गर्भावस्था

थायराइड का स्तनपान पर प्रभाव

In this Article

थायराइड ग्लैंड हार्मोन बनाने का काम करते हैं, जो शरीर के विकास और नॉर्मल फंक्शन में मदद करता है, और स्तनपान में भी। थायराइड के दो प्रकारों में हाइपो-थायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायराइड) और हाइपर-थायरायडिज्म (ओवरएक्टिव थायराइड) शामिल हैं। इसके अलावा एक ऐसी भी कंडीशन होती है जिसमें एक हाइपर-थायराइड फेज और हाइपो-थायरायड फेज दोनों ही शामिल होते हैं, जिसे पोस्टपार्टम थायराइडाइटिस कहा जाता है।

कई माएं इस सोच में पड़ जाती है कि अगर उन्होंने अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराई तो कहीं इससे उनका बच्चा भी प्रभावित न हो जाए। हालांकि, आमतौर पर ब्रेस्टफीडिंग में थोड़ी समस्या आती है अगर थायराइड डिजीज को दवा से कंट्रोल में किया जाता है, लेकिन अगर हाइपोथायरायडिज्म का इलाज ही न किया जाए तो यह स्तन के दूध की आपूर्ति को कम कर सकता है। इसलिए इस बात का खयाल रखें कि बच्चे को नर्सिंग करते समय थायराइड मेडिकेशन को जारी रखी जानी चाहिए।

नीचे आपको उन लक्षणों के बारे में बताया गया जो हाइपो-थायरायडिज्म और हाइपर-थायरायडिज्म के रोगियों में दिखाई देते हैं।

हाइपो-थायरायडिज्म के लक्षण

  • थकान
  • ठंड के प्रति सेंसिटिविटी का बढ़ना
  • कब्ज
  • रूखी त्वचा
  • सूजा हुआ चेहरा
  • ब्लड कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि
  • अनियमित और ज्यादा मात्रा में पीरियड्स होना

हाइपर-थायरायडिज्म के लक्षण

  • दिल की धड़कन का तेज होना
  • एंग्जायटी
  • हाथों और अंगुलियों का फटना
  • हीट सेंसिटिविटी का बढ़ना
  • पसीना आना
  • सोने में दिक्कत होना
  • थकान

यदि ब्रेस्टफीडिंग कराते समय आपको उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी दिखाई पड़ते हैं, तो आपको तुरंत अपने थायराइड लेवल का टेस्ट करवाना चाहिए।

थायराइड से बच्चे का जन्म और ब्रेस्टफीडिंग कैसे प्रभावित होता है ?

यह जानना बहुत महत्वपूर्ण है कि बच्चे के जन्म के समय और यहाँ तक ​​कि गर्भावस्था के दौरान, एक महिला का  शरीर हार्मोनल चेंजेस से गुजरता है। इन हार्मोनल चेंजेस से थायराइड फंक्शन में भी बदलाव होते हैं। कुछ महिलाओं को जन्म देने से पहले ही थायराइड डिसऑर्डर हो सकता है, वहीं कुछ महिलाओं को यह समस्या बच्चे के जन्म के बाद के महीनों में हो सकती है। 

एक बहुत ही कॉमन सवाल जो हमारे दिमाग में आता है कि, “क्या ब्रेस्टफीडिंग के कारण थायराइड की समस्या होती है?” इस तथ्य के बारे में कोई संदेह नहीं है कि ब्रेस्टफीडिंग बच्चे के विकास के लिए सबसे अच्छा है, लेकिन कुछ मामलों में, ब्रेस्टफीडिंग के कारण थायराइड ग्लैंड होता है जिससे  थायराइड हार्मोन का बहुत अधिक उत्पादन होने लगता है। इससे पोस्टपार्टम थायरॉइडाइटिस हो सकता है, जो आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाता है और इसके लिए लंबे समय तक मेडिकेशन की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर यह लंबी समय तक रहता है, तो डॉक्टर कम डोस वाली दवा लिख सकते हैं।

थायराइड की समस्या होने पर क्या आप ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं ?

हाइपोथायरायडिज्म के मामले में ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं को दूध का पर्याप्त उत्पादन न होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है, क्योंकि बच्चे को पोषण देने के लिए पर्याप्त दूध की सप्लाई नहीं हो पाती है। जब थायराइड हार्मोन पर्याप्त मात्रा में उत्पन्न नहीं होते हैं, तो यह माँ के दूध की आपूर्ति को प्रभावित करता है। थायराइड हार्मोन के लेवल को कंट्रोल करने के लिए दवाओं की सहायता ली जाती है, ताकि बच्चे को नर्सिंग करते समय माँ को कोई समस्या नहीं है।

