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शेर, चूहा और बिल्ली की इस कहानी में ये बताया गया है कि कैसे एक खूंखार शेर, चूहे से परेशान होकर बिल्ली का सहारा लेता है और काम निकल जाने पर बिल्ली को ही भूखा छोड़ देता है। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे कई लोग अपना काम निकल जाने के बाद आपका साथ छोड़ देते हैं, इसलिए कभी भी किसी पर अत्यधिक निर्भर नहीं होना चाहिए। जानवरों की कहानियां बच्चों को बहुत लुभाती हैं। ऐसी कहानियों को पढ़ने के लिए हमारे साथ जुड़े रहें।
कुछ सालों पहले की बात है, अर्बुद नाम का एक पर्वत था जिसकी गुफा में एक खूंखार शेर रहता था। वह अपनी गुफा से सिर्फ शिकार के लिए निकलता और पेट भरने के बाद वापस गुफा में आकर सो जाता था। एक दिन अचानक से उसकी गुफा में पता नहीं कहां से एक चूहा घुस गया और अपना बिल बनाकर वहीं रहने लगा।
एक दिन जब शेर अपनी गुफा में सो रहा था कि तभी चूहा अपने बिल से बाहर निकला और सोते हुए शेर के बाल कुतर दिए उसके बाद वह अपने बिल में वापस चला गया। शेर जब नींद से जागा तो उसने अपने कुतरे हुए बाल देखे और वह गुस्से से तिलमिला उठा। उसने चूहे को पकड़ने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकामयाब रहा क्योंकि चूहा अपने बिल में छुप गया था।
चूहे से परेशान होकर शेर ने एक योजना बनाई। उसने चूहे को खत्म करने के लिए उसकी दुश्मन बिल्ली का सहारा लिया। शेर जंगल गया और वहां बिल्ली को अपनी बातों में फंसाकर गुफा में ले आया। उसके बाद से शेर जब भी आराम करता तो बिल्ली पहरा देती ताकि चूहा शेर को तंग न करे। शेर, बिल्ली के लिए रोज ताजा मांस खाने को लाता था। बिल्ली हर दिन ताजा मांस खाकर काफी तंदुरुस्त हो गई थी।
वहीं बिल्ली की वजह से चूहे का बुरा हाल हो गया था। वह डर से अपने बिल के बाहर नहीं निकलता था, इसी वजह से उसे कुछ खाने-पीने के लिए नहीं मिलता। ऐसे में चूहा दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था। एक दिन भूख से बेहाल होकर चूहा अपने बिल से बाहर निकला और उसने देखा शेर सो रहा है और बिल्ली मांस खा रही है।
लेकिन बिल्ली भी बहुत चतुर थी। चूहा जैसे ही अपने बिल से बाहर निकला, बिल्ली ने तुरंत उस पर झपट्टा मार दिया और खा गई। वह सोचकर बेहद खुश हुई कि यह बात जानकर शेर कितना खुश होगा और उसे रोज ताजा मांस खाने के लिए देगा।
शेर की जब नींद खुली, तब बिल्ली ने बड़े उत्साह से बताया कि उसने चूहे को मार दिया। बिल्ली की बात सुनकर शेर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। उसे पता था कि अब उसकी परेशानी खत्म हो गई है और अब बिल्ली भी उसके किसी काम की नहीं है। शेर ने अब बिल्ली के लिए मांस लाना बंद कर दिया।
मांस नहीं मिलने की वजह से बिल्ली का हाल बेहाल हो गया और वह बहुत कमजोर हो गई। उसे तब समझ आया कि शेर उसके लिए सिर्फ इसलिए मांस ला रहा था, क्योंकि वह चूहे को मार सके। अब चूहा नहीं तो शेर को उसकी जरूरत नहीं है। इसके बाद बिल्ली ने फिर वह गुफा हमेशा के लिए छोड़ दी।
शेर, चूहा और बिल्ली की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कई बार व्यक्ति अपना काम निकल जाने के बाद आपको पूछता भी नहीं है और आप से ऐसे व्यवहार करता है जैसे कि आप उसके लिए एक अनजान इंसान हो। इसलिए कभी भी किसी पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए क्योंकि उसके बुरे व्यवहार से आपको चोट पहुंच सकती है।
शेर, चूहा और बिल्ली की यह कहानी नैतिक कहानियों के अंतर्गत आती है, जो यह बताती है किसी पर हमें पूरी तरह निर्भर नहीं होना चाहिए।
शेर, चूहा और बिल्ली की कहानी का नैतिक यह है कि हमें कभी भी किसी पर पूरी तरह निर्भर नहीं होना चाहिए क्योंकि लोग समय आने पर या अपना मतलब निकल जाने पर आपको भूल जाते हैं और आपकी कोई अहमियत नहीं रहती है।
हमें लोगों से जितना हो सके सीमित मतलब रखना चाहिए क्योंकि अधिक लगाव आपको कमजोर करता है और साथ ही लोगों के बदले बर्ताव के कारण बुरा भी लग सकता है।
यह कहानी हमें जागरूक करती है कि हमें कभी भी किसी पर पूरी तरह से निर्भर नहीं होना चाहिए क्योंकि समय आने पर या काम निकल जाने के बाद वह आपको भूल जाएंगे। उनके इस पराए व्यवहार से आपको तकलीफ हो सकती है। जीवन की सीख के तौर पर देखा जाए तो ये कहानी बच्चों के लिए अच्छी है और उन्हें बहुत पसंद आएगी।
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