गर्भावस्था की 21 आम समस्याएं और उनके समाधान

प्रेगनेंसी की 21 कॉमन प्रॉब्लम्स और उनके समाधान

गर्भावस्था के दौरान एक महिला के चेहरे पर ग्लो और बच्चे के जन्म के बारे में सभी बात करते हैं पर बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो गर्भावस्था में हो रहे कब्ज, दर्द और अनिद्रा के बारे में बात करते हैं। गर्भावस्था में एक महिला के शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं और जब तक उसका शरीर तैयार होता है तब तक उसे सुविधाजनक अनुभव नहीं मिलते हैं। गर्भावस्था में एक हेल्दी महिला को भी समस्याओं का अनुभव होता है और यह बहुत आम है। कई ऐसी कॉमन समस्याएं हैं जिनका अनुभव गर्भवती महिलाओं को होता है इसलिए गर्भावस्था में हर महिला को अपने शारीरिक बदलाव और सभी अनुभवों के बारे में डॉक्टर से चर्चा करनी चाहिए। 

गर्भावस्था की कॉमन प्रॉब्लम्स और उनके समाधान गर्भावस्था की कॉमन प्रॉब्लम्स और उनके समाधान 

वैसे तो कोई भी समस्या एक माँ बनने की कोशिश को हरा नहीं सकती, पर फिर भी प्रेगनेंसी में ऐसी बहुत सारी चीजें हैं जिनका खयाल आपको रखना चाहिए। वे कौन सी समस्याएं हैं, आइए जानें; 

1. हार्टबर्न 

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हार्टबर्न की समस्या हॉर्मोनल और शारीरिक बदलावों के कारण होती है। 

समाधान 

आप ऐसे खाद्य पदार्थ बिलकुल भी न खाएं जिससे आपका पेट खराब हो सकता है और हर बार कम मात्रा में खाएं पर कई बार खाएं व खूब सारा पानी पिएं। आप सीधे सोने के बजाय तकिए की मदद लेकर करवट से सोएं और सोने से लगभग 3 घंटे पहले रात का भोजन करने लें। इससे आपको काफी मदद मिल सकती है। 

कब चिंता करें 

हार्टबर्न से कोई भी गंभीर समस्या नहीं होती है पर इससे गर्भावस्था के दौरान कई असुविधाएं हो सकती हैं। 

2. कब्ज

गर्भावस्था में हॉर्मोनल बदलावों के कारण कई महिलाओं को कब्ज की समस्या हो जाती है जिससे पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और चूंकि गर्भ में बच्चे की वृद्धि होने से जगह कम हो जाती है इसलिए भी पाचन तंत्र के फंक्शन के लिए शरीर की ज्यादा से ज्यादा एनर्जी लगती है। 

समाधान 

आप अपनी डायट में फल, व्होल ग्रेन, सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थ भी शामिल कर सकती हैं जो फाइबर से भरपूर होते हैं। इस समय आप बहुत सारा पानी पिएं और यदि अब भी आपको असुविधाएं होती हैं तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। गर्भावस्था के दौरान आप कभी भी खुद से कोई दवाई न लें क्योंकि इससे आपको संकुचन हो सकता है। 

कब चिंता करें 

गर्भावस्था के दौरान कब्ज होना कोई बहुत बड़ी कॉम्प्लिकेशन नहीं है पर कुछ दुर्लभ मामलों में इससे मल में प्रभाव पड़ (फेकल इम्पेक्शन) हो सकता है।  

3. मॉर्निंग सिकनेस

प्रेगनेंसी के शुरूआती दिनों में मॉर्निंग सिकनेस होना बहुत आम है और यह एक ऐसी समस्या है जो महिलाओं को कभी-कभी हो सकती है और कुछ महिलाओं में मॉर्निंग सिकनेस उनकी पूरी गर्भावस्था तक रहती है। इसके कुछ लक्षण मतली और उल्टी है। 

समाधान 

इस दौरान आप ढेर सारा पानी पिएं और इस बात का भी खयाल रखें कि आप खाने के आधे घंटे बाद या खाने के आधे घंटे पहले पानी जरूर पिएं। खाना खाते समय कुछ न पिएं। 