यदि पोस्टपार्टम थायरॉइडाइटिस के कारण हाइपरथायरायडिज्म विकसित होता है, तो यह धीरे-धीरे खुद ही ठीक हो जाएगा और आपको इसके लिए किसी मेडिकेशन की आवश्यकता नहीं होती है। हाइपरथायरायडिज्म का इलाज आमतौर पर एंटीथायराइड दवाओं के साथ किया जाता है जो हार्मोन के उत्पादन की मात्रा को कम करते हैं। हाइपरथायरायडिज्म के साथ बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना बहुत मुश्किल भरा हो सकता है। यदि प्रेगनेंसी से पहले ही इसका इलाज शुरू हो गया है, तो डॉक्टर को प्रेगनेंसी के दौरान भी इसकी निगरानी करनी चाहिए और गर्भावस्था के बाद भी दवाएं चालू रखनी चाहिए। ओवरएक्टिव थायराइड कभी-कभी धीमी या डिफिकल्ट लेट-डाउन रिफ्लेक्स का कारण बन सकता है। ऐसे मामलों में ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई को बनाए रखने के लिए सही मेडिकेशन की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

थायराइड की समस्या से आपके मिल्क प्रोडक्शन पर भी प्रभाव पड़ता है?

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान थायराइड की बीमारी होने से एक माँ के शरीर में दूध की सप्लाई भी प्रभावित होती है। यदि थायराइड डिसऑर्डर पोस्टपार्टम है यानि डिलीवरी के बाद हुई है, तो हाइपरथायरायडिज्म के बाद एक माइल्ड हाइपोथायरायडिज्म होता है और यह धीरे-धीरे ठीक हो जाता है। ऐसे मामलों में, माओं को किसी बड़ी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।

जैसे कि थायराइड हार्मोन स्तनों से दूध को स्रावित करने में मदद करता है, अगर माँ को हाइपोथायरायडिज्म होता है, तो इससे दूध की सप्लाई भी प्रभावित होती है। हालांकि, जो महिलाएं हाइपोथायरायडिज्म का ठीक से इलाज कराती है, उन्हें दूध की आपूर्ति में कोई समस्या नहीं है।

यदि आप प्रेगनेंसी से पहले ही हाइपरथायरायडिज्म का इलाज कर रही हैं और गर्भावस्था के बाद कई बॉडी चेंजेस के साथ आपका थायराइड लेवल बदल गया है, तो ओवरएक्टिव थायराइड के कारण ब्रेस्ट मिल्क की सप्लाई बढ़ जाती है। यदि मिल्क प्रोडक्शन कम नहीं हो रहा है तो इसके लिए आपको मेडिकल सहायता लेने की आवश्यकता होती है।

हाइपोथायरायडिज्म के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराना

कुछ ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माएं थायराइड की बीमारी का इलाज करने के लिए मेडिकेशन का सहारा लेती हैं और सुरक्षित रूप से ब्रेस्टफीडिंग कराना जारी रखती हैं। यदि थायराइड हार्मोन लेवल को बैलेंस करने के लिए मेडिकेशन डोस को एडजस्ट किया जाता है, तो माँ अपने बच्चे को बिना किसी समस्या के ब्रेस्टफीडिंग करा सकती है। इसलिए, हाइपोथायरायडिज्म के दौरान बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना बच्चे के लिए सुरक्षित माना जाता है।

हाइपरथायरायडिज्म के साथ ब्रेस्टफीडिंग कराना

महिलाओं में हाइपरथायरायडिज्म के कई केस सामने आए हैं, लेकिन कुछ डॉक्टरों का मानना ​​है कि, निरंतर चल रहे ट्रीटमेंट के बावजूद भी महिलाओं को ब्रेस्टफीडिंग के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान डॉक्टर बच्चे के थायराइड फंक्शन की सावधानीपूर्वक निगरानी करने की सलाह देते हैं। जब कम मात्रा में एक एंटीथायरायड मेडिसिन दी जाती है तो यह बच्चे को प्रभावित नहीं करता है। यदि रेडियोएक्टिव आयोडीन या सर्जरी की मदद से इसका इलाज किया जाता है, तो आपको यह सलाह दी जाती है कि बच्चे को दूध छुड़ाएं ताकि बच्चे को किसी भी नुकसान से दूर रखा जा सके।

थायराइड की समस्या का निदान करने के लिए कौन से टेस्ट कराने चाहिए?

1. टी 4 और टीएसएच टेस्ट

डॉक्टर आमतौर पर शरीर में थायराइड हार्मोन के लेवल की जाँच करने के लिए टी 4 टेस्ट (जिसे थायरोक्सिन टेस्ट भी कहते हैं) और टीएसएच टेस्ट लेने की सलाह देते हैं। जबकि टी 4 टेस्ट एक ओवरएक्टिव थायराइड को इंगित करता है,  टीएसएच टेस्ट रक्त में  थायराइड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) के लेवल को मापता है। इसकी नॉर्मल रेंज 0.4 से 4.0 mIU / L (मिलि-इंटरनेशनल यूनिट ऑफ हार्मोन पर लीटर ऑफ ब्लड) होता है।

2. टी 3 टेस्ट

अगर पहले किए गए टेस्ट में हाइपरथायरायडिज्म की कंडीशन पाई जाती है, तो आपको इस टेस्ट को कराने की सलाह दी जाती है। टी 3 टेस्ट हार्मोन ट्रायोडोथायरोनिन के लेवल की जाँच करता है। टी 3 के लिए नॉर्मल रेंज 100-200 नैनोग्राम हार्मोन प्रति डेसीलीटर ब्लड (ng/dL) है।.

क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान थायराइड स्कैन सुरक्षित है?

थायराइड स्कैन यह देखने के लिए किया जाता है कि क्या मरीज को पोस्टपार्टम थायराइडाइटिस या ग्रेव्स डिजीज तो नहीं है, जो हाइपरथायरायडिज्म का कारण बन सकता है। ब्रेस्टफीडिंग के महीनों के दौरान आपको एक थायराइड स्कैन कराने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि रेडियोएक्टिव आयोडीन हफ्तों तक दूध से गुजरते है और जिससे यह बच्चे में भी थायराइड की समस्या पैदा कर सकता है। नर्सिंग करा रही माओं को डॉक्टर से निदान प्रक्रिया के लिए दूसरे ऑप्शन के बारे में पूछना चाहिए। यदि यह कराना जरूरी है तो फिर आपको डॉक्टर से पूछना चाहिए कि क्या आपके पास टेक्नेटियम के साथ थायराइड स्कैन हो सकता है, जो रेडियोएक्टिव आयोडीन से अधिक सुरक्षित होता है।

क्या स्तनपान के दौरान रेडियोएक्टिव आयोडीन लेना सुरक्षित है?

यदि किसी मरीज में हाइपरथायरायडिज्म लंबे समय से चला आ रहा है और दवा के साथ इसे कंट्रोल करना मुश्किल है, तो फिर इसके लिए रेडियोएक्टिव आयोडीन या सर्जरी ही एक बेहतर इलाज है। यदि आप रेडियोएक्टिव आयोडीन करा रही हैं तो इसके साथ आपको ब्रेस्टफीडिंग नहीं कराना चाहिए, क्योंकि यह कई हफ्तों तक आपके स्तनों में जमा रहता सकता है, जो बच्चे के लिए नुक्सदायक हो सकता है।

यदि आप  एंटीथायराइड दवाओं पर है, तो हर तीन महीने में स्तनपान करने वाले बच्चे की जाँच करना चाहिए। हालांकि, अगर माँ को दी जाने वाली दवाओं की डोस कम है तो यह बच्चे के लिए काफी सुरक्षित माना जाता है। कुछ डॉक्टर हैं जो दावा करते हैं कि अगर माँ बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना जरी रखती है, तो बच्चा थायराइड से होने वाले साइड इफेक्ट्स की चपेट में आ सकता है।

क्या होगा अगर आप बहुत ज्यादा थायराइड मेडिसिन लेती हैं?

बहुत अधिक थायराइड मेडिकेशन इस बात का संकेत है कि आपको ओवरएक्टिव थायराइड ग्लैंड है। जब थायराइड हार्मोन शरीर में बहुत ज्यादा फैलते हैं, तो इससे हाइपरमेटाबोलिक कंडीशन पैदा होती है, भूख बढ़ जाती है, हार्टबीट तेज हो जाती है और बार-बार मल त्याग होता है। थायराइड मेडिसिन का अत्यधिक सेवन करने से शरीर में गर्मी बढ़ती है और बहुत अधिक पसीना आता है। इसके अन्य प्रभाव में आपको अनिद्रा, एंग्जायटी, मांसपेशियों में कमजोरी, थकान, बालों के झड़ने और ध्यान देने में परेशनी होती है।

क्या ब्रेस्टफीडिंग से थायराइड डिजीज को रोका जा सकता है?

इस बात के प्रमाण हैं कि ब्रेस्टफीडिंग, माँ और बच्चे दोनों में थायराइड की समस्याओं को रोकने में मदद करता है। रेगुलर ब्रेस्टफीडिंग से ऑटोइम्यून थायराइड डिजीज के साथ-साथ थायराइड कैंसर को भी रोका जा सकता है।

थायराइड डिसऑर्डर, हालांकि असामान्य नहीं है, चाहे यह गर्भावस्था से पहले हो या बाद में दोनों ही तरह से आपके लिए समस्या का कारण होता है। हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथायरायडिज्म दोनों के अपने साइड इफेक्ट्स हैं, लेकिन ऐसी कई महिलाएं है जो मेडिकेशन को जारी रखते हुए अपने बच्चे को सुरक्षित रूप से ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं। दवाओं की मदद से दोनों ही कंडीशन का इलाज किया जा सकता है। इसलिए, आपको बच्चे के जन्म के बाद कुछ कुछ समय पर थायराइड टेस्ट के लिए जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें:

माँ के दूध में फैट बढ़ाने के 6 इफेक्टिव टिप्स

समर नक़वी

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago