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माँ बनना अपने आप में एक खूबसूरत अनुभव है और इस नए एहसास के साथ आपको गर्भावस्था के शुरूआती अनेक शारीरिक संकेत व लक्षण मिल सकते हैं, जिसमें मासिक धर्म बंद होने के अलावा मॉर्निंग सिकनेस या मतली भी हो सकती है। मतली आमतौर पर दूसरी तिमाही तक कम हो जाती है, किंतु कई महिलाओं में यह समस्या उनकी पूरी गर्भावस्था के दौरान या तीसरी तिमाही तक रह सकती है। क्या आप अपनी तीसरी तिमाही में किसी भी तरह की मतली का अनुभव करती हैं? यदि हाँ, तो यह लेख आपके लिए बहुत मददगार हो सकता है, क्योंकि यहाँ हम तीसरी तिमाही में होने वाली मतली के कारण, बचाव और उपचार पर चर्चा करेंगे।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही शुरू होने के साथ ही गर्भ में पल रहे शिशु की वृद्धि तेजी से होने लगती है। इस दौरान आपको कभी-कभी मतली का अनुभव भी हो सकता है। हालांकि, यदि आपको अत्यधिक उल्टियां हो रही हैं, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में मतली होने के कुछ कारण नीचे दिए गए हैं:
पहली तिमाही के दौरान शरीर में एच.सी.जी. हॉर्मोन का उच्च स्तर होने के कारण मतली होने की संभावना बढ़ जाती है। गर्भावस्था में वृद्धि के साथ-साथ हो सकता है इन हॉर्मोन का स्तर भी धीरे-धीरे सामान्य हो जाए। हालांकि यह भी हो सकता है कि पूरी गर्भावस्था के दौरान इन हॉर्मोन का स्तर उच्च रहे, जिसके कारण तीसरी तिमाही में मतली हो सकती है।
जी हाँ, गर्भ में पल रहे शिशु की वृद्धि के कारण भी आपको मतली का अनुभव हो सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शिशु की वृद्धि के साथ, आपके पेट पर दबाव पड़ सकता है इससे पेट में उपस्थित तत्व आहार-नली में वापस आ सकते हैं। ऐसी स्थिति को एसिड रिफ्लक्स कहा जाता है जो मतली के अनेक कारणों में से एक हो सकता है।
कभी-कभी मतली, प्री-एक्लेमप्सिया जैसी मूल चिकित्सीय समस्याओं के कारण हो सकती है। यह समस्याएं माँ और उसके अजन्मे बच्चे के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर सकती हैं। यदि आपको मतली के साथ अन्य लक्षण, जैसे चेहरे पर सूजन, पेट में दर्द, सिर में दर्द, आँख की समस्या या कोई भी अन्य असामान्य लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
यदि आप अपनी गर्भावस्था के अंतिम चरण में मतली और साथ ही संकुचन, श्रोणि पर दबाव और पीठ में दर्द महसूस करती हैं तो संभवतः प्रसव का समय नजदीक है। कुछ महिलाओं को प्रसव पीड़ा के दौरान मतली, दस्त और ऐंठन की परेशानी भी हो सकती है।
मतली की समस्या से निपटने के लिए कुछ प्राकृतिक तरीके नीचे दिए गए हैं:
हर्बल चाय प्रभावी तरीके से मतली को खत्म करने में मदद करती है। गर्भावस्था में मतली का इलाज करने के लिए आप नींबू, रपटीला एल्म या कैमोमाइल चाय आजमा सकती हैं।
पुदीने की ताजी पत्तियां, मतली को नियंत्रित रखने में मदद करती हैं। मतली का इलाज करने के लिए आप पुदीने की कुछ ताजी पत्तियां ऐसे ही कच्ची खा सकती हैं, इसे नींबू पानी में या सूप में मिलाकर भी इसका सेवन कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान आपको खट्टे पदार्थ खाना पसंद हो सकता है और आंवला न केवल आपकी खट्टा खाने की अत्यधिक इच्छा को पूर्ण करता है बल्कि साथ में मतली का भी इलाज करता है। आप इसका सेवन कच्चा, जेली, कैंडी या जूस के रूप में भी कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान मतली को ठीक करने के लिए ‘नींबू’ सबसे प्रभावी उपचारों में से एक है।मतली को ठीक करने के लिए आप नींबू का सेवन विभिन्न रूपों में कर सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान मतली की समस्या दूर करने के लिए सदियों से अदरक का उपयोग किया जा रहा है। आप मतली से बचाव के लिए अदरक को अपनी चाय, सूप या नींबू पानी में मिलाकर पी सकती हैं।
