In this Article
सीलिएक रोग एक ऑटोइम्यून बीमारी है जो बच्चों और बड़ों दोनों को प्रभावित कर सकती है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर ग्लूटेन से युक्त खाने को सहन नहीं कर पाता। ग्लूटेन एक प्रकार का कॉम्प्लेक्स प्रोटीन होता है, जो मुख्य रूप से गेहूं, जौ, राई और ओट्स जैसे अनाज में पाया जाता है।
जब कोई बच्चा ग्लूटेन वाला खाना खाता है, तो इससे उसकी छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है। हमारी छोटी आंत की अंदरूनी दीवारों पर छोटी उंगली जैसे ढांचे होते हैं जिन्हें विली कहते हैं। ये विली पचाए हुए खाने से पोषक तत्वों को खून में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। लेकिन सीलिएक बीमारी से ग्रसित बच्चों में, शरीर ग्लूटेन को एक खतरा मानकर इन विली पर हमला कर देता है, जिससे ये नष्ट हो जाते हैं। इससे आंत की वह सतह जो पोषक तत्वों को सोखती है, खराब हो जाती है। इसके कारण जरूरी पोषक तत्व शरीर में ठीक से नहीं पहुंच पाते, और धीरे-धीरे इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
बच्चों में सीलिएक बीमारी क्या है?
बच्चों में सीलिएक बीमारी एक ऐसी स्थिति है, जिसमें छोटे बच्चों का शरीर ग्लूटेन के प्रति संवेदनशील हो जाता है। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है, जो गेहूं, जौ, राई और ओट्स जैसे कुछ अनाजों में पाया जाता है। यह बीमारी बच्चे को किसी भी उम्र में हो सकती है- यहां तक कि पहली बार ग्लूटेन वाले खाने का सेवन करने पर भी या फिर कुछ समय बाद भी इसके लक्षण उभर सकते हैं। अक्सर माता-पिता को इस बीमारी और इसके लक्षणों के बारे में जानकारी नहीं होती, जिससे इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में कुपोषण, वजन न बढ़ना, कद छोटा रह जाना, बार-बार दस्त, उल्टी, भूख कम लगना, एनीमिया और मल में फैट या कार्बोहाइड्रेट का होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इन सब कारणों से बच्चों का विकास रुक सकता है, क्योंकि उनके शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसलिए, बच्चों में इस बीमारी का जल्दी से जल्दी पता लगाना बहुत जरूरी है ताकि उनका विकास सही ढंग से हो सके।
बच्चों में सीलिएक बीमारी का कारण
यह बीमारी एक अनुवांशिक बीमारी है, यानी यह माता-पिता से बच्चों में आती है। अगर एक जैसे जुड़वां बच्चे हैं और उनमें से एक को यह बीमारी है, तो दूसरे बच्चे में भी इसका खतरा 100 प्रतिशत होता है। हालांकि, सामान्य मामलों में इसका निश्चित समय या कारण नहीं होता कि यह कब सामने आएगी। यह बीमारी बच्चे के जीवन में किसी भी समय आ सकती है। जन्म के कुछ महीनों बाद, पहली बार ग्लूटेन युक्त खाना खाने पर या फिर ग्लूटेन का सेवन लगातार करते रहने के बाद भी इसके लक्षण नजर आ सकते हैं। इस बीमारी के कब और क्यों शुरू होने का सही कारण अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन यह निश्चित है कि इसमें जीन की भूमिका होती है, यानी जिनके परिवार में यह बीमारी है, उनके बच्चों में इसका खतरा अधिक होता है।
इसके अलावा, जिन बच्चों में निम्नलिखित बीमारियां होती हैं, उनमें भी सीलिएक बीमारी होने का खतरा अधिक होता है:
- डायबिटीज (टाइप 1)
- ऑटोइम्यून थायराइड की बीमारी
- डाउन सिंड्रोम
- टर्नर सिंड्रोम
- विलियम्स सिंड्रोम
- डर्मेटाइटिस हर्पेटिफोर्मिस
बच्चों में सीलिएक बीमारी के लक्षण
