In this Article
हम वयस्कों को हिचकी आने के कई कारण होते हैं जैसे कि बहुत अधिक या बहुत जल्दबाजी में खाना, च्युइंग गम चबाना, सोडा पीना, इत्यादि। हिचकी अनैच्छिक होती है क्योंकि वह स्वायत्त तंत्रिका तंत्र से जुड़ी होती है जो दिल की धड़कन और शरीर की अन्य बेकाबू गतिविधियों को नियंत्रित करती है। जिस प्रकार यह हमारे लिए एक सामान्य बात है, उसी प्रकार नवजात शिशुओं को भी हिचकी का अनुभव होता है। हिचकी आना न केवल एक वर्ष से कम उम्र के शिशुओं के लिए स्वाभाविक है, बल्कि उन्हें अक्सर जन्म से पहले भी हिचकी आती है। इसलिए, नए माता-पिता के रूप में, आपको यह पता होना महत्वपूर्ण है कि हिचकी क्यों आती है, इससे कैसे बचें और हिचकी से राहत पाने के तरीके क्या हैं, साथ ही डॉक्टर से मिलना कब जरूरी होता है।
क्या शिशुओं को हिचकी आना सामान्य है
नवजात शिशुओं में हिचकी, डायाफ्राम की मांसपेशियां, जो पसलियों का आधार बनाती हैं और सांस लेने में मदद करती हैं, में रिफ्लेक्सिव ऐंठन के कारण होती है। यह आम तौर पर एक मिनट से लेकर कुछ घंटों तक जारी रहती है लेकिन पूरी तरह से हानिरहित होने के साथ-साथ दर्द रहित भी होती है। जब शिशु के अंग परिपक्व हो जाते हैं, तो हिचकी स्वाभाविक रूप से कम होने लगती है। वहीं जब शिशु को हिचकी आती है तो इसके कारण उसके शरीर से आने वाली आवाज कई बार उसे मजेदार लगती है । चिंता न करें क्योंकि बच्चों में अधिकांश मामलों में हिचकी चिंता का विषय नहीं होती है। बच्चों को हिचकी आने के कई कारण हैं। आइए इनमें से कुछ के बारे में जानें ।
शिशुओं को हिचकी आने के कारण
जबकि ज्यादातर समय हिचकी चिंता का कारण नहीं होती है, कभी-कभी आपके शिशु की कुछ अंतर्निहित समस्याओं के कारण हिचकी आ सकती है। हिचकी शुरू होने के कई कारण होते हैं। गर्भ में रहने के दौरान, हिचकी तब आती है जब भ्रूण बहुत अधिक एमनियोटिक द्रव निगल जाता है, लेकिन जन्म के बाद, हिचकी होने के लिए निम्नलिखित में से कोई कारण उत्तरदायी होता है:
- बहुत ज्यादा फीडिंग: यदि आपका बच्चा बहुत अधिक स्तनपान या भोजन करता है, तो वह पेट फूलने का अनुभव करेगा। यह फुलाव पेट की गुहा के अंदर डायाफ्राम को फैलने के लिए मजबूर करता है जिससे अचानक संकुचन होता है। ये संकुचन हिचकी के रूप में प्रकट होते हैं ।
- एक ही बार में बहुत अधिक सांस लेना: जो बच्चे बोतल से दूध पीते हैं, उन्हें हिचकी आने की संभावना रहती है क्योंकि वे दूध के साथ बहुत सारी हवा निगल लेते हैं। अतिरिक्त हवा के प्रवाह से डायाफ्राम ऐंठन के लिए मजबूर हो जाता है, जैसा कि अधिक खाने के मामले में भी होता है।
- वातावरण में उपस्थित उत्तेजक: चूंकि शिशुओं की श्वासनलिका नाजुक होती है, इसलिए हवा में अतिरिक्त रसायन जैसे धूल, प्रदूषक, संकेंद्रित गंध और वाहन से निकालने वाले धुंए से, उन्हें खांसी शुरू हो सकती है। यदि खांसी बहुत देर तक जारी रहती है, तो डायाफ्राम पर होने वाले दबाव से संकुचन होता है और परिणामस्वरूप हिचकी आती है।
- दमा: आपके शिशु को दमा की जटिलताओं के कारण भी हिचकी आ सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि फेफड़ों में ब्रांकाई सूजन के कारण फूल सकते हैं, जिससे फेफड़ों में हवा का प्रवाह कम हो जाता है। इससे घरघराहट होती है, जिस कारण डायाफ्राम में ऐंठन होती है, और परिणामस्वरूप हिचकी आती है।
- एलर्जी प्रतिक्रिया: किसी एलर्जी प्रतिक्रिया के कारण खाद्य पाइप में जलन या सूजन हो सकती हैं। डायाफ्राम इस पर प्रतिक्रिया करता है, लेकिन तेजी से संकुचित होता रहता है, जिससे हिचकी आती है। बच्चे को दूध के प्रोटीन से एलर्जी हो सकती है, क्योंकि अगर माँ अपने आहार में बदलाव करती है, तो उसके दूध का रासायनिक संतुलन बदल जाता है, जिससे किसी भी समय एलर्जी हो सकती है।
- तापमान में परिवर्तन: कभी-कभी, बच्चे के पेट के अंदर तापमान में बदलाव से डायाफ्राम की मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, बच्चे को गर्म भोजन खिलाने के तुरंत बाद ठंडा दूध पिलाने से हिचकी आ सकती है।
- गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स: कभी-कभी ऐसा हो सकता है जब पेट के अंदर का खाना वापस भोजन नली में चला जाता है। इसे गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स के रूप में जाना जाता है। यह आमतौर पर उन शिशुओं में देखा जाता हैं, जिन्हें अन्नप्रणाली से पेट को अलग करने वाली स्फिंक्टर मांसपेशी की समस्या होती हैं। भोजन का यह उल्टा प्रवाह ओसोफेगल तंत्रिका को उकसाता है, जो डायाफ्राम को तेजी से संकुचन के लिए उत्तेजित करता है, जिससे हिचकी आती है। हिचकी खुद गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स का संकेत नहीं होती है, लेकिन निरंतर रूप से हिचकी आने के साथ अन्य लक्षण जैसे कि रोना, चिड़चिड़ापन और अत्यधिक थूक निकलना, डॉक्टर के पास जाने का एक कारण हैं।
शिशुओं में हिचकी की रोकथाम
बच्चों को हिचकी अक्सर हो सकती है और दस मिनट तक रह सकती है। हालांकि, अगर आपको इससे चिंता होती है या आप सोचती हैं कि यह आपके बच्चे को परेशान कर रही है, तो यहाँ उसकी हिचकी रोकने के लिए कुछ तरीके दिए गए हैं।
1. हिचकी को स्वाभाविक रूप से रुकने दें
आमतौर पर कारण का निवारण होने पर, लगभग हमेशा ही, आपके बच्चे की हिचकी अपने आप से दूर हो जाती है। यदि हिचकी आपके बच्चे को परेशान नही कर रही हो, तो आपको बस उसे नजर अंदाज करना चाहिए और वह धीरे-धीरे अपने आप बंद हो जाएगी। हालांकि, यदि यह कई घंटों या दिनों तक जारी रहती है तो डॉक्टर से मिलें ।
2. ग्राइप वॉटर दें
यदि आप महसूस करती हैं कि शिशु सहज नहीं महसूस कर रहा है तो आप शिशु को थोड़ा ग्राइप वाटर पिला सकती हैं। ग्राइप वाटर, सौंफ, नींबू और अदरक जैसी जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, जो गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दर्द को कम करने के लिए जाना जाता है। इसे अपने बच्चे को देने से पहले पतला करें, क्योंकि यह स्वाद में बहुत अधिक तेज हो सकता है। जो ब्रांड आप शिशु के लिए लें उसके घटकों की जांच करके सुनिश्चित करें कि उसमें प्रयुक्त सामग्री सुरक्षित है।
3. पेसीफायर का उपयोग करें
जब आपका शिशु हिचकी लेना शुरू करता है, तो आप उसे चूसने के लिए एक पेसीफायर दे सकती हैं, जिससे डायाफ्राम को आराम मिलेगा और यह अत्यधिक ऐंठन को रोकेगा।
4. शक्कर खिलाएं
शक्कर खिलाना हिचकी के सबसे पुराने इलाजों में से एक है। यदि आपका शिशु ठोस आहार ले सकता हो तो उसके मुँह में थोड़ी चीनी डालें। उन शिशुओं के लिए जो केवल तरल पदार्थों का सेवन करते हैं, उनके पेसीफायर को थोड़े शुगर सिरप में डुबोया जा सकता है। चीनी डायाफ्राम की मांसपेशियों को आराम दे सकती है, इसे शांत कर सकती हैं और हिचकी को रोक सकती है।
5. ध्यान किसी ओर लगाएं
यदि आपके बच्चे को लगातार हिचकी आती हो तो उसका ध्यान किसी क्रियाशील गतिविधि या खिलौने जैसी किसी चीज पर केंद्रित कराने की कोशिश करें। क्योंकि स्वाभाविक रूप से तंत्रिका तंत्र से जुड़ी मांसपेशियों के संकुचन के परिणाम से हिचकियां आती हैं। इसलिए शिशु का ध्यान कहीं और लगाकर हिचकियों को रोका जा सकता हैं – जैसे कि खेलने के लिए खिलौने देना या कार्टून की तरह कुछ रोमांचक दिखाना।
