In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी (Shri Krishna And Govardhan Mountain Story In Hindi)
- श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी से सीख (Moral of Shri Krishna And Govardhan Mountain Hindi Story)
- श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Shri Krishna And Govardhan Mountain Hindi Story )
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
यह कहानी गोकुल नगरी की है जहाँ श्री कृष्ण रहते थे। गोकुल निवासी इंद्रदेव की दिन रात पूजा करते थे ताकि उनकी कृपा सभी पर बनी रहे, लेकिन भगवान श्री कृष्ण के कहने पर गोकुल वासियों ने पशुओं की पूजा और उनका सम्मान करना शुरू कर दिया। ऐसे में देवराज इंद्र गोकुल वासियों से बड़े नाराज हो गए और उन्होंने उन्हें सबक सिखाने का निर्णय लिया। इंद्र के प्रकोप से भारी वर्षा होने लगी और पूरा गोकुल पानी में डूब गया। लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने चमत्कार करके पूरा गोवर्धन पर्वत अपनी उंगली पर उठा लिया और गोकुल वासियों की जान बचाई। हम यकीन के साथ कह सकते हैं भगवान श्री कृष्ण की यह कहानी आपके बच्चे को बहुत पसंद आएगी।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- भगवान श्री कृष्ण
- देवराज इंद्र
- गोकुल वासी
श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी (Shri Krishna And Govardhan Mountain Story In Hindi)
गोकुल वासियों की देवराज इंद्र में बहुत आस्था थी क्योंकि वे मानते थे कि धरती पर वर्षा उन्हीं के कारण होती हैं। लेकिन वे इंद्रदेव से बहुत डरते भी थे इसलिए सभी गोकुल वासी उनको प्रसन्न करने के लिए उनकी दिन-रात पूजा करते थे। ताकि इंद्रदेव अपनी कृपा गोकुल पर बनाए रखें। एक बार श्री कृष्ण ने गोकुल के वासियों को समझाया कि इंद्रदेव की पूजा करने में अपना वक्त बर्बाद न करो, इससे अच्छा तुम सब गायों की पूजा किया करो। पशुओं को भी आदर मिलना चाहिए।
श्री कृष्ण की बातों को गोकुल के निवासी हमेशा मानते थे। फिर क्या गोकुलवासियों ने देवराज इंद्र की जगह पशुओं को सम्मान देना शुरू कर दिया। जब इंद्रदेव ने देखा अब उन्हें कोई पूज नहीं रहा है, तो उन्हें गोकुलवासियों की ये हरकत अपमान जनक लगी और उन्हें बहुत गुस्सा आया। गुस्से में उन्होंने गोकुल निवासियों को सबक सिखाने की ठानी और बादलों को गोकुल में तब तक बरसने का आदेश दिया जब तक हर जगह पानी-पानी न हो जाए और नगरी डूब न जाए। बादलों ने भगवान इंद्र का हुक्म मानते हुए गोकुल में बरसना शुरू कर दिया। गोकुल में आज तक ऐसी बारिश किसी ने नहीं देखी थी। चारों ओर पानी-पानी हो गया और बाढ़ आ गई।
गोकुल नगरी के लोग ये दृश्य देखकर बहुत घबरा गए और श्री कृष्ण के पास पहुंचे। श्री कृष्ण ने सभी लोगों को उनके पीछे आने के लिए कहा। सभी लोग अपने पशुओं को साथ लेकर श्री कृष्ण के पीछे चलने लगे। चलते-चलते भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत के पास पहुंचे और उस पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठा लिया। इसके बाद सभी गोकुल के निवासी उस पर्वत के नीचे आ कर खड़े हो गए। भगवान कृष्ण द्वारा किया गया ये कार्य देखकर इंद्रदेव भी डर गए। उन्होंने फिर बारिश बंद करवा दी। बारिश को बंद होता देखकर गोकुल वासी बहुत खुश हो गए और सभी अपने घर लौटकर आ गए। इस तरह भगवान कृष्ण ने अपने शक्ति से गोकुल नगरी के लोगों की जान बचाई।
श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी से सीख (Moral of Shri Krishna And Govardhan Mountain Hindi Story)
श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी से यह सीख मिलती है कि यदि आपको भगवान कोई रास्ता दिखाते हैं, तो उस रास्ते में आने वाली परेशानियों का सामना करना भी सिखाते हैं और साथ आपकी रक्षा के लिए सदैव आपके साथ होते हैं।
श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Shri Krishna And Govardhan Mountain Hindi Story )
यह कहानी पौराणिक कहानियों के अंतर्गत आती है जो हमें यह बताती है कि ईश्वर पर भरोसा करना आपको हर मुसीबत से बचाता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की नैतिक कहानी क्या है?
श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की इस कहानी में भगवान श्री कृष्ण के मन में गोकुल वासियों के लिए प्यार दिखाया गया है। साथ ही जब गोकुल के लोग मुसीबत पर पड़े तो भगवान अपने लोगों के साथ खड़े रहे।
2. हमें भगवान के ऊपर आस्था क्यों रखनी चाहिए?
भगवान के ऊपर हमेशा आस्था रखनी चाहिए, क्योंकि भगवान अच्छे और बुरे दोनों वक्त में आपके साथ रहते हैं। मुसीबत आने पर वह एक ढाल की तरह आपकी रक्षा करते हैं और खुशी में अपनों की तरह खुश होते हैं। भगवान का आशीर्वाद अपने भक्तों पर हमेशा बना रहता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी का यह निष्कर्ष है कि भगवान जो भी करते हैं, उसमें आपकी ही भलाई छिपी होती है। भगवान पर विश्वास रखें वो आपका साथ जिंदगी भर देंगे। मुसीबत आने पर यदि आप भगवान को सच्चे मन से याद करते हैं तो वे आपके लिए सदैव मौजूद रहते हैं।