कब चिंता करें 

यद्यपि यह आपके और बच्चे के लिए हानिकारक नहीं है पर आप खुद को हाइड्रेटेड रखें और यदि आपको बहुत ज्यादा उल्टी होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

4. मसूड़ों में ब्लीडिंग 

मसूड़ों में ब्लीडिंग भी उसी हॉर्मोन से होती है जिससे म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन आ जाती है और आपमें साइनस की समस्या अधिक बढ़ जाती है। 

समाधान 

मसूड़ों की समस्या को ठीक करने का सबसे सही तरीका है कि आप डेंटिस्ट के पास जाएं और इस बात का पूरा खयाल रखें कि डॉक्टर को पता हो कि आप प्रेग्नेंट हैं ताकि वे वह चीजें न करें जिससे आपके बच्चे को हानि हो सकती है। आप अपनी खाने की आदतों में सुधार लाएं और जितना संभव हो उतना मीठा कम खाएं। इस बात का भी खयाल रखें कि आप आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम-युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कर रही हैं। यह सिर्फ आपके लिए ही जरूरी बल्कि आपके बच्चे के लिए भी जरूरी है। रोजाना समय से आप ब्रश करें और अपने दाँतों की बेहतर देखभाल करें। आप डॉक्टर से कह सकती हैं कि वे आपके लिए एक अल्कोहल-फ्री माऊथ वॉश प्रिस्क्राइब करें ताकि इसकी मदद से आपके दाँतों में बैक्टीरिया और प्लेक नहीं होगा। 

कब चिंता करें 

यद्यपि गर्भावस्था के दौरान मसूड़ों में दर्द होना आम है पर यदि आपके मसूड़े लाल रंग के हो रहे हैं जिससे आपके ब्रश में भी गुलाबीपन हो जाता है तो यह बिलकुल भी नॉर्मल नहीं है। यह जिंजिवाइटिस होने के लक्षण हो सकते हैं जो बहुत ज्यादा हानिकारक नहीं होता है पर इससे आपको पेरिओडॉन्टाइटिस हो सकता है जिसका उपचार तो हो सकता है पर इसकी वजह से आपको प्रीकैम्प्सिया, प्रीमैच्योर डिलीवरी और जन्म के बाद बच्चे का वजन कम होने का खतरा हो सकता है। 

5. अनिद्रा की समस्या 

गर्भावस्था के दौरान सूजन, पैरों में क्रैंप और बार-बार पेशाब लगने की समस्याओं के साथ जाहिर है महिलाओं को सोने में भी कठिनाई होती होगी। लगभग 10 में से 8 गर्भवती महिलाओं को अनिद्रा की समस्या होती है। 

समाधान 

सोने से पहले आप अपना एक सूदिंग रूटीन बनाएं, जैसे रात को सोने से पहले आप गुनगुने पानी से स्नान करें और स्किनकेयर रूटीन को एन्जॉय करें। 

कभी-कभी शांत म्यूजिक सुनने और किताब पढ़ने से भी अच्छी और गहरी नींद आती है। 

इस बात का ध्यान रखें कि आपका बैडरूम कोजी होना चाहिए और आप इसमें अंधेरा रखें ताकि आपको अच्छी और बेहतर नींद आ सके। 

यदि लेटने के बाद लगभग 20 मिनट तक आप जागी हुई हैं तो उठकर दूसरे कमरे में जाएं। इस समय आप तब तक कुछ पढ़ें या कोई काम करें जब तक आपको अच्छी नींद न आने लगे। नींद न आने की चिंता करने से आपकी समस्याएं बढ़ सकती हैं। 

रोजाना एक्सरसाइज करने से आपको मदद मिल सकती है क्योंकि यह एक्टिविटी आपको इतना थका सकती है कि आपको अच्छी नींद आ जाए। बस इस बात का खयाल रखें कि सोने से तुरंत पहले एक्सरसाइज न करें क्योंकि इससे आप सोने के बजाय जागी रह सकती हैं। 

कब चिंता करें 

यद्यपि अनिद्रा से आपको या बच्चे को कोई भी हानि नहीं होती है पर फिर भी आपकी पूरा आराम करने की जरूरत है। किसी भी चीज की चिंता न करने या स्ट्रेस न लेने से आपको सोने में मदद मिल सकती है। 

6. सिर दर्द या माइग्रेन

गर्भावस्था में हॉर्मोनल बदलावों की वजह आपको बहुत सारी समस्याएं हो सकती हैं पर माइग्रेन सिर्फ हॉर्मोनल चैंजेस की वजह से ही नहीं बल्कि बहुत सारे कारणों से होता है। जैसे, यदि आपको बहुत ज्यादा स्ट्रेस है और आप पर्याप्त नींद व भोजन नहीं ले रही हैं तो इससे भी आपको माइग्रेन या सिर में दर्द की समस्या हो सकती है। 

समाधान 

इसे ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप अच्छा खाएं, पूरा आराम करें और ढेर सारा पानी पिएं। 

माइग्रेन की कई दवाइयों से बच्चे को रोग हो सकते हैं और इसलिए गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रहने के लिए एक साथ सभी दवाएं न लेना ही बेहतर है और आप ज्यादा से ज्यादा इससे बचने का प्रयास करें। 

कब चिंता करें 

यदि आपको धुंधला दिखना शुरू हो गया है और बुखार के साथ-साथ आपके सिर में भी दर्द होता है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है। यहाँ तक कि यदि कुछ घंटों से ज्यादा देर तक आपके सिर में दर्द रहता है तो हमेशा डॉक्टर से चेक अप जरूर करवाएं क्योंकि यह किसी भी समस्या का लक्षण हो सकता है। 

7. वजायनल डिस्चार्ज

गर्भावस्था के दौरान वजायनल डिस्चार्ज होना पूरी तरह से नॉर्मल है और इसे लियुकोरिया कहते हैं। यह प्रेगनेंसी होने का सबसे पहला संकेत है। यह डिस्चार्ज सफेद रंग का, पतला और मिल्की होता है और इसमें हल्की स्मेल यानि गंध भी रहती है। 

समाधान 

यदि डिस्चार्ज से आपको असुविधाएं होती हैं तो आप पैंटी-लाइनर का उपयोग करें क्योंकि इससे आपको स्वच्छ महसूस होगा पर आप डिस्चार्ज को रोकने के लिए कुछ नहीं कर सकती हैं। इस दौरान टेम्पोंस का उपयोग न करें क्योंकि इससे आपके शरीर में इन्फेक्शन हो सकता है और यह बच्चे के लिए खतरे का कारण बन सकता है। 

कब चिंता करें 

यदि पीले व हरे रंग का डिस्चार्ज होता है और इसमें अधिक तेज दुर्गंध आती है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यदि इसके साथ आपको खुजली होती है या त्वचा लाल हो जाती है तो यह वजायनल इन्फेक्शन के लक्षण हो सकते हैं और यह काफी रिस्की हो सकता है। 

स्पॉटिंग डिस्चार्ज से हमेशा समस्याएं नहीं होती हैं पर फिर भी आप इसके बारे में डॉक्टर से चर्चा जरूर करें। 

8. बार-बार यूरिन आना

यदि आपको बिना किसी कारण थोड़ा बहुत पेशाब लगती है तो आप प्रेगनेंसी क्लब में शामिल हो जाएं। एक गर्भवती महिला को जिस प्रकार से असंयमित रूप से पेशाब आती है, यह अक्सर बहुत ज्यादा स्ट्रेस की वजह से होता है। महिलाओं के ब्लैडर पर दबाव पड़ने के कारण उन्हें यह समस्या होती है। यह अक्सर गर्भावस्था के 35वें सप्ताह में बहुत ज्यादा होता है। 

समाधान 

इसका समस्या का समाधान आप दो तरीकों से निकाल सकती हैं, पहला कि आप यूरिन लीकेज और बाथरूम जाने के समय का ट्रैक रखें और दूसरा ब्लैडर ट्रेनिंग ट्राई करें जिसमें आप लगभग 15 मिनट इंतजार करने के बाद पेशाब के लिए जाएं। इससे आपको कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होगा और साथ ही आप अपने ब्लैडर को नियंत्रित कर पाएंगी। 

कीगल एक्सरसाइज करके भी आप इस समस्या को कंट्रोल कर सकती हैं क्योंकि यह एक्सरसाइज पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को मजबूत बनाने और इनमें कसाव लाने में मदद करती है। 

चिंता कब करें 

यदि आपको डिलीवरी के 6 सप्ताह बाद भी असंयमिता का अनुभव होता है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि यदि इसका उपचार जल्द से जल्द नहीं किया गया तो यह एक गंभीर समस्या भी हो सकती है। यह इस बात का संकेत भी हो सकता है कि आपको अन्य कोई मेडिकल समस्या है। 

9. स्ट्रेच मार्क्स

यह समस्या शारीरिक त्वचा के अंदर मौजूद इलास्टिक सपोर्टिव टिश्यू में बदलाव होने की वजह से होती है। शुरूआत में स्ट्रेच मार्क्स लाल व भूरे, पर्पल या गाढ़े ब्राउन रंग के होते हैं पर बाद में पीले धब्बों में बदल जाते हैं। 

समाधान 

इसे ठीक करने के लिए कोई भी वास्तविक तरीका नहीं है। यदि गर्भावस्था के हर चरण में आपका वजन सलाह के अनुसार ही रहता है तो आपको यह समस्या नहीं होगी।

इसके दाग दिखना शुरू होते ही आप इसे कम करने का प्रयास करें। यदि आप बच्चे के जन्म के बाद इसके मार्क्स करने का प्रयास करने के बजाय इसका रंग जब लाल या पर्पल होता है, तभी इसमें सलाह के अनुसार ऑइंटमेंट लगाती हैं इससे आपको काफी मदद मिल सकती है। 

कब चिंता करें 

स्ट्रेच मार्क्स होने पर आपको कोई भी चिंता करने की जरूरत नहीं है। 

10. पैरों में क्रैंप आना

किसी को भी निश्चित रूप से नहीं पता है कि पैरों में क्रैंप्स क्यों आते हैं। कुछ का मानना है कि यह गर्भावस्था में शारीरिक वजन बढ़ने से होते हैं पर अन्य थ्योरी भी हैं जिसके अनुसार यह पैरों में ब्लड वेसल में दबाव पड़ने से होते हैं। गर्भवती महिलाओं को क्रैंप्स अक्सर रात में आते हैं और इससे उन्हें सोने में कठिनाई होती है। 

समाधान 

पैरों को स्ट्रेच करने से क्रैंपिंग की समस्या कम हो सकती है। यद्यपि स्ट्रेचिंग आप बेड पर ही कर सकती हैं पर यदि आप खड़ी होती हैं तो आपको जल्द ही बेहतर महसूस होगा। 

पैरों में क्रैंप की समस्या को ठीक करने के लिए आप कोल्ड कंप्रेस का उपयोग कर सकती हैं या किसी ठंडी सतह पर खड़ी हो सकती हैं। 

कब चिंता करें 

यदि आपका दर्द कम नहीं होता है या क्रैंप आने की जगह पर लालपन और सूजन होती है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह समस्या आर्टरी में क्लॉट होने की वजह से हो सकती है और इसे ठीक करने के लिए आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है। 

11. ब्लड प्रेशर बढ़ना

इसे हाइपरटेंशन भी कहते हैं और कुछ महिलाओं में यह समस्या गंभीर भी हो सकती है। यद्यपि ज्यादातर मामलों में यह समस्या बहुत गंभीर नहीं होती है पर कभी-कभी इससे माँ और बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।

समाधान 

आप हमेशा हेल्दी डायट ही लें और पर्याप्त रूप से एक्सरसाइज करें। यदि आप स्ट्रेस कम करने वाली एक्टिविटीज करती हैं तो इससे आपको काफी फायदे हो सकते हैं, जैसे किताबे पढ़ें, या टहलने जाएं क्योंकि स्ट्रेस का असर आपके ब्लड प्रेशर में पड़ता है। 

गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में कितना वजन बढ़ाना हेल्दी है इस बारे में आप डॉक्टर से चर्चा जरूर करें। आप अपने वजन को चेक करती रहें क्योंकि इससे आपको ओबेसिटी हो सकती है जो हाइपरटेंशन का एक मुख्य कारण है। 

यदि आपको दवाएं लेने की जरूरत है तो आपके लिए कौन सी दवाई सेफ है इस बारे में पहले डॉक्टर से चर्चा करें क्योंकि ब्लड प्रेशर की कई दवाएं आपके खून के माध्यम से बच्चे तक पहुँच सकती हैं।  

कब चिंता करें 

यदि आपको ब्लड प्रेशर की समस्या है तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यदि इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो आपको एक्लेम्पसिया भी हो सकता है। 

12. त्वचा में बदलाव होना

गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलावों की वजह से महिलाओं को एक्ने और पिग्मेंटेशन की समस्या भी होती है। इस समय कुछ महिलाओं को आँखों के नीचे डार्क सर्कल्स भी हो जाते हैं। 

समाधान 

आप सीधे मेडिकल से दवाई लेने के बजाय डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं क्योंकि बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवाई लेने से बच्चे को हानि हो सकती है। इसके लिए आपको स्किनकेयर रूटीन बदलने की जरूरत है और आप माइल्ड प्रोडक्ट्स का उपयोग करें।

कब चिंता करें 

यद्यपि इससे आप बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो सकती हैं पर इसमें चिंता करने की बात नहीं है क्योंकि इससे बच्चे को कोई भी खतरा नहीं होता है। 

13. बवासीर (हैमरॉइड) की समस्या 

रेक्टम में ब्लड वेसल की सूजन को बवासीर कहते हैं और यह एक मटर जितना छोटा या एक अंगूर जितना बड़ा भी हो सकता है। इस समस्या से बहुत ज्यादा असुविधाएं होती हैं और इसमें कभी-कभी दर्द होता है या पॉटी में खून भी आ सकता है। 

समाधान 

यदि आपको बॉवल्स की समस्या तुरंत ठीक करने की जरूरत है तो आप बिलकुल भी इंतजार न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। आप सामान्य से ज्यादा देर तक न बैठें ताकि आपके रेक्टम में ज्यादा दबाव न पड़े। 

आप नियमित रूप से कीगल एक्सरसाइज करें और बहुत ज्यादा देर खड़ी या बैठी न रहें। 

यदि आपको पहले से ही बवासीर है तो आप कॉटन में पैड में थोड़ा सा विच हेजल सॉल्यूशन का उपयोग करें। 

कब चिंता करें 

यदि आपके द्वारा उपयोग किए हुए सभी घरेलू उपचार और तरीके काम नहीं आते हैं और आपको बहुत ज्यादा दर्द या ब्लीडिंग होती है तो आप जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी डॉक्टर से चेक अप करवाएं। 

14. पीठ में दर्द होना

गर्भावस्था के दौरान ज्यादा वजन और ग्रेविटी का केंद्र शिफ्ट होने की वजह से आपकी मांसपेशियों में बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है और आपके जोड़ों में बहुत ज्यादा दबाव पड़ सकता है। इन चीजों की वजह से आपकी पीठ में दर्द हो सकता है। नर्व्ज में भी दबाव पड़ने की वजह से भी आपकी पीठ में दर्द हो सकता है। 

समाधान 

जब तक डॉक्टर नहीं कहते तब तक आपको एक्सरसाइज करनी चाहिए इससे आपका दर्द कम हो सकता है। यद्यपि इस दौरान यदि आप हल्का सा भी झुकेंगी तो आपको लगेगा कि आप बहुत ज्यादा मुड़ रही हैं जिससे आपको आगे तक कई समस्याएं हो सकती हैं। 

आप अपनी पोजीशन को फिक्स करें जिसमें आपके कंधे पीछे की तरफ और हिप्स अंदर की ओर होने चाहिए। यदि आपको बहुत देर तक बैठे रहने की जरूरत है तो आप सीधे बैठें और ज्यादा झुकें न। वास्तव में आप ज्यादा देर तक न बैठें और आप बीच-बीच में स्ट्रेचिंग के लिए ब्रेक ले लें या शॉर्ट वॉक कर लें। 

यदि आपको झुकने की जरूरत है तो आप घुटनों से झुकने का प्रयास करें और अपनी कमर से न झुकें क्योंकि इससे आपकी पीठ में दबाव पड़ सकता है। 

कब चिंता करें 

यदि दो सप्ताह से ज्यादा दिनों तक आपकी पीठ में दर्द रहता है या यदि आपको बहुत गंभीर रूप से दर्द होता है तो इंतजार बिलकुल भी न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 

जिन महिलाओं को पहले पीठ दर्द नहीं हुआ है और जिन महिलाओं को गर्भावस्था की दूसरी तिमाही व तीसरी तिमाही में दर्द होता है तो उन्हें बहुत ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि यह प्रीटर्म डिलीवरी का संकेत भी हो सकता है। 

15. निप्पल्स में लीकेज और खुजली होना 

इस दौरान ब्रेस्ट साइज बढ़ने की वजह से आपको अपने ब्रेस्ट में खुजली हो सकती है और साथ ही प्रोलैक्टिन की वजह से ब्रेस्ट से लीकेज होता है। प्रोलैक्टिन एक प्रकार का हॉर्मोन है जिसकी मदद से आपका शरीर नर्सिंग के लिए तैयार होता है। आपके द्वारा कपड़े बदलने से लेकर स्नान करने तक कुछ करने से यह लीकेज हो सकता है। 

समाधान 

निप्पल्स में खुजली को खत्म करने के लिए आप इनमें एक थिक क्रीम का उपयोग कर सकती हैं। स्नान के बाद विटामिन ‘सी’ या शिया बटर लगाने से भी आपको मदद मिल सकती है और इस दौरान आप फैब्रिक पहनने से बचें क्योंकि इससे आपको इरिटेशन हो सकती है। 

आप लीकेज को रोक नहीं सकती हैं पर यदि आप अपनी ब्रा में नर्सिंग पैड्स का उपयोग करती हैं तो इससे लीकेज पर किसी का भी ध्यान नहीं जाएगा। 

कब चिंता करें 

यदि आपको रैशेज नहीं होते हैं तो निप्पल्स में खुजली होना किसी भी चिंता का कारण नहीं है। 

यदि आपके निप्पल्स में खून निलकता है या निप्पल्स के लीकेज में गंध आती है तो आपको इसके बारे में डॉक्टर से बात करनी चाहिए। यह ब्रेस्ट कैंसर का संकेत भी हो सकते हैं पर यह ज्यादातर बैक्टीरियल इन्फेक्शन की वजह से होता है। 

16. सूजन आना 

सूजन को एडिमा भी कहते हैं और यह टिश्यू में पानी ठहरने से होती है। गर्भावस्था के दौरान आपके शरीर में जायदा से ज्यादा पानी ठहरता है जिसकी वजह से आपको सूजन होना आम बात है। बढ़ते गर्भाशय की वजह से वेना कावा पर दबाव पड़ता है और इससे पैरों में खून का बहाव कम हो जाता है जिसकी वजह से सूजन होती है। 

समाधान 

आप करवट से लेट जाएं ताकि आपकी वेन्स में पड़ते दबाव पर थोड़ा बहुत आराम मिल सके। इस दौरान जितना संभव हो उतनी बार आप अपने पैरों को ऊपर रखें और बैठते समय पैरों व एड़ियों को क्रॉस न करें। इसमें मदद के लिए आप नियमित रूप से एक्सरसाइज करें और पर्याप्त मात्रा में पाने पिएं। 

