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नवजात शिशु से टॉडलर बनने तक की यात्रा कई पड़ावों के साथ पूर्ण होती है, कुछ पड़ाव विकास से संबंधित होते हैं तो कुछ व्यवहार से संबंधित हैं। घर के चारों ओर घूमना, सीधे खड़े हो पाना और चलने के लिए पहला कदम उठाना जैसे कुछ महत्वपूर्ण पड़ाव हैं जो एक टॉडलर को प्रसन्न रखते हैं। किंतु इन सभी पड़ावों के साथ एक और पड़ाव है जो टॉडलर के जीवन का एक आवश्यक चरण होता है परंतु यह चरण आपके बच्चे के लिए थोड़ा सा जटिल हो सकता है। बच्चे का पहला दाँत आना माता–पिता के लिए उत्सव का एक कारण हो सकता है किंतु इस दौरान होने वाले दर्द के कारण, यह एक टॉडलर के लिए बुरे सपने के समान है।
अक्सर टॉडलर की दाढ़ यानि चबाने के दाँत आने का इंतजार रहता है, अन्य दॉंत तो बच्चों की बढ़ती आयु के साथ ही आने लगते हैं। प्रसव के बाद से लगभग 24 सप्ताह की आयु में ज्यादातर बच्चों के दाँत आने लगते हैं, हालांकि अलग–अलग बच्चे में इस प्रक्रिया का समय भिन्न हो सकता है क्योंकि कुछ बच्चों के दाँत देरी से भी निकलना शुरू होते हैं। दाँतों के निकलने पर टॉडलर के मसूड़ों की संवेदनशील त्वचा पर खिचाव आता है जिससे दाँत निकलने की यह प्रक्रिया थोड़ी कष्टदायी हो सकती है। कई टॉडलर इस पूरी प्रक्रिया के दौरान चिड़चिड़े और गुस्से में रहते हैं जिसके कारण कुछ माता–पिता यह भी सोच लेते हैं कि उनके बच्चे को कोई और समस्या है। किंतु यह दाँत निकलने के सामान्य लक्षण हैं और इसमें होने वाली असुविधा कुछ समय के बाद खत्म हो जाती है।
टॉडलर के दाँत निकलने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से लक्षणों के साथ आती है और इसमें उसे थोड़ा दर्द भी हो सकता है। टॉडलर के दाँतों में दर्द का इलाज करने के लिए उपचार का उपयोग करने से उसके दाँत निकलने की प्रक्रिया में मदद मिलती है और साथ ही इसमें होने वाली जटिलताओं से भी छुटकारा मिल सकता है।
मसूड़ों में इस प्रकार के दर्द व तकलीफ से बच्चे अत्यधिक अशांत हो जाते हैं और वे हर चीज से चिड़चिड़ाते हैं व किसी पर भी नाराज हो सकते हैं। यदि एक बच्चे के दाँत में अधिक समय तक दर्द रहता है तो यह समस्या आपके लिए भी असहनीय हो सकती है और यदि आपका बच्चा शांत नहीं बैठ पा रहा है तो जाहिर है इससे आप भी प्रभावित हो सकती हैं।
उपचार
बच्चे की चिड़चिड़ाहट को कम करने का एक ही तरीका है कि उसे अत्यधिक प्यार करें और उसके साथ समय बिताएं। आप चाहें तो उसे कोई खेल खेलने को दे सकती हैं या उसे कहानी सुनाएं या फिर कोई अन्य आवाज सुनाएं, यह एक बच्चे को उसके दर्द से ध्यान भटकाने में मदद कर सकता है। थोड़ा सा धैर्य रखने से आप और आपका बच्चा इस स्थिति से भी निकल सकते हैं।
कभी–कभी दाँत में दर्द एक बच्चे को लगातार तकलीफ में रखता है जिससे वह लंबे समय के लिए चिड़चिड़ा हो जाता है। यह स्थिति नुकीले दाँतों के निकलने से अधिक गंभीर भी हो सकती है और इससे बच्चे अत्यधिक परेशान हो सकता है। दाँत निकलने की प्रक्रिया के दौरान बच्चे के दाँत में दर्द रात के समय में भी हो सकता है जिससे उसकी नींद खराब होती है और वह दर्द के कारण अधिक चिड़चिड़ा हो जाता है। जाहिर है इतनी तकलीफ के कारण बच्चा रोने के साथ–साथ अत्यधिक परेशान भी हो सकता है और उसे सोने में भी अत्यधिक कठिनाई होती है।
उपचार
कई बच्चे ऐसे भी होते हैं जो कुछ समय के लिए रोते हैं और फिर सो जाते हैं, उनमें अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं होती है। किंतु यदि ऐसा नहीं होता है तो अपने बच्चे पर ध्यान अवश्य दें। बच्चे को सुलाने के लिए उसे प्यार से थपकी दें और लोरी सुनाएं, ऐसा करने से वह सो सकता है।
लगातार दर्द होने से कुछ दिनों के लिए बच्चे की भूख कम हो जाती है या दर्द के कारण वह कुछ भी खाना पसंद नहीं करता है। इस कारण से बच्चा देर तक स्तनपान करना छोड़ सकता है या यहाँ तक कि इससे दूर हो सकता है। इस समय बच्चे के लिए बोतल, स्ट्रॉ या उसके पसंदीदा सिपर भी उपयुक्त नहीं है क्योंकि कुछ भी चूसने से उसके दाँतों का दर्द बढ़ सकता है।
उपचार
तापमान में बदलाव, बच्चे के दर्द में राहत प्रदान कर सकता है। माँ का ठंडा दूध या कोई भी नर्म खाद्य पदार्थ बच्चे के दर्द में प्रभावी हो सकता है। यदि आपके बच्चे ने ठोस आहार खाना शुरू कर दिया है तो उसे ठंडा दही, मसले हुए केले या अन्य ठंडे फल दें।
मसूड़ों में दर्द के साथ दाँत उभरते हैं जिसके परिणामस्वरूप संवेदनशीलता के कारण गाल में अत्यधिक चिड़चिड़ाहट व दर्द होता है। इस दौरान बच्चे के गाल के आंतरिक क्षेत्र में खुजली हो सकती है या उसे ऐसा सिर्फ महसूस होता है और इस स्थिति के कारण वह अपना गाल खींचता है और ब्रश करते समय अपने दाँत व गाल को अंदर से रगड़ सकता है।
उपचार
टॉडलर को दाँत निकलने पर उसे टीदिंग बिस्कुट दें यह फायदेमंद हो सकता है। दर्द निवारक के रूप में बच्चे के मसूड़ों या गाल पर किसी भी प्रकार का जेल लगाने से बचें। यह टॉडलर के लिए सुरक्षित नहीं हैं और इसके घातक परिणाम हो सकते हैं।
हमारे शरीर के भीतर कान, नाक और गला सभी आपस में जुड़े हुए हैं। एक क्षेत्र में किसी भी प्रकार का दर्द होने से पूरे मुख प्रभावित हो सकता है । मसूड़ों में दर्द कान में अजीब सनसनी उत्पन्न करता है या यहाँ तक कि इससे कान में दर्द भी हो सकता है और इस दर्द के कारण बच्चे अपने कानों को खींचना शुरू कर देते हैं।
उपाय
बच्चे को चबाने वाले रिंग का उपयोग करने के लिए दें जिससे मसूड़ों में दर्द से राहत मिल सके। यदि इससे भी आराम नहीं मिलता है तो डॉक्टर की सलाह अनुसार बच्चे को एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन दें। उसके कानों की जांच करवाएं क्योंकि कान के भीतर संक्रमण होने की संभावना हो सकती है।
मसूड़ों की त्वचा से दाँतों की जड़ें निकलती हैं जिससे त्वचा पर अत्यधिक दबाव पड़ता है। इस दबाव से राहत पाने के लिए बच्चा उसमें अधिक दबाव डालता है और आसपास जो दिखे चबाना चाहता है या फिर वह अपने मुँह में हाथ रख सकता है।
उपाय
दाँत निकलते समय दर्द से राहत के लिए बच्चे को चबाने वाले छल्ले दें किंतु यह थोड़ा ठंडा होना चाहिए। सुनिश्चित करें कि वह कोई नुकीली चीज न चबाए क्योंकि इससे बच्चे के मसूड़ों को नुकसान पहुँच सकता है और यह अल्सर का कारण बन सकता है।
कई बार दाँत निकलने की प्रक्रिया अत्यधिक दर्द के साथ शुरू होती है जो मुँह के आस–पास के क्षेत्र और गाल को अधिक समय तक नम व गीला रखती है। इस नमी को बार–बार पोंछने से बच्चे की त्वचा में रैश और खुजली हो सकती है।
उपचार
बच्चे के मुँह को रगड़ने की बजाय हल्के हाथ से किसी मुलायम कपड़े से पोंछें। यदि टॉडलर के रैश अत्यधिक गंभीर होते हैं तो उसमें बच्चों के लिए विशेष ऑइंटमेंट लगाएं इससे रैश जल्दी ठीक हो सकते हैं।
अक्सर सामने के दाँत (ऊपर और नीचे के) अन्य दाँतों के साथ 1.5 साल की आयु तक निकलते हैं और कुछ सालों तक यह प्रक्रिया चलती है। दाँत निकलने का क्रम भिन्न हो सकता है किंतु दर्द केवल शुरुआती कुछ दाँत निकलने के क्रम में होता है।
टॉडलर के दाँत निकलने की प्रक्रिया में समस्याएं ज्यादातर तब होती हैं जब दाँत सही तरीके से नहीं निकल पाते हैं। इस समस्या को ठीक करने के लिए आपके डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
टॉडलर के दाँत निकलना एक अच्छा संकेत है जिससे पता चलता है कि आपके बच्चे का विकास स्वस्थ रूप से हो रहा है। इस दौरान जो भी दर्द होता है उसका निवारण कई तरीकों से किया जा सकता है और साथ ही दाँत निकलने की प्राकृतिक प्रक्रिया को भी सुनिश्चित करता है। यदि इस दौरान बच्चे को बुखार आता है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और यदि आवश्यक हो तो सलाह अनुसार उसे दवा भी दें।
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