In this Article
- रूबेला क्या है?
- गर्भवती महिलाएं और रूबेला
- रूबेला कितना सामान्य है?
- यह वायरस कैसे फैलता है?
- जर्मन मीजल्स (रूबेला) होने के कारण
- गर्भावस्था में रूबेला होने के लक्षण
- गर्भावस्था के दौरान रूबेला वायरस का ट्रीटमेंट
- रूबेला गर्भ में बच्चे को कैसे प्रभावित करता है?
- यदि आप इम्यून नहीं हैं तो रूबेला से होने वाले जोखिम
- गर्भावस्था के दौरान क्या मैं रूबेला की वैक्सीन ले सकती हूँ
- गर्भावस्था के दौरान रूबेला से कैसे बचें
- गर्भावस्था के दौरान रूबेला की जांच
यदि आप जानती हैं कि आप गर्भवती हैं तो खुद को शांत करें और 9 महीनों को सुरक्षित व बेहतरीन बनाने के लिए आवश्यक सावधानियों पर विचार करें। यह भी न भूलें कि यदि आप सिर्फ गर्भावस्था की योजनाएं बना रही हैं तो आपको बहुत ज्यादा देखभाल करने की जरूरत है।
गर्भवती होने के नाते जब से आप गर्भधारण करती हैं तब से आपको अपने बच्चे का खयाल रखना शुरू कर देना चाहिए। इस दौरान आपको कोई भी रोग नहीं लगना चाहिए और यदि आपको इन्फेक्शन हो भी जाता है तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो सकता है। रूबेला ऐसा ही एक रोग है। क्या आप इस कॉम्प्लिकेशन के बारे में नहीं जानती हैं? आइए जानें।
रूबेला क्या है?
रूबेला एक वायरल इन्फेक्शन है जो रूबेला वायरस से फैलता है और यह वायरस लिम्फ नोड्स में सूजन व रैशेज होने की वजह से होता है। यह बहुत आम बीमारी है और यदि इसकी वैक्सीन नहीं ली गई तो यह फैल भी सकता है। यदि कोई गर्भवती महिला इम्यून नहीं है और उसे यह इन्फेक्शन होता है तो दुर्लभ मामलों में यह गर्भ में पल रहे बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है।
गर्भवती महिलाएं और रूबेला
रूबेला इन्फेक्शन फैलने पर गर्भवती महिला व बच्चे को इससे अधिक खतरा होता है। यदि गर्भवती महिला को पहले 20 सप्ताह में रूबेला इन्फेक्शन हुआ है तो उसका मिसकैरेज हो सकता है, जन्म के दौरान बच्चे में विकार हो सकते हैं और मृत बच्चे का जन्म भी हो सकता है। इस रोग के बारे में जानकारी प्राप्त करने से आपको बहुत ज्यादा मदद मिल सकती है।
रूबेला कितना सामान्य है?
रूबेला विशेषकर उन देशों में बहुत सामान्य समस्या है जहाँ पर इसके लिए कोई भी वैक्सीन नहीं है। 2001 से 2004 के बीच यूएस में 5 ऐसे मामले थे जिसमें गर्भवती महिला में रूबेला की समस्या पाई गई थी। और ऐसा इसलिए था क्योंकि उन्हें वैक्सीन नहीं दिया गया था।
यह वायरस कैसे फैलता है?
रूबेला को जर्मन मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है और यह गर्भवती महिला में एक टाइम बम की तरह होता है। कई लोगों को यह वायरस होता है पर उनमें कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं। यदि माँ को रूबेला का वैक्सीन नहीं दिया गया है या वह इम्यून नहीं है तो उसे रूबेला होने की संभावना अधिक है और यह वायरस गर्भ में बच्चे तक भी जा सकता है। यदि किसी को यह इन्फेक्शन है और उसे महिला के पास खांसी या छींक भी आई तो इससे गर्भवती महिला को भी यह इन्फेक्शन हो सकता है। इससे बच्चे में कई कॉम्प्लिकेशन हो सकते हैं।
जर्मन मीजल्स (रूबेला) होने के कारण
रूबेला की समस्या रूबेला वायरस (टोगावायरस) की वजह से होती है। यह रोग हवा से फैलता है। इसका अर्थ है कि यदि कोई इन्फेक्टेड व्यक्ति खांस या छींक दे तो इससे भी यह वायरस फैल सकता है।
कई देशों में जनसंख्या बहुत होने की वजह से यह वायरस फैलता है और यदि किसी को वैक्सीन नहीं लगाया गया है या वह इम्यून नहीं है तो उसे भी बहुत आसानी से यह इन्फेक्शन हो सकता है।
गर्भावस्था में रूबेला होने के लक्षण
जर्मन मीजल्स और गर्भावस्था दो चीजें हैं जो दुर्भाग्य से साथ-साथ चलती हैं और इसके कारण बच्चे में भी कई समस्याएं होती हैं जिनसे खतरा हो सकता है।
एक सामान्य व्यक्ति में रूबेला के कई लक्षण होते हैं जिससे इसे डायग्नोज करना सरल हो जाता है, वे लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
