शांत बच्चे बहुत क्यूट लगते हैं पर जब वे जिद्द करते हैं तो छोटे मॉन्स्टर बन जाते हैं। छोटे बच्चे अक्सर रोकर अपनी नापसंद या किस समय वे क्या चाहते हैं यह बताने का प्रयास करते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि बच्चा अच्छी तरह से माँ का दूध पीना शुरू करता है फिर अचानक से पीना छोड़ देता है और नहीं पीने के लिए रोने लगता है। इसे ‘ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक’ कहते हैं।
ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक या नर्सिंग स्ट्राइक क्या है?
नर्सिंग स्ट्राइक एक ऐसा चरण है जब बच्चा बिना किसी समस्या के अचानक से माँ का दूध पीना बंद कर देता है। यह स्ट्राइक कुछ दिनों तक भी चल सकती है या कई बार ज्यादा दिनों तक होती है। इसकी वजह से कई मांएं खुद से ही रिजेक्टेड महसूस करती हैं। हालांकि आपके लिए समझना जरूरी है कि बच्चा इस तरह से भी कम्यूनिकेट कर सकता है।
बच्चे ब्रेस्टफीड करने से क्यों मना करते हैं?
बच्चे की भावनाओं व अनुभवों के आधार पर ही नर्सिंग स्ट्राइक के कई कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
फिजिकल कारण
- यदि बच्चा बीमार है, जैसे उसे सर्दी या कान में इन्फेक्शन हुआ है तो इससे भी वह विचलित और परेशान रहता है जिसके परिणामस्वरूप वह माँ का दूध पीना बंद कर देता है।
- यदि माँ ने कोई लोशन या डियोडेरेंट लगाया है या उसके कपड़े किसी अलग साबुन से धोए गए हैं तो सुगंध बदलने से भी बच्चे दूर हो जाते हैं या उसे रिएक्शन हो सकता है।
- कभी-कभी बच्चे को रिफ्लक्स हो जाता है। इन मामलों में अक्सर बच्चे के लिए ब्रेस्टफीडिंग करना कठिन होता है जिसकी वजह से वह माँ का दूध पीना बंद कर देता है।
- कभी-कभी ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति बहुत ज्यादा होती है जिससे बच्चे के लिए एक साथ पी पाना बहुत कठिन हो जाता है। इस वजह से भी बच्चा दूध पीना बंद कर सकता है।
- यदि बच्चे के दांत निकल रहे हैं या उसके मुंह में चोट लगी है तो इसकी वजह से भी ब्रेस्ट से दूध पी पाना कठिन है और इससे दर्द होता है। इसलिए अक्सर बच्चे ब्रेस्ट से दूध पीना बंद कर देते हैं।
- इसी प्रकार से यदि बच्चे की सर्जरी हुई है या उसे कोई वैक्सीन लगाईं गई है तो मूड खराब होने की वजह से भी वह माँ का दूध पीना बंद कर देता है।
- कभी-कभी माँ के द्वारा कुछ दवा या फूड लेने की वजह से बच्चे को एलर्जी होती है। इसकी वजह से भी बच्चा माँ का दूध पीना बंद कर देता है।
एन्वायरमेंटल कारण
- यदि बच्चा लंबे समय के लिए माँ से नहीं मिलता है तो भी वह ठीक से ब्रेस्टफीडिंग नहीं करता है।
- कई बार बच्चे ब्रेस्फीडिंग के दौरान काट भी लेते हैं। इस पर माँ का रिएक्शन बच्चे को प्रभावित कर सकता है जिसकी वजह से भी वह ब्रेस्टफीडिंग बंद कर देता है।
- बच्चे अक्सर एक समय पर ही लगातार ब्रेस्टफीडिंग करते हैं। पर रूटीन बदल जाने से अक्सर बच्चे ब्रेस्ट से दूध पीना बंद कर देते हैं। कभी कभी यात्रा के दौरान या घर बदलने से भी बच्चा माँ का दूध पीने में सुविधा महसूस नहीं करता है।
- यदि बच्चा खुश नहीं है या उसे कोई स्ट्रेस है और वह लंबे समय से रो रहा है तो वह दूध पीना बंद कर देता है और सही समय पर दूध नहीं पीता है।
बच्चा दिन में कितनी बार दूध पीने से मना करता है?
एक बच्चा दिनभर में कितनी बार ब्रेस्टफीडिंग करता है यह उसकी आयु पर निर्भर है। छोटे बच्चे अक्सर दिन में 8-12 बार ब्रेस्टफीडिंग करते हैं। बड़े बच्चों के लिए यह बदल सकता है। इसलिए जो बच्चे दिन में एक दो बार माँ का दूध नहीं पीते हैं वे उनसे अलग होते हैं जो बच्चे दिन में सिर्फ 3-4 बार ही माँ का दूध पीते हैं और कई बार नहीं पीते हैं।
क्या ब्रेस्टफीडिंग बंद कर देने से बच्चे पर प्रभाव पड़ता है?