हर बच्चे में सीलिएक बीमारी के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं और अक्सर इन लक्षणों को गंभीर समस्या नहीं माना जाता है। कुछ बच्चों में ग्लूटेन युक्त खाना खाने के तुरंत बाद पेट फूलना, पेट दर्द और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अगर ये लक्षण हल्के हों, तो इन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे इस बीमारी का पता नहीं चलता। सीलिएक रोग से ग्रसित बच्चों में चिड़चिड़ापन भी एक बहुत आम लक्षण है। आंकड़ों के मुताबिक, इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में पेट से जुड़ी समस्याएं अलग-अलग गंभीरता के साथ देखने को मिलती हैं। ये लक्षण कुछ घंटों से लेकर कई दिनों या हफ्तों तक भी रह सकते हैं। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखता, लेकिन ग्लूटेन खाने से उनकी आंतों को धीरे-धीरे नुकसान होता रहता है। इसलिए, भले ही लक्षण नजर न आएं, लेकिन उनके शरीर पर इस बीमारी का असर होता रहता है।
सीलिएक बीमारी से पीड़ित बच्चों में दिखने वाले आम लक्षण
सीलिएक डिजीज से पीड़ित अधिकतर बच्चों में निम्नलिखित लक्षणों में से एक या कई लक्षण देखने को मिलते हैं:
- भूख न लगना और कुछ ऐसे खाने से बचना जो पेट में तकलीफ पैदा करता है।
- शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट आना, अन्य बच्चों की तुलना में सीलिएक बीमारी से पीड़ित बच्चों का कद और वजन कम होता है क्योंकि शरीर को उचित पोषण नहीं मिल पाता।
- पेट का फूलना और पेट में भारी महसूस होना, जिससे असहजता होती है।
- दांतों की एनामेल (ऊपरी परत) में कमी या अन्य समस्याएं।
- जोड़ों में दर्द होना।
- दौरे पड़ना।
- लगातार सिरदर्द और चिड़चिड़ापन।
- त्वचा पर रैशेज और दाने होना।
- लगातार थकान महसूस करना।
- कब्ज की समस्या।
- चिंता और डिप्रेशन जैसी मानसिक परेशानियां।
- एनीमिया।
ऐसे बच्चों में इन लक्षणों से कुपोषण के संकेत नजर आते हैं। इस स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द ग्लूटेन-मुक्त खाना और सभी जरूरी पोषक तत्वों से भरपूर आहार देना बहुत जरूरी होता है ताकि उनका विकास सही तरीके से हो
बच्चों में सीलिएक रोग का निदान कैसे करें
सीलिएक रोग को पहचानना अक्सर मुश्किल होता है और कई बार गलत निदान हो जाता है। अगर आपको या आपके डॉक्टर को आपके बच्चे में सीलिएक रोग होने का संदेह हो, तो पुष्टि के लिए खून का परीक्षण करवाना चाहिए। जिस परिवार में इस रोग का इतिहास रहा हो, वहां लक्षण न होने वाले बच्चों के लिए भी यह परीक्षण करवाने के लिए कहा जाता है।
सीलिएक रोग की जांच के लिए खून में कुछ विशेष एंटीबॉडी की मात्रा मापी जाती है। ये एंटीबॉडी शरीर द्वारा ग्लूटेन के खिलाफ बनते हैं। आमतौर पर कुल आइजीए, आइजीए-टीटीजी (एंटी-टिशू ट्रांसग्लुटामिनेस), आइजीए-ईएमए (एंटी-एंडोमायाल एंटीबॉडीज) और आइजीए-एजीए की जांच की जाती है। डॉक्टर सबसे पहले कुल आइजीए की जांच करते हैं और फिर परिणामों के आधार पर अन्य एंटीबॉडी की जांच करते हैं। यह परीक्षण 3 साल से कम उम्र के बच्चों में नहीं किया जाता क्योंकि इसके परिणाम गलत हो सकते हैं। अगर रक्त परीक्षण में सीलिएक रोग के संकेत मिलते हैं, तो डॉक्टर पुष्टि के लिए एंडोस्कोपी करने की सलाह दे सकते हैं।
