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अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे के गंभीर रूप से बीमार पड़ने को लेकर पैदा होने वाले डर और घबराहट को जानते हैं। यह किसी भी पैरेंट के लिए सबसे मुश्किल की घड़ी होती है, जिससे उन्हें गुजरना पड़ता है। बच्चे की स्थिति के बारे में कोई जानकारी न होना भी आपके डर को और बढ़ा देता है। इसे बदल जा सकता है, क्योंकि बीमारी के बारे में जानकारी रखना न केवल आपकी चिंताओं को कम कर सकता है बल्कि इससे आप अपने बच्चे की देखभाल बेहतर तरीके से कर सकेंगी। ऐसी ही एक बीमारी के बारे में इस लेख में चर्चा की गई है, जिसने दुनिया भर में कई सारे बच्चों को प्रभावित किया है और अभी भी करती है, जी हाँ हम बात कर रहे हैं बच्चों में होने वाले पीलिया की जिसे आप जॉन्डिस के नाम से भी जानती होंगी। यह एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के ब्लड फ्लो, लिवर, पाचन तंत्र और मल त्याग को प्रभावित करती है। इस बीमारी को पहचानना आसान है, क्योंकि यह आपके बच्चे की त्वचा की रंगत को बदल देती और आँखों के सफेद हिस्से में और शरीर पर पीलापन दिखाई देने लगता है।
पीलिया क्या है?
बच्चों को बहुत आसानी से प्रभावित करने वाले कई रोगों में से एक पीलिया की बीमारी भी है, जिसकी पहचान की जा सकती है। हालांकि अगर सिर्फ पीलिया हुआ हो, तो फिर ये इतना खतरनाक नहीं होता है, त्वचा और आँखों के सफेद हिस्से में पीलापन दिखाई देना, शरीर में होने वाले ब्लड फ्लो में बिलीरुबिन की वृद्धि होने का संकेत होता है। बिलीरुबिन, जिसे आमतौर पर पित्त के रूप में जाना जाता है, ये एक पीला तरल पदार्थ होता है जो लिवर में उत्पन्न होता है और रेड ब्लड सेल्स (हीमोग्लोबिन) के ब्रेकडाउन होने के रूप में होता है। यह द्रव शरीर के कार्यों, विशेष रूप से पाचन तंत्र के लिए आवश्यक है। यह फ्लूइड आमतौर पर डाइजेस्टिव ट्रैक्ट को रेगुलेट करने में मदद करता है और मल के माध्यम से निकल जाता है। जब यह शरीर से नहीं निकल पाता है तो शरीर के अंदर रहकर अपना काम करना शुरू कर देता है और रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा को बढ़ा देता है, जिसे हाइपरबिलीरुबिनेमिया के रूप में जाना जाता है। बिलीरुबिन की मात्रा ज्यादा होने के कारण ही आपको किसी व्यक्ति की आँखों और त्वचा का रंग बदला हुआ या पीला दिखाई देता है।
पीलिया के प्रकार
1. ऑब्सट्रक्टिव जॉन्डिस
इस प्रकार का पीलिया तब होता है जब बच्चे के शरीर से पित्त नेचुरल तरीके से बाहर नहीं निकल पाता है और लिवर में एक्स्ट्रा पित्त मौजूद हो जाता है।
2. प्री-हैपेटिक जॉन्डिस
इसे हेमोलिटिक पीलिया भी कहा जाता है, यह तब होता है जब रेड ब्लड सेल्स का जिस गति से ब्रेकडाउन होना चाहिए उससे कहीं ज्यादा तेजी से ब्रेक डाउन होने लगता है। रेड ब्लड सेल्स में पित्त के कण होते हैं, और जब वे बहुत तेजी से ब्रेक डाउन होते हैं, तो यह शरीर में एक्स्ट्रा पित्त बनने का कारण हो सकते हैं।
3. हेपैटोसेलुलर जॉन्डिस