निवारण
चूंकि बच्चों में हिचकी कई कारणों से हो सकती हैं, इसलिए उन्हें पूरी तरह से रोकना काफी मुश्किल हैं। हालांकि, कुछ चीजें हैं, जिन्हें आप हिचकी की संभावना को कम करने के लिए कर सकते हैं।
- शिशु को सीधा रखें: हमेशा अपने बच्चे को सीधा रखकर खिलाएं या दूध पिलाएं और सुनिश्चित करें कि आप उन्हें खाने के बाद कम से कम 20-30 मिनट के लिए उस स्थिति में रखें। यह डायाफ्राम की मांसपेशियों को अपनी प्राकृतिक स्थिति में लाता है, जिससे यह ऐंठन या संकुचन के लिए कम संवेदनशील होता है। धीरे-धीरे अपने बच्चे की पीठ को रगड़ें, ताकि वह दूध पीने के दौरान निगली हुई किसी भी हवा को आसानी से बाहर निकाल सके। यह अतिरिक्त रूप से डायाफ्राम को आराम की स्थिति में ले जाने में मदद करता है जिसके परिणामस्वरूप हिचकी से बचाव होता है।
- स्तनपान: बोतल से दूध पिलाने की तुलना में आपके बच्चे को स्तनपान कराने से अतिरिक्त हवा को उसकी श्वासनलिका में प्रवेश करने से रोका जाएगा। हालांकि, स्तनपान करने वाले शिशुओं में हवा को प्रवेश करने से रोकने के लिए सुरक्षित रूप से निप्पल से लगा कर रखना चाहिए। निप्पल से अच्छे से लगाकर रखने से निप्पल के दर्द को भी रोका जा सकता है।
- पीठ की मालिश: नियमित रूप से अपने शिशु की पीठ की मालिश करें जब वे सीधी स्थिति में हो । यह उसके डायाफ्राम की मांसपेशियों पर तनाव को कम करेगा। शिशु की पीठ के निचले हिस्से को धीरे से गोलाकार गति में मालिश करते हुए गर्दन तक जाएं । ध्यान रखें कि मालिश हल्के हाथों से करें और बहुत अधिक दबाव न डालें ।
- शिशु को डकार दिलाएं: यह बच्चे की हिचकी को रोकने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है। स्तनपान के दो सत्रों के बीच, सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चे को उसके पेट में जमा होने वाली किसी भी प्रकार की हवा से छुटकारा पाने के लिए डकार अवश्य दिलाएं । हर छोटे कौर को निगलने के बाद अपने बच्चे को सीधे रखकर डकार दिलाने की सलाह दी जाती है। बच्चे को केवल पीठ पर थपथपाएं या धीरे-धीरे रगड़ें, जोर देकर कभी न करें।
- शिशु को तनावमुक्त रखें: कृपया अपने बच्चे को तब मत खिलाएं जब वह भोजन के लिए रोना शुरू कर दे, क्योंकि इससे जब बच्चा अपना भोजन निगलता है तो ढेर सारी हवा अंदर जा सकती है।
- अधिक मौज-मस्ती न करें: वो गतिविधियां न करें जिनमें आपका बच्चा शारीरिक रूप से थक जाए, जैसे कि इधर-उधर उछल-कूद करना।
- अत्यधिक स्तनपान से बचें: बच्चों में हिचकी के मामलों में अत्यधिक स्तनपान कराना इसके मुख्य कारणों में से एक है, इसलिए कोशिश करें कि अपने बच्चे को एक बार में बहुत ज्यादा दूध न पिलाएं । यदि आवश्यक हो, तो अपने बच्चे को थोड़ा भोजन दें, लेकिन लगातार अंतराल पर। प्रत्येक भोजन के दौरान कम से कम 2-3 बार डकार दिलाएं ताकि उसके पेट में हवा जमा न हो सके, खासकर यदि आप घरघराहट की आवाज सुनती हैं, जिसका अर्थ है कि वे अपने भोजन के साथ बहुत सारी हवा निगल रहे है।
आपको क्या नहीं करना चाहिए
हिचकी आने पर हम बहुत सारे इलाज और उपाय करते हैं। लेकिन ये तरीके आपको अपने बच्चे पर कभी नही अपनाने चाहिए क्योंकि इससे गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
