शिशु

सोते समय बच्चे की आँखें खुली रहना – क्या यह चिंताजनक है?

बच्चों के लिए नींद बहुत जरूरी है, खासकर नवजात शिशुओं के लिए। नवजात शिशु को हर दिन कम से कम 16 से 17 घंटे की नींद लेना चाहिए। जैसे-जैसे शिशु बड़े होते जाते हैं, उनकी नींद का समय भी घटता जाता है, एक साल के बच्चे को रोजाना लगभग ग्यारह से बारह घंटे की नींद लेनी चाहिए। बच्चों का सोने और खाने का पैटर्न समय के साथ बदलता रहता है। बच्चे को शांति से सुलाना खुद में एक बड़ा टास्क है, लेकिन इस दौरान आप अपने बच्चे में कुछ ऐसी चीजें नोटिस कर सकती है जो शायद आपको नॉर्मल न लगे, जिसमें सोने के दौरान बच्चे की आधी आँखें खुली रहना शामिल है, जिसे देखकर आपका चिंतित होना लाजमी है। लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है – आइए जानते हैं कि बच्चा अपनी आँखें खोलकर क्यों सोता है और आप इसके बारे में क्या कर सकती हैं।

सोते समय बच्चे की आँखें खुली रहने के कारण

यदि आपका शिशु भी अपनी आँखें खोलकर सोता है, तो यह निम्न कारणों से हो सकता है।

1. जेनेटिक्स

यदि बच्चा खुली आँखों से सोता है, तो यह हेरेडिटरी हो सकता है। आपको अपने और अपने पार्टनर की हिस्ट्री पर ध्यान देना चाहिए, ताकि ये पता चल सके कि परिवार में ऐसा कौन है जिसकी वजह से बच्चे में भी ये चीज आई है। यदि आप, आपके पति या परिवार के किसी भी सदस्य में ऐसा पाया जाता है, तो इस बात की काफी संभावना है कि आपका बच्चा भी सोते समय आँखें खुली रखेगा।

2. मेडिकल कारण

यदि आपके परिवार में किसी की भी सोने के दौरान आँखें  खुली रहने की हिस्ट्री नहीं है, तो फिर ये किसी मेडिकल कंडीशन का संकेत हो सकता है जैसे कि नॉक्टर्नल लैगोफ्थैल्मोस। यह कंडीशन खतरनाक नहीं होती है और एक या डेढ़ साल ज्यादा समय तक नहीं रहती है। दुर्लभ मामलों में, ऐसा थायराइड की समस्या, चेहरे की नसों का डैमेज हो जाना या ट्यूमर के कारण भी हो सकता है। यदि आप ये नोटिस करती हैं कि आपका बच्चा अपनी आँखें बंद करके सो नहीं पा रहा है, तो डॉक्टर से परामर्श करें।

क्या सोते समय बच्चे की आँख खुली रहना बच्चे के लिए हानिकारक है?

सोते समय बच्चे की आँख खुली रहना अजीब लग सकता और आप ऐसा देखर चिंतित हो सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से नॉर्मल और हानिरहित है। यहाँ तक कि डॉक्टर भी इस कंडीशन को नॉर्मल बताते हैं अगर आप नियमित रूप से बच्चे में इस कंडीशन को नोटिस करती हैं तब भी और चिंता करने वाली कोई बात नहीं है। रिसर्च से पता चलता है कि स्लीप साइकिल के एक्टिव फेज में ऐसा होता है, जिसे रैपिड आई मूवमेंट या आरईएम के रूप में जाना जाता है। बच्चे बड़ों की तुलना में लंबे समय तक सोते हैं बल्कि वे आधे से ज्यादा समय तक सोते ही रहते हैं। जैसे-जैसे वे बड़े होते जाते हैं, उनके नींद का पैटर्न बड़ों की तरह होने लगता है, जिसका अर्थ है कि बच्चे रात के दौरान ज्यादा सोते हैं और सोने के दौरान ज्यादा परेशान नहीं करते हैं।

आप इसे दूर करने के लिए क्या कर सकती हैं?