- हल्का पर लगातार बुखार आना
- लिम्फ नोड्स में सूजन होना
- जोड़ों में दर्द
- पूरे शरीर में लाल रंग के बड़े-बड़े रैशेज होना
गर्भावस्था के दौरान रूबेला वायरस का ट्रीटमेंट
गर्भावस्था के दौरान रूबेला होने ट्रीटमेंट अलग-अलग होते हैं और यह डॉक्टर ही बता सकते हैं कि आपके लिए कौन सा ट्रीटमेंट सबसे बेस्ट है।
- यदि गर्भावस्था के दौरान आपको रैशेज होते हैं तो आपको रूबेला हो सकता है और जब तक टेस्ट के रिजल्ट नहीं आते डॉक्टर आपको एंटीनेटल टेस्ट करवाने की सलाह नहीं देंगे।
- यदि आप बच्चे की योजना बना रही हैं तो इस बात का खयाल रखें कि आपने अपने जीवन में एक बार एमएमआर लिया हो। यदि नहीं लिया है तो डॉक्टर आपको यह वैक्सीन देंगे। एक डोज लेने के बाद आपको यह सलाह दी जाती है कि आपको गर्भवती होने के लिए एक महीने तक इंतजार करने की जरूरत है क्योंकि एमएमआर वैक्सीन आपके बच्चे को नुकसान पहुँचा सकती है।
- कुछ मामलों में यदि रूबेला होता है तो इसकी स्क्रीनिंग कम कर दी जाती है। यदि गर्भावस्था के दौरान आप स्क्रीनिंग करवाती है और आपको रूबेला है तो आपको बच्चे के जन्म के बाद ही वैक्सीन दिया जाएगा।
- दुर्भाग्य से यदि आपको गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में रूबेला होता है तो बच्चे में कंजेनाइटल रूबेला सिंड्रोम को ठीक करने के लिए कोई भी इलाज उपलब्ध नहीं है।
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर आपको एंटीबॉडीज दे सकते हैं। इन एंटीबॉडीज को हाइपर इम्यूनोग्लोबुलिंस कहा जाता है और यह वायरस से लड़ने में मदद करते हैं व वायरस को शरीर से नष्ट कर देते हैं।
रूबेला गर्भ में बच्चे को कैसे प्रभावित करता है?
पहले भी कहा गया है कि यदि एक गर्भवती महिला को 20वें सप्ताह में रूबेला हो जाता है तो इससे कई कॉम्प्लिकेशंस हो सकती हैं, आइए जानें;
- मिसकैरेज हो सकता है
- मृत बच्चे का जन्म हो सकता है
- बच्चे में रूबेला के प्रभाव पड़ सकते हैं, जैसे कंजेनाइटल रूबेला सिंड्रोम
- बच्चे का मस्तिष्क डैमेज हो सकता है
- बच्चा बहरा हो सकता है या कम सुनाई दे सकता है
- मोतियाबिंद हो सकता है
- दिल की समस्याएं हो सकती हैं
- जन्म के दौरान वजन कम हो सकता है
- त्वचा में रैशेज हो सकते हैं
- स्प्लीन या लीवर डैमेज भी हो सकता है
- मानसिक समस्याएं भी हो सकती हैं
यदि आप इम्यून नहीं हैं तो रूबेला से होने वाले जोखिम
आपको व बच्चे को रूबेला से होने वाला खतरा आपको इन्फेक्शन होने पर निर्भर करता है। गर्भवती महिला इम्यून नहीं है और उसे इंफेक्शन हुआ है तो उस महिला पर इसके प्रभावों के कई चरण होंगे, आइए जानें;
- यदि महिला को गर्भावस्था के 12वें सप्ताह में यह रोग हो जाता है तो इससे बच्चे को भी कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे आँखों में समस्या होना, त्वचा पर रैशेज होना, सुनने में समस्या होना और कार्डिएक डैमेज होना। अत्यधिक गंभीर मामलों में मृत बच्चे का जन्म या मिसकैरेज भी हो सकता है।
- यदि गर्भावस्था के 12वें से 20वें सप्ताह तक महिला को यह रोग हो जाता है तो इससे होने वाली समस्याएं अधिक गंभीर नहीं होंगी।
- यदि महिला को गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में यह इन्फेक्शन होता है तो इससे कोई भी हानि नहीं होगी और बच्चे के जन्म के बाद माँ को वैक्सीन दिया जाएगा।
गर्भावस्था के दौरान क्या मैं रूबेला की वैक्सीन ले सकती हूँ
गर्भवती महिलाएं अक्सर एक सामान्य सवाल पूछती हैं कि क्या गर्भावस्था के दौरान मैं एमएमआर वैक्सीन ले सकती हूँ? इसका जवाब है – नहीं, आप गर्भावस्था के दौरान रूबेला वैक्सीन नहीं ले सकती हैं क्योंकि आपको यह ध्यान रखने की जरूरत है कि यह वैक्सीन रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया, वायरस और इत्यादि को कमजोर बनाती है व नष्ट कर देती है जिससे आपको इम्युनिटी मजबूत करने में मदद मिलती है।
