विक्रम बेताल की कहानी: अधिक पापी कौन | Story of Vikram Betal: Who Is More Sinful? In Hindi

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अधिक पापी कौन, यह कहानी बेताल पच्चीस कहानियों में से चौथी कहानी थी। इस कहानी में कई तरह की कहानियों का जिक्र किया गया है। लेकिन इसकी शुरुआत राजा रूपसेन और राजकुमारी चन्द्रवाती के विवाह से होती है। दोनों के पास एक तोता और मैना थे, जिनके नाम चिन्तामणि और मंजरी थे। इन दोनों तोता और मैना की लड़ाई से अन्य कहानियों की शुरुआत होती है।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

  • राजा रूपसेन
  • चिंतामणि (राजा का तोता)
  • चन्द्रावती (मगध की राजकुमारी)
  • मंजरी (राजकुमारी की मैना)
  • महाधन (सेठ)
  • हेमगुप्त (साहूकार)
  • महाधन सेठ का बेटा
  • साहूकार की बेटी
  • सागरदत्त सेठ
  • श्रीदत्त (सागरदत्त सेठ का बेटा)
  • सेठ सोमदत्त
  • जयश्री (सेठ सोमदत्त की बेटी)

विक्रम बेताल की कहानी: अधिक पापी कौन (Who Is More Sinful Story In Hindi)

सालों पहले एक भगवती नाम की नगरी थी। इस नगरी में रूपसेन नाम के राजा का शासन चलता था। राजा शादी करना चाहता था। राजा ने अपने चिंतामणि नाम के तोते से पूछा कि मेरी शादी किसके साथ होगी। तोते ने जवाब दिया, आपका विवाह मगध की राजकुमारी चन्द्रवाती से होगा। राजा ने अपने तोते की बात को सुनने के बाद एक ज्योतिषी को महल में बुलाया और उनसे भी यही सवाल पूछा। ज्योतिषी का वही उत्तर था जो तोते ने कहा था।

वहीं दूसरी ओर मगध की राजकुमारी भी अपने होने वाले पति के बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक थी। राजकुमारी के पास एक मैना थी, जिसका नाम मंजरी था। राजकुमारी ने उससे पूछा, “अरे मंजरी! ये बताओ मेरी शादी किसके साथ होगी।” राजकुमारी की मैना ने उन्हें राजा रूपसेन से विवाह होने की बात कही। ये सब सुनने के बाद दोनों राज्यों से एक-दूसरे को शादी का न्योता भेजा गया, जिसे मान लिया गया। इसी के चलते राजा रूपसेन और राजकुमारी चन्द्रावती का विवाह हो गया। विवाह के बाद रानी अपनी मैना को भी साथ लेकर आई थी। इसके बाद राजा रूपसेन ने अपने तोते चिंतामणि की शादी राजकुमारी की मैना मंजरी से करवा दी और दोनों को एक ही पिंजरे में रखा गया।

एक समय की बात थी, अचानक तोता और मैना में आपस में कुछ बहस हो गई। मैना बहुत गुस्सा हो गई और बोलने लगी, कि आदमी पापी, धोखेबाज होते हैं और धर्म को नहीं मानते हैं। ऐसे में तोता भी गुस्से में बोलने लगा कि महिलाएं लोभी, झूठी और हत्यारी होती हैं। लड़ते-लड़ते तोता और मैना का झगड़ा इतना आगे बढ़ गया कि ये लड़ाई राजा तक पहुंच गई। राजा ने फिर दोनों से पूछा –

“तुम दोनों के बीच क्या हुआ, तुम झगड़ा क्यों कर रहे हो।”

मैना तुरंत बोल पड़ी कि पुरुष बहुत खराब होते हैं और वो एक कहानी सुनाने लगी।

बहुत पहले की बात है, इलाहापुर नगर में एक महाधन नाम का सेठ रहता करता था। उस सेठ के घर में बहुत मिन्नतों के बाद एक पुत्र की प्राप्ति हुई। सेठ ने अपने बेटे का बेहतर तरीके से पालन-पोषण किया। सेठ से अच्छे संस्कार मिलने के बाद भी उसका बेटा बड़ा होकर जुआ खेलने जैसे गंदी लत में पड़ गया। उनका बेटा जुए की बुरी लत में बहुत पैसे हार गया। ऐसे में सेठ की मौत हो गई। लेकिन बेटे के जुए की लत की वजह से उसके पास न तो पैसे बचे और न ही उसको पैसे देने वाले पिता, इसी कारण सेठ का बेटा अपना नगर छोड़कर चंद्रपुरी नगरी पहुंच गया।

