

बच्चों के लिए हल्दी के फायदे और उपयोग

हल्दी उन कुछ चुनिंदा प्राकृतिक सामग्रियों में से एक है जिनका सेवन भी किया जा सकता है और शरीर पर लगाया भी जा सकता है। कर्क्यूमिन, हल्दी में पाया जाने वाला एक प्रमुख घटक है और यही इसके अधिकांश उपयोगों और इससे मिलने वाले लाभों का आधार है।

हल्दी के कुछ लाभ यहां बताए जा रहे हैं।

1. शारीरिक प्रणाली के विकारों को ठीक करता है

हल्दी में कर्क्यूमिन नामक एक उत्कृष्ट जैव-सक्रिय तत्व पाया जाता है जो अल्ज़ाइमर और पार्किसंस जैसे न्यूरो सम्बन्धी रोगों को दूर करता है। कर्क्यूमिन वास्तव में वह घटक है जो डिप्रेशन से भी लड़ सकता है। यह गर्भावस्था के दौरान भी विकारों से लड़ने में मदद करता है।

2. पाचन में मदद करता है

आपको अपने बच्चे के आहार में हल्दी शामिल करनी चाहिए क्योंकि यह पित्त के उत्पादन में सहायक होता है, गैस की परेशानी से भी निजात दिलाता है और अन्ततः पाचन प्रक्रिया में मदद करता है।

3. आंत्र सोथ रोग से रक्षा करता है

हाल के एक शोध से पता चला है कि हल्दी में पाया जाने वाला घटक कर्क्यूमिन, बच्चों और वयस्कों में क्रोंस, अल्सरेटिव कोलाइटिस और अन्य आंत्र सोथ रोगों से रक्षा करता है।

4. प्राकृतिक दर्द निवारक

हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन जलन को कम करने में मदद करता है और यह अधिवृक्क ग्रंथि को अधिक मात्रा में कोर्टिसोन नामक एक प्राकृतिक दर्द निवारक का उत्पादन करने के लिए प्रेरित करता है।

5. कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित करता है

शोध में कहा गया है कि हल्दी में मौजूद पीला वर्णक जिसे करक्युमनाइड्स भी कहते हैं, शरीर के एलडीएल कोलेस्ट्रॉल अर्थात खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के ऑक्सीकरण को भी रोकता है और इस प्रकार हृदय रोगों के खतरे को कम करता है।

6. त्वचा की रंगत निखारता है

हल्दी में मौजूद कर्क्यूमिन में एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो घावों को भरने और सूजन को कम करने में मदद करता है। बच्चे की त्वचा पर हल्दी लगाने से त्वचा में चमक आती है और त्वचा कोमल रहती है। यदि शिशु को एक्जिमा सम्बन्धी रोग अर्थात खुजली अथवा फोड़ा हुआ है तब भी हल्दी एक असरदर उपाय है।

7. मॉर्निंग सिकनेस में मदद करता है

हल्दी वास्तव में बहुत कोमल और घुलनशील होती है, जिससे यह मॉर्निंग सिकनेस को दूर करने में भी मदद कर सकती है। यह स्वाद में तेज होती है और मतली से लड़ने में रामबाण काम करती है।

8. विषैले शारीरिक रसायनों से लड़ता है

कर्क्यूमिन में शरीर में मौजूद उन मुक्त कणों और विषैले रसायनों को बेअसर करने की क्षमता होती है जो स्वस्थ कोशिकाओं और कोशिकीय झिल्ली पर हमला करते हैं।

हल्दी के दुष्प्रभाव

हल्दी निश्चित ही आपके शिशु के आहार हेतु भोजन का एक बढ़िया विकल्प है, लेकिन हल्दी के कुछ दुष्प्रभाव भी हैं। उनमें से कुछ दुष्प्रभाव यहाँ दिए जा रहे हैं जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए।

  • आपको पहले यह पता करना होगा कि कहीं आपके बच्चे को हल्दी से कोई एलर्जी तो नहीं है। कई दूसरे खाद्य विकल्पों की तरह हल्दी भी त्वचा पर और यहाँ तक कि सेवन के माध्यम से भी एलर्जी का कारण बन सकती है। तो त्वचा की खुजली और उदर सम्बन्धी समस्याओं जैसे लक्षणों की पहचान करना आवश्यक है।

  • बच्चों को बहुत अधिक हल्दी देने से उन्हें मतली और दस्त हो सकता है। अन्य समस्याएं हैं पित्ताशय की थैली का अतिसक्रिय होने से संकुचन होना, गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय में संकुचन होना और रक्तस्राव और यहाँ तक कि मतली का खतरा भी बढ़ जाता है।
  • हल्दी में ढेर सारे औषधीय गुण होते हैं और सदियों से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। फिर भी, दवा के साथ-साथ हल्दी का सेवन करने से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि केवल हल्दी के सेवन से कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है लेकिन यदि दवा के साथ इसका सेवन किया जाए तो इससे अन्य समस्याएं हो सकती हैं।

हल्दी, बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए ही निश्चित रूप से लाभकारी है। खाना बनाते समय हल्दी को मसाले के रूप में प्रयोग करने से भरपूर पोषण मिलता है। हालांकि, इसे नियमित रूप से एक शिशु को देने से पहले इसका परीक्षण करना आवश्यक है।

यदि आप बच्चों को सही समय पर और सही मात्रा में हल्दी देते हैं, तो निश्चित ही इस अद्भुत पौधे से आपके बच्चे को ढेर सारे आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होंगे।

जया कुमारी

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