लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण (Speech On Lal Bahadur Shastri In Hindi)

Speech On Lal Bahadur Shastri In Hindi

लाल बहादुर शास्त्री जी भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, जो अपनी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और कई बार जेल भी गए। उनका प्रसिद्ध नारा ‘जय जवान, जय किसान’ आज भी हर भारतीय को प्रेरित करता है। शास्त्री जी का पूरा जीवन त्याग और सच्चाई की मिसाल रहा है। उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध में देश का नेतृत्व किया और हरित क्रांति व श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया। यह लेख आपको लाल बहादुर शास्त्री जी पर भाषण देने में मदद करेगा। इसमें उनके जीवन, संघर्ष और योगदान की महत्वपूर्ण बातें शामिल हैं, जिन्हें आप अपने भाषण में जोड़ सकते हैं। अगर आप सरल और प्रभावी तरीके से उनका परिचय देना चाहते हैं, तो यह लेख आपके लिए उपयोगी होगा।

लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण (Short And Long Speech On Lal Bahadur Shastri in Hindi)

यह लेख लाल बहादुर शास्त्री जी के विचारों और उपलब्धियों को आसान भाषा में समझाने में मदद करता है। इसमें रोचक तथ्य, प्रभावशाली शब्द और आत्मविश्वास बढ़ाने के तरीके शामिल हैं, जो एक बेहतरीन भाषण देने में सहायक होंगे। यदि आप इसे ध्यान से पढ़कर अभ्यास करेंगे, तो शास्त्री जी के आदर्शों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर पाएंगे।

लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण का सैंपल – 1 (Speech On Lal Bahadur Shastri – 1)

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,

आज मैं आप सभी के सामने भारत के महान नेता लाल बहादुर शास्त्री जी पर बोलने जा रहा/रही हूं। शास्त्री जी हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे, जो अपनी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। वे बचपन से ही मेहनती और सच्चे इंसान थे।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया और कई बार जेल गए। प्रधानमंत्री बनने के बाद, उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, जिससे हमारे सैनिकों और किसानों को बहुत हौसला मिला। 1965 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने देश को मजबूती से नेतृत्व दिया। उनका जीवन हमें सिखाता है कि सादगी और ईमानदारी से भी महान काम किए जा सकते हैं। हम सभी को शास्त्री जी के आदर्शों से प्रेरणा लेनी चाहिए।

धन्यवाद!

लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण का सैंपल – 2 (Speech On Lal Bahadur Shastri – 2)

आदरणीय प्रधानाचार्य जी, शिक्षकगण और मेरे प्रिय साथियों,

आज मैं आप सभी के सामने भारत के महान नेता लाल बहादुर शास्त्री जी पर बोलने जा रहा/रही हूं। शास्त्री जी हमारे देश के दूसरे प्रधानमंत्री थे, जो अपनी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति के लिए प्रसिद्ध थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनका बचपन संघर्षों से भरा था, लेकिन उन्होंने मेहनत और लगन से अपनी पढ़ाई पूरी की।

शास्त्री जी ने महात्मा गाँधी से प्रेरित होकर भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में भाग लिया और कई बार जेल गए। जब वे भारत के प्रधानमंत्री बने, तब देश को भुखमरी और युद्ध जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनके कार्यों से हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को बढ़ावा मिला, जिससे देश में अनाज और दूध की कमी दूर हुई। उन्होंने किसानों और सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, जो आज भी हम सभी को प्रेरित करता है।

उनका पूरा जीवन ईमानदारी, मेहनत और देशसेवा की मिसाल है। हमें शास्त्री जी से सादगी, मेहनत और सच्चाई का पाठ सीखना चाहिए। आइए, हम उनके आदर्शों को अपनाकर देश को आगे बढ़ाने में योगदान दें।

धन्यवाद!

Lal Bahadur Shastri par bhashan

लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण का सैंपल – 3 (Speech On Lal Bahadur Shastri – 3)

सभी आदरणीय उपस्थित जनों को मेरा सादर प्रणाम!

आज मैं भारत के महान नेता लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में अपने विचार साझा करना चाहता/चाहती हूं। शास्त्री जी सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति की मिसाल थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। बचपन में ही उनके पिता का निधन हो गया, लेकिन कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और देश की सेवा में जुट गए।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्होंने महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक से प्रेरणा ली और कई बार जेल गए। आजादी के बाद, वे रेल मंत्री, गृह मंत्री और फिर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने। उनके नेतृत्व में 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ, जिसमें उन्होंने देश को मजबूती और आत्मनिर्भरता का संदेश दिया।

शास्त्री जी ने कृषि और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को प्रोत्साहित किया। देश में खाद्य संकट के दौरान उन्होंने खुद एक वक्त का खाना त्याग कर जनता को प्रेरित किया। उनका दिया नारा ‘जय जवान, जय किसान’ आज भी हर भारतीय को मेहनत और समर्पण की सीख देता है।

शास्त्री जी का जीवन हमें सिखाता है कि ईमानदारी, मेहनत और त्याग से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। हमें उनके आदर्शों को अपनाकर देश की प्रगति में योगदान देना चाहिए।

धन्यवाद!

लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण का सैंपल – 4 (Speech On Lal Bahadur Shastri – 4)

सभी माननीय अतिथियों को मेरा नमस्कार!

आज मैं आप सभी के सामने भारत के महान नेता, सादगी और ईमानदारी की मिसाल, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में अपने विचार रखना चाहता/चाहती हूं। शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक शिक्षक थे, लेकिन जब शास्त्री जी छोटे थे, तभी उनका निधन हो गया। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने मेहनत से अपनी पढ़ाई पूरी की और देश की सेवा में जुट गए।

शास्त्री जी स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से जुड़े और महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक से प्रेरणा लेकर ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भाग लिया और कई बार जेल भी गए। आजादी के बाद, वे रेल मंत्री, गृह मंत्री और फिर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।

राजनीति में उनका योगदान अमूल्य था। जब 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ, तब उन्होंने देश को आत्मनिर्भरता और साहस का संदेश दिया। उन्होंने सैनिकों और किसानों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया और ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया, जो आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा है।

देश में खाद्य संकट के दौरान उन्होंने हरित क्रांति और श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया, जिससे भारत कृषि और दुग्ध उत्पादन में आत्मनिर्भर बना। वे खुद इतना सादगीपूर्ण जीवन जीते थे कि प्रधानमंत्री होने के बावजूद उनके पास खुद का घर तक नहीं था।

शास्त्री जी का पूरा जीवन हमें सिखाता है कि ईमानदारी, मेहनत और निःस्वार्थ सेवा से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। हमें उनके आदर्शों को अपनाकर देश की प्रगति में योगदान देना चाहिए।

धन्यवाद!

लाल बहादुर शास्त्री पर 400-500 शब्दों में भाषण (Speech On Lal Bahadur Shastri In 400-500 Words)

सभी को सुप्रभात!

लाल बहादुर शास्त्री भारत के महान नेता, सादगी और ईमानदारी की मिसाल है। शास्त्री जी का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई, मेहनत और देशभक्ति से बड़े से बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। वे न केवल भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे, बल्कि देश के किसानों और जवानों के सबसे बड़े प्रेरणास्रोत भी थे।

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे, लेकिन जब शास्त्री जी केवल डेढ़ साल के थे, तब उनका निधन हो गया। उनकी माता रामदुलारी देवी ने कठिन परिस्थितियों में उनका पालन-पोषण किया। बचपन से ही वे ईमानदार, परिश्रमी और सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले व्यक्ति थे।

गरीबी के कारण शास्त्री जी को कई किलोमीटर नंगे पैर चलकर स्कूल जाना पड़ता था। पढ़ाई में रुचि होने के कारण उन्होंने कठिनाइयों के बावजूद काशी विद्यापीठ से स्नातक किया और उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि मिली।

शास्त्री जी बचपन से ही महात्मा गांधी और लोकमान्य तिलक से प्रेरित थे। उन्होंने असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और कई बार जेल गए। वे हमेशा अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने में विश्वास रखते थे।

आजादी के बाद, शास्त्री जी देश की सेवा में पूरी तरह समर्पित हो गए। उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। जैसे साल 1951-1956 में वह रेल मंत्री रहे और रेल दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने वाले पहले मंत्री बने। साल 1961-1963 में गृह मंत्री के पद पर रहकर उन्होंने पुलिस सुधारों और कानून व्यवस्था को मजबूत करने का काम किया। साल 1964 में पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद वे देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने।

भारत के लिए शास्त्री जी के महत्वपूर्ण योगदान रहे हैं, जैसे ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान, शास्त्री जी ने इस नारे के जरिए देश के जवानों और किसानों का सम्मान बढ़ाया। यह नारा आज भी हर भारतीय को प्रेरित करता है। उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए हरित क्रांति को बढ़ावा दिया और दूध उत्पादन के लिए श्वेत क्रांति का समर्थन किया। जब देश में खाद्य संकट था, तो उन्होंने खुद सप्ताह में एक दिन उपवास रखा और देशवासियों से भी ऐसा करने का निवेदन किया। वे चाहते थे कि भारत किसी भी देश पर निर्भर न रहे और आत्मनिर्भर बने।

11 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौते के दौरान उनकी रहस्यमय मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई, लेकिन कई लोग इसे साजिश मानते हैं। उनकी मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है।

लाल बहादुर शास्त्री जी सच्चाई, ईमानदारी और देशभक्ति की प्रतिमूर्ति थे। उनका जीवन हमें सिखाता है कि त्याग, समर्पण और कड़ी मेहनत से कुछ भी संभव है। हमें उनके विचारों को अपनाकर देश की सेवा करनी चाहिए।

धन्यवाद!

लाल बहादुर शास्त्री पर भाषण देने के आसान टिप्स (Easy Tips For Lal Bahadur Shastri Speech)

अगर आप लाल बहादुर शास्त्री जी पर अच्छा भाषण देना चाहते हैं, तो इन सरल और असरदार टिप्स को जरूर अपनाएं:

  • भाषण की अच्छी शुरुआत करें – सबसे पहले सभी को आदरपूर्वक संबोधित करें। भाषण की शुरुआत किसी प्रेरणादायक लाइन या लाल बहादुर शास्त्री जी के प्रसिद्ध नारे से करें।
  • शास्त्री जी का संक्षिप्त परिचय दें – उनके जीवन के बारे में संक्षिप्त में परिचय दें, जैसे जन्म, परिवार, शिक्षा, स्वभाव आदि।
  • उनके स्वतंत्रता संग्राम में योगदान पर बात करें – उनके योगदानों के बारे में चर्चा करें और किस आंदोलन में उन्होंने भाग लिया।
  • प्रधानमंत्री के रूप में उनके योगदान को बताएं – प्रधानमंत्री के रूप में देश के लिए उनके किए गए योगदानों के बारे में बताएं।
  • उनकी मृत्यु और रहस्य का जिक्र करें – उनकी मृत्यु कैसे और कहां हुई इसका जिक्र करें।
  • भावनात्मक और प्रेरणादायक निष्कर्ष दें –  उनसे मिलने वाले सीख, सादगी और ईमानदारी की चर्चा करते हुए एक अच्छा निष्कर्ष दें।
  • आत्मविश्वास से बोलें और अपनी भाषा सरल रखें – भाषण भावनाओं से भरा हो, लेकिन ज्यादा लंबा ना करें। जहां जरूरी हो, वहां थोड़ा रुककर बोलें ताकि श्रोता आपकी बात को महसूस कर सकें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. लाल बहादुर शास्त्री जी को ‘शास्त्री’ की उपाधि कैसे मिली?

लाल बहादुर शास्त्री जी को शास्त्री की उपाधि काशी विद्यापीठ से स्नातक करने के बाद मिली।

2. स्वतंत्रता आंदोलन में शास्त्री जी कितने समय तक जेल में रहे?

शास्त्री जी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 9 साल से ज्यादा समय तक जेल में रहे थे।

3. लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती किस महान नेता के साथ मनाई जाती है?

शास्त्री जी की जयंती महात्मा गांधी के साथ मनाई जाती है, क्योंकि दोनों का जन्म 2 अक्टूबर को हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति की मिसाल है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम, भारत-पाक युद्ध, हरित क्रांति और श्वेत क्रांति में अहम भूमिका निभाई। उनका नारा ‘जय जवान, जय किसान’ आज भी प्रेरणा देता है। यह लेख उनके जीवन, संघर्ष और योगदान को सरल भाषा में प्रस्तुत करता है, जिससे भाषण देना आसान हो जाता है। इसमें महत्वपूर्ण घटनाएं, रोचक प्रश्न-उत्तर और प्रभावी भाषण देने के टिप्स दिए गए हैं, जो आपके भाषण को प्रभावशाली बनाएंगे। अगर आप इस लेख को ध्यान से पढ़ेंगे, तो आत्मविश्वास से भरपूर और प्रेरणादायक भाषण दे सकेंगे।