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स्नो व्हाइट और सात बौनों की कहानी एक लोकप्रिय परी कथा है जो हर उम्र के लोगों को पसंद आती है। हमने बचपन में स्नो व्हाइट की कहानी कई बार सुनी है। अब, यही कहानी अपने बच्चों को सुनाने का समय आ गया है। स्नो व्हाइट एक राजकुमारी थी जो बेहद सुंदर थी। उसकी इसी सुंदरता से उसकी सौतेली माँ को ईर्ष्या थी। इसी कारण से स्नो व्हाइट की सौतेली माँ उसके साथ बुरा व्यवहार करती है और तब कहानी में आते हैं सात बौने जो उसका जीवन बचाते हैं। वैसे तो यह कहानी किसी परिचय की मोहताज नहीं है लेकिन आप अपने बच्चों को इसे खुद सुनाएं क्योंकि यह कई मानवीय गुणों से भरी है। इस कहानी में द्वेष, प्रेम और दया जैसी भावनाएं व्यक्त की गई हैं जिनकी पहचान आपके बच्चे को जरूर होनी चाहिए।
इस मजेदार कहानी के मुख्य पात्र हैं –
बहुत समय पहले की बात है एक बहुत बड़े राजा के यहाँ एक खूबसूरत राजकुमारी का जन्म हुआ। उसके बाल आबनूस की तरह काले थे, उसके होंठ गुलाब की तरह लाल थे और उसकी त्वचा बर्फ की तरह सफेद थी। उसका नाम ‘स्नो व्हाइट’ रखा गया। स्नो व्हाइट एक उदार और प्यारी राजकुमारी थी। उस राज्य की रानी स्नो व्हाइट की सौतेली माँ थी, जो सुंदर तो थी लेकिन बहुत घमंडी और क्रूर स्वभाव की थी। उसके पास एक रहस्यमय दर्पण था जो सच बोलता था। क्रूर रानी उससे पूछा करती थी –
“बता मेरे आईने, पूरी दुनिया में सबसे सुंदर महिला कौन है?”
आईना हमेशा कहता था कि रानी तुम ही सबसे सुंदर हो।
दिन बीतते गए और स्नो व्हाइट एक प्यारी बच्ची से बेहद खूबसूरत लड़की बन गई। फिर एक दिन कुछ बहुत ही अजीब हुआ। एक बार जब क्रूर रानी ने दर्पण से पूछा कि सबसे सुंदर महिला कौन है, तो दर्पण ने उत्तर दिया, “स्नो व्हाइट”। यह सुनकर रानी ईर्ष्या और क्रोध से भर गई। उसने स्नो व्हाइट को मार डालने का फैसला किया।
रानी ने स्नो व्हाइट को जंगल में दूर तक ले जाने और उसे मारने के लिए एक शिकारी को नियुक्त किया। हालांकि शिकारी स्नो व्हाइट को जंगल में ले गया, लेकिन उसने फैसला किया कि वह उसे मारेगा नहीं। उसने स्नो व्हाइट को पूरी बात बता दी और वापस चला गया।
अब स्नो व्हाइट जंगल में बिल्कुल अकेली रह गई। वह बहुत डर गई, उसे जंगल से बाहर निकलने का रास्ता भी पता नहीं था। वह रोने लगी और घबराहट में पत्थरों पर पांव देती कांटों के बीच से भागने लगी। धीरे-धीरे अंधेरा होने लगा तभी उसकी नजर एक छोटे से घर पर पड़ी। उसने राहत की सांस ली और घर के पास पहुंची। वह घर के अंदर गई लेकिन उसे वहां कोई नहीं मिला। घर में सब कुछ बहुत छोटा छोटा था और वहां हर चीज 7 की संख्या में थी। पूरा घर बिखरा हुआ था इसलिए स्नो व्हाइट ने घर की सफाई की और जब वह थक गई, तो एक साथ जोड़कर रखे सात छोटे बिस्तरों पर लेट गई।
कुछ समय बाद उस घर के निवासी जो सात बौने थे, वापस लौटे। वे अपने घर को इतना साफ-सुथरा देखकर चौंक गये। तभी उन्होंने स्नो व्हाइट को बिस्तर पर सोते हुए देखा। वे उसे देखकर घबराकर जोर से चिल्लाए, उनकी चीख सुनकर स्नो व्हाइट जाग गई। वह भी आश्चर्य से चिल्ला उठी। फिर, सभी बौनों ने स्नो व्हाइट को अपना परिचय दिया और पूछा कि वह कौन है और उनके घर में क्या कर रही है।
स्नो व्हाइट ने उन्हें अपने साथ हुई पूरी घटना बताई। बौनों को उस पर दया आ गई। उन्होंने उससे कहा कि अगर वह घर के कामों में उनकी मदद कर सकती है और उनके लिए रात का खाना बना सकती है तो वह घर में रह सकती है। स्नो व्हाइट ने खुशी से यह शर्त स्वीकार कर ली और वे सभी एक साथ मजे से रहने लगे।
दिन में जब स्नो व्हाइट घर पर अकेली होती थी तो घर के पास छोटे-छोटे पक्षियों और जानवरों के साथ खेलती थी। वह अपने शांतिपूर्ण जीवन से बहुत संतुष्ट थी।
उधर कुछ दिन बाद क्रूर रानी, जो स्नो व्हाइट को मरा हुआ समझ रही थी, उसने फिर गर्व से भरकर दर्पण से वही प्रश्न पूछा –
“बता मेरे आईने, पूरी दुनिया में सबसे सुंदर महिला कौन है?”
