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विक्रम बेताल की कहानी: पापी कौन है | Story of Vikram Betal: Who Is The Sinner In Hindi

विक्रम बेताल की कहानियों में से यह पहली कहानी है। इस कहानी में राजा प्रताप मुकुट के बेटे राजकुमार वज्र मुकुट के बारे में बताया गया है। इस कहानी में राजकुमार का एक प्रिय मित्र दीवान का बेटा था। दोनों हमेशा साथ रहते थे लेकिन एक दिन राजकुमार की मुलाकात पद्मावती नाम की राजकुमारी से हुई और उन दोनों को मिलवाने में दीवान के बेटे ने राजकुमार की बहुत मदद की। लेकिन धीरे-धीरे कहानी में नए मोड़ आए और अंत में उसमें असली पापी कौन है उसके बारे में राजा विक्रम ने बेताल सही जवाब दिया।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

  • राजा विक्रमादित्य
  • बेताल
  • राजा प्रताप मुकुट
  • राजकुमार वज्र मुकुट
  • दीवान का बेटा
  • राजकुमारी पद्मावती
  • राजा दंतावट (पद्मावती के पिता )
  • बूढ़ी महिला (राजकुमारी की दासी)

विक्रम बेताल की कहानी: पापी कौन है (Who Is The Sinner Story In Hindi)

राजा विक्रम ने बहुत प्रयासों के बाद बेताल को पकड़ लिया। विक्रम बेताल को अपने कंधे पर लादकर श्मशान की तरफ चल दिए। रास्ते में बेताल राजा विक्रम को कहानी सुनाने लगा…

एक समय की बात है काशी नगर में एक राजा था, जिसका नाम प्रताप मुकुट था। उस राजा की एक संतान थी, जिसका नाम वज्रमुकुट था। एक दिन वज्रमुकुट दीवान के बेटे के साथ जंगल में शिकार करने गया था। जंगल में बहुत देर घूमने के बाद दोनों को एक तालाब नजर आया, जिसमें कमल के फूल खिले थें और उसमें हंस तैर रहे थे। दोनों मित्र उस तालाब के पास रुके और अपने हाथ-मुंह धोए। उसके बाद पास के शिव मंदिर में दर्शन  करने के लिए दोनों ने अपने घोड़ों को बाहर ही बांध दिया। मंदिर में दर्शन करके जब दोनों मित्र वापस लौट रहे थे, तभी उन्होंने तालाब के पास एक राजकुमारी को देखा जो अपनी सखियों के साथ स्नान करने आई थी।

राजकुमारी को देखकर राजकुमार बहुत प्रसन्न हुआ और दोनों एक-दूसरे की आँखों में खो गए। दीवान का बेटा वहीं एक पेड़ की छांव में आराम करने लगा। राजकुमारी ने राजकुमार को देखते हुए अपने बालों से एक कमल का फूल निकाला, अपने कानों से लगाया, दांत से कुतरा और अपने पैर के नीचे दबाकर अपने छाती से चिपकाकर अपनी सहेलियों के साथ वहां से चली गई।

राजकुमारी के जाते ही राजकुमार बेहद उदास हो गया और भागकर अपने दोस्त के पास पंहुचा और उसे सारी बातें बताई। राजकुमार ने कहा –

“मैं राजकुमारी के बिना रह नहीं पाऊंगा, लेकिन मुझे उसके बारे में कुछ भी जानकारी नहीं है। वो कहां रहती है, उसका नाम क्या है?”

दीवान के बेटे ने राजकुमार की सारी बातों को सुनकर कहा –

“राजकुमार आप चिंतित न हों। राजकुमारी ने बता दिया है सब कुछ। राजकुमार ने आश्चर्य से पूछा कि यह कैसे?

दीवान का बेटा बोला कि राजकुमारी ने सबसे पहले कमल के फूल को बालों से निकालकर अपने कानों पर लगाया, इसका मतलब वह कहना चाहती थी कि वह कर्नाटक से है। फिर उन्होंने फूल को दांतों से कुतरा मतलब उनके पिता का नाम दंतावट है और जिस तरह से उन्होंने अपने पैरों से फूल को दबाया उससे ये पता चलता है कि उनका नाम पद्मावती है और दिल से फूल लगाने का तात्पर्य यह है कि आप उनके दिल में बस चुके हैं।