‘उल्टी’ या ‘उबकाई’ से आपको अत्यधिक बेचैनी और परेशानी हो सकती है। अपनी तीसरी तिमाही में उल्टी या उबकाई से छुटकारा पाने के लिए हम निम्नलिखित उपाय आजमाने की सलाह देते हैं:
पर्याप्त आराम करना और अच्छी नींद लेना आवश्यक है क्योंकि आराम की कमी से आपको मतली हो सकती है और चक्कर भी आ सकते हैं।
चाय और कॉफी जैसे कैफीन-युक्त पेय पदार्थ मतली के लक्षण बढ़ा सकते हैं इसलिए जितना संभव हो इन पेय पदार्थों को न पिएं या इनका सेवन कम कर दें।
सुनिश्चित करें कि आपके भोजन करने के समय में ज्यादा अंतराल न हो; बल्कि मतली के प्रभाव को कम करने के लिए आपको तीन बार अधिक खाने के बजाय पाँच से छह बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान अपने शरीर में पानी की मात्रा बनाएं रखें। मतली और उल्टी के कारण आप कमजोर महसूस कर सकती हैं और आपके शरीर में पानी की कमी हो सकती है।
गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने से न केवल आप स्वस्थ रहती हैं, बल्कि एक स्वस्थ शरीर मतली जैसी विभिन्न बीमारियों का सामना अधिक बेहतर तरीके से कर सकता है।
देर रात को या सोने से ठीक पहले भोजन करने से आपको सीने में जलन हो सकती है जिससे आपको उल्टी या उबकाइयां भी आ सकती हैं । प्रयास करें कि आप अपना भोजन सोने से 2 या 3 घंटे पहले कर लें।
गर्भावस्था के दौरान कुछ खाद्य पदार्थ मतली का कारण बन सकते हैं, जैसे मसालेदार, तेल वाले या मीठे व्यंजन। गर्भावस्था में ऐसे खाद्य पदार्थ बहुत कम खाएं।
आमतौर पर मतली से गर्भावस्था में कोई समस्या नहीं आती है। परन्तु, कभी-कभी तीसरी तिमाही के दौरान अत्यधिक मतली होना विभिन्न समस्याओं का संकेत हो सकती है। इसलिए, यदि आपको मतली के साथ निम्नलिखित में से कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो इसके बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श लें:
ऊपर दिए हुए किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान मतली के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न नीचे दिए गए हैं:
आमतौर पर मतली पहली तिमाही के अंत तक कम हो जाती है।परंतु, कुछ मामलों में तीसरी तिमाही तक या गर्भावस्था के 36वें या 38वें हफ्तों तक मतली और साथ ही सीने में जलन हो सकती है। यदि आप गर्भावस्था के अंतिम महीनों में मतली का अनुभव करती हैं, तो यह उन लक्षणों पर निर्भर करता है कि मतली कितने दिन तक रहेगी। जहाँ कुछ महिलाओं को निवारक उपायों से राहत मिलती है, वहीं अन्य महिलाओं को इससे निजात पाने के लिए दवाइयां लेनी पड़ सकती हैं।
यदि आपको गर्भावस्था के 8वें और 9वें महीने में मतली हो रही है, तो आप ऐसी कई दवाइयों का उपयोग कर सकती हैं जो सीने की जलन और पेट की परेशानियों से राहत दे सकती हैं। ध्यान रहे, आप अपने मन से किसी भी मेडिकल स्टोर से दवाई न लें, गर्भावस्था के दौरान कोई भी दवाई लेने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
गर्भावस्था के दौरान मतली होना बहुत आम है और कई महिलाओं को गर्भावस्था के अंतिम महीनों में भी यह समस्या हो सकती है।तथापि अपने डॉक्टर की सलाह और उचित देखभाल से आप इस समस्या का बेहतर निवारण कर सकती हैं और इसे नियंत्रित रख सकती हैं।
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