दर्पण ने जवाब दिया – “स्नो व्हाइट”
यह सुनकर रानी बुरी तरह हैरान हो गई। वह समझ गई कि शिकारी ने उसे धोखा दिया है। अब उसने खुद स्नो व्हाइट को मारने का फैसला किया।
पहले उसने अपने गुप्तचरों से पता करवाया कि जंगल में स्नो व्हाइट कहां रहती है। फिर वह अपने गुप्त कमरे में गई और एक सेब में जहर मिला दिया। यह इतना जहरीला था कि इसके छोटे से टुकड़े से भी इसे खाने वाले की मौत हो सकती थी। फिर रानी ने एक बुढ़िया का रूप बनाया और जंगल की तरफ रवाना हो गई।
बौनों के घर पहुंचकर दुष्ट रानी ने दरवाजा खटखटाया। स्नो व्हाइट को बौनों ने अजनबियों के लिए दरवाजा खोलने से मना किया था इसलिए उसने खिड़की खोली और दरवाजे पर खड़ी बुढ़िया से उसके आने का कारण पूछा। भेष बदली हुए रानी ने स्नो व्हाइट से कहा कि वह सबसे स्वादिष्ट सेब बेच रही है। पहले तो स्नो व्हाइट ने मना कर दिया लेकिन फिर रानी के बार बार कहने पर वह उस सुंदर सेब से मोहित हो गई। उसने जहरीला सेब खाया और मरकर जमीन पर गिर पड़ी।
दुष्ट रानी खुशी से पागल हो उठी और महल में वापस चली गई। अब एक बार फिर उसने आईने से पूछा कि –
“बता मेरे आईने, पूरी दुनिया में सबसे सुंदर महिला कौन है?”
इस बार, दर्पण ने उत्तर दिया – “तुम, मेरी रानी”
रानी जोर जोर से अपनी क्रूर हंसी हंसने लगी।
इधर जब बौने अपने काम से लौटे तो स्नो व्हाइट को फर्श पर मृत पड़ा देखकर हैरान रह गए। उन्होंने उसे हिलाया, उससे बात करने की कोशिश की लेकिन फिर वे समझ गए कि स्नो वाइट मर चुकी है। बौने बहुत दुखी हुए। उन्होंने स्नो व्हाइट को एक पारदर्शी कांच के ताबूत के अंदर सुरक्षित रखा और सुनिश्चित किया कि ताबूत की सुरक्षा के लिए उनमें से एक हमेशा उसके पास मौजूद रहेगा।
कुछ दिन बाद एक राजकुमार जंगल से गुजरा और उसकी नजर ताबूत पर पड़ी। वह स्नो व्हाइट को जानता था और उससे प्यार करता था और जब उसने उसे ताबूत में देखा, तो उसने बौनों से पूछा कि में उसके साथ क्या हुआ। पूरी घटना के बारे में जानने के बाद, उसने बौनों से उसे ताबूत सौंपने का अनुरोध किया। बौनों ने शुरू में ताबूत देने से इनकार कर दिया, लेकिन राजकुमार ने उन्हें ताबूत देने के लिए मना लिया।
राजकुमार ने ताबूत खोला और स्नो व्हाइट का हाथ चूमा। प्रेम के चुंबन से वह तुरंत जाग उठी। स्नो व्हाइट के प्रति राजकुमार के प्यार ने दुष्ट रानी की उसके प्रति नफरत पर जीत हासिल कर ली।
उस राज्य और उसके आस-पास के लोगों को जब रानी के इस क्रूर कृत्य के बारे में पता चला तो उन्हें हमेशा के लिए उसे वहां से बेदखल कर दिया। राजकुमार ने स्नो व्हाइट से शादी की और वे खुशी-खुशी साथ में रहने लगे।
स्नो व्हाइट और सात बौनों की कहानी से यह सीख मिलती है कि घमंड और क्रूरता से खुशी हासिल नहीं हो सकती। हमें अपने स्वभाव में प्रेम और दया की भावना रखनी चाहिए। इस कहानी में रानी पूरी तरह से घमंड में डूबी हुई थी, जिससे उसका स्वभाव दुष्ट हो गया था। अंत में उसे उसके कृत्यों की सजा मिली। वहीं दयालु स्नो व्हाइट को सच्चे दोस्त भी मिले और सच्चा प्यार करने वाला राजकुमार भी मिला।
स्नो व्हाइट एक क्लासिक परी कथा है जो नैतिक शिक्षा देती है। इसलिए इस कहानी को नैतिक कहानियों में गिना जा सकता है।
‘स्नो व्हाइट’ एक जर्मन परी कथा है, जो पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में लिखी गई थी। ब्रदर्स ग्रिम ने इसे 1812 में अपने संग्रह ग्रिम्स फेयरी टेल्स के पहले संस्करण में प्रकाशित किया।
डिज्नी ने 1937 में स्नो व्हाइट पर ‘स्नो व्हाइट एंड द सेवेन ड्वार्फ्स’ नाम से फिल्म बनाई।
सात बौनों के नाम – हैप्पी, डॉक, ग्रम्पी, डोपे, बैशफुल, स्लीपी और स्नीज़ी थे।
परी कथाएं सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं होती, बल्कि उनसे जीवन के कुछ आदर्श और अच्छी बातें भी जानने को मिलती हैं। बच्चों को चित्रों के साथ इस कहानी के बारे में महत्वपूर्ण नैतिक पाठ पढ़ाना आवश्यक है। बच्चे अपने दोस्तों की हर स्थिति में मदद करके और जीवन के उतार-चढ़ाव में उनके साथ खड़े होकर इस कहानी की सीख को अपने जीवन में लागू कर सकते हैं। माता-पिता को अपने बच्चों को सिखाना चाहिए कि उन्हें अपने आस-पास के लोगों और दोस्तों की परवाह करनी चाहिए।
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