हालांकि, अगर आपके बच्चे की सोते समय आँखें खुली रहती हैं तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है, हम जानते हैं पहली बार माँ बनने पर आपको ये देखकर चिंता जाहिर कर सकती हैं। मगर ऐसे कुछ तरीके हैं जो हम आपको यहाँ बताने जा रहे हैं और जिनकी मदद से आप अपने बच्चे में पैदा होने वाली इस कंडीशन को दूर कर सकती हैं:

  • जब तक बच्चे की आँख पूरी तरह से बंद न हो जाए आप अपनी अंगुलियों से उसकी पलकें आराम से बंद करें। ध्यान रखें कि आप तब तक ऐसा करती रहें जब तक वह गहरी नींद में न सो जाए।
  • बच्चे की फीडिंग और स्लीपिंग साइकिल को ठीक से फॉलो करें, ताकि वह अपने रूटीन का आदि हो जाए और उसकी नींद में किसी प्रकार की कोई रुकावट पैदा न हो।
  • अगर आपके बच्चे को सोने में परेशानी होती है, तो आप उसे गुनगुने पानी से नहलाकर सुलाएं, उसे लोरी सुनाएं या गोद में लेकर धीरे-धीरे झुलाएं, जब तक वो रिलैक्स होकर सो न जाए।
  • अपने बच्चे को पीठ के बल सुलाएं, इससे उसके चारों ओर एयर सर्कुलेशन ठीक से होता है। उसके बिस्तर या पालने में मौजूद खिलौने, रजाई, तकिया हटा दें ताकि उसके आसपास स्पेस बना रहे।
  • खयाल रहे कि उसके कमरे का तापमान कम्फर्टेबल रहे और जब आप उसको सुलाने के लिए ले जाएं तो कमरे में अंधेरा कर दें। इस तरह से अगर वह अपनी आँखें पूरी तरह से बंद नहीं करता है, तो भी वो डिस्टर्ब नहीं होगा।
  • बच्चे की आँखें टेस्ट कराएं और इस बात पर ध्यान दें कि उसकी आँखें मॉइस्ट होनी चाहिए, ताकि उसकी कॉर्निया डैमेज न हो। कॉर्नियल डैमेज को रोकने के लिए कुछ केस में, आँखों के लिए मलहम या ड्रॉप का इस्तेमाल करना आवश्यक होता है। आमतौर पर, आई ड्रॉप की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन डॉक्टर के पास जाकर चेक करा लेना ज्यादा बेहतर होगा।

आपको कब चिंता करनी चाहिए

जैसा कि पहले भी बताया गया है, बच्चे का सोते समय आँखें खुली रखना नॉर्मल है। हालांकि, यदि आपका बच्चा अठारह महीने का हो जाने के बाद भी इस आदत को जारी रखता है, तो आपको इस विषय को लेकर अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। वैसे तो इस बात की संभावना बहुत कम है मगर आपके बच्चे को कंजेनिटल पीटोसिस की समस्या हो सकती है, जो विकृत पलकों की समस्या का कारण बन सकती है। इसका खुद निदान नहीं किया जा सकता है और इस कंडीशन के लिए आपको किसी प्रोफेशनल से मेडिकल हेल्प लेने की जरूरत है।

भले ही यह अजीब या असामान्य लग रहा हो, लेकिन निश्चिंत रहे क्योंकि चाहे आपके बच्चे की सोते समय आँखें खुली रहें मगर इसके बावजूद भी वह काफी अच्छी नींद ले रहा होता है। समय के साथ इस आदत को छुड़ाने के लिए ऊपर दी गई टिप्स का पालन करें। हालांकि, यदि आप किसी भी कारण से चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से इसके बारे में बात करें। डॉक्टर के आश्वस्त करने के बाद आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है!

यह भी पढ़ें:

शिशुओं में स्लीप रिग्रेशन से कैसे निपटें
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बच्चे का बार-बार नींद से जागना – कारण और उपचार

समर नक़वी

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