- कोई खट्टी कैंडी नहीं: कुछ स्वादिष्ट खट्टी कैंडीज को चूसने से हमारी हिचकी रुकने में मदद जरूर मिलती है, पर वे शिशुओं के बिल्कुल काम नहीं आती है। इसके अलावा, इन कन्फेक्शनरी चीजों में खट्टापन अम्लीय पदार्थों से आता है जो आपके शिशु के दाँतों के लिए हानिकारक है।
- बच्चों की पीठ पर मारना: एक और तकनीक जो वयस्कों पर काम करती है, लेकिन बच्चों पर कभी भी इसका प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। शिशुओं की हड्डियों की संरचना बहुत ही नाजुक होती है, और इस पर दबाव या बल का उपयोग करने से गंभीर चोट लग सकती है। हालांकि, धीरे से उसकी पीठ थपथपाने से मदद हो सकती है।
- उसकी जीभ, हाथ या पैर को न खीचें: यह एक पुराना तरीका है, जो शिशुओं के लिए भी बहुत खतरनाक है क्योंकि उनके स्नायुबंधन और टेंडन्स अभी तक बहुत अधिक बल सहने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
- हिचकी रोकने के लिए ऊँची आवाज का प्रयोग न करें: जोर से अप्रत्याशित आवाजें भले ही वयस्कों को उनकी व्याकुलता कम करने में मदद करती हैं, लेकिन वे बच्चों को भयभीत कर सकती हैं या उनके नाजुक कानों को भी चोट पहुँचा सकती हैं ।
- आँखों पर दबाव न डालें: कृपया अपने बच्चे की आँखों की पुतलियों को दबाएं नहीं क्योंकि उन्हें संभाले रखने वाली और संचार में मदद करने वाली मांसपेशियां अभी तक पूरी तरह से कार्यात्मक नहीं हैं। ऐसा करने से आंखें भेंगेपन की स्थिति में आ सकती हैं।
- आपके बच्चे की सांस को रोके नहीं: ऑक्सीजन की कमी आपके बच्चे के लिए बेहद खतरनाक है और इस विधि को कभी भी किसी भी कारण से आजमाया नहीं जाना चाहिए।
डॉक्टर से कब मिलना चाहिए
आप अब तक जान गई हैं कि हिचकी आपके नवजात शिशु के लिए पूरी तरह से सामान्य घटना है। हालांकि, ऐसे कुछ मामले हैं जिनमें आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
- यदि आपका बच्चा लगातार हिचकी लेता है, बहुत अधिक थूक पैदा करता है, बहुत चिड़चिड़ा रहता है, और खिलाने के बाद भी रोता है, तो कृपया अपने डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें। ये लक्षण गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स का संकेत हो सकते हैं, जो एक गंभीर स्थिति होती है, जिसमें दवा और/या सर्जरी की आवश्यकता होती है।
- यदि आपका बच्चा लंबे समय तक हिचकी लेता है, जैसे कि कई घंटे से लेकर कुछ दिनों तक, तो यह एक असामान्य स्थिति हैं और अपने चिकित्सक से परामर्श करना उचित रहेगा। आम तौर पर, शिशुओं को एक घंटे तक हिचकी आ सकती है, लेकिन अगर यह बहुत ही लंबे समय तक चलता है, तो यह कुछ गंभीर होने का संकेत हो सकता है, खासकर जब शिशु को एक ही समय में खांसी और घरघराहट दोनों हो रही हो।
- यदि आपके बच्चे की हिचकी उसकी निर्धारित गतिविधियों जैसे कि, खेलने, खाने और सोने में बाधा डाल रही है, तो यह सलाह दी जाती है कि आप उसे बालरोग विशेषज्ञ के पास ले जाएं । लगातार हिचकी भी आपके बच्चे के लिए बहुत बड़ी परेशानी का कारण बनेगी और इससे जल्द से जल्द निपटा जाना चाहिए।
शिशु की अप्रत्याशित चीजों से घबरा जाना स्वाभाविक है। हालांकि, हिचकी उनमें से एक नहीं है। सहनशील और शांत रहना, आपके मन की शांति और आपके बच्चे के स्वास्थ्य दोनों के लिए सबसे आवश्यक है। हिचकी पूरी तरह से प्राकृतिक और हानिरहित है। सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चे को हिचकी आने पर या हिचकी से बचने और उसके इलाज के लिए कुछ एहतियाती उपायों का पालन करते हैं। यदि हिचकी लंबे समय से आ रही है या अन्य लक्षणों के साथ होती है, तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें।