विक्रम बेताल की कहानी: पिंडदान का अधिकारी कौन | Story of Vikram Betal: Who Is The Real Father In Hindi

Who Is The Real Father Vikram Betal Story In Hindi

बेताल पचीसी की पिंडदान का अधिकारी कहानी एक मां-बेटी भागवती और धनवंती के बारे में है। भागवती के पति के निधन के बाद उसे और उसकी बेटी धनवंती क घर से निकाल कर उनका सारा पैसा भी छीन लिया जाता है। धनवंती की एक से अधिक शादी हुई होती और उसका एक बेटा भी होता है। लेकिन अंत में धनवंती का पुत्र अपने किस पिता के लिए पिंडदान करता है यही इस कहानी का रोचक भाग है।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

  • भागवती
  • धनवंती
  • चोर
  • सिपाही
  • ब्राह्मण लड़का (जिसने पैसों के लिए धनवंती से विवाह किया)
  • राजा (जिसने धनवंती एक बेटे को गोद लिया)

विक्रम बेताल की कहानी: पिंडदान का अधिकारी कौन (Story of Who Who Is The Real Father In Hindi)

यह कहानी एक मां और बेटी की है, उनका नाम भागवती और धनवंती था। भागवती जब विधवा हुई तो उसके पति के परिवारवालों ने उसका सारा पैसा छीन लिया और उसे और उसकी बेटी धनवंती को घर से निकाल दिया। दोनों मां-बेटी दूसरे नगर में रहने की जगह ढूंढने लगी। रास्ते में चलते-चलते दोनों लोग एक जगह आराम करने के लिए रुकीं। उसी जगह पर एक सिपाही ने एक चोर को बांधकर रखा हुआ था। चोर प्यासा होता है और वह भागवती और धनवंती से पानी मांगता है। पानी पीने के बाद चोर दोनों मां-बेटी से उनकी कहानी पूछता है। उनकी बातें सुनने के बाद चोर ने भागवती के सामने उसकी बेटी धनवंती से शादी का प्रस्ताव रखा। ये सुनते ही भागवती नाराज हो गई और उसने सिपाही को चोर की बातें बताईं। सिपाही चोर पर चिल्लाते हुए कहता है, कुछ ही दिनों में तुमको फांसी होने वाली है और तुम्हें शादी करनी है। चोर कहता है –

“बहुत सारे बुरे कर्म किए है मैंने, अब मुझे लगता है कि कोई तो होना चाहिए जो मेरे मरने के बाद मुझे पानी दे सके। मेरी कोई औलाद नहीं है, मैं शांति से मर भी नहीं पाऊंगा और भूत बनकर घूमता रहूंगा।”

इसके बाद सिपाही चोर को वहीं बांधकर आराम करने चला गया। सिपाही के वहां से जाते ही चोर ने भागवती और धनवंती को अपनी छुपे हुए पैसों के बारे में बताना शुरू किया और कहा कि यदि आपने मेरा विवाह अपनी बेटी धनवंती से करवाया, तो मैं आपको छुपे हुए पैसों के बारे में बताऊंगा, उन पैसों से आप दोनों मां-बेटी अपनी पूरी जिंदगी आसानी से बिता सकतें हैं। चोर की बातें सुनने के बाद मां-बेटी दोनों सोचने लगी। तभी धनवंती की मां भागवती ने चोर से पूछा कि तुम शादी क्यों करना चाहते हो। तब चोर बोला कि विवाह के बाद जब मेरा बच्चा होगा तो वह मेरा पिंडदान कर सकेगा और मुझे मुक्ति मिल जाएगी और भूत नहीं बनूंगा। सब बातें सुनने के बाद भागवती अपनी बेटी का विवाह चोर से कराने के लिए तैयार हो जाती है।

कुछ दिन में चोर और धनवंती का विवाह हो जाता है और दोनों को जल्द ही एक बच्चा होता है। समय के साथ चोर को सजा के मुताबिक फांसी हो जाती है। इन सबसे भागवती और धनवंती काफी उदास होती हैं। लेकिन उन्हें बाद में चोर की कही हुई बात याद आती है कि उसने एक गुफा में मूर्ति के सामने वाली जमीन के नीचे खजाना छुपाकर रखा है। उसके बाद दोनों मां-बेटी जमीन खोदकर खजाना ढूंढ लेती हैं। खजाने में सोना-चांदी और काफी पैसे होते हैं। लेकिन ये सब पाकर भी धनवंती बहुत दुखी थी और कहने लगी कि उसे इस धन को पाने से अधिक अपने पति के साथ रहने पर खुशी मिलती।

भागवती उसे समझाती है कि, अगर तुम्हारे पास पैसे हैं तो दुनिया की सारी खुशियां मिलेंगी। वहां से निकलकर भागवती और धनवंती दूसरे शहर में रहने लगीं और खुशहाल जीवन बिताने लगीं। कुछ दिनों बाद भागवती की कुछ महिला मित्र उससे धनवंती के विवाह के लिए पूछने लगीं। तब भागवती ने कहा –

“मुझे अपनी पुत्री के लिए एक ऐसा लड़का चाहिए जो विवाह के बाद भी मेरे ही घर में रहे।”

