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बहुत से कपल बांझपन या इनफर्टिलिटी के वजह से बच्चा पैदा नहीं कर पाते हैं। अगर एक साल तक प्रयास करने के बावजूद वे गर्भधारण करने में असफल होते हैं तो उन्हे बांझ माना जाता है। परिवार शुरू करने की चाहत रखने वाले एक नए जोड़े के लिए, बांझपन एक बड़ी समस्या हो सकती है। लेकिन पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन के कारणों को जानने से इस समस्या को सुलझाने में मदद मिल सकती है।
महिलाओं में बांझपन के कारण
साइक्लिकल ओवुलेशन और मासिक धर्म, और जब गर्भ में स्पर्म जाता है तो होने वाले परिवर्तन बेहद जटिल होते हैं और कई अलग-अलग कारकों से प्रभावित हो सकते हैं। इनमें से किसी भी कॉम्प्लेक्स प्रक्रिया में किसी भी तरह की शारीरिक चूक महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकती है।
1. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
यह पीसीओएस के नाम से जाना जाता है और महिलाओं में बांझपन के प्रमुख कारणों में से एक है।
यह क्या है?
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो महिलाओं को उनके गर्भ में बच्चा संभालने के दौरान प्रभावित कर सकता है और उनकी ओवरीज को प्रभावित करता है।
संकेत:
- भारी स्राव के साथ इर्रेगुलर पीरियड्स (यूटरस लाइनिंग के लंबे समय तक बनने के कारण)।
- मेल हार्मोन के ज्यादा होने के वजह से चेहरे, पीठ और छाती पर बहुत ज्यादा बाल उगते हैं और साथ ही गंजापन भी होता है।
- वजन बढ़ना और शरीर पर काले धब्बे बनना जो अक्सर पीसीओएस के साथ होने वाले इंसुलिन रेसिस्टेंस के कारण होता है।
- अन्य लक्षणों में सिरदर्द और मुँहासे शामिल हैं।
इलाज:
पीसीओएस से परेशान महिलाओं को कभी-कभी पीरियड्स को नियमित करने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां दी जाती हैं। यह अक्सर इंसुलिन रेसिस्टेंस और कोलेस्ट्रॉल की समस्या से निपटने वाली दवाओं के साथ दिया जाता है। लाइफस्टाइल में बदलाव और हार्मोनल थेरेपी से पीसीओएस के कुछ लक्षणों को ठीक किया जा सकता हैं।
सफलता दर:
दुर्भाग्यवश, पीसीओएस का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं पाया जा सका है। दवा और लाइफस्टाइल में बदलाव के माध्यम से हार्मोन को संतुलित करने से गर्भवती होने की संभावना बढ़ सकती है। इसका प्रभाव हर इंसान में अलग-अलग तरह से होता है।
2. हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया
हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया हाइपोथैलेमस की फंक्शनिंग में दोष को कहा जाता है जिसके कारण कई महीनों तक पीरियड बंद हो जाता है।
यह क्या है?
हाइपोथैलेमस दिमाग में मौजूद होता है और शरीर में हार्मोन को नियंत्रित करता है। हाइपोथैलेमस तनाव, खाना, अचानक वजन बढ़ने या घटने और ज्यादा व्यायाम करने के कारण आसानी से प्रभावित होता है। इससे महिलाओं की पीरियड साइकिल प्रभावित होती है, जिससे बांझपन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
संकेत:
- भूख ज्यादा लगना
- ठंड लगना
- खराब सेक्स ड्राइव
- डिप्रेशन / तनाव
इलाज:
इसे ठीक करने के लिए सबसे पहला कदम लाइफस्टाइल को बदलना होता है। इसके अलावा इंजेक्शन के जरिए हार्मोनल थेरेपी भी इलाज का एक विकल्प होता है।
सफलता दर:
हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया को ठीक किया जा सकता है और गर्भधारण के मामले में इसकी सफलता दर काफी अच्छी है।
3. प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर
प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर एक ऐसी स्थिति है जिसमें चालीस की उम्र से पहले ही महिलाओं की ओवरीज में अंडो की संख्या कम होती है।
यह क्या है?
एक ऐसी स्थिति जिसमें महिलाओं की ओवरीज चालीस की उम्र से पहले ही सामान्य रूप से काम करना बंद कर देती हैं। प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर को प्रीमैच्योर मेनोपॉज ना समझें। मेनोपॉज तब होता है जब पीरियड पूरी तरह से खत्म हो जाए। दूसरी तरफ, ऐसी महिलाएं जो प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर से पीड़ित है, उन्हें इर्रेगुलर या कभी-कभी पीरियड आता है।
संकेत:
- वेजाइनल ड्राइनेस / योनि का सूखापन
- सेक्स ड्राइव में गिरावट
- शरीर के तापमान में बदलाव और रात को पसीना
- अनियमित पीरियड्स
इलाज:
इससे उत्पन्न होने वाले एस्ट्रोजन को अगर कम किया जाए तो यह परेशानी दूर हो सकती है। आईवीएफ भी इलाज का एक विकल्प है।
सफलता दर:
यह मेनोपॉज की तरह नहीं है, इसके दौरान महिलाओं को मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग होती है जिसकी वजह से गर्भधारण की संभावना होती है।
4. प्रोलैक्टिन का अधिक उत्पादन
प्रोलैक्टिन पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा निर्मित एक हार्मोन है।
यह क्या है?
यदि प्रोलैक्टिन का उत्पादन शरीर में ज्यादा होता है, तो यह एस्ट्रोजन के उत्पादन को कम कर देगा, जो बदले में पीरियड साइकिल और फर्टिलिटी की नियमितता को प्रभावित करता है।
संकेत:
- अनियमित या पीरियड्स का न आना
- वेजाइनल ड्राइनेस / योनि का सूखापन
- मुहाँसों के साथ चेहरे और शरीर पर बालों का बढ़ना
- ब्रेस्ट से मिल्की डिस्चार्ज निकलना (बिना किसी स्तनपान के)
इलाज:
इसका इलाज दवा और सर्जरी से किया जा सकता है। कैबर्जोलिन दवा का उपयोग उन महिलाओं के लिए किया जाता है जो इससे परेशान हैं और फर्टिलिटी को बढ़ाना चाहती हैं।
सफलता दर:
सामान्य पिट्यूटरी फंक्शन को ठीक किया जा सकता है, और ज्यादातर मामलों में फर्टिलिटी वापस आ जाती है।
5. ट्यूबल इनफर्टिलिटी
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, यह फैलोपियन ट्यूब से संबंधित है।
यह क्या है?
फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉक या किसी भी प्रकार के नुकसान की वजह से अंडे ओवरी तक नहीं पहुँच पाते हैं, जिसकी वजह से वो गर्भ में नहीं जाते और गर्भधारण में असफलता होती है।
संकेत:
ज्यादातर महिलाओं में कोई लक्षण नहीं होते हैं। एक्सटेंसिव या क्रोनिक इन्फेक्शन होने पर क्रोनिक पेल्विक दर्द होता है।
इलाज:
ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब का ऑपरेशन द्वारा इलाज किया जा सकता है। डैमेज टयूब्स को आसानी से ठीक नहीं किया जा सकता है और ऐसा करने से आगे खतरा हो सकता है।
सफलता दर:
ब्लॉक्ड फैलोपियन ट्यूब के इलाज के बाद प्रेगनेंसी में सफलता की गारंटी नहीं है। डैमेज फैलोपियन ट्यूब की परेशानियों से बचने के लिए इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन का सुझाव दिया जाता है।
6. एंडोमेट्रियोसिस
एंडोमेट्रियोसिस आमतौर पर पेल्विक रीजन में फैलोपियन ट्यूब, ओवरी और अन्य टिशू को प्रभावित करता है।
यह क्या है?
एंडोमेट्रियम टिशू एक म्यूकस मेंब्रेन टिशू है जो यूटरस / गर्भाशय की परत बनती है और अंडो के इंप्लांटेशन / आरोपण के लिए जरूरी होते है। जब एंडोमेट्रियम टिशू गर्भाशय से बाहर बढ़ने लगता है तो एंडोमेट्रियोसिस होता है। जब यह टिशू ओवरी में बढ़ने लगते है तो ओवेरियन सिस्ट बन सकता है जिसके वजह से फर्टिलिटी काम हो सकती है।
संकेत:
- पीरियड के समय अधिक दर्द होना
- संभोग के समय दर्द
- पेशाब और मल त्याग करते समय दर्द
- पीरियड्स के दौरान भारी ब्लीडिंग और कभी-कभी पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग
इलाज:
क्योंकि एंडोमेट्रियोसिस एस्ट्रोजन की अधिकता के वजह से होता है, सर्जरी को छोड़कर, हार्मोन थेरेपी इसके लिए एकमात्र इलाज है। इसके साथ साथ मरीजों को दर्द निवारक दवाइयों की भी आवश्यकता होती है।
सफलता दर:
कंस्ट्रक्टिव सर्जरी की तुलना में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन का विकल्प चुनने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर इस स्थिति से पीड़ित महिलाओं को देरी करने के बजाए जल्द से जल्द प्रेगनेंसी चुनने को कहते है क्योंकि इस परेशानी के वजह से हालात बिगड़ती ही चली जाती है जिसके वजह से पूरे नौ महीनों तक बच्चे को गर्भ में रखना उनके लिए नामुमकिन हो सकता है। अगर वह प्रेग्नेंसी के मामले में जल्दी नहीं कर सकती तो फर्टिलिटी बनाए रखने के लिए अंडो को फ्रीज किया जा सकता है।
पुरुषों में बांझपन के कारण
गर्भधारण न होने का एक कारण पुरुषों में बांझपन भी होता है। इसे समाज में एक कलंक की तरह देखा जाता है, जबकि बहुत से लोगों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं है। हालांकि, कुछ बांझपन ऐसे हैं जिनका इलाज किया जा सकता है।
1. वैरीकोसेल
यदि टेस्टिकल में तेज दर्द महसूस होता है तो उसे वैरीकोसेल कह सकते हैं।
यह क्या है?
वैरीकोसेल एक ऐसी बीमारी है जिसमें टेस्टिकल के आसपास की नसें बढ़ जाती हैं और स्पर्म की क्वालिटी प्रभावित होती है।
संकेत:
ज्यादातर मामलों में वैरिकोसेल लगभग कोई बाहरी लक्षण नहीं दिखाता है। यह कभी-कभी टेस्टिस में और उसके आसपास दर्द का कारण बन सकता है।
यह दर्द निम्नलिखित तरीकों से प्रकट हो सकता है:
- यह बहुत ज्यादा से हल्का हो सकता है
- बहुत देर तक खड़े रहने या फिजिकल एक्टिविटी करने से बढ़ सकता है
- सिर्फ आराम करते वक्त दर्द कम किया जा सकता है।
इलाज:
वैरिकोसेल जब हल्का हो तो उसके उपचार की आवश्यकता नहीं होती है और इससे गर्भधारण करने में परेशानी नहीं होती है। यदि स्थिति गंभीर या दर्दनाक हो, तो इसका इलाज करने के लिए सर्जरी का उपयोग किया जाता है।
सफलता दर:
अगर सर्जरी द्वारा इलाज किया जाता है, तो वैरिकोसेल का एलिवेशन स्पर्म यानी शुक्राणु में सुधार कर सकता है और पिता बनाने की क्षमता को बढ़ा सकता है।
2. इन्फेक्शन
कुछ इन्फेक्शन स्पर्म / शुक्राणु के गुणवत्ता (क्वालिटी), मात्रा (क्वांटिटी) और वितरण (डिलिवरी) को प्रभावित कर सकते हैं।
यह क्या है?
यह वायरस और बैक्टीरिया के कारण इन्फेक्शन होता है। पुरुषों में बांझपन का कारण बनने वाले इन्फेक्शन हैं:
- माइकोप्लाज्मा
- ट्यूबरक्लोसिस
- गोनोरिया
- यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन
- क्लैमाइडिया
इलाज:
जेनिटल इन्फेक्शन का इलाज इन्फेक्शन की प्रकृति के आधार पर अलग-अलग होता है।
सफलता दर:
ज्यादातर इन्फेक्शन का इलाज किया जा सकता है और सही मेडिकल देखभाल के साथ उन्हें ठीक भी किया जा सकता है। यदि किसी को इन्फेक्शन का संदेह है, तो उन्हें तुरंत मदद लेनी चाहिए, क्योंकि समय के साथ यह बढ़ सकता है और फिर इसे होने वाले नुकसान को सही करना मुश्किल हो सकता है।
3. रेट्रोग्रेड इजैक्युलेशन
यह सीमेन के गलत इजैक्युलेशन से संबंधित है।
यह क्या है?
कुछ स्थितियों के कारण सीमेन पुरुषों के लिंग (पेनिस) से बाहर निकलने के बजाय मूत्राशय (ब्लैडर) में प्रवेश कर सकता है।
संकेत:
- संभोग के दौरान सीमेन का कम या बिलकुल भी इजैक्युलेट न होना।
- संभोग के बाद पेशाब का रंग बदल जाए, जो ब्लैडर में सीमेन के कारण होता है।
इलाज:
दवाएं इस समस्या को ठीक करने में कुछ हद तक मदद कर सकती हैं, जहाँ नर्व डैमेज के कारण होती है।
सफलता दर:
शुक्राणु को रिट्रीव करना, इन विट्रो फर्टिलाइजेशन में उपयोग करने के लिए, रेट्रोग्रेड इजैक्युलेशन के कारण होने वाले बांझपन की समस्या को प्रभावी ढंग से दूर करता है।
4. ट्यूमर
इनमें बिनाइन और मैलिग्नेंट ट्यूमर शामिल होते है।
यह क्या है?
बिना किसी उचित कारण के शरीर के किसी अंग में सूजन, और किसी टिशू का सामान्य विकास हो, तो उसे ट्यूमर कहा जाता है।
संकेत:
टेस्टिकल में बिना दर्द वाली कोई गांठ या अंडकोश (स्क्रोटम) में वजन महसूस होना। अल्ट्रासाउंड से इसका पता लगाया जा सकता है।
इलाज:
सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी के इस्तेमाल से ट्यूमर का इलाज किया जा सकता है।
सफलता दर:
नॉन मैलिग्नेंट ट्यूमर को सर्जरी द्वारा हटाया जा सकता है और इससे किसी की फर्टिलिटी को लंबे समय तक नुकसान नहीं होता है। रेडिएशन या कीमोथेरेपी के संपर्क में आने वाले कैंसर के मरीजों को कैंसर का इलाज शुरू करने से पहले अपने सीमेन के सैंपल को फ्रीज करने की आवश्यकता होती है। फर्टिलिटी को फिर से पाने में लगने वाला समय मरीज की उम्र के साथ बढ़ता जाता है।
5. हार्मोन असंतुलन
महिलाओं की तरह पुरुष भी हार्मोनल इम्बैलेंस से पीड़ित होते हैं।
यह क्या है?
जब स्पर्म प्रोडक्शन को प्रभावित करने वाले हार्मोन आवश्यक मात्रा की नॉर्मल रेंज से बाहर आते हैं, तो ये बांझपन का कारण बनता है।
संकेत:
हार्मोन असंतुलन के लक्षण अलग-अलग होते हैं और आमतौर पर बांझपन को मेडिकल अटेंशन देने के लिए इसका निदान किया जाता है। हार्मोनल इम्बैलेंस जेनेटिक से लेकर लाइफस्टाइल में की जाने वाली लापरवाही के कारण हो सकते हैं।
इलाज:
हार्मोन थेरेपी की मदद से प्रभावित व्यक्ति में हार्मोन असंतुलन को ठीक किया जा सकता है।
सफलता दर:
हार्मोन असंतुलन के उपचार की सफलता दर काफी ज्यादा होती है। हालांकि, स्पर्म प्रोडक्शन को रिस्टोर करने में और उसकी शक्ति को बहाल करने में एक साल या उससे अधिक समय लग सकता है।
महिलाओं में होने वाले बांझपन के कारण और उपचार अलग-अलग होते हैं। ऐसी स्थिति किसी के लिए निराशाजनक होती है लेकिन ‘सभी के लिए एक इलाज’ वाले कांसेप्ट से खुद को दूर रखें और ऐसे किसी विकल्प को न चुनें जो आपके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए। पुरुषों के लिए, स्पर्म प्रोडक्शन और क्वालिटी ही उनके प्रजनन क्षमता को निर्धारित करते हैं। अधिकांश का इलाज सर्जरी या दवा से किया जा सकता है। साथ ही आईवीएफ जैसे विकल्प इसका समाधान प्रदान कर सकते हैं।
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