यदि बच्चा ब्रेस्टफीडिंग बंद कर देता है तो इससे सिर्फ माँ ही परेशान नहीं रहती है बल्कि यह बच्चे की परेशानी का भी कारण बन सकता है। बच्चे को माँ के स्पर्श की आदत होती है और यही वो चीज है जो बहुत ज्यादा होने की वजह से बच्चा दूध पीना बंद कर देता है।
यह बहुत जरूरी है कि बच्चा आपके प्यार को महसूस करे और यह भावनाएं माँ और बच्चे के बॉन्ड को मजबूत बनाती हैं जिससे बच्चा का माँ का दूध पीने के लिए सुविधाजनक महसूस करता है। माँ का स्पर्श और उसकी देखभाल बच्चे को नॉर्मल होने में मदद करती है।
यदि रूटीन में कोई बदलाव होता है तो पुराने रूटीन में वापिस आने से बच्चे को सुरक्षित महसूस हो सकता है।
यदि बच्चा दिनभर में पर्याप्त दूध नहीं पिएगा तो उसके शरीर में न्यूट्रिशन की कमी हो जाएगी और वह डिहाइड्रेटेड भी हो जाएगा। इन मामलों में बच्चे के स्वास्थ्य पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। यह इस प्रकार से चेक किया जा सकता है कि बच्चा दिन भर में कितनी नैपीज गीली करता है। यदि सिर्फ 6 या इससे ज्यादा होती हैं तो यह एक अच्छा संकेत है जिससे पता चलता है कि बच्चे के शरीर में हेल्दी स्तर तक पानी है।
आप बच्चे के पेशाब की जांच भी कर सकती हैं। यदि बच्चे के पेशाब का रंग गाढ़ा पीला है और इसमें क्लॉउडी गंदगी है तो इससे पता चलता है कि शरीर में पानी का स्तर बहुत कम है। यदि पॉटी का रंग पीला नहीं है तो इसका मतलब है कि बच्चे को पाचन से संबंधित समस्या है और इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है।
बच्चे की नर्सिंग स्ट्राइक बंद करने के लिए आप क्या कर सकती हैं?
बच्चे की नर्सिंग स्ट्राइक को कैसे रोका जाए इससे संबंधित यहाँ कुछ टिप्स बताए गए हैं, आइए जानें;
- इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे को शारीरिक रूप से कोई भी समस्या नहीं होनी चाहिए। कभी-कभी बच्चा थकान की वजह से भी कुछ नहीं खाता है और चीजें उसके मुंह तक ही रह जाती हैं जिससे उसे असुविधाएं होती हैं। यह हटाने से बच्चा नॉर्मल हो जाता है। आप बच्चे में कान के इन्फेक्शन या दांत निकलने से संबंधित चीजों के लिए डॉक्टर से संपर्क करें। यदि बच्चे का शरीर हल्का गर्म है या कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। यदि बच्चा दूध पीते या पेशाब करते समय रोता है तो इन समस्याओं को ठीक करना जरूरी है। यदि जल्दी में ही आपने अपना परफ्यूम या पाउडर या डिटर्जेंट बदला है तो आप दोबारा से वही चीजें इस्तेमाल करना शुरू कर दें ताकि बच्चे को सुविधाजनक महसूस हो।
- यदि बच्चा दूध पीना बंद कर देता है तो माँ अक्सर उसे बोतल से दूध या फॉर्मूला मिल्क देती है या चूसने के लिए पैसिफायर देती है। हालांकि, इन तरीकों से उल्टा प्रभाव पड़ता है और बच्चे को ब्रेस्ट के बजाय इन चीजों की आदत पड़ जाती है। बच्चे को नेचुरल तरीके से चूसने के लिए किसी भी बाहरी चीज की जरूरत नहीं पड़ती है। यदि बच्चे में डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखाई देते हैं तो आप बच्चे को कभी-कभी किसी और व्यक्ति के द्वारा पर्याप्त मात्रा में बोतल से दूध पिला सकती हैं। यदि बच्चा ठीक है तो उसे बोतल देने से बचें। बच्चे को भूख व प्यास लगने दें ताकि वह अपने आप ही ब्रेस्टफीडिंग के लिए प्रेरित हो।
- यद्यपि आपका बच्चा ब्रेस्टफीडिंग स्ट्राइक पर है पर फिर भी ब्रेस्ट में दूध की आपूर्ति होगी। आपका शरीर जरूरत के आधार पर पर्याप्त मात्रा में दूध उत्पन्न करेगा। इस दूध को पंप से बाहर निकालना जरूरी है ताकि दूध की आपूर्ति में कोई भी दिक्कत न हो। इसके अलावा ब्रेस्टमिल्क न निकालने से इन्फेक्शन हो सकता है या निप्पल डक्ट्स बंद हो सकते हैं। आप ब्रेस्ट से दूध निकालकर जरूरत पड़ने पर आप इसे अलग से बच्चे को भी पिला सकती हैं।
- कोई भी स्ट्राइक तब होती है जब किसी के साथ कुछ करने की जबरदस्ती की जाती है। बच्चे भी अलग नहीं हैं और उनसे ब्रेस्टफीडिंग करने के लिए जबरदस्ती करने से वे इसे बंद भी कर सकते हैं। प्यार व विश्वास से इस समस्या को खत्म किया जा सकता है और यह बच्चे के लिए रिलैक्स्ड व हैप्पी एक्टिविटी होनी चाहिए। बच्चे को कडल करने या स्पर्श से भी काफी मदद मिल सकती है।
- कोई स्ट्रेट्जी बनाएं और जब बच्चा सो रहा हो या आधी नींद में हो तो उसे दूध पिलाने का प्रयास करें। इस समय बच्चे को अपने आसपास हो रही चीजों का पता नहीं होता है और वह पूरी तरह से अपने रेफ्लेक्सेस में निर्भर होता है। यदि वह जागकर दूर हट जाता है तो उसके साथ जबरदस्ती न करें। कभी-कभी बच्चे अनजाने में रेफ्लेक्सिव रूप से ब्रेस्ट चूसना शुरू कर देते हैं और अगले दिन नर्सिंग स्ट्राइक के बारे में भूल जाते हैं।
- आप अपने बच्चे के साथ स्नान करें। बच्चे के साथ गुनगुने पानी में बैठें, उसके साथ खेलें और अपना स्पर्श महसूस कराएं जिससे वह जल्दी ही स्ट्राइक को भूल कर ब्रेस्टफीडिंग करने लगेगा। वातावरण बदलने से भी काफी प्रभाव पड़ता है और यहाँ तक कि गार्डन में या धूप में घूमने से भी बदलाव आ सकता है।
- आप बच्चे को अलग-अलग विशेषकर मूवमेंट वाली पोजीशन में करके दूध पिलाने का प्रयास करें। बच्चे को गोदी में लेकर पूरे घर में घूमते हुए या कुर्सी में बैठकर उसके मुंह में निप्पल डालने से उसका मूड बदल सकता है या उसे नींद आ सकती है व वह सोते-सोते भी दूध पीना शुरू कर देता है।
- बच्चों को अपने शुरूआती दिन बहुत अच्छी तरह से याद रहते हैं जब उन्हें सिर्फ माँ और उसका ब्रेस्ट ही पता होता है। कमरे में अंधेरा करके बच्चे साथ बैठने और आपके स्पर्श से उसे अपना शुरूआती समय याद आ सकता है। विश्वास व प्यार का यह बॉन्ड दोबारा याद दिलाने से बच्चा लैचिंग के लिए ब्रेस्ट खोज सकता है।
- नर्सिंग स्ट्राइक के दौरान बच्चे को शांत करना और उसे अच्छा महसूस कराना बहुत जरूरी है। जब भी आप बच्चे को अपनी गोदी में पकड़ें तो रिलैक्सिंग म्यूजिक जरूर चलाएं। या आप भी कोई गाना गुनगुना सकती हैं जो आप गर्भावस्था के दौरान भी गाया करती थी। बच्चा गर्भ से ही आपकी आवाज को अच्छी तरह से पहचानता है। आपकी गोदी में आराम करते समय इस आवाज को दोबारा सुनने से उसे बहुत आराम व सुरक्षित महसूस होगा और वह ब्रेस्टफीडिंग करना चाहेगा।
- सपोर्टिंग पार्टीज की मदद से भी नर्सिंग स्ट्राइक को बंद किया जा सकता है। आप अपने बच्चे को अन्य छोटे बच्चों से मिलाएं जो ब्रेस्टफीडिंग करते हैं, यह भी एक इंट्रेस्टिंग तरीका है। इससे बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करने का एहसास होगा और वह फिर से माँ का दूध पीना शुरू कर सकता है।
ब्रेस्टमिल्क की आपूर्ति कैसे बनाए रखें?
नियमित रूप से आपको पंप या हाथों से ब्रेस्टमिल्क एक्सप्रेस कर लेना चाहिए ताकि दूध की आपूर्ति होती रहे और इन्फेक्शन की संभावनाएं कम रहें। बच्चे को रूटीन के अनुसार ही लगातार दूध पिलाना जरूरी है। इससे भी ब्रेस्ट बड़े नहीं होते हैं और इसमें दर्द भी नहीं होता है। यदि बच्चा ब्रेस्टफीडिंग नहीं करता है तो आप उसे चम्मच या बोतल से दूध पिलाएं।
बच्चे का ब्रेस्टफीडिंग न करना माँ के लिए चिंता की बात हो सकती है। पर इसके कारण जानने व बच्चे को प्यार देने से वह सुरक्षित महसूस कर सकता है। नर्सिंग स्ट्राइक को खत्म करने का यह एक आसान तरीका है जिससे आपका बच्चा भी भविष्य में हेल्दी व हैप्पी रहेगा।
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