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छोटे बच्चे आमतौर पर एनर्जी से भरे रहते हैं। हम सभी ये सोचते हैं कि बच्चों की एनर्जी का सही इस्तेमाल होना चाहिए, तो ऐसे में उन्हें मार्शल आर्ट ट्रेनिंग में शामिल करना एक बेहतरीन आईडिया होगा। कुछ माता-पिता डरते हैं कि मार्शल आर्ट बच्चों में गुस्से और हिंसा को बढ़ावा दे सकता है। लेकिन इस बात में कोई तर्क नही हैं, क्योंकि ये आत्मरक्षा के लिए बहुत अच्छा है।
कुंग फू, ऐकिडो, ताइक्वांडो जैसे मार्शल आर्ट न केवल छोटी उम्र के लड़कों और लड़कियों के लिए मजेदार एक्टिविटी है, बल्कि ये बच्चों में शारीरिक फिटनेस और मानसिक ताकत को बढ़ावा देने में भी मदद करता है। इन सबके अलावा जिन बच्चों को अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) की समस्या हो उन्हें मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग क्लासेस में शामिल होने से काफी फायदा होता है।
एक बच्चा इन क्लासेस से जो सम्मान, अनुशासन और एकाग्रता सीखता है, वह उसके व्यक्तित्व को आकार देने में मदद करता है। साथ ही उसके स्कूली जीवन और पढ़ाई में अच्छा करने में मदद करता है।
मार्शल आर्ट क्या है?
मार्शल आर्ट युद्ध अभ्यासों का एक ट्रेडिशनल सिस्टम है जिसका उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा को तालमेल बिठाने के लिए प्रशिक्षित करना है। सीधे शब्दों में कहें तो इसे युद्ध कला के रूप में माना जा सकता है। मार्शल आर्ट युद्ध शिक्षण के साथ-साथ मन और शरीर के बीच सामंजस्य स्थापित करने में मदद करता है। मार्शल आर्ट बच्चे की मानसिक क्षमताओं, आध्यात्मिक शक्ति के साथ-साथ उसकी शारीरिक क्षमताओं को विकसित करके उसके संपूर्ण विकास को बढ़ावा देता है।
बच्चा किस उम्र में मार्शल आर्ट की कक्षाएं शुरू कर सकता है?
एक्सपर्ट्स के अनुसार मार्शल आर्ट सिखाने के लिए छह साल की उम्र सही रहती है। उस उम्र तक, बच्चे की मांसपेशियों में ताकत और कंट्रोल दोनों ही आ जाता है, जैसे कि पंच, किक आदि मार्शल आर्ट की विभिन्न तकनीकों को लागू कर सकते हैं।
कुछ ऐसे स्कूल हैं जो छोटे बच्चों को भी मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देते हैं। लेकिन इसे ट्रेनिंग के तौर पर लेने के बजाय फिर मनोरंजन बनाने पर अधिक जोर दें, ताकि बच्चा इसे एन्जॉय करे। यही वजह है कि मार्शल आर्ट के प्रोग्राम आमतौर पर खेल आधारित होते हैं। कुछ इंस्टीट्यूट प्रीस्कूल जाने वाले बच्चों के लिए भी क्लास चलाते हैं। इसमें उनकी स्किल को बेहतर करने का प्रयास किया जाता है, इससे उनके हाथ और आँख के बीच कोर्डिनेशन भी बेहतर होता है साथ ही ध्यान भी बेहतर होता है।
क्या मार्शल आर्ट सीखना हिंसा को बढ़ावा देता है?
कुछ माता-पिता अपने बच्चों को मार्शल आर्ट क्लास में दाखिला दिलाने से हिचकिचाते हैं, क्योंकि उन्हें डर होता है कि यह उनके बच्चों को हिंसक बना सकता है। लेकिन जानकारों का कहना है कि यह गलत धारणा है। इसके विपरीत, मार्शल आर्ट एक बच्चे को अधिक आत्म-अनुशासित, सम्मानजनक और सामाजिक बनाने में मदद कर सकता है। बच्चे मार्शल आर्ट की टेक्निक के साथ सेल्फ कंट्रोल करना और खुद की रक्षा करना सीखते हैं।
मार्शल आर्ट में बेल्ट का महत्व
मार्शल आर्ट क्लास में प्रोग्रेस होने पर अवार्ड के रूप में बेल्ट सिस्टम होता है। बच्चे को कई स्किल लेवल क्लियर करने होते हैं और उन्हें पूरा करने के लेवल के अनुसार उन्हें कलर बेल्ट से सम्मानित किया जाता है। इस प्रकार, ट्रेनी के लिए सफेद बेल्ट से शुरू किया जाता है और अलग-अलग योग्यता के लेवल को पूरा करने के बाद आखिर में ब्लैक बेल्ट दी जाती है। हर तीन महीने पर आमतौर पर बच्चे के लिए नया लेवल शुरू हो जाता है।
बच्चों को मार्शल आर्ट सिखाने के लाभ
बच्चों के लिए मार्शल आर्ट ट्रेनिंग के कई फायदे नीचे दिए गए हैं:
- आत्म अनुशासन विकसित करता है: मार्शल आर्ट ट्रेनिंग क्लास में एक बच्चा अपने गुरु के आदेश पर मार्शल आर्ट की कई एक्शन करता है। वे आदेशों का पालन करना सीखते हैं। यह शरीर के साथ-साथ दिमाग को भी अनुशासित करने में मदद करता है।
- शारीरिक फिटनेस को बढ़ाता है: ट्रेनिंग के लिए बच्चों को स्ट्रेच, जंपिंग जैक, पुश-अप आदि जैसे कई वार्म-अप अभ्यास करने की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक वार्म-अप सेशन के बाद, बच्चा कई मार्शल आर्ट रूटीन का अभ्यास करता है जिसमें पंच, किक, स्ट्राइक और ब्लॉक शामिल हो सकते हैं। यह न केवल मांसपेशियों को मजबूत करता है और शरीर को टोन करता है बल्कि बच्चे के शरीर के लचीलेपन में भी सुधार करता है।
- आत्मरक्षा की टेक्निक सिखाता है: मार्शल आर्ट मूल रूप से कंबटेड टेक्निक हैं और बच्चों को विभिन्न आत्मरक्षा के तरीके सिखाती हैं। मार्शल आर्ट की एक अलग स्टाइल के साथ स्किल अलग हो सकती हैं। लेकिन ये सभी बड़े पैमाने पर एक बच्चे को अप्रत्याशित खतरे की स्थिति में खुद को बचाने और दूसरों का बचाव करने के लिए ट्रेन करता है।
- सम्मान सीखता है: एक टिपिकल मार्शल आर्ट क्लास बच्चों को अपने गुरु को नमन करने के साथ शुरू और समाप्त होती है। इस तरह वे विनम्रता सीखते हैं। उन्हें सभी के प्रति सम्मान दिखाना, सम्मानजनक तरीके से आचरण करना और अन्य छात्रों के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करना सिखाया जाता है।
- आत्मविश्वास बढ़ाता है: मार्शल आर्ट में प्रशिक्षण लेने वाले बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है। वे इस ज्ञान के कारण खुद को लेकर आश्वस्त रहते हैं कि वे किसी भी मुसीबत में वो स्थिति को संभालने में सक्षम हैं। स्किल लेवल के पूरा होने पर बेल्ट से बच्चों को प्रेरित करने के लिए बेल्ट दी जाती है ताकि वे अपने सेट गोल को प्राप्त करने ले लिए और भी ज्यादा मेहनत करें।
- टीम स्पिरिट को बढ़ावा देता है: मार्शल आर्ट क्लास में नामांकित बच्चे कक्षा में अपने साथ के छात्रों के साथ मिलकर काम करना सीखते हैं। मतभेद हो सकते हैं, उनकी सोच अलग हो सकती है। लेकिन वे इसे हल करना सीखते हैं, साथ ही एक-दूसरे की प्रैक्टिस को बेहतर करने में मदद करते हैं।
- सोशल स्किल्स विकसित करता है: बच्चे अपने साथी छात्रों के साथ बातचीत करना सीखते हैं। जब वे एक साथ प्रशिक्षण लेते हैं तो उनके अंदर टीम स्पिरिट भी आती है। क्लास अलग-अलग बैकग्राउंड के अन्य बच्चों से घुलने-मिलने के लिए एक बेहतरीन जगह भी है।
- पोस्चर और बैलेंस में सुधार: मार्शल आर्ट की विभिन्न तकनीकों का प्रदर्शन करते समय, बच्चों को उचित संतुलन और सही मुद्रा बनाए रखने की आवश्यकता होती है। तभी वे अलग-अलग मूवमेंट को सही ढंग से अंजाम दे पाएंगे। इस संबंध में कोई भी लापरवाही चोट, क्रैम्प या दुर्घटना का कारण बन सकती है।
- एकाग्रता बढ़ाता है: मार्शल आर्ट के मानसिक लाभ कई हैं। मार्शल आर्ट बच्चों को अपने दिमाग को अनुशासित करना और अपने शरीर की गतिविधियों के साथ-साथ अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना सिखाता है। प्रत्येक मूवमेंट में एकाग्रता, शक्ति और आत्म-नियंत्रण शामिल होता है। उन्हें अपने मास्टर के निर्देशों पर ध्यान देने और आदेशों का सावधानीपूर्वक पालन करने की आवश्यकता होती है।
- कोर्डिनेशन में सुधार करता है: मार्शल आर्ट प्रशिक्षण हाथ और आँख के बीच समन्वय में सुधार करता है क्योंकि यह शरीर और दिमाग को सिंक्रोनाइज करता है।
- बुली करने वाले से निपटना: मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग देने वाले कई संस्थान अपने छात्रों को छेड़ने और परेशान करने वालों से निपटने का तरीका भी सिखाते हैं। इससे बच्चे धमकियों से निपटने और इसका बेहतर ढंग से सामना करना सीखते हैं।
- बेहतर ब्लड सर्कुलेशन और ब्रीदिंग: विभिन्न वार्म-अप एक्सरसाइज और तनाव देने वाली फिजिकल एक्टिविटी बच्चों के ब्लड सर्कुलेशन और ब्रीदिंग में सुधार करने में मदद करती है।
बच्चों के लिए मार्शल आर्ट प्रशिक्षण के विभिन्न रूप
बच्चों के लिए मार्शल आर्ट प्रशिक्षण के विभिन्न रूप हैं, लेकिन उनमें से कुछ बेहतरीन हैं, जो यहाँ आपको बताए गए हैं:
- कराटे: यह मार्शल आर्ट का एक रूप है जिसकी उत्पत्ति चीन में हुई थी। कराटे शब्द का अर्थ है ‘खाली या खुला हाथ’। एक बच्चा इसके अंतर्गत हाथ और पैर से मारना, मुक्का मारना, लात मारना और ब्लॉक करना सीखता है।
- जूडो: जूडो जापान का एक ट्रेडिशनल मार्शल आर्ट का रूप है। यह एक प्रतिस्पर्धी खेल के रूप में देखा जाता है और इसमें बैलेंस और लेवरेज की तकनीकों का उपयोग करके अपने साथी को फेंकना या गिराना शामिल है।
- ताइक्वांडो: इसकी उत्पत्ति कोरिया में हुई थी और इसका अर्थ है ‘मुट्ठी या पैर से प्रहार करने या ब्लॉक करने की कला’। यह आत्मरक्षा तकनीकों पर जोर देता है।
- एकिडो: मार्शल आर्ट का एक जापानी गैर प्रतियोगी रूप है। यह संघर्ष और अनावश्यक बल प्रयोग करने से बचना सिखाता है।
- कुंग फू: कुंग फू एक लोकप्रिय चीनी मार्शल आर्ट है। यह कराटे का अधिक कठोर और डिमांडिंग रूप होता है।
- जिउ-जित्सु: जिउ-जित्सु की उत्पत्ति जापान में हुई थी। यह क्लोज कॉम्बैट के तरीकों का उपयोग करता है और अपने खिलाफ प्रतिद्वंद्वी की ताकत और वजन का उपयोग करता है।
- टांग सू डू: यह मार्शल आर्ट प्रकार कोरिया में उत्पन्न हुआ और कराटे और ताइक्वांडो के समान ही है।
- ताई ची: ताई ची एक चीनी मार्शल आर्ट है और अपनी रक्षा तकनीकों और सेहत के फायदों के लिए लोकप्रिय है।
मार्शल आर्ट्स ट्रेनिंग बच्चों के मानसिक, आत्मिक और शारीरिक विकास में मदद करते हैं। लेकिन बेहतर यही है कि आप अपने बच्चे को इसकी ट्रेनिंग देने के लिए एक अच्छा इंस्टीट्यूट चुनें ताकि वह मार्शल आर्ट्स के मूल रूप से परिचित हो। इसलिए समझदारी इसी में होगी कि आप कुंग फू के साथ किक बॉक्सिंग मिक्स करने वाली क्लास में उसे न भेजें।
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