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गर्भावस्था असल में केवल आधी कहानी ही होती है और यह मातृत्व के लिए तैयारी करने का समय होता है। डिलीवरी के बाद जिन संघर्ष पूर्ण अनुभवों से गुजरना पड़ता है, उनमें से एक है – ब्रेस्टफीडिंग। जहाँ कुछ माँओं का ब्रेस्टफीडिंग का अनुभव सुखद होता है, वहीं कुछ माँओं को काफी तकलीफों से गुजरना पड़ता है। माँ और बच्चा जब तक एक दूसरे के साथ तालमेल नहीं बिठा लेते, तब तक ब्रेस्टफीडिंग दोनों के लिए चैलेंजिंग हो सकता है। इसमें 4 से 6 हफ्ते लग सकते हैं और इस सफर को आसान बनाने में एक फीडिंग पिलो आपकी मदद कर सकता है।
फीडिंग पिलो क्या होता है?
फीडिंग पिलो, जिसे कई बार नर्सिंग पिलो भी कहा जाता है, एक ऐसा उपकरण है, जिसे ब्रेस्टफीडिंग की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है।
फीडिंग पिलो का इस्तेमाल कैसे किया जाता है?
- स्टेप 1: जिनके पास बकल युक्त फीडिंग पिलो है, वे उसे साइड से इंसर्ट करें, ताकि आप इसके बकल को आसानी से लगा सकें।
- स्टेप 2: इसे ऊपर अपने ब्रेस्ट के लेवल तक ले जाएं, ताकि बच्चे को निप्पल पर पकड़ बनाने में परेशानी न हो।
- स्टेप 3: आप पीछे की ओर थोड़ा झुक सकती हैं, अगर आपको लगे, कि ऐसे में बच्चे को दूध पीने में आसानी होगी।
- स्टेप 4: बच्चे के वजन के कारण फीडिंग पिलो नीचे की ओर थोड़ा दब सकता है, अगर इससे बच्चे को दूध पीने के लिए निप्पल पर पकड़ बनाने में परेशानी हो रही है, तो आप फीडिंग पिलो और आपके पैरों के बीच रेगुलर तकिए लगा सकती हैं।
- स्टेप 5: अपने फ्री हाथों से आप बच्चे को थाम सकती हैं, या उसके सिर को एडजस्ट कर सकती हैं, जिससे उसे दूध पीने में आसानी हो।
नर्सिंग तकिए के इस्तेमाल के फायदे
- बैठकर दूध पिलाना: ऐसी कई माँएं हैं, जो बैठकर बच्चे को दूध पिलाना पसंद करती हैं। इससे बच्चे निप्पल तक आसानी से पहुँच पाते हैं और उनको दूध पीने में आसानी होती है।
- शरीर के दर्द में कमी: पीठ का दर्द और गर्दन का दर्द ब्रेस्टफीडिंग के दौरान झुकने से होने वाले कुछ साइड इफेक्ट हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि फीडिंग के समय आपको बच्चे को उठाकर छाती तक लाना पड़ता है। फीडिंग पिलो की मदद से झुकने से छुट्टी मिल जाती है।
- पारंपरिक तकियों से बेहतर: एक बेबी फीडिंग पिलो लचेज़ के साथ आता है, जिसे आप अपने शरीर पर लगा सकती हैं। वहीं कुछ फीडिंग पिलो में पॉकेट्स भी होते हैं, जो कि आपके लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकते हैं, क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप ज्यादा हिलडुल नहीं सकती हैं।
- बच्चे की बेहतर पोजीशन: अधिकतर फीडिंग पिलो बच्चे के सर के लिए एक उभरे हुए प्लेटफार्म के साथ आते हैं। ये न केवल बच्चे को सही से तरह से दूध पीने में मदद करता है, बल्कि रिफ्ल्क्स एक्शन को भी कम करता है।
- बहुपयोगी: एक नर्सिंग पिलो का इस्तेमाल बच्चे के टमी टाइम और बच्चे को नीचे से सहारा देने के लिए भी किया जा सकता है।
- पिता भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं: कौन कहता है, कि बच्चे को बड़ा करने में पिता मदद नहीं कर सकते। जो पिता अपने बच्चे को बोतल से दूध पिलाना चाहते हैं, उनके लिए नर्सिंग पिलो बहुत मददगार हो सकता है।
- प्रेगनेंसी में इस्तेमाल: ये पिलो इतने बहुपयोगी होते हैं, कि इनका इस्तेमाल बच्चे के जन्म के पहले भी प्रेगनेंसी पिलो के रूप में किया जा सकता है।
क्या नर्सिंग पिलो के कुछ नुकसान है?
- दोधारी तलवार: अगर नर्सिंग पिलो का इस्तेमाल सही तरीके से न किया जाए, तो बच्चे को दूध पीने में परेशानी हो सकती है, क्योंकि बच्चे नर्सिंग पिलो में धंस जाते हैं और निप्पल तक ठीक से नहीं पहुँच पाते हैं।
- बड़ा आकार: जिन माँओं को अक्सर बाहर जाना पड़ता है, उन्हें इतने बड़े पिलो को हमेशा साथ ले जाने में परेशानी होती है।
- स्टैंडर्डाइज्ड साइज की कमी: अलग-अलग बॉडी टाइप की महिलाओं को विभिन्न आकारों के नर्सिंग पिलो में से चुनना होता है, क्योंकि इसका कोई एक स्टैंडर्ड साइज नहीं है। एक स्टैंडर्ड मेजर की कमी के कारण माँ के लिए सही फिट का चुनाव कर पाना मुश्किल हो जाता है।
नर्सिंग पिलो खरीदने के लिए कुछ टिप्स
- साइज: कपड़े खरीदने की तरह ही नर्सिंग पिलो भी ऐसे होने चाहिए, जो आपको अच्छी तरह से फिट हो। अधिक ढीला होने पर यह गिर सकता है और बच्चे को दूध पीने में मुश्किल हो सकती है और अगर पिलो बहुत छोटा हो, तो आपकी जांघों और तकियों के बीच खाली जगह बच सकती है और बच्चे की वजन के कारण यह फिसल सकता है।
- आकार: ये विभिन्न शेप और साइज में आते हैं और सबका अपना एक अलग फायदा होता है। उदाहरण के लिए ‘ओ’ के आकार का तकिया पीठ की सपोर्ट के लिए अच्छा होता है, वहीं क्रिसेंट के आकार का तकिया बच्चे के सर को अच्छा सपोर्ट देता है। छोटे बच्चों के लिए सख्त तकिए अच्छे होते हैं, क्योंकि वे उस में धँसते नहीं हैं। वहीं बड़े बच्चों को मुलायम तकिए की जरूरत होती है, ताकि उन्हें अधिक जगह मिल सके।
- पोर्टेबिलिटी: बाहर आने-जाने वाली माँओं को बड़े तकियों को साथ रखने में असुविधा हो सकती है, इसलिए उनके लिए छोटे तकिये अच्छे होते हैं, ताकि उन्हें कैरी करने में आसानी हो।
- स्टेन रेजिस्टेंस: बच्चे बहुत गंदगी फैलाते हैं, ऐसे में उनका तकिया ऐसा होना चाहिए, जिसे धोया जा सके, ताकि उस पर दाग ना लगे। इसलिए हमेशा ऐसे तकियों का चुनाव करें, जिन्हें धोना आसान हो।
- तकिए का फैब्रिक: बच्चों की त्वचा नाजुक होती है, इसलिए पॉलिस्टर जैसे सिंथेटिक मटीरियल से बचना बेहतर है, क्योंकि इससे स्किन इरिटेशन और रैशेज जैसी समस्या हो सकती है। कॉटन का इस्तेमाल किया जाना चाहिए, क्योंकि यह एक हेल्दी विकल्प है। साथ में फ्लेम रेजिस्टेंस और रिंकल फ्री तकिए भी नहीं खरीदने चाहिए, क्योंकि उनमें फॉर्मलडिहाइड होता है, जोकि कैंसर पैदा कर सकता है।
- अच्छे रिव्यूज: अपनी सहेलियों, अन्य माँओं से बात करें और ऑनलाइन वीडियो रिव्यूज चेक करें। कभी-कभी एक प्रोडक्ट पेपर पर बहुत सुंदर दिखता है, पर वास्तव में बहुत खराब काम करता है।
- क्लैस्प: ये पिलो को सिक्योर रखते हैं और ब्रेस्टफीडिंग में मदद करते हैं।
सुरक्षा के कुछ मापदंड
ब्रेस्टफीड पिलो पर अपनी तरफ से लगातार नजर रखने की जरूरत होती है, क्योंकि यह सेरेब्रल एसफिक्सिया के खतरे के साथ आती है। जिसका मतलब होता है – दिमाग तक सही मात्रा में ऑक्सीजन न पहुँचने की स्थिति के कारण मृत्यु। यह तब होता है, जब बच्चे का चेहरा नीचे हो और वह इस खतरनाक स्थिति से बाहर न आ पाए। सावधानी के तौर पर पेरेंट्स बच्चे के क्रिब से नर्सिंग पिलो को निकाल सकते हैं।
फीडिंग पिलो को अतिरिक्त सपोर्ट देकर, ब्रेस्टफीडिंग के अनुभव को बेहतर बनाने और माँ के हाथों को आजादी देने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है। चूंकि, हर बॉडी टाइप के लिए ब्रेस्ट फीलिंग पिलो का अलग आकार उपलब्ध है, तो आप इन्हें खरीदने से पहले फिजिकली ट्राई कर सकती हैं।
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