गैस्ट्रोइंटेस्टिनल एंडोस्कोपी एक सरल प्रक्रिया है, जिसे बिना अस्पताल में भर्ती हुए किया जा सकता है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर छोटी आंत की अंदरूनी दीवारों की जांच करते हैं कि कहीं नुकसान तो नहीं हुआ है। एंडोस्कोपी से पहले डॉक्टर आमतौर पर ग्लूटेन डाइट की सलाह देते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि नुकसान ग्लूटेन के कारण है। इस दौरान एक छोटा सा ऊतक (टिश्यू) भी लिया जाता है जिसे माइक्रोस्कोप में देखकर नुकसान की गंभीरता का आकलन किया जाता है। इस प्रक्रिया में पेट के संक्रमण, अल्सर और अन्य खाने की चीजों से जुड़ी एलर्जी भी पता चल सकती हैं। अगर एंडोस्कोपी के परिणाम सीलिएक रोग की पुष्टि करते हैं, तो डॉक्टर डायबिटीज, ऑटोइम्यून रोग, थायराइड और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी अन्य संबंधित बीमारियों की जांच भी करते हैं।
सीलिएक रोग की जांच का एक अन्य तरीका आनुवंशिक परीक्षण है, खासकर बिना लक्षणों वाले बच्चों में। इस परीक्षण के लिए बच्चे का खून का नमूना या मुंह से स्वाब लिया जाता है और उसमें मौजूद उन जीन की जांच की जाती है जो इस रोग से जुड़े होते हैं। अगर डीएनए में एचएलए डीक्यू2 और डीक्यू8 जीन मौजूद हों, तो सीलिएक रोग होने या विकसित होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि, आनुवंशिक परीक्षण केवल यह बताता है कि बच्चे में इस रोग के पनपने के लिए जीन है, लेकिन यह इस बात को निश्चित नहीं करता। रोग की पुष्टि के लिए अन्य शारीरिक परीक्षण भी जरूरी होते हैं।
बच्चों में सीलिएक रोग के खतरे और समस्याएं
अगर सीलिएक रोग का समय पर पता न लगे या इसका सही इलाज न हो, तो बच्चों के लिए यह आगे जाकर कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
1. पोषक तत्वों की कमी
सीलिएक रोग से पीड़ित बच्चों में आंत के अंदर छोटे-छोटे बालनुमा ढांचे (विली) को नुकसान पहुंचता है, जिससे पोषक तत्वों का अवशोषण सही से नहीं हो पाता। खाना खाने के बावजूद उनके शरीर को जरूरी विटामिन और मिनरल्स नहीं मिल पाते, जिसके कारण आगे जाकर बच्चों में पोषक तत्वों की गंभीर कमी हो सकती है। इस कमी से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास पर बुरा असर पड़ता है।
2. दूध से बने पदार्थ पचाने में समस्या
हमारी छोटी आंत दूध और दूध से बने पदार्थों में मौजूद लैक्टोज को पचाने में अहम भूमिका निभाती है। जब सीलिएक रोग के कारण बच्चों की छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है, तो यह लैक्टोज को पचा नहीं पाती। इससे बच्चों में लैक्टोज इनटॉलरेंस (दूध को सहन न कर पाना) की समस्या हो जाती है। इसके लक्षणों में पेट फूलना, पेट में मरोड़, उल्टी, गैस बनना और दस्त शामिल हैं।
3. धीमी वृद्धि या विकास में रुकावट
बच्चों में उम्र के हिसाब से धीमी वृद्धि या विकास का होना इस रोग के प्रमुख खतरों में से एक है। सीलिएक रोग से पीड़ित बच्चों को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे उनकी लंबाई और वजन में कमी आ सकती है और उनका विकास भी उम्र के हिसाब से पीछे रह सकता है।
4. हड्डियों की कमजोरी और कैल्शियम की कमी
सीलिएक रोग से ग्रस्त बच्चों में कैल्शियम और विटामिन डी का अवशोषण सही से नहीं हो पाता, जिससे हड्डियां कमजोर और भुरभुरी हो जाती हैं। इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। इस स्थिति में हड्डियों का घनत्व कम हो जाती है, जिससे हड्डी टूटने का खतरा बढ़ जाता है। इन बच्चों के दांतों की एनामेल यानी ऊपरी परत में भी समस्याएं हो सकती हैं।
5. एनीमिया
सीलिएक रोग के कारण बच्चों में एनीमिया या आम बोलचाल की भाषा में खून की कमी भी हो सकती है, क्योंकि उनके शरीर में आयरन और विटामिन बी12 का अवशोषण सही से नहीं होता। एनीमिया से बच्चों को थकान, कमजोरी और ध्यान में कमी महसूस हो सकती है।