राजकुमार अपने मित्र की बात सुनकर बहुत अधिक प्रसन्न हुआ और उससे कर्नाटक साथ चलने के लिए कहा। दोनों मित्र लंबी यात्रा के बाद आखिर में कर्नाटक पहुंच गए। जब दोनों राजमहल के पास पहुंचे तभी उन्हें वहां चरखा चलाती हुई एक वृद्ध महिला दिखाई दी।

महिला को देखने के बाद दोनों घोड़े से उतारकर उसके पास पहुंचे और बोले –

“माई, हम दोनों व्यापारी बहुत दूर से आए हैं। अभी तक हमारा सामान आया नहीं है और कुछ दिन लगेंगे हमारा सामान आने में, इसलिए हमें बस कुछ दिनों के लिए रहने की थोड़ी जगह चाहिए।”

बुजुर्ग महिला उनकी बातों को सुनकर भावुक हो गई और बोली –

“बच्चों तुम दोनों इसे अपने ही घर की तरह समझो। जब तक यहाँ रहना चाहो तम दोनों रह सकते हो।”

ऐसे दोनों लड़के उस महिला के घर पर रहने लगे। दीवान के बेटे ने बुजुर्ग महिला से पूछा –

“माई आप क्या काम करती हैं? आप के घर पर कितने लोग हैं और आप का गुजारा कैसे होता है।?”

इन सभी सवालों के जवाब में महिला ने कहा –

“मेरा बेटा राजा के महल में काम करता है और मैं राजा की बेटी पद्मावती की दासी थी, लेकिन अब मैं बूढ़ी हो गई हूं इसलिए घर में रहती हूं। राजा मुझे खाने को देते हैं और पूरे दिन में एक बार मैं राजकुमारी से मिलने चली जाती हूं।”

महिला की बात सुनते ही राजकुमार ने उसे कुछ धन दिया और राजकुमारी तक उसकी बात पहुंचाने के लिए कहा। राजकुमार ने बुजुर्ग महिला से कहा –

“माई, जब कल तुम राजकुमारी के पास जाओ तो उससे कहना कि जो राजकुमार जेठ सुदी पंचमी को नदी के पास मिला था, वो तुम्हारे राज्य में आ गया है।”

अगले दिन बूढ़ी महिला राजकुमार का संदेश लेकर राजकुमारी के पास पहुंच गई। उस महिला की बातों सुनकर राजकुमारी को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने हाथों में चंदन लगाकर महिला के गाल पर तमाचा मारते हुए बोला मेरे घर से निकल जाओ।

जब बूढी महिला घर पहुंची और उसने राजकुमार को सारी घटना विस्तार में बताई, तो राजकुमार हैरान हो गया। फिर राजकुमार के दोस्त ने उसे धैर्य रखने के लिए कहा और बोला

“राजकुमार आप परेशान न हों, राजकुमारी की बातों को समझने का प्रयास करें। ध्यान से देखिए राजकुमारी ने सफेद चंदन लगी हुई उंगलियों से गाल पर मारा है। इसका तात्पर्य है कि अभी कुछ समय तक चांदनी के दिन हैं। उनके खत्म होने बाद अँधेरी रात में मिलूंगी।”

कुछ दिन बाद बूढी महिला फिर से राजकुमार का संदेश लेकर राजकुमारी के पास गई। इस बार राजकुमारी ने उंगलियों में केसरी रंग लगाकर उसके मुंह पर मारते हुए कहा, “भागो यहां से।” उसके बाद बूढ़ी महिला ने सारी आपबीती राजकुमार को बताई। राजकुमार ये सब सुनकर बहुत उदास हुआ। ऐसे में दीवान के बेटे ने कहा –

“राजकुमारी कहना चाहती है कि उनकी तबियत अभी ठीक नहीं है, इसलिए तीन दिन और रुक जाएं।”

तीन दिन बीतने के बाद एक बार फिर बूढ़ी महिला राजकुमारी के पास पहुंची। इस बार राजकुमारी ने महिला को बहुत बुरी तरह से डांटा और पश्चिम दिशा की खिड़की से बाहर जाने के लिए कहा। महिला वहां से निकलकर सीधे राजकुमार के पास पहुंची और उन्हें सब बता दिया। तब राजकुमार के मित्र ने उन्हें समझाया कि राजकुमारी उनसे खिड़की के पास मिलना चाहती है।