सेठ का बेटा दूसरी नगरी पहुंचा तब उसकी मुलाकात कर्जा देने वाले हेमगुप्त साहूकार से हुई। साहूकार से मिलने के बाद लड़के ने उसे अपने पिता की कहानी बताई लेकिन उसकी कहानी झूठ से भरी हुई थी। उसने साहूकार को बोला कि वह अभी जहाज का बहुत बड़ा सौदा करके लौटा रहा था, लेकिन अचानक से समुद्र में बहुत तेज तूफान आया और जहाज उस तूफान में डूब गया। वो किसी तरह से इस तूफान से बचकर यहां पहुंचा है। लड़के की कहानी सुनने के बाद साहूकार ने उसे अपने घर में पनाह दे दी। उसी समय साहूकार के मन में विचार आया कि सेठ का बेटा उनकी बेटी से शादी करने के लिए एक दम सही वह साबित होगा। इसके बाद साहूकार ने सेठ के बेटे से अपनी बेटी का विवाह करवा दिया।

शादी के काफी समय तक साहूकार ने अपने जमाई का बहुत ख्याल रखा और कुछ दिनों में अपनी बेटी को खूब सारा धन दिया और उसे लड़के के साथ उसके घर विदा कर दिया। बेटी और दामाद के साथ उन्होंने एक दासी को भी भेजा। जब रास्ते में वो लोग जा रहे थे, तभी सेठ के लड़के ने अपनी बीवी से कहा –

“तुम अपने सारे जेवर मुझे दे दो। यहाँ रास्ते में बहुत सारे लुटेरे होते हैं।”

उसकी बीवी ने उसकी बात मान ली और उसे अपने सारे जेवर दे दिए। गहने मिलने के बाद सेठ ने बेटे ने दासी को जान से मार दिया और कुएं में फेंक दिया और उसके बाद अपनी बीवी को भी उस कुएं में धक्का दे दिया। लड़की कुएं में गिरने के बाद बहुत तेज से रोने लगी, तभी वहां से गुजर रही एक महिला ने उसे बाहर निकलने मदद की।

साहूकार की बेटी जैसे ही कुएं से बाहर आई वह अपने पिता के पास चली गई। पिता को उसने अपने पति के सच के बारे में नहीं बताया बल्कि बोला कि रास्ते में कुछ लुटेरों ने उन्हें लूट लिया और दासी को मार दिया। साहूकार ने अपनी परेशान बेटी को दिलासा देते हुए कहा –

“चिंता ना करो बेटी, तुम्हारा पति जरूर जिंदा होगा और एक दिन लौटकर जरूर आएगा।”

वहीं दूसरी ओर सेठ का बेटा अपने नगर पहुंचकर एक बार फिर से सारा पैसा जुए में हार गया। जैसे ही पैसे खत्म हुए उसकी हालत बुरी हो गई।

सेठ का लड़का बहुत परेशान हो गया था, इसलिए वह एक बार फिर से साहूकार के पास पहुंच गया। वहां पहुंचने पर वह अपनी बीवी से मिला। उसकी पत्नी उसे देखकर बहुत खुश हो गई और उससे बोली उस दिन जो कुछ घटा वह मैंने अपनी पिता को नहीं बताया है। उसने अपनी झूठी कहानी अपनी पति को सुनाई। अपने दामाद को घर में देखकर साहूकार ने उसका बहुत अच्छे तरीके से स्वागत किया। कुछ समय तक सेठ का बेटा साहूकार के घर में रहा और एक दिन मौका मिलते ही उसने अपनी पत्नी को मार दिया और उसके सारे गहने लेकर भाग गया। मैना ये कहानी सुनाते हुए कहती है –

“महाराज मैंने ये सारी घटना अपनी आंखों से देखी है इसलिए मुझे पुरुषों पर बिलकुल भी भरोसा नहीं होता है और वे पापी होते हैं।”

मैना की कहानी सुनने के बाद राजा ने तोते से बोला कि अब तुम बताओ तुम्हें महिलाएं बुरी क्यों लगती हैं। इसके बाद तोते ने अपनी कहानी शुरू की और बताया, एक समय की बात है जब वह कंचनपुर में सागरदत्त नाम के एक सेठ के यहां रहा करता था। उस सेठ के बेटे का नाम श्रीदत्त था। श्रीदत्त का विवाह पास की नगरी श्रीविजयपुर के सेठ सोमदत्त की बेटी से हो गया था।

अपने विवाह के बाद लड़का व्यापार के लिए परदेस चला गया। उसकी बीवी जयश्री उसका बेसब्री से इंतजार करती थी, इंतजार में 12 साल निकल गए लेकिन उसका पति वापस नहीं लौटा। जयश्री अपने पति का इंतजार करते हुए एक दिन छत पर खड़ी थी और उसे दूर से एक पुरुष आते हुए नजर आया। वह पुरुष उसे बहुत अच्छा लगा। जयश्री ने उस लड़के को अपनी सहेली के घर बुलाया। फिर वह उससे रोज अपनी दोस्त के घर पर मिलने लगी। ऐसा करते-करते महीनों बीत गए और एक दिन जयश्री का पति श्रीदत्त वापस लौट आया।

