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अगर ऐसा आपका शिशु रूसी से बुरी तरह पीड़ित दिखाई दे, तो शायद उसे क्रैडल कैप की समस्या होगी। इसका इलाज करना संभव है, और यदि इसकी तुरंत पहचान करना आता हो तो आसानी से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है।
क्रेडल कैप, जो इन्फैन्टाईल सीबोरहेइक डर्मेटाइटिस के नाम से भी जाना जाता है, शिशुओं की त्वचा को प्रभावित करने वाला एक विकार है। यह सिर की त्वचा से शुरू होते हुए शरीर के अन्य भागों में फैल सकता है। इस अवस्था में त्वचा में सूजन आ जाती है विशेषकर लाल चकत्तों के रूप में, जो कि शिशुओं में होने वाले मुंहासों से छोटे होते हैं और समय के साथ पीली पपड़ीदार त्वचा में बदल जाते हैं, जो छूने पर झड़ती भी है। क्रेडल कैप आमतौर पर शिशुओं को उनके पहले तीन महीनों से लेकर एक साल तक प्रभावित कर सकता है।
सीधा – सा जवाब है, ‘नहीं’। त्वचा का यह विकार संक्रामक नहीं हैं और भद्दा दिखने के बावजूद भी हानिरहित है। इससे आपके शिशु को खुजली सहित किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी।
हालांकि क्रेडल कैप के उत्पन्न होने के कोई सटीक कारण नहीं बताए गए हैं, लेकिन कई अंतर्निहित कारण इस विकार को सक्रिय कर सकते हैं।
वसामय ग्रंथियों द्वारा सीबम का अत्यधिक उत्पादन क्रेडल कैप का एक कारण हो सकता है। सीबम त्वचा को चिकना और कोमल रखता है। मगर यदि ग्रंथियांकिसी भी कारणवश अवरुद्ध हो जाती हैं, तो वे स्वयं अवरोध हटाने के प्रयोजन से अत्यधिक सक्रिय हो जाती हैं। इसके कारण सिर की त्वचा पर पीले रंग की पपड़ी बन जाती है।
यदि आपका बच्चा उमस वाली गर्मी के वातावरण में रहता है, जैसे कि उन स्थानो में जहाँ ग्रीष्मकाल में बहुत आर्द्रता होती है, तो उसके कारण क्रेडल कैप हो सकता है। ऊष्मा वसामय ग्रंथियों को सुखा देगी, जिससे वे अधिक सक्रिय हो जाती हैं। नमी के कारण, आपके बच्चे को डायपर से भी चकत्ते (डायपर रैश) हो सकते हैं।
फफूंदीय संक्रमण, जैसे कि मालशेज़िया फफूंद जो वसामय ग्रंथियों को प्रभावित करता है यह भी, क्रेडल कैप को उत्पन्न करने का कारण बनता सकता है।
विटामिन ‘बी’12 विटामिन में से एक, बायोटिन की काफी कमी के कारण, आपके बच्चे में क्रैडल कैप हो सकता है। कुछ विशिष्ट एन्ज़ाइम की कमी के कारण यह आवश्यक वसीय अम्ल में परिवर्तित हो जाते हैं जिससे क्रेडल कैप होने की संभावना होती है ।
अपने बच्चे के सिर को अत्यधिक बार धोने से भी वसामय ग्रंथियां सूख सकती हैं। कुछ प्रकार के शैम्पू भी आपके बच्चे की नाजुक त्वचा के लिए कठोर हो सकते हैं।
यहाँ कुछ संकेत दिए गए हैं जिन पर आप क्रेडल कैप जैसे त्वचा के विकारों की पहचान करने के लिए नज़र रख सकती हैं।
क्रैडल कैप के बारे में अच्छी बात यह है कि यह अपने आप ही गायब हो जाता है । जबकि यह आमतौर पर आपके बच्चे के जीवन के पहले तीन महीनों में होता है, यह 8वें से 12वें महीने तक चला जाना चाहिए । हालांकि , ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ बाद के वर्षों में क्रेडल कैप चकत्तों या धब्बों के रूप में पुनः उत्पन्न हो गया।
कुछ ऐसे उपाय हैं जिनके प्रयत्न से आप अपने बच्चे पर हुए क्रैडल कैप को कम करने की कोशिश कर सकती हैं। इनमें शामिल हैं:
जबकि, क्रेडल कैप होने की संभावना को पूरी तरह से दूर करना असंभव है, इसे कम करने के लिए आप कुछ विशेष कदम उठा सकती हैं।
किसी भी परिस्थिति में आप अपने बच्चे की सिर की त्वचा से पीले रंग के शल्कों को उतारने की कोशिश न करें। ऐसा करने से त्वचा छिल सकती है, जिससे रक्तस्राव हो सकता है। एक बार आपके शिशु के सिर की त्वचा साफ हो जाए तो कुछ महीनों तक उसकी सफाई में और उसे स्वस्थ बनाए रखने में अतिरिक्त ध्यान दें।यदि आपके बच्चे की त्वचा पर कोई घाव उभर जाता है, तो रोजाना उसे साफ करें, ताकि कवक या जीवाणु के विकास को रोका जा सके।
यदि आप अपने बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो नीचे दिए गए सुझावों का पालन करके आप अपने बच्चे में हुए क्रेडल कैप से निपट सकती हैं।
क्रेडल कैप के कुछ मामलों में बिना देरी किए चिकित्सीय सलाह लेना ज़रुरी रहता है। गंभीर रूप से क्रेडल कैप होनेपर त्वचा में दरार और रक्तस्राव हो सकता है। यह एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली का संकेत भी हो सकता है। यदि क्रेडल कैप के साथ साथ दीर्घकालीन दस्त की समस्या भी हो जाती हैहैं तो आपको अपने बाल-चिकित्सक से ज़रूर सलाह लेनी चाहिए।
क्रेडल कैप के लक्षण बच्चे के शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकते हैं। अगर ऐसा लगता है कि आपके बच्चे में फफूंदीय संक्रमण हो गया है जो लगातार बना हुआ है और प्रतिजैविक दवाओं से दूर नहीं हो रहा, तो आपको बाल-चिकित्सक से मदद लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
यद्यपिक्रेडल कैप हानिकारक समस्या नहीं हैं और यह अपने आप ही गायब हो जाती है, परंतु उस पर कड़ी निगरानी रखनी चाहिए। यदि आपको किसी अन्य बीमारी के लक्षण दिखते हैं, तो अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श लेना सबसे अच्छा रहेगा।
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