आमतौर पर इसे इंट्रा-हेपेटिक जॉन्डिस कहा जाता है, यह किसी प्रकार के ट्रॉमा या चोट लगने के कारण होता है, जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है, जिससे आपके शरीर में बड़ी मात्रा में पित्त मौजूद होता है।
छोटे बच्चों में पीलिया होने के कारण
पीलिया कई अलग-अलग कारणों से हो सकता है, जो बच्चे की उम्र पर निर्भर करते हैं।
न्यूबॉर्न बच्चों में पीलिया के कारण
- फिजियोलॉजिकल हाइपरबिलीरुबिनेमिया
- एबीओ इंकॉम्पैटबिलिटी
- आरएच इंकॉम्पैटबिलिटी
- सिफैलहेमाटोमा
- जी-6-पीडी डेफिशियेंसी, क्रिगलर-नज्जर सिंड्रोम, गिल्बर्ट सिंड्रोम
- पित्त अविवरता
- कॉलेडोकल सिस्ट
- हेपैटोसेलुलर कॉज
- इंट्रायूटरिन इन्फेक्शन
- मेटाबोलिक कॉज
- ब्रेस्ट मिल्क जॉन्डिस
- यदि आपका बच्चा समय से पहले पैदा हुआ है, तो ऐसे बच्चों में पीलिया होना काफी आम बात है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बच्चे का लिवर अभी भी डेवलप हो रहा होता है और बिलीरुबिन उसके शरीर से बाहर नहीं निकल पा रहा होता है। ज्यादातर यह कुछ ही हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाता है।
बड़े बच्चों में पीलिया के कारण
- मलेरिया
- सिकल सेल क्राइसिस
- स्फेरोसाइटोसिस
- थैलेसीमिया
- ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजनेज की कमी (जी6पीडी)
- ड्रग्स या अन्य टॉक्सिन्स
- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर
पीलिया के लक्षण
पीलिया की पहचान करने के कई तरीके हैं, इस स्थिति को आप बच्चे में आसानी से पहचान सकें, इसके लिए यहाँ आपको कुछ लक्षण बताए गए हैं:
- त्वचा और आँखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है
- बार-बार तेज बुखार आना
- त्वचा पर बहुत ज्यादा खुजली होना
- गहरे पीले रंग का मल
- गहरा पीला पेशाब होना
- अन्य बीमारियों के साथ थकान महसूस होना
- तेजी से वजन कम होना
- बच्चे के मुँह का स्वाद लगातार कड़वा बना रहना
- कुछ अन्य लक्षणों के साथ ठंड लगना
- पेट में दर्द
- अन्य लक्षणों के साथ जोड़ों में दर्द
- कमजोरी
- भूख में कमी
निदान
पीलिया का निदान विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है। किए जाने वाले टेस्ट शारीरिक जांच के परिणाम पर निर्भर करते हैं। निदान की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर आपसे कुछ अन्य चीजें करने के लिए कह सकते हैं, वो चीजें क्या हैं आइए जानते हैं।
- लिवर साइज, इकोटेक्स्चर, बाइल डक्ट लुमेन और एक्स्ट्राहिपेटिक की जाँच करने के लिए पेट का अल्ट्रासाउंड करवा सकते हैं।
- डॉक्टर आपको बच्चे का एलएफटी कराने के लिए कह सकते हैं। यह एक लिवर फंक्शन टेस्ट होता है, जो आमतौर पर, एक ब्लड टेस्ट के जरिए किया जाता है, यह रक्त में बिलीरुबिन लेवल के बारे में जानने में मदद करता है।
- लैब में कम्पलीट ब्लड काउंट, हीमोग्लोबिन काउंट, पेरीफेरल स्मीयर, रेटिकुलोसाइट काउंट के लिए ब्लड सैंपल ले सकते हैं। ये रूटीन टेस्ट डॉक्टरों को बच्चे के पीलिया का निदान करने में मदद करते हैं।
- मूत्र में यूरोबिलिनोजेन का टेस्ट करने के लिए रूटीन यूरिन सैंपल लेना।
- बिलीरुबिन टेस्ट- आपके बच्चे के रक्त में बिलीरुबिन की उपस्थिति का पता लगाने के लिए डायरेक्ट और इनडायरेक्ट बिलीरुबिन दोनों को चेक किया जाता है।
- कभी-कभी, डॉक्टर शारीरिक जांच करके बच्चे का निदान करते हैं, जहाँ वे उसके पंजे, पैरों और टखनों में सूजन की जांच करते हैं। ये सभी चीजें लिवर सिरोसिस का संकेत देती हैं।
- यदि विल्सन्स डिजीज का संदेह हो तो सीरम कॉपर लेवल और सीरम सेरुलोपास्मिन लेवल देखा जा सकता है।
बच्चों में पीलिया का इलाज
चाहे आप पीलिया से पीड़ित चार साल के बच्चे का इलाज कर रहे हों या किसी बड़े का, लेकिन इस बीमारी में रोगी को पर्याप्त आराम करना की जरूरत होती है और उसे ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। अधिकांश मामलों में, इस स्थिति को ठीक करने की बेहद जरूरत होती है और ज्यादातर ऐसा करने से लोग ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन अगर यह नुस्खा काम न करे, तो आप नीचे दिए गए कुछ अन्य उपचार आजमा सकती हैं:
- यदि पीलिया हेपेटाइटिस की वजह से हो रहा है, तो इस स्थिति से निपटने के लिए डॉक्टर बच्चे के लिए एंटी-वायरल दवा लिख सकते हैं ।
- बाइल डक्ट में होने वाले ब्लॉकेज के मामले में, आपके बच्चे को सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
- सिकल सेल एनीमिया या थैलेसीमिया के मामलों में, कम्पलीट ब्लड सेल के रिप्लेसमेंट की प्रक्रिया करने की आवश्यकता हो सकती है।
- यदि पीलिया गिल्बर्ट सिंड्रोम के कारण होता है, तो इसका उपचार करने का तरीका हर डॉक्टर का भिन्न हो सकता है।
- लिवर की कमजोर स्थिति के कारण होने वाले पीलिया को ठीक नहीं किया जा सकता है। डॉक्टर, इस मामले में, लिवर पर पड़ने वाले भार को कम करने के लिए डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह देते हैं।
इस बीमारी से निपटने के लिए बच्चे का किस प्रकार से इलाज होना चाहिए, इस विषय में आप अपने डॉक्टर से बात करें।
घरेलू उपचार
मेडिकल उपचार के अलावा, कुछ माता-पिता घरेलू और प्राकृतिक उपायों का विकल्प चुनते हैं। इसलिए यहाँ आपको कुछ घरेलू उपचार बताए गए हैं, जो पीलिया का मुकाबला करने में मदद कर सकते हैं।
1. टमाटर
ये डैमेज लिवर को रिकवर करने के लिए जरूरी लाइकोपीन नामक एंजाइम से भरपूर होता है, ऐसा माना जाता है कि टमाटर में ऐसे गुण होते हैं जो आपके बच्चे को पीलिया से छुटकारा दिलाने में मदद कर सकते हैं।
2. हल्दी
हल्दी एंजाइम को मजबूत करती है जो लिवर को नुकसान पहुँचाने वाले कार्सिनोजेन्स को बाहर निकालती है और बच्चों को पीलिया को मात देने में मदद करती है।
3. गन्ने का जूस
बताया जाता है कि ग्लूकोज को रिस्टोर करने में मदद करने के अलावा, गन्ने में विशेष गुण पाए जाते हैं, जो बच्चे में पीलिया की रिकवरी को तेज करते हैं।
4. छाछ
छाछ न केवल आपके बच्चे को फिर से एक्टिव और तरोताजा करता है, बल्कि यह उसे हाइड्रेट भी रखता है और पाचन में सुधार करता है। साथ ही यह पीलिया से लड़ने में काफी मददगार साबित होता है।
5. जौ का पानी
इसे पीलिया के लिए सबसे जल्दी फायदा पहुंचाने वाले इलाजों में से एक माना जाता है, ऐसा कहा जाता है कि जौ के पानी में ऐसे गुण मौजूद होते हैं जो डाइजेस्टिव सिस्टम और लिवर के फंक्शन में सुधार करते हैं।
6. नींबू और चुकंदर का जूस
नींबू का जूस लिवर की रक्षा करने का काम करता है और चुकंदर खून साफ करने और पाचन को बेहतर करने में मदद करने के गुण रखता है। दोनों के कॉम्बिनेशन से पीलिया को जल्दी ठीक किया जा सकता है।
पीलिया से पीड़ित बच्चों के लिए आहार
पीलिया के दौरान, अपने बच्चे की डाइट में बदलाव करना आवश्यक हो जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बिमारी से बच्चे को बहुत कमजोरी और थकान महसूस होती है। पीलिया से पीड़ित बच्चों के लिए एक सही डाइट प्लान का होना जरूरी है, लेकिन बच्चों के लिए आहार योजना बनाते समय आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा:
- हाइड्रेशन बहुत जरूरी है। इस बीमारी के कारण आपके बच्चे को तेजी से डिहाइड्रेशन होने लगता है, इसलिए खयाल रखें कि वे पूरे दिन अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रहें।
- भोजन कम रखें और बच्चे को थोड़े थोड़े समय के बाद खाने के लिए दें; इस प्रकार बच्चे के शरीर पर ओवरलोड नहीं पड़ेगा और उनका एनर्जी लेवल भी बना रहेगा। साथ ही ऐसा करने से डाइजेशन में भी मदद मिलेगी।
- ताजे फल और सब्जियों का सेवन करना चाहिए।
- अपने बच्चे को बिना तेल या फैट वाला कार्ब युक्त भोजन दें।
- क्या न दें –
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- रिफाइंड शुगर।
- एनिमल फैट में पाया जाने वाला सैचुरेटेड फैट।
- अगर आपके बच्चे का एनर्जी लेवल कम है तो उसे ग्लूकोज सप्लीमेंट दें।
डाइट प्लान लागू करने से पहले किसी डायटीशियन या डॉक्टर से बात करें।
बचाव
पीलिया को रोकने में मदद करने के लिए यहाँ आपके लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:
- बच्चे की साफ-सफाई का खास खयाल रखें।
- ध्यान रखें कि बच्चा मिनरल या बॉटल वॉटर पीता हो या अगर आप घर का नॉर्मल पानी दे रही हैं, तो पहले उसे उबाल लें, फिर ठंडा करके दें।
- ताजा खाना खिलाएं और बैलेंस डाइट दें।
- बच्चे को सभी टीके समय से लगवाएं।
आपको यह सुझाव दिया जाता है कि पीलिया को रोकने के लिए और भी टिप्स जानने के लिए आप अपने डॉक्टर से बात करें।
पीलिया का सामना करना बच्चे के लिए मुश्किल होता है। यह बच्चे के साथ-साथ आपको भी थका सकता है। याद रखें, सही उपचार और देखभाल के साथ, आप उसे पूरी तरह से ठीक कर सकती हैं। आपको यह सलाह दी जाती है कि जब तक डॉक्टर उपचार जारी रखने के लिए कहते हैं, उसे तब तक जारी रखें। साथ ही स्वच्छता का बहुत ध्यान रखें। साफ-सफाई रखते हुए बैलेंस डाइट के साथ ही एक्सरसाइज करना भी पीलिया जैसी बीमारियों से बचने में मदद करता है।
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