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वॉटर साइकिल यानी जल चक्र हमारे पर्यावरण की एक महत्वपूर्ण घटना है जिसमें तीन प्रक्रियाएं होती हैं, इवैपोरेशन (वाष्पीकरण), कंडेनसेशन (संघनन) और प्रेसिपिटेशन (बारिश)। बच्चों को स्कूल में वॉटर साइकिल के बारे में पढ़ाया जाता है। लेकिन अगर आपका बच्चा जिज्ञासु है और आपसे वॉटर साइकिल या पानी के विभिन्न रूपों के बारे में अलग-अलग सवाल पूछता है, तो हमारे पास वह सारी जानकारी है जो आपको उसे एकदम सरल तरीके से समझाने में काम आ सकती है। इसलिए, इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें और अपने बच्चे को समझाएं।
वॉटर साइकिल क्या है?
सूर्य की गर्मी के कारण पृथ्वी पर विभिन्न वॉटर सोर्सेस का पानी वाष्पित हो जाता है यानी भाप बनकर उड़ता है। वाष्प के रूप में पानी फिर एक निश्चित ऊंचाई पर ठंडा होता है और कंडेंस होकर बादल बनाता है। बादल बनने के लिए पानी कंडेनसेशन से इकट्ठा होता रहता है, लेकिन जब बादल में बहुत अधिक पानी जमा हो जाता है, तो बादल भारी हो जाते हैं और फिर पानी बारिश, बर्फ या ओले के रूप में आसमान से गिरना लगता है। पानी तब महासागरों, झीलों या तालाबों में एकत्र हो जाता है। समय के साथ, यह पानी फिर से पूरे चक्र की शुरुआत करते हुए वाष्पित होता है और इस प्रकार वॉटर साइकल यानी जल चक्र की घटना लगातार चलती रहती है।
वॉटर साइकिल में कौन से स्टेप शामिल होते हैं?
बच्चों को वॉटर साइकिल प्रक्रिया को इस तरह से समझाया जा सकता है कि इसके बारे में सीखने में मजा आए। बच्चों के लिए वॉटर साइकिल की जानकारी कलरफुल चित्रों का उपयोग बताई सकती है जो उन्हें कांसेप्ट को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकती है। वॉटर साइकिल में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
1. वाष्पीकरण
इस प्रक्रिया में, सूर्य से निकलने वाली गर्मी के कारण पृथ्वी पर मौजूद पानी (समुद्र, महासागर, नदियाँ, तालाब और झील) वाष्प बनकर आकाश की ओर ऊपर उठ जाता है। जल वाष्प तब बादलों के रूप में जमा हो जाती है।
2. संघनन
जब ये पानी की वाष्प पर्याप्त रूप से ठंडी होने लग जाती है, तो ये पुनः द्रव अवस्था में बदल जाती है। गैसीय रूप से द्रव में बदलने की प्रक्रिया संघनन कहलाती है।
3. वर्षा
वर्षा तब होती है जब जल वाष्प संघनित होकर पानी की छोटी बूंदों में बदल जाती है, जो बारिश, ओलावृष्टि, बर्फ या ओलों के रूप में आसमान से गिरती है।
4. संग्रह
वर्षा के कारण आसमान से गिरने वाला पानी महासागरों, समुद्रों, नदियों, झीलों आदि में इकट्ठा होता है और वही पानी फिर वाष्पित हो जाता है और चक्र जारी रहता है।
वॉटर साइकिल के बारे में अन्य रोचक तथ्य
बच्चों को वॉटर साइकिल के बारे में बताने के लिए कुछ रोचक तथ्य इस प्रकार हैं:
- पौधे भी ट्रांसपिरेशन यानी वाष्पोत्सर्जन के माध्यम से वाष्पीकरण की प्रक्रिया में योगदान करते हैं। पौधे अपनी पत्तियों पर कुछ पानी छोड़ते हैं जो सूर्य की गर्मी के कारण वाष्पित हो जाता है।
- ट्रांसपिरेशन यानी वाष्पोत्सर्जन और इवैपोरेशन (वाष्पीकरण) को मिलकर इवैपोट्रांसपिरेशन यानी वाष्प-वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया कहा जाता है।
- कभी-कभी पानी सीधे ही गैसीय अवस्था में बदल जाता है जैसे बर्फ से पानी में बदले बिना ही वाष्प हो जाना। इस प्रक्रिया को सब्लिमेशन यानी ऊध्र्वपातक कहा जाता है।
- वाष्पीकरण केवल पानी की सतह को ही प्रभावित करता है।
- गर्म पानी ठंडे पानी की तुलना में तेजी से वाष्पित होता है।
- आइस कैप्स और ग्लेशियरों में जमा पानी पृथ्वी पर उपलब्ध पानी का सबसे शुद्ध रूप है।
- कुछ भूजल (जमीन के नीचे का पानी) कभी न कभी समुद्र में पहुंच जाता है और अपने सफर के दौरान वह नमक और मिनरल्स भी साथ ले जाता है जिसके कारण समुद्र का पानी खारा हो जाता है।
- ग्लोबल वार्मिंग ने वॉटर साइकिल को प्रभावित किया है जिससे बारिश वाली जगहों पर और बारिश होने लगी है और शुष्क स्थान और ज्यादा सूखे हो गए हैं।
- पृथ्वी का लगभग 97% पानी खारा है। जबकि पृथ्वी पर 3% पानी ही मीठा है यानी पीने लायक है, जिसमें से 2% आइसकैप्स और ग्लेशियरों के रूप में मौजूद है। इस प्रकार पृथ्वी के जल का केवल 1% ही जीवों के लिए उपलब्ध है।
- वॉटर साइकिल की प्रक्रिया रिवर्सिबल होती है जिसका अर्थ है कि पानी वाष्प में बदल जाता है और वाष्प संघनित होकर फिर से पानी में बदलकर बारिश के रूप में धरती पर गिरती है।
- वॉटर साइकिल एक गोलाकार लूप की तरह है जिसका न तो कोई प्रारंभिक बिंदु है और न ही कोई अंतिम बिंदु।
बच्चों को पर्यावरण से जुड़ी अलग-अलग घटनाओं के बारे जानने के लिए पहले वॉटर साइकिल की प्रक्रिया को पढ़ाने और समझाने की जरूरत है। इससे बच्चों को पानी बचाने के महत्व का एहसास भी हो सकेगा।
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