जयश्री अपने पति को अचानक से देखकर हैरान रह गई। श्रीदत्त बहुत थका हुआ आया था और इसलिए वो बिस्तर पर लेटते ही सो गया। जयश्री को ऐसे ही मौका मिल गया और वह उस लड़के से मिलने अपनी सहेली के घर चली गई। रात के समय जब वह घर से बाहर जा रही थी तभी उसका एक चोर पीछा करने लगा। चोर ने देखा कि वह किसी और के घर चली गई है। लेकिन वो युवक सांप काटने की वजह से मर जाता है। वहां पहुंचते ही जयश्री देखती है, तो उसका लगता है कि वह सो रहा है। वो लड़के के करीब जाती है और उसी वक्त पेड़ पर बैठा एक भूत युवक के शरीर में प्रवेश करता है और जयश्री की नाक काटकर वापस पेड़ पर चला जाता है।

जयश्री रोते हुए अपनी सहेली के पास गई और उसे पूरी घटना बताई। उसकी सहेली ने उसे सलाह दी घर वापस लौट जाओ और वहां पहुंचकर बहुत तेज-तेज रोने लगना। जैसे ही कोई तुम से तुम्हारे हाल के बारे में पूछे, तो बोलना मेरे पति ने मेरी नाक काट दी। जयश्री घर जाकर ऐसा ही करती है। लड़की का पिता श्रीदत्त इसकी शिकायत राजा से करता है। सभा लगती है और उसमें सभी लोग पेश होते हैं। राजा ने जैसे ही लड़की की नाक को देखा, उसने लड़के को सूली पर लटकाने का हुक्म दे दिया।

उस सभा में जयश्री का पीछा करने वाला चोर भी पहुंचा था और उसने उस रात की सारी घटना देखी थी। राजा की सुनाई गई सजा से चोर बहुत उदास हो जाता है। वो हिम्मत करके किसी तरह से राजा को उस रात की पूरी कहानी बताता है। लेकिन कोई भी उसकी बातों पर भरोसा नहीं करता है, ऐसे में चोर बोला –

“यदि आपको विश्वास नहीं होता है वहां चलकर देखें, वो भूत और लड़के की लाश वहां पड़ी हुई है।”

जब उसकी जांच होती है, तो चोर की बातें सच साबित होती हैं। तभी तोता बोलता है कि देखा महाराज महिलाएं कितनी बुरी होती हैं।

कहानी पूरी करते ही बेताल राजा विक्रम से पूछता है कि बताओ अधिक पापी कौन पुरुष या महिला? राजा थोड़ी देर सोचने लगता है और जवाब देता है कि महिला अधिक पापी है। तब बेताल पूछता है – क्यों? फिर राजा कहता है कि शादीशुदा होने के बावजूद भी महिला ने किसी अनजान पुरुष से रिश्ता रखा और अपने पति को धोखा दिया।

विक्रम बेताल की कहानी: अधिक पापी कौन से सीख (Moral of Who Is More Sinful Hindi Story)

विक्रम बेताल की कहानी अधिक पापी कौन से हमें ये सीख मिलती है कि व्यक्ति को हमेशा सच का साथ देना चाहिए और कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए क्योंकि झूठ का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है। 

विक्रम बेताल की कहानी: अधिक पापी कौन का कहानी प्रकार (Story Type Of Who Is More Sinful Hindi Story)

यह कहानी विक्रम-बेताल की मशहूर कहानियों के अंतर्गत आती है, जिसे बेताल पचीसी के नाम से भी जाना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. अधिक पापी कौन की नैतिक कहानी क्या है?

अधिक पापी कौन कहानी का नैतिक ये है कि झूठ का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है और किसी झूठ बोलने वाले का साथ देने से भी नुकसान अपना ही होता है।

2. हमें हमेशा सच का साथ क्यों देना चाहिए ?

व्यक्ति को हमेशा सच की राह पर चलना चाहिए भले ही ये रास्ता मुश्किल होता है लेकिन झूठ से बेहतर होता है। झूठ से व्यक्ति का कभी भी भला नहीं हो सकता है।

निष्कर्ष (Conclusion)

अधिक पापी कौन कहानी से ये निष्कर्ष निकलता है हमें अपनों से कभी धोखा नहीं करना चाहिए और झूठ बोलने बचना चाहिए। झूठ बोलने से कभी भी किसी का भला नहीं हुआ है और उसके हमेशा बुरे परिणाम ही होते हैं।