6. अवसाद और चिंता
सीलिएक रोग से पीड़ित बच्चों में अक्सर चिड़चिड़ापन और पूरे दिन थकान महसूस होती है। अगर इन लक्षणों का इलाज न किया जाए, तो ये बच्चों में चिंता और अवसाद का कारण बन सकते हैं। जैविक रूप से, ग्लूटेन का सेवन शरीर में सूजन बढ़ाता है और दिमाग को पहुंचने वाले खून को प्रभावित करता है। इससे बच्चों में डिप्रेशन यानी अवसाद, थकान और चिंता जैसे लक्षण नजर आने लगते हैं।
7. कैंसर का खतरा
अगर सीलिएक रोग का पता लंबे समय तक नहीं चल पाता है, तो इस गंभीर स्थिति में लिंफोमा (कैंसर का एक प्रकार) का खतरा हो सकता है। यह तब होता है जब शरीर का ऑटोइम्यून सिस्टम बार-बार आंतों की दीवारों को नुकसान पहुंचाता है। हालांकि, बच्चों में यह समस्या बहुत ही दुर्लभ होती है।
बच्चों में सीलिएक रोग का इलाज
सीलिएक रोग का निदान होने के बाद इलाज बेहद जरूरी होता है, क्योंकि सही इलाज न मिलने पर बच्चों में ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर और अन्य ऑटोइम्यून बीमारियां हो सकती हैं।
हालांकि, सीलिएक रोग के लिए कोई दवा उपलब्ध नहीं है जो रोग को खत्म कर सके। इसका एकमात्र इलाज है 100 प्रतिशत ग्लूटेन-मुक्त आहार का पालन करना। यह आहार जीवन भर अपनाना होता है, क्योंकि ग्लूटेन का सेवन करने पर इसके लक्षण फिर से दिखाई दे सकते हैं।
बच्चों के लिए ग्लूटेन-मुक्त आहार अपनाना मुश्किल हो सकता है। इस स्थिति के बारे में बच्चे के आसपास के सभी लोगों को जानकारी होना जरूरी है ताकि वे बच्चे की आहार संबंधी आवश्यकताओं का ध्यान रख सकें। कुछ दवाएं में भी ग्लूटेन हो सकता है। जैसे कि जिन दवाओं में गेहूं, प्री-जेलेटिनाइज्ड/मोडिफाइड स्टार्च, डेक्सट्रिन, डेक्सट्रेट और कैरामेल रंग शामिल हैं, उनमें ग्लूटेन होने की संभावना होती है। इसलिए, इन्हें लेने से पहले अपने फार्मासिस्ट या डॉक्टर से बात करना बहुत जरूरी है।
ग्लूटेन-मुक्त आहार के साथ आने वाली मानसिक चुनौतियों का सामना करने के लिए ऐसे अन्य लोगों से बातचीत करना मददगार हो सकता है, जो इसी स्थिति से गुजर रहे हैं। यह बातचीत व्यक्तिगत रूप से या ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप के जरिए की जा सकती है।
बच्चे की आंतों की सेहत और पोषण स्थिति की जांच के लिए डॉक्टर के साथ नियमित रूप से बात करते रहना भी जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि बच्चा सही तरीके से बढ़ रहा है और उसे पर्याप्त पोषण मिल रहा है।
सीलिएक रोग का घरेलू उपचार
सीलिएक रोग के लिए ग्लूटेन-मुक्त आहार का सख्त पालन करना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, माता-पिता कुछ घरेलू उपाय भी अपना सकते हैं जो इस रोग को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। हालांकि ये उपाय वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हुए हैं, लेकिन इससे पीड़ित होने वालों को इनसे कुछ राहत मिल सकती है।
1. दही
दही या किसी अन्य प्रोबायोटिक का सेवन आंतों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसमें अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो जटिल पोषक तत्वों को तोड़ने में मदद करते हैं और आंतों में पोषण के बेहतर अवशोषण के लिए मददगार होते हैं।
2. एंजाइम सप्लीमेंट