राजकुमार ये बात सुनकर बेहद खुश हुआ। उसने बूढ़ी महिला के कपड़े पहनकर और भेष बदलकर जाने का निर्णय लिया। राजकुमार ने साडी पहनी, इत्र लगाया और हथियार छुपाकर राजकुमारी से मिलने चल दिया। राजकुमार महल पहुंच गया और खिड़की से राजकुमारी से कमरे में चला गया। कमरे में राजकुमारी उसी का इंतजार कर रही थी। राजकुमार की आंखें कमरे में पहुंचते ही खुली की  खुली रह गई। कमरे में बहुत सी महंगी चीजें रखी थीं। राजकुमार और राजकुमारी रातभर एक दूसरे के साथ थे। जैसे ही दिन होने लगा राजकुमारी ने राजकुमार को छुपा लिया। रात होने पर राजकुमार बाहर आ गया। ऐसे कई दिनों तक चलता रहा। लेकिन राजकुमार को अचानक एक दिन अपनी मित्र की याद आई। उसने सोचा पता नहीं उसका दोस्त कैसा होगा, कहां होगा और क्या कर रहा होगा।

राजकुमार के उदास होने की वजह राजकुमारी ने पूछी तो राजकुमार ने उसे अपने मित्र के बारे में बताया। राजकुमार बोला –

“वह मेरा सबसे खास दोस्त है और चतुर भी है। आज उसी के कारण मैं मिल पाया हूं तुमसे।”

ये सुनने के बाद राजकुमारी राजकुमार से बोली –

“मैं तुम्हारे दोस्त के लिए स्वादिष्ट पकवान बनवाती हूं। तुम उसे भोजन करा कर और समझाकर वापस चले आना।”

उसके बाद राजकुमार खाना लेकर अपने मित्र के पास पहुंचा। दोनों लंबे समय से एक-दूसरे से नहीं मिले थे। राजकुमार ने अपने दोस्त को सारी बातें बताई। राजकुमार ने बोला,

“राजकुमारी को मैंने तुम्हारी चतुरता के बारे में बताया और उन्होंने ही तुम्हारे लिए स्वादिष्ट भोजन भेजा है।”

ये बातें सुनकर दीवान का बेटा सोच में पड़ गया और उसने राजकुमार से कहा कि यह सही नहीं हुआ। राजकुमारी जान गई है कि जब तक मैं आपके साथ हूं, तब तक वह आपको अपने बस में नहीं कर पाएगी। इसी वजह से उन्होंने इस खाने में जहर डालकर भेजा है। ये कहने के बाद खाने में से एक लड्डू दीवान के बेटे ने सामने बैठे कुत्ते को खिलाया। लड्डू खाते ही कुत्ते की मौत हो गई। राजकुमार ये जानकर बहुत दुखी हुआ। उसने कहा ऐसी औरत से तो भगवान ही बचाए। अब मैं राजकुमारी के पास नहीं जाऊंगा।

राजकुमार के मित्र ने कहा, नहीं, अब हमें ऐसी तरकीब निकालनी होगी जिससे वो राजकुमारी हमारे साथ हमारे घर चले। आज रात तुम वापस राजकुमारी के पास जाओ और जब वह सो जाए, तो उसकी बाई जांघ में त्रिशूल का निशान बना देना। उसके बाद उसके गहने ले आना। राजकुमार ने अपने दोस्त की बात मानी और उसके अनुसार कार्य किया। फिर दीवान के बेटे ने योगी का भेष धारण कर लिया। उसने राजकुमार से उन गहनों को बाजार में बेचने के लिए कहा और बोला कि यदि कोई पूछे, तो कह देना मेरे गुरु के पास चलो और उसे यहां ले आना।

राजकुमार उन गहनों को बेचने के लिए महल के पास वाली सुनार की दुकान पर ले गया। जहां सुनार ने गहनों को देखते ही पहचान लिया और राजकुमार को कोतवाल के पास ले गया। कोतवाल ने जब राजकुमार से पूछताछ की, तो राजकुमार ने उसे बताया कि ये गहने उसके गुरु ने दिए हैं। ये सुनते ही कोतवाल ने जाकर गुरु यानी के दीवान के बेटे को हिरासत में ले लिया और राजदरबार ले गया।

राजा ने पूछा –

“योगी जी, आपको ये कीमती गहने कैसे और कहां से मिले?”

