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सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी ईसप की प्रसिद्ध दंतकथाओं में से एक है। यह कहानी एक जादुई मुर्गी की है जो रोज सोने का एक अंडा देती थी। उसके सोने के अंडे देखकर उसका मालिक, जो एक किसान था, लालच में आ गया और वह एक गलती कर बैठा जिसके बाद उसके पास न मुर्गी रही न सोने का अंडा। सोने के अंडे देने वाली मुर्गी की यह कहानी बच्चों के साथ-साथ बड़ों को भी जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाने वाली कहानी है।
इस प्रसिद्ध कहानी के मुख्य पात्र इस प्रकार हैं –
एक बार की बात है, एक गरीब किसान अपनी पत्नी के साथ एक झोपड़ी में रहता था। किसान के पास बहुत थोड़ी जमीन थी और ज्यादा जानवर भी नहीं थे। वह और पत्नी जैसे-तैसे अपना गुजरा करते थे। एक बार किसान किसी काम से लौटते हुए जंगल के पास से गुजर रहा था तभी उसे वहां झाड़ियों में एक मुर्गी दिखी। मुर्गी को देखकर किसान ने सोचा कि यह किसी की पालतू नहीं लगती तो क्यों न इसे घर ले जाया जाए, मुर्गी के अंडों से कुछ तो कमाई होगी। ऐसा सोचकर किसान मुर्गी को घर ले आया।
अगले दिन सुबह जब किसान और उसकी पत्नी सोकर उठे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उस मुर्गी ने सिर्फ अंडा दिया था जो सोने का था। किसान और उसकी पत्नी बहुत खुश हुए। उन्हें समझ आ गया कि यह मुर्गी कोई आम मुर्गी नहीं थी बल्कि एक जादुई मुर्गी थी। अगले दिन भी वही हुआ और उसके अगले दिन भी वही। नियम से रोज वह मुर्गी सुबह सोने का एक अंडा देती थी। मुर्गी के सोने अंडे देने से धीरे-धीरे किसान और उसकी पत्नी की गरीबी दूर होने लगी। अब उन्हें पैसों की कमी नहीं रही।
लेकिन समय के साथ, किसान और उसकी पत्नी लालची होने लगे। उन्होंने सोचा कि क्या ही अच्छा हो अगर मुर्गी रोज सोने के ज्यादा अंडे देना शुरू कर दे। दोनों का लालच दिन प्रतिदिन बढ़ने लगा। अब वे हर समय इस बात से परेशान रहते थे कि उन्हें प्रतिदिन केवल एक सोने का अंडा मिल रहा था। ऐसे ही अचानक एक दिन दोनों को विचार आया कि अगर मुर्गी सोने के अंडे दे रही है, तो उसके अंदर का हिस्सा भी निश्चित रूप से सोने का बना होगा। अमीर बनने की ख्वाहिश में किसान और उसकी पत्नी को सही गलत का ध्यान भी नहीं रहा। उन्हें जल्द से जल्द बहुत अमीर बनना था। उन्होंने सोचा कि अगर वे मुर्गी को मार डालें तो उसके अंदर का सारा सोना उन्हें एक ही बार में मिल जाएगा। लालच में अंधे हो चुके किसान ने बेचारी मुर्गी को पकड़ा और मार डाला। जब उसने चाकू से उसका पेट फाड़ के देखा तो अफसोस, वहां कोई सोना नहीं था।
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर हमें इसके गलत परिणाम मिल सकते हैं और बाद में पछताना पड़ सकता है। इस कहानी में किसान और उसकी पत्नी रोज सोने का एक अंडा पाकर भी संतुष्ट नहीं थे। उन्हें लालच ने जकड़ लिया था व उन्हें और भी ज्यादा सोना चाहिए था। परिणाम यह हुआ कि वे भविष्य में हमेशा के लिए सोने के अंडे से हाथ धो बैठे।
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की यह कहानी शिक्षाप्रद नैतिक कहानियों के अंतर्गत आती है। कहानी का सार यही है कि लालच बुरी बला है।
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी ईसप की प्रसिद्ध दंतकथाओं में से एक है।
किसी भी परिस्थिति में लालच बुरा ही होता है। हमें जो और जितना मिला है उसमें संतुष्ट रहना सीखना चाहिए और लालच से बचना चाहिए।
रात में सोते समय बच्चों को कहानी सुनाने की आदत है आगे जाकर उन्हें किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करती है। सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी की तरह बच्चों की अन्य कहानियां भी नैतिक शिक्षाओं से भरपूर होती हैं। पंचतंत्र की कहानियां हो, जातक कथाएं हों या ईसप की दंतकथाएं, सैकड़ों सालों पहले की ये कहानियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और बच्चों को जीवन के लिए अच्छे उपदेश देती हैं।
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