विक्रम बेताल की कहानी: असली वर कौन | Story of Vikram Betal: Who Is The Real Groom In Hindi

vikram betal ki kahani asli var kaun

ये कहानी बेताल की पांचवी कहानी है – असली वर कौन ! इस कहानी में उज्जैन नगर के राजा महाबल के बारे में बताया गया है, जो कि अपनी पुत्री का विवाह एक ऐसे राजकुमार से करवाना चाहते थे जो हर में चीज कुशल हो। राज की इस शर्त के चलते उनके पास कई राजकुमार आए लेकिन उन्हें कोई योग्य नहीं लगा। अंत में तीन राजकुमार महल आए, जो की अपने-अपने कामों में बेहद निपुण थे। लेकिन एक राक्षस ने राजकुमारी को अगवा कर लिया था। राजकुमारी को बचाने तीनों राजकुमार गए थे और कहानी के आखिर में जब बेताल ने राजा विक्रम से पूछा तो उन्होंने राजकुमारी का असली वर कौन होगा वो बताया।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

  • राजा महाबल
  • राजकुमारी महादेवी
  • तीन राजकुमार
  • राक्षस

विक्रम बेताल की कहानी: असली वर कौन (Who Is The Real Groom Story In Hindi)

राजा विक्रमादित्य की बहुत कोशिशों के बाद एक बार फिर से उन्होंने पेड़ से बेताल को अपने कंधे पर लाद लिया। अपनी शर्त के अनुसार बेताल ने एक बार फिर से कहानी सुनाना शुरू कर दिया – असली वर कौन।

सालों पहले की बात है, उज्जैन नगर में महाबल नाम के राजा का राज चलता था। महाबल एक महान और कृपालु राजा था। राजा की एक बेटी थी, जिसका नाम महादेवी था। महादेवी एक बहुत खूबसूरत और शांत स्वभाव राजकुमारी थी। राजकुमारी की उम्र शादी के योग्य हो गई, तो राजा ने उसके लिए वर ढूंढ़ना शुरू कर दिया।

राजकुमारी से विवाह करने के लिए कई राजकुमार आए, लेकिन राजा महाबल को उनमें से कोई भी राजकुमार अपनी बेटी के लिए पसंद नहीं आया। राजा ने राजकुमारी से शादी करने के लिए राजकुमारों के सामने एक शर्त रखी थी, वह शर्त ये थी कि उनका होने वाला दामाद हर चीज में कुशल होना चाहिए। ऐसे काफी वक्त बीत गया लेकिन राजा को राजकुमारी के लिए योग्य लड़का नहीं मिला।

जब राजा महाबल एक दिन अपने राज दरबार में बैठे हुए थे, तो वहां एक राजकुमार आया और कहा कि वह राजकुमारी महादेवी से विवाह करने के लिए आया है। राजकुमार की बात सुनकर राजा ने कहा कि मैं अपनी बेटी की शादी उसी से करवाऊंगा जिसमें हर प्रकार के गुण होंगे।” राजा की बात सुनकर राजकुमार बोला –

“मेरे पास एक ऐसा रथ है, जिसमें बैठकर बहुत कम समय में कहीं भी पहुंच सकते हैं।”

इस पर राजा ने कहा, “तुम कुछ समय के लिए इंतजार करो, मैं अपनी बेटी से पूछकर बताता हूं।” कुछ दिनों के बाद एक दूसरा राजकुमार महल आया और उसने राजा से बोला –

“मैं त्रिकालदर्शी हूं और भूत, वर्तमान और भविष्य, तीनों देखने में सक्षम हूं। मेरी इच्छा है कि राजकुमारी से मेरा विवाह हो।”

राजा ने उसे भी कुछ दिन इंतजार करने को कहा। कुछ समय बाद एक और राजकुमार राजा महाबल के पास आया और उनसे उनकी बेटी का हाथ मांगने लगा। राजा ने उससे पूछा तुम्हारे अंदर ऐसे कौन से गुण हैं, जो मैं अपनी बेटी की शादी तुमसे करवा दूं? राजकुमार ने कहा –

“हे महाराज, मैं धनुष विद्या ने बहुत कुशल हूं। मुझ जैसा धनुर्धारी आपको कही नहीं मिलेगा।”