योगी का रूप धारण किए दीवान के बेटे ने कहा –

“राजन श्मशान में मैं काली चौदस को डाकिनी मंत्र प्राप्त कर रहा था, तभी मेरे समक्ष  डाकिनी आई। मैंने उसके आभूषण  उतार लिए साथ ही उसकी जांघ की बाई ओर पर त्रिशूल का छाप बना दिया।

ये सब सुनकर राजा अपने महल में गया और अपनी रानी से बोला कि पद्मावती की बाईं जांघ देखें कहीं उस पर त्रिशूल का निशान तो नहीं है। रानी ने जब राजकुमारी की बाईं जांघ देखी तो उस पर त्रिशूल का निशान बना हुआ था। राजा ये जानकर बहुत उदास हो गया। फिर राजा योगी के पास पहुंचा और पूछने लगा कि धर्म शास्त्र में बुरी औरतों को क्या सजा दी जाती है।

योगी ने जवाब में कहा – ब्राह्मण, राजा, गाय, औरत, पुरुष और राज्य में रहने वाले किसी से भी कोई गलत काम होता है, तो उसे राज्य से निकाल दिए जाने की सजा देनी चाहिए। फिर क्या राजा ने पद्मावती को महल से निकालकर जंगल भेज दिया। वहां राजकुमार और उसका मित्र इसी इंतजार में बैठे थे। राजकुमारी को लेकर वे अपने घर चले गए और साथ में खुशहाल जीवन बिताने लगे।

कहानी खत्म हो गई और बेताल ने विक्रम से सवाल किया कि, राजन बताओ इस कहानी में पापी कौन है? अगर जल्दी नहीं बताया तो मैं तुम्हारे सिर के कई टुकड़े कर दूंगा।

विक्रम ने जवाब ने कहा –

“इस कहानी में पापी राजा है, क्योंकि दीवान के बेटे ने अपने मालिक का काम किया और कोतवाल ने राजा के आदेश का पालन किया और राजकुमार ने अपनी इच्छा पूरी की, मगर कहानी में पापी राजा है। उसने बिना सोचे-समझे राजकुमारी को महल से बाहर निकाल दिया। विक्रम की इतनी बात सुनकर बेताल जोर से ठहाका लगाकर बोला कि राजन तुमने चुप रहने का वचन तोड़ दिया है और वह एक बार फिर से पेड़ पर जाकर लटक गया।

विक्रम बेताल की कहानी: पापी कौन है कहानी से सीख (Moral of Who Is The Sinner Hindi Story)

विक्रम-बेताल की कहानी – पापी कौन है से हमें यह सीख मिलती है कि जिंदगी में कोई भी समस्या हो या कोई भी अहम फैसला हो उसे हमेशा दिमाग का सही इस्तेमाल करके ही लेना चाहिए, वरना कोई भी आपको बेवकूफ बनाकर आपका फायदा उठा सकता है।

विक्रम बेताल की कहानी: पापी कौन है का कहानी प्रकार (Story Type Of Who Is The Sinner Hindi Story )

यह कहानी का विक्रम-बेताल की कहानियों के अंतर्गत आती है जिसे बेताल पचीसी के नाम से भी जाना जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. विक्रम बेताल की कहानी: पापी कौन है की नैतिक कहानी क्या है?

पापी कौन है की नैतिक कहानी यह है कि जीवन में चाहे जितनी कठिन स्थिति आए हमें हमेशा अपनी बुद्धि का सही प्रयोग करके उससे निपटना चाहिए।

2. हमें किसी की कही हुई बात पर तुरंत निर्णय क्यों नहीं लेना चाहिए?

यदि आपको कोई व्यक्ति कुछ भी बताता है तो उसकी बातों में आने से पहले अपने दिमाग का उपयोग करके उस बात की सच्चाई की पड़ताल करनी चाहिए। हमें कभी भी बहकावे या जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion)

विक्रम बेताल की पापी कौन है कि इस कहानी का यह निष्कर्ष निकलता है कि जीवन में जब भी कोई जरूरी फैसला लेना हो, तो हमेशा अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करें। इससे आपको सही निर्णय लेने में आसानी होगी और आपकी समस्या भी हल हो जाएगी।

यह भी पढ़ें:

विक्रम बेताल की कहानी: अधिक पापी कौन (Story of Vikram Betal: Who Is More Sinfu In Hindi)
विक्रम बेताल की कहानी: असली वर कौन (Story of Vikram Betal: Who Is The Real Groom In Hindi)

समर नक़वी

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