कब चिंता करें 

यदि आपके चेहरे पर सूजन आती है, आँखें फूली हुई लगती है, एड़ियों व पैरों में और साथ ही हाथों में भी सूजन आ जाती है तो यह लक्षण प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण भी हो सकते हैं और इसके लिए आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

17. एनर्जी में कमी और थकान होना

गर्भावस्था की पहली तिमाही में महिलाओं के शरीर में हॉर्मोनल चैंजेस के कारण थकान होती है और गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में महिलाओं को ज्यादा वजन कैरी करना पड़ता है और साथ ही रात में नींद कम आती है जिसकी वजह से थकान हो सकती है और यह गर्भावस्था की अन्य समस्याओं की वजह से होता है। 

समाधान

यदि आपको थकान होती है तो आपको ज्यादा से ज्यादा आराम करना चाहिए। यदि आपके लिए दिन के दौरान नैप लेना संभव है तो आप दिन में भी थोड़ी देर जरूर सोएं पर यदि संभव नहीं है तो आप रात में सामान्य से जल्दी सोने का प्रयास करें।  

यद्यपि आपका कमिटमेंट जरूरी हो सकता है पर बच्चे का जीवन अधिक महत्व रखता है। यदि आप बच्चे के साथ आराम नहीं कर पाती हैं तो आपको अपना के शेड्यूल बनाना चाहिए। 

शरीर में एनर्जी का स्तर बनाए रखने के लिए आपको संतुलित आहार खाने की जरूरत है इसलिए इस दौरान आप क्या खाती हैं इस पर जरूर ध्यान दें। 

दिन में जल्दी एक्सरसाइज करने से आपको सिर्फ एनर्जी ही नहीं मिलेगी बल्कि आपको रात में भी नींद अच्छी आएगी और इससे आपकी एनर्जी के स्तर में सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। 

कब चिंता करें 

यदि गर्भावस्था के दौरान आपको थकान होती है तो इसमें बच्चे के लिए चिंता करने की जरूरत नहीं है। गर्भावस्था के दौरान शरीर में इतने सारे बदलाव होने की वजह से इससे सिर्फ आप ही ग्रसित होंगी। 

18. सांस लेने में कठिनाई होना  

गर्भावस्था के दौरान हॉर्मोनल बदलाव विशेषकर प्रोजेस्टेरोन महिलाओं के लंग्स को प्रभावित करता है। गर्भावस्था के बाद के चरणों में गर्भाशय बढ़ने के कारण डायफ्राम में दबाव पड़ता है जिससे सांस लेने में भी कठिनाई होती है इससे भी एक गर्भवती महिला की असुविधाएं बढ़ सकती हैं। 

समाधान 

इस दौरान एक्टिव एक्सरसाइज करने के लिए आप खुद के साथ जबरदस्ती न करें। सभी एक्टिविटीज आप आराम से करें।

आप सीधे लेटने के बजाय तकिए का सहारा लेकर लेटें और बैठते समय अपनी पीठ व कंधे सीधे रखें ताकि आपके लंग्स सही ढंग से फैल सकें। 

कब चिंता करें 

यदि आप बहुत जल्दी-जल्दी और गंभीर रूप से सांस लेने में कठिनाई होती है, चक्कर आते हैं और अस्थमा होता है या दिल की धड़कनें बढ़ती हैं तो आप तुरंत किसी की मदद लें और तुरंत हॉस्पिटल जाएं। यदि आपकी उंगलियों,पैरों या होठों पर नीलापन दिखाई देता है तो आपके शरीर में गंभीर रूप से ऑक्सीजन की कमी है और आपको तुरंत मदद की जरूरत है। 

19. खुजली होना

गर्भावस्था में थोड़ी बहुत खुजली होना बहुत नॉर्मल है। स्ट्रेचिंग और हॉर्मोनल बदलावों की वजह से लगभग 20% गर्भवती महिलाओं को यह समस्या हो सकती है। 

समाधान 

यदि आपको बहुत ज्यादा खुजली होती है तो आप आराम के लिए कोल्ड कंप्रेस का उपयोग कर सकती हैं। 

आपको एक बार ओटमील बाथ लेना चाहिए और नहाने के लिए गर्म पानी के बजाय गुनगुने पानी का उपयोग करें। 

नहाने के बाद आप त्वचा के लिए सुगंध-रहित बॉडी लोशन का उपयोग करें। यदि आपको ज्यादा ठंडक चाहिए तो आप लोशन को थोड़ी देर के लिए फ्रिज में भी रख सकती हैं। 

कब चिंता करें 

यदि आपके पैर के पंजों व तलुओं में बहुत ज्यादा खुजली होती है या आपको रैशेज हो जाते हैं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह एक गंभीर समस्या के लक्षण भी हो सकते हैं। 

20. पाचन में समस्याएं होना 

यद्यपि कई महिलाओं को पहली तिमाही में यह समस्या नहीं होती है पर दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान हॉर्मोनल बदलावों, बढ़ते बच्चे के वजन व आंतों में अत्यधिक दबाव के कारण यह समस्या गंभीर हो सकती है। गर्भावस्था में महिलाओं को इससे सबसे ज्यादा असुविधाएं होती हैं। 

समाधान 

आप रात में सोने से कुछ घंटे पहले भोजन करें और एक बार में थोड़ा खाएं। खाना खाते समय जल्दबाजी न करें और धीरे-धीरे खाएं। खाना खाने के बीच में कभी भी पानी न पिएं। आप इस दौरान सीधे सोने के बजाय तकिए का सहारा लेकर सोएं। यदि फिर भी आपको इसके लक्षण दिखाई देते हैं तो आप डॉक्टर से संपर्क करें ताकि वे आपको कुछ दवाएं प्रिस्क्राइब कर सकें जो आपके लिए सेफ होंगी। 

कब चिंता करें 

यद्यपि यह समस्या बहुत ज्यादा असुविधाजनक हो सकती है और इसमें आपको दर्द भी हो सकता है पर यह गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए हानिकारक नहीं है। 

21. अजीब सपने आना

अजीब सपने आना बहुत आम हैं और इन्हें नॉर्मल ही माना जाता है। यदि आप मातृत्व से संबंधित स्ट्रेस या एंग्जायटी से ग्रसित हैं तो आपको ऐसे सपने आ सकते हैं। 

समाधान 

यदि ऐसे सपने आपको बहुत ज्यादा परेशान करते हैं तो इससे छुटकारा पाने के लिए बहुत सारे तरीके हैं। आप इसके बारे में अपने करीबी दोस्त या अपने पति से चर्चा कर सकती हैं। आप चाहें तो एक ड्रीम जर्नल की शुरूआत करें जिसमें आप अपने सपने लिख सकती हैं। 

कब चिंता करें 

अजीब सपनों के लिए आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है पर यदि इन सपनों की वजह से आपको स्ट्रेस होता है तो आप इस बारे में डॉक्टर से बता सकती हैं ताकि वे आपमें स्ट्रेस से संबंधित प्रॉब्लम और इसके परिणामों की जांच कर सकें। 

हम सभी जानते हैं कि एक महिला के लिए गर्भावस्था सबसे ज्यादा सेंसिटिव और डेलिकेट समय है। इस दौरान उसके शरीर में हॉर्मोनल बदलवाएं की वजह से उसे कई हेल्थ प्रॉब्लम्स होती हैं। इसकी व्याख्या कर पाना भी बहुत कठिन है कि एक महिला का शरीर बढ़ते बच्चे के लिए कितना ज्यादा स्ट्रेच होता है। गर्भावस्था में ज्यादातर समस्याएं दूसरी तिमाही से शुरू होती हैं क्योंकि इस समय बच्चा शारीरिक रूप से बढ़ता है और उसके लिए ज्यादा जगह की जरूरत होती है। इसका यह मतलब है बच्चे के लिए आपके आंतरिक अंग थोड़ा-बहुत शिफ्ट होते हैं। डिलीवरी के बाद गर्भावस्था की ज्यादातर समस्याएं खत्म हो जाती हैं इसलिए इस दौरान अच्छा खाएं और पर्याप्त रूप से आराम करें। 

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