राजा ने राजकुमार की तारीफ में कहा, “बहुत बढिया! राजकुमार, आप कुछ समय प्रतीक्षा करें। मैं अपनी पुत्री से पूछकर बताता हूं।” राजा तीनों राजकुमारों को लेकर धर्मसंकट में पड़ गया, क्योंकि तीनों ही गुणवान थे और वह तीनों से तो अपनी पुत्री से विवाह नहीं कर सकता था। अब ये सवाल था कि आखिर राजकुमारी का विवाह किससे होगा।

वहीं, दूसरी ओर एक खतरनाक राक्षस राजकुमारी पर नजर रखे हुए था। राक्षस को जैसे ही मौका मिला वह राजकुमारी को अगवा करके ले गया। राजकुमारी के गायब होने की खबर जैसे ही सबको लगी, तभी राजा, रानी और तीनों राजकुमार एकत्रित हो गए। त्रिकालदर्शी राजकुमार ने बताया कि राक्षस राजकुमारी को विन्ध्याचल पर्वत पर ले गया। ऐसे में पहले वाले राजकुमार ने कहा, मैं अपना रथ लेकर आता हूं। हम सभी उसकी मदद से विन्ध्याचल जा सकते हैं। वहीं तीसरे राजकुमार ने कहा, मैं अपने तीर कमान से उस राक्षस को मार डालूंगा।

इसके बाद तीनों राजकुमार रथ पर बैठकर राजकुमारी को बचाने विन्ध्याचल पर्वत की तरफ चल पड़े। उन्होंने जब राक्षस को देखा, तो धनुर्धारी राजकुमार ने उसका वध कर दिया और राजकुमारी को बचाकर वापस महल लेकर आ गया। इस कहानी के बाद बेताल ने विक्रम से तुरंत पूछा –

“हे राजन, राजकुमारी को तीनों राजकुमार बचाने गए, तो ये बताओ कि राजकुमारी की शादी किससे होनी चाहिए ? राजा मैंने सुना है कि तुम बहुत न्यायवादी हो। इस सवाल का जल्दी जवाब दो वरना मैं तुम्हारे सिर के कई टुकड़े कर दूंगा।”

बेताल के सवाल का जवाब देते हुए राजा विक्रमादित्य ने कहा कि राजकुमारी की शादी धनुर्धारी राजकुमार से होनी चाहिए क्योंकि उसने ही राक्षस को मारकर राजकुमारी की जान बचाई और बाकी दोनों ने तो बस उसकी मदद की है। जैसे ही राजा विक्रम ने जवाब दिया बेताल उड़कर फिर से एक बार पेड़ पर जाकर लटक गया।

विक्रम बेताल की कहानी: असली वर कौन की कहानी से सीख (Moral of Who Is The Real Groom Hindi Story)

असली वर कौन कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि मुसीबत में हमेशा साहस और हिम्मत ही काम आती है, इसलिए कभी मुसीबत से भागें नहीं बल्कि साहस से उसका सामना करें।

विक्रम बेताल की कहानी: असली वर कौन की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type Of Who Is The Real Groom Hindi Story )

यह कहानी विक्रम-बेताल की मशहूर कहानियों के अंतर्गत आती है। इन कहानियों को बेताल पचीसी के नाम से भी जाना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. असली वर कौन कहानी की नैतिकता क्या है ?

असली वर कहानी की नैतिकता ये है कि किसी भी परिस्थिति में हमें हिम्मत से काम करना चाहिए, ऐसा करने से हमें सफलता जरूर मिलती है।

2. हमें मुसीबत के समय में हमेशा साहस से काम क्यों लेना चाहिए?

इंसान को हमेशा मुसीबत में संयम और हिम्मत दोनों से काम करना चाहिए और घबराना बिल्कुल नहीं चाहिए। व्यक्ति के साहस करने से उसकी मुसीबत हल हो जाती है और वह अपने कार्य में सफल जरूर होता था।

निष्कर्ष (Conclusion)

इस कहानी से ये निष्कर्ष सामने आता है कि हमें हमेशा बुरी परिस्थिति में साहस से काम करना चाहिए, ताकि मुसीबत के समय आपको हिम्मत मिले और अपने काम को पूरा कर सकें।