कुछ समय बाद उनके घर में एक ब्राह्मण लड़का आता है, जिसके सामने भागवती अपनी बेटी के रिश्ते का प्रस्ताव रखती है। उनके पास इतना सारा धन और अच्छा घर देखकर लड़के के मन में लालच आ जाता है और वह विवाह के लिए हां कर देता है। ब्राह्मण लड़का कुछ समय तक उन दोनों के साथ रहता और उनका विश्वास जीत लेता है। लेकिन एक दिन वह रात में उनके घर से सारा धन और जेवर लेकर भाग जाता है। ये सब देखने के भागवती सदमा सहन नहीं कर पाती है और उसकी मौत हो जाती है। अब धनवंती अकेली, लाचार और गरीब हो जाती है। फिर वो वहां से अपने बच्चे को लेकर दूसरे शहर चली जाती है।

समय के साथ धनवंती किसी तरह से अपना और अपने बच्चे का गुजारा करने लगी। उसका बेटा भी बड़ा होने लगा। एक दिन दोनों मां-बेटे रस्ते में भटक रहे थे कि उन दोनों की नजर राजकुमार पर गई, जिसको अजगर ने उसके गले से जकड़ रखा था। धनवंती के बेटे ने काफी प्रयासों के बाद राजकुमार के गले से अजगर को निकाला, परंतु तब तक राजकुमार का निधन हो गया था। राजकुमार के पिता जो उस दौरान वहां के राजा थे वो भी वहां पहुंचे। बेटे की मृत्यु से उन्हें बेहद सदमा लगा, लेकिन धनवंती के बेटे की बहादुरी देखकर राजा ने उसे गोद ले लिया। इसके बाद धनवंती और उसका बेटा राजा के साथ उनके महल में रहने लगा।

धनवंती का बेटा समय के साथ बड़ा हो गया और अब वह राजमहल और महाराज के सभी कामों को सीख गया और अब उसने उनके बेटे की जगह ले ली थी। राजा की काफी उम्र हो गई थी और कुछ ही वक्त में उनकी मृत्यु हो गई। राजा ने मरने से पहले सब कुछ धनवंती के बेटे के नाम कर दिया और उसे राजा बना दिया। इसके बाद धनवंती ने अपने बेटे से कहा पिता की मौत के बाद उसके बेटे को उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान करना होता है। इसलिए धनवंती का बेटा उसके साथ नदी किनारे पिंडदान करने के लिए पहुंच गया, लेकिन उस दौरान उसे तीन हाथ दिखाई दिए।

तभी बेताल चुप हो गया और हर बार की तरह उसने राजा विक्रमादित्य सवाल पूछा –

“बताइए राजन, उस लड़के का पिता कौन है? धनवंती का बेटा किस हाथ से पिंडदान करेगा? इसमें एक हाथ उस चोर का है जिससे धनवंती की शुरू में विवाह हुआ था। एक हाथ उस आदमी का जिसने धनवंती से पैसों की वजह से शादी की थी और तीसरा हाथ राजा का है जिसने धनवंती के बेटे को गोद लिया और अपने बेटे की जगह दी।”

राजा विक्रमादित्य ने जवाब में कहा –

“उस लड़के का पिता वो था जिसने पूरे रीती-रिवाज के साथ धनवंती से विवाह किया था। दूसरे आदमी ने सिर्फ लालच की वजह से धनवंती से शादी की थी और राजा ने बस अपना फर्ज निभाया। चोर ही धनवंती का असली पति और उसके बेटे का पिंडदान का अधिकारी था। क्योंकि चोर ने धनवंती के लिए बिना किसी स्वार्थ के अपना धन छोड़ा था, ताकि वह अपना अगला जीवन शांति से जी सके। बेताल ये सब सुनने के बाद ठहाका लगाकर जोर से हंसा और दोबारा पेड़ पर जाकर बैठ गया।

विक्रम बेताल की कहानी: पिंडदान का अधिकारी कौन से सीख (Moral of Who Is The Real Father Hindi Story)

पिंडदान का अधिकारी कौन कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो व्यक्ति बिना किसी लालच और स्वार्थ के किसी काम को करता है, तो उसे जिंदगी में कभी-न-कभी अच्छा फल जरूर मिलता है।

विक्रम बेताल की कहानी: पिंडदान का अधिकारी कौन का कहानी प्रकार (Story Type Of Who Who Is The Real Father Hindi Story)

यह कहानी बहुत रोचक है जो विक्रम-बेताल की कहानियों में से एक है। इसे बेताल पचीसी भी कहा जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. पिंडदान का अधिकारी कौन का नैतिक क्या है?

पिंडदान का अधिकारी कौन कहानी का नैतिक यह है कि यदि आपका मन साफ है और आपके अंदर लालच नहीं है, तो आपको जीवन में सब मिल जाता है जैसे धनवंती और उसके बेटे के साथ कहानी में अंत में हुआ।

2. हमें स्वार्थ के बिना कार्य क्यों करना चाहिए?

किसी भी व्यक्ति को कोई भी कार्य करते वक्त अपने मन में लालच और स्वार्थ की भावना नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से आपको अंत में अच्छा फल जरूर मिलेगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

पिंडदान का अधिकारी कौन कहानी का निष्कर्ष यह है कि हमें कभी भी कोई काम स्वार्थ और लोभ में आकर नहीं करना चाहिए, यदि व्यक्ति बिना किसी स्वार्थ के कोई काम करता है, तो उसे आगे जाकर जीवन में सफलता और सुख जरूर हासिल होता है।

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