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वाराणसी में रहने वाले हरिस्वामी ब्राह्मण बहुत ही सुन्दर बीवी थी, जिसका नाम लावण्यवती था। एक दिन गंधर्व कुमार ने उसका अपहरण कर लिया। बीवी का अपहरण होने पर हरिस्वामी बहुत दुखी होकर खुद की जिंदगी खत्म करने जा रहा था। तभी उसे समझाया गया कि अगर वह तीर्थाटन पर जाए तो सब सही होगा। तीर्थ यात्रा के दौरान एक गांव में उसे बहुत भूख लगी, तो वहां एक अन्य ब्राह्मण की पत्नी ने उसे खीर खाने के लिए दी। लेकिन उस खीर में सांप का जहर गिर गया और जिसे खाने की वजह से हरिस्वामी की मौत हो गई। ब्राह्मण ने हरिस्वामी की मृत्यु का दोषी अपनी पत्नी को माना और उसे बिना कुछ जाने घर से भगा दिया। कहानी में बताया गया है कि ऐसी स्थिति में अपराधी किसको माना जाना चाहिए।
एक समय की बात है, वाराणसी शहर में एक ब्राह्मण रहता था, जिसका नाम हरिस्वामी था। उसकी एक बेहद खूबसूरत बीवी थी और उसका नाम लावण्यवती था। लावण्यवती की सुंदरता को देखकर कोई भी पुरुष उस पर फिदा हो जाता था। एक रात वह अपनी छत पर सो रही थी। आधी रात में एक गंधर्व कुमार आसमान के रास्ते उड़ता हुआ वहां से जा रहा था। उसकी नजर लावण्यवती पर गई और उसे देखते ही वह मोहित हो गया। उसने लावण्यवती को वहां से उठाया और अपने साथ ले गया। हरिस्वामी की जब सुबह नींद खुली, तो उसने देखा उसकी बीवी गायब है।
हरिस्वामी ये जानकार बेहद दुखी था कि उसकी बीवी का किसी ने अपहरण कर लिया है। अपनी बीवी के जाने की वजह से वह इतना उदास था कि उसने आत्महत्या करने की सोची। जब आस–पास के लोगों को ये पता चला तो उन्होंने उसे तीर्थ यात्रा करने की सलाह दी कि तीर्थ यात्रा करने के बाद सभी पाप धुल जाएंगे और उसकी बीवी वापस लौट आएगी। हरिस्वामी के पास तीर्थ यात्रा पर जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था इसलिए वह यात्रा के लिए निकल गया।
अपनी तीर्थ यात्रा के दौरान एक गांव से गुजरते समय हरिस्वामी को बहुत तेज भूख लगी। वह एक ब्राह्मण के घर पंहुचा, वहां ब्राह्मण की पत्नी ने उसे खाने के लिए एक खीर दी। हरिस्वामी वो खीर लेकर तालाब के पास एक पेड़ के नीचे पहुंचा। वह हाथ–पैर धोने और पानी लाने के लिए तालाब के पास गया और अपनी खीर उस पेड़ के नीचे रख दी। उसी वक्त एक बाज उस पेड़ के ऊपर आ कर बैठ गया। बाज ने अपने मुंह में एक सांप पकड़ा हुआ था और वह उसे खा रहा था। तभी उस दौरान सांप का जहर हरिस्वामी की खीर में गिर गया। हरिस्वामी को बहुत तेज भूख लगी थी, तो उसने खीर जल्दी–जल्दी खा ली और उसे पता भी नहीं चला कि उसमें जहर है। जहर वाली खीर खाने के बाद उसके शरीर में जहर फैल गया और तड़पते हुए वह तुरंत ब्राह्मण के घर पंहुचा और वहां उसकी बीवी से बोला कि तमने मुझे जहर वाली खीर खाने के लिए क्यों दी, ऐसा कहते ही उसकी मृत्यु हो गई। ब्राह्मण ने सब कुछ देखा और उसने अपनी बीवी की एक भी बात नहीं सुनी और उसे हरिस्वामी की मौत का दोषी समझकर घर से बाहर निकाल दिया।
हमेशा की तरह कहानी पूरी करने के बाद बेताल ने विक्रम से कहा–
“हे राजन! बताओ इस कहानी में अपराधी कौन है सांप, बाज या ब्राह्मण की बीवी? अगर तुम उत्तर जानते हुए भी चुप रहोगे तो तुम्हारे सिर के टुकड़े–टुकड़े हो जाएंगे।”
न्यायशील और बुद्धिमान राजा विक्रम ने इसका जवाब दिया –
“इस कहानी में सांप, बाज और ब्राह्मण की पत्नी तीनों ही अपराधी नहीं है। क्योंकि सांप तो बाज के चंगुल में था, वो कुछ नहीं कर सकता था। बाज ने भी जानकर खीर में जहर नहीं मिलाया, वो तो बस अपना खाना खा रहा था। वहीं ब्राह्मण की बीवी ने तो अपने मेहमान का आदर करते हुए उसे खाना खाने के लिए दिया। जो इन्हें अपराधी मानेगा, वो स्वयं ही सबसे बड़ा अपराधी होगा। कहानी में अगर कोई दोषी है तो वह ब्राह्मण है, जिसने बिना कुछ सोचे समझे अपनी निर्दोष बीवी की बिना बात सुने उसे घर से बाहर निकाल दिया।”
बेताल ने कहा, राजन तुमने इस बार भी सही जवाब दिया और इतना बोलते ही वह फिर से उड़ गया और राजा विक्रमादित्य उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भागे।
विक्रम बेताल की कहानी अपराधी कौन से हमें यह सीख मिलती है कि व्यक्ति को कभी भी बिना देखे और परखे और सही जानकारी हासिल किए बिना कोई भी बड़ा फैसला नहीं करना चाहिए।
यह कहानी बेताल पचीसी की मशहूर कहानियों के अंतर्गत है जो बहुत रोचक होती हैं। इन्हें विक्रम–बेताल की कहानियां नाम से भी जाना जाता है।
इस कहानी का नैतिक यह है कि हमें कोई फैसला लेने से पहले अच्छे से हर बात देखनी परखनी चाहिए।
व्यक्ति को कभी भी किसी निर्णय तक पहुंचने से पहले हमेशा जांच–पड़ताल अच्छे से करनी चाहिए, बिना सोचे विचारे कोई भी बड़ा निर्णय नहीं लेना चाहिए। इससे आपका ही जीवन प्रभावित होता है।
अपराधी कौन है कि इस में कहानी से यह निष्कर्ष सामने आता है कि कभी कभी हम अपने सामने जो भी देख रहे होते हैं उसी को सच मान लेते हैं, लेकिन हर चीज के दो पहलू होते हैं जरूरी नहीं जितना हमने देखा पूरा सच वही हो, इसलिए जब हम जीवन में कोई फैसला करें तो उससे पहले बात की जड़ तक जाएं और अपना हर संभव प्रयास करें कि आपके कारण किसी निर्दोष का जीवन प्रभावित न हो।
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