तेनालीराम की कहानी – मटके में मुंह | Tenali Rama Stories – The Face In The Pot Story In Hindi

तेनाली रामकृष्ण या तेनालीराम या जिन्हें तेनाली रमन भी कहा जाता है, एक कवि और विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय के सलाहकार थे। वह अपनी हाजिर जवाबी और बुद्धिमत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। एक बार राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम से किसी बात से बहुत नाराज हो गए। उन्होंने आदेश दिया कि तेनाली उन्हें अपना मुंह न दिखाएं। इसके बाद तेनालीराम ने क्या युक्ति की ताकि वे फिर से महाराज के प्रिय बन जाएं, इसके लिए इस कहानी को पूरा पढ़ें।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

इस प्रसिद्ध कहानी के मुख्य पात्र इस प्रकार हैं –

  • राजा कृष्णदेव राय
  • तेनालीराम

तेनालीराम की कहानी – मटके में मुंह (Tenali Rama Stories – The Face In The Pot Story In Hindi)

राजा कृष्णदेव राय और उनके कई दरबारी तेनालीराम को बहुत पसंद करते थे। हालांकि राज्य के राजपुरोहित को तेनालीराम से बड़ी ईर्ष्या थी। इसलिए वह नित नए षड्यंत्र करके राजा के सामने तेनाली की प्रतिष्ठा को धूमिल करने का प्रयास करता रहता था।

एक दिन राजपुरोहित रोते हुए राजा के पास गया और तेनालीराम पर झूठा आरोप लगाया। उसने राजा से कहा कि तेनाली राजा के नाम की बदनामी कर रहे थे।

राजा ने मुख्य पुजारी पर विश्वास कर लिया और तेनाली को दरबार में बुलाया गया। राजपुरोहित ने इस तरह राजा के कान भरे थे कि कृष्णदेव राय तेनाली की एक नहीं सुन रहे थे। अंततः राजा ने क्रोध में भरकर तेनालीराम से कहा –

“मुझे फिर कभी अपना चेहरा मत दिखाना, नहीं तो मैं तुम्हारा सिर काट दूंगा।”

तेनालीराम ने राजा को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन कृष्णदेव राय बहुत गुस्से में थे और उनकी बात नहीं मानी। भरे मन से तेनालीराम दरबार से चले गए।

कुछ दिनों के बाद, राजा को अपने दरबारियों से पता चला कि तेनालीराम निर्दोष थे, और राजपुरोहित ने उनके बारे में झूठ बोला था। कृष्णदेव राय को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने राजपुरोहित को कड़ी फटकार लगाई। इसके बाद राजा ने सेवकों को आदेश दिया कि तेनालीराम को दरबार में लाया जाए। जब तेनाली आए तो उन्होंने अपना चेहरा एक मटके से ढक रखा था। कृष्णदेव राय ने तेनाली को इस तरह देखा तो उनसे पूछा –

“राम, तुमने अपना चेहरा मटके से क्यों ढक रखा है?”

तेनालीराम ने उत्तर दिया –

“महाराज, विजयनगर के नागरिक के रूप में, आपके आदेशों का पालन करना मेरा कर्तव्य है, लेकिन मैं अपने शाही कर्तव्यों से दूर नहीं रह सकता। इसलिए मैं आपकी आज्ञा से दरबार में तुरंत आ तो गया लेकिन अपना चेहरा छुपाने के लिए और साथ ही अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए मैंने इस बर्तन की मदद ली है, ताकि आप मेरा मुंह न देख सकें।”

राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम की हरकत पर अपनी हंसी न रोक सके और दरबार ठहाकों से गूंज उठा। राजा ने तेनाली से अपने चेहरे से मटका निकालने के लिए कहा और उन्हें गले लगाकर जल्दबाजी में लिए गए अपने फैसले के लिए माफी मांगी।

तेनालीराम की कहानी – मटके में मुंह से सीख (Moral of Tenali Rama Stories – The Face In The Pot Hindi Story)

तेनालीराम की कहानियां – मटके में मुंह से यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी तथ्यों को पूरी तरह जाने बिना किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। 

तेनालीराम की कहानी – मटके में मुंह का कहानी प्रकार (Story Type of Tenali Rama Stories – The Face In The Pot Hindi Story)

यह कहानी एक मनोरंजक कहानी है जो बच्चों को बुद्धि तत्परता सिखाती है। यह तेनालीराम की कहानियों के अंतर्गत आती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. तेनालीराम कौन थे?

तेनालीराम एक कवि, विद्वान, विचारक और सम्राट कृष्णदेवराय के दरबार में एक विशेष सलाहकार थे।

2. कृष्णदेव राय किस राज्य के राजा थे?

कृष्णदेव राय विजयनगर राज्य के राजा थे।

3. तेनालीराम किस गांव में जन्मे थे?

तेनालीराम विजयनगर के तेनाली नामक गांव में जन्मे थे जो अब आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में आता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

तेनालीराम एक तेलुगु पंडित, कवि और विद्वान थे। वह कृष्ण देवराय के दरबार के अष्ट दिग्गजों यानी आठ कवियों में से एक थे। उनके बुद्धि चातुर्य और वाक्पटुता का कोई मुकाबला नहीं था। तेनालीराम की कहानियां मजेदार होने के साथ ही तीव्र बुद्धिमता, चतुराई और हाजिरजवाबी की मिसाल हैं। बच्चों को तेनालीराम की कहानियां बहुत पसंद आती हैं इसलिए उन्हें रोज रात में सोते समय ये कहानियां सुनाएं।

श्रेयसी चाफेकर

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