यदि आपको गर्भावस्था के शुरूआती समय (12 सप्ताह तक) में यह इन्फेक्शन होता है तो इससे गंभीर कॉम्प्लिकेशंस और बच्चे में जन्म से संबंधित विकार हो सकते हैं। गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद इन्फेक्शन होने के मामले बहुत दुर्लभ हैं।
यदि आपको अभी तक रूबेला नहीं हुआ है तो फिर कोई चिंता की बात नहीं है क्योंकि रूबेला से महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लगभग सभी को व्यस्क होने से पहले तक एमएमआर की वैक्सीन लगभग दो बार दी जाती है। इसमें सफलतापूर्वक रोकथाम हो सकती है इसलिए कई डॉक्टर इसे बड़ा खतरा नहीं मानते हैं।
गर्भावस्था के दौरान रूबेला से कैसे बचें
गर्भावस्था के दौरान आपको कई रोग सरलता से हो सकते हैं और आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यह सिर्फ आपके स्वास्थ्य के लिए ही नहीं है बल्कि इससे आपके बच्चे को भी खतरे हो सकते हैं। रूबेला से बचने के लिए गर्भावस्था से पहले और बाद में कई सारी सावधानियां बरतने की जरूरत हैं, आइए जानें;
1. गर्भावस्था के पहले
यदि आप बच्चे की योजना बना रहें है तो यह जान लें कि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। आप अपने सारे रिकार्ड्स में चेक करें कि क्या आपने रूबेला के लिए एमएमआर के इंजेक्शन लिए हैं। यदि नहीं लिए हैं तो पहले आप इसकी वैक्सीन लगवाएं। इस बात का खयाल रखें कि आप वैक्सीन लेने के बाद गर्भधारण करने के लिए लगभग एक महीने का इंतजार करें ताकि गर्भावस्था के दौरान रूबेला से संबंधित कोई भी कॉम्प्लिकेशंस न हों।
2. गर्भावस्था के दौरान
यदि आप गर्भवती हो जाती है और अचानक आपको याद आता है कि आपने वैक्सीन नहीं लगवाया है तो इस समय एमएमआर लेने की सलाह नहीं दी जाती है। इस दौरान आपको सबसे ज्यादा देखभाल की जरूरत है और इस बात का खयाल रखें कि आप रूबेला से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं और यदि आ जाती हैं तो इस मामले में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
3. गर्भावस्था के बाद
बच्चे के जन्म के बाद आपको एमएमआर दिया जा सकता है जिससे भविष्य में अगले बच्चे को यह समस्या न हो।
गर्भावस्था के दौरान रूबेला की जांच
खून में आईजीजी की मात्रा व मौजूदगी को जानने के लिए रूबेला का टेस्ट किया जाता है। आईजीजी एक एंटीबॉडी है जिसे वायरस को ठीक करने के लिए शरीर में डाला जाता है।
यदि टेस्ट का परिणाम रूबेला आईजीजी पॉजिटिव आता है तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इसका यह अर्थ है कि आपके शरीर में आईजीजी की मात्रा बहुत ज्यादा है। यह आपको रोग के लिए इम्यून कर देता है।
यदि परिणाम में रूबेला आईजीजी नेगेटिव आता है तो इसका अर्थ है कि आपके शरीर में पर्याप्त आईजीजी नहीं है तो रोगों से लड़ सकता है और तब आपको वैक्सीन की जरूरत पड़ती है। यदि आप गर्भावस्था की योजना बना रही हैं तो आप गर्भावस्था के दौरान खुद को व बच्चे को रूबेला से बचाने के लिए इसका टेस्ट जरूर करवाएं।
सफलतापूर्वक गर्भावस्था सुरक्षित व शांतिपूर्वक होती है। आपका बच्चा शांत व सुरक्षित है यह पता लगा पाना कठिन है और कभी-कभी अंत तक जरूर पर थका देने वाला भी होता है। माँ होने के नाते आपको अपने बच्चे के देखभाल के लिए किसी चीज पर रोक नहीं लगानी चाहिए और यदि आप चाहती हैं तो आपको इसके हर एक चरण में मदद दी जाएगी। \
आप इस कॉम्प्लिकेशन से संबंधित अपने सभी सवाल व शंकाओं को दूर करने के लिए डॉक्टर से चर्चा करें और इससे सुरक्षित रहने के तरीके जानें। आप इस समस्या के बारे में अपने साथी से भी बात कर सकती हैं ताकि गर्भावस्था के दौरान वो आपका सपोर्ट कर सकें।
वैसे गर्भावस्था के दौरान रूबेला से खतरा होता है पर यह एक ऐसी समस्या है जिसका आसानी से डायग्नोसिस हो सकता है और इसका पता भी लगाया जा सकता है। इसके लिए आवश्यक बचाव करने और सही जांच करवाने से यह पुष्टि करने में मदद मिलती है कि आपकी गर्भावस्था सुरक्षित व स्वस्थ है।
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