बाजार में कई एंजाइम सप्लीमेंट उपलब्ध हैं जो दावा करते हैं कि वे शरीर में ग्लूटेन को तोड़ते हैं। हालांकि, इस बात को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है। इन एंजाइम्स का सेवन पाचन में सुधार के लिए किया जा सकता है, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि ये एंजाइम सीलिएक रोग से पीड़ित लोगों के लिए सामान्य ग्लूटेन युक्त आहार को सुरक्षित नहीं बनाते। ये केवल शरीर में बहुत कम मात्रा में ग्लूटेन के पाचन में मदद करते हैं।
3. कॉडफिश का तेल
कॉडफिश का तेल, जो टैबलेट के रूप में मिलता है, सीलिएक रोग के लिए अच्छा होता है। यह आंतों को एक सुरक्षात्मक परत देता है और किसी भी प्रकार के नुकसान से बचाता है। नियमित रूप से मछली के तेल के सेवन से गलती से ग्लूटेन लेने की स्थिति में सूजन को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
4. हर्बल चाय
हॉर्सटेल नामक एक जड़ी-बूटी से बनी चाय का पाचन तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह सूजन को कम करती है और ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशीलता को घटाती है।
5. जड़ी-बूटियों का सेवन
जड़ी-बूटियां जैसे जैतून की पत्ती का अर्क, गोल्डनसील और कैमोमाइल सीलिएक रोग के हर्बल उपचार के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं। ये सभी शरीर की इम्यून प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। चूंकि सीलिएक रोग एक ऑटोइम्यून बीमारी है, इन जड़ी-बूटियों का सेवन इसे प्रभावी तरीके से ठीक करने में मदद कर सकता है।
6. प्राकृतिक खाद्य पदार्थ
ताजे फलों और सब्जियों का भरपूर सेवन करना इस बीमारी से निपटने का एक बहुत सुरक्षित तरीका है। कृत्रिम और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में ग्लूटेन होने की संभावना अधिक होती है, जबकि प्राकृतिक खाने की चीजों में यह जोखिम कम होता है।
बचाव
सीलिएक रोग आनुवंशिक होता है, इसलिए इसे पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता। लेकिन, अगर बच्चा सीलिएक रोग से पीड़ित हैं, तो आप उसे इसके लक्षणों से बचा सकते हैं।
- उसके आहार से ग्लूटेन युक्त खाने की सभी चीजों का सेवन पूरी तरह से बंद कर दें। इस बात का ध्यान रखें कि वह जिन पदार्थों का सेवन कर रहा है, उनमें ग्लूटेन न हो। खाद्य पदार्थ खरीदते समय, हमेशा लेबल पर ध्यान दें ताकि ग्लूटेन वाले खाद्य पदार्थ से बचा जा सके। जब बाहर खाना खाने जाएं तो बच्चे के लिए ग्लूटेन-मुक्त डिश का पर्याय चुनने में संकोच न करें।
- कोई भी नई दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसमें ग्लूटेन का कोई अंश न हो।
- आंतों को स्वस्थ रखने और कब्ज से बचने के लिए बच्चे को फाइबर युक्त फल और सब्जियां भरपूर मात्रा में खाने को दें।
- आहार विशेषज्ञ (डायटीशियन) से नियमित रूप से मिलें और यह जानें कि बच्चे को खाने की किन चीजों से बचना चाहिए।
- यदि आपका बच्चा सीलिएक रोग से प्रभावित है, तो ध्यान रखें कि स्कूल को उसके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में जानकारी दें और दिन भर में वह क्या खाता है, उस पर नजर रखें।
- बच्चे के वजन, ऊंचाई और पोषण स्तर की नियमित रूप से जांच करती रहें।
आज के समय में, सीलिएक रोग से निपटना और बचाव करना बहुत आसान हो गया है, क्योंकि बाजार में ग्लूटेन-मुक्त आहार के कई विकल्प उपलब्ध हैं। ग्लूटेन संवेदनशीलता के बारे में जागरूकता बढ़ रही है और सही पोषक तत्वों से अपने आहार को संतुलित करने की आवश्यकता भी समझी जा रही है। अगर सही आहार और नियमित निगरानी रखी जाए, तो सीलिएक रोग को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है। इस तरह, लोग एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं।