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हम वयस्क अपने जीवन को जीने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। लेकिन एक बच्चे का जीवन बड़ों से बहुत अलग होता है। उन्हें बस खिलौने चाहिए और साथ में खेलने के लिए एक कंपनी चाहिए होती है। लेकिन हर समय उनके साथ कोई न कोई खेले ऐसा मुमकिन नहीं हो सकता है। कुछ बच्चों के माता-पिता, दोनों वर्किंग होते हैं जिसकी वजह से उनके पास अपने बच्चों के लिए उतना समय नहीं होता है। यही कारण है कि बचपन में सोलिटरी प्ले यानि अकेले खेलने को प्रोत्साहित करना जरूरी हो जाता है। जब आपका बच्चा अपनी ही कंपनी को एन्जॉय करना शुरू कर देता है, तो आप उसे आने वाले जीवन में अपनी लड़ाई अकेले लड़ने के लिए भी तैयार कर सकती हैं।
अकेले खेलना क्या है?
सोलिटरी प्ले या इंडिपेंडेंट प्ले आपने सुना होगा। इसका मतलब होता है, अपने आप में अकेले खेलना। वैसे तो बच्चे उसी समय खेलना शुरू कर देते हैं जैसे ही उनको कोई वस्तु दिखाई देती है और उनका ध्यान उसी चीज पर जाता है। जब भी बच्चे को कोई ऐसी वस्तु दी जाती है जो उसे हैरान करती है, तो वह आमतौर पर उसे सोचने और समझने में काफी समय व्यतीत करता है कि आखिर वह क्या है।
अकेले खेलने से बच्चे के इंडिपेंडेंट यानी आत्मनिर्भर होने की शुरुआत होती है और इससे सामाजिक मेलजोल की तरफ कदम बढ़ते हैं। जब एक बच्चा अपनी कंपनी को एन्जॉय करना सीख लेता है, तो उसे किसी पर निर्भर होने की जरूरत नहीं होती है और वह अपने ही काम से क्रिएटिव चीजें करना भी सीखता है। हालांकि, अपने बच्चे को अकेला छोड़ने में सक्षम होने के लिए; पेरेंट्स को बहुत सारा धैर्य और तरकीबों को दिमाग में रखने की जरूरत होनी चाहिए।
अकेले खेलने के लिए बच्चों की उम्र
बच्चों में उनके अकेले खेलने की उम्र तब ही शुरू हो जाती है जब वे चीजों को साफ तरीके से देखना शुरू कर देते हैं। लेकिन कुछ विशेषज्ञों का कहना इससे थोड़ा अलग है। उनका मानना है कि 6–8 महीने तक पहुंचने के बाद ही एक बच्चे को अकेले खेलने में शामिल होना चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि, इस समय तक 6-8 महीने का बच्चा अपने आप बैठकर वस्तुओं को पकड़ सकता है।
अकेले खेलने के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
आपके बच्चे को अकेले खेलने के लिए प्रोत्साहित करने के कई तरीके हैं। जिसमें से कुछ यहां बताए गए हैं:
1. ओपन एंडेड खिलौने
बच्चे चीजों को एक्सप्लोर करना पसंद करते हैं। अपने भोले स्वभाव के कारण, बच्चे अपने हाथ में आने वाली हर चीज को तलाशना चाहते हैं। और, यदि आप एक ओपन-एंडेड टॉय उसके लिए चुन रही हैं, तो बच्चा बिना इधर-उधर देखे लंबे समय के लिए इसके साथ खेलने में डूबा रहेगा। अगर एक ही वस्तु के साथ अलग-अलग तरीकों से खेलने का विकल्प होता है, तो बच्चे इसे और भी पसंद करते हैं।
2. चीजों को सेट करें
यदि आप एक मजेदार तरीके से अलग-अलग खिलौनों को साथ में रखें, तो बच्चा इसमें तुरंत शामिल हो जाता है। यह बिलकुल वैसा है जैसे अलग अलग चीजों से स्टोरी सेटिंग और कुछ रोचक और मजेदार बनाना।
3. कल्पनाशील खेल
बच्चों को ऐसे गेम्स खेलना पसंद होता है जहां उन्हें अपने दिमाग के सेल्स को एक्टिव करना पड़े ताकि चीजें चीजें काम कर सकें। जैसे ब्लॉक बनाना या खिलौने की चाबी लगाना ताकि वह नाच सके, यह उनके लिए एक दिलचस्प काम होगा।
बच्चों के लिए अकेले खेलने के फायदे
टॉडलर्स में अकेले खेलने को प्रोत्साहित करने के बहुत सारे फायदे हैं:
1. खुद के साथ खुश रहना
जब आप अपने बच्चों को बिना किसी सहारे के अकेले खेलने देती हैं, तो आप उन्हें कल्पनाशील तरीके से मस्ती करने का मौका भी देती हैं। यह, बदले में, जीवन में आगे चलकर उनको मौज-मस्ती और खुशी के लिए किसी पर निर्भर न रहना सिखाता है।
2. कल्पना करने की कला उभरना
जब तक आप उन्हें अकेला नहीं छोड़ेंगी, तब तक आपको एहसास नहीं होगा कि आपका बच्चा कितना कल्पनाशील है। लेकिन जब आप ऐसा करेंगी तो आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वह चीजों को कैसे देखता है और उनके साथ बिना किसी परेशानी के खेल सकता है।
3. सामाजिक रूप से स्वतंत्र बनना
जीवन में आपको अपना हीरो खुद बनना होता है और आपका बच्चा जितनी जल्दी इसे समझ ले, उतना उसके लिए अच्छा है। अकेले खेलना बच्चों को यह सिखाने में मदद करता है कि अपनी खुद की कंपनी का मजा कैसे लिया जाए। बाद में वे किसी भी चीज के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे, चाहे स्थिति कैसी भी हो।
4. स्कूल के लिए तैयार करना
जब आप अपने बच्चे को अकेले खेलने के लिए छोड़ देती हैं, तो आप उसे अप्रत्यक्ष रूप से स्कूल के लिए तैयार कर रही होती हैं। आप हमेशा अपने बच्चे के पक्ष में नहीं हो सकती और यह एक सच्चाई है। बच्चे आमतौर पर जब स्कूल जाना शुरू करते हैं तो रोते हैं क्योंकि वे आपको छोड़ना नहीं चाहते हैं। लेकिन जब आप उन्हें सिखाती हैं कि उनकी अपनी कंपनी में कैसे खुश रहना है, तो वे खुशी-खुशी सीखने के नए स्टेज में कदम रखेंगे, वो भी आपके बिना।
5. समस्या हल करना सीखना
बच्चे हर चीज के लिए हम पर निर्भर होते हैं। वे इस सच को जानते हैं कि आप हमेशा उनके लिए मौजूद हैं। अपने बच्चों को खेलने के लिए अकेला छोड़ना उन्हें अकेले रहने और खुद से प्यार करने का महत्व सिखाता है। इसके अलावा, वे समस्या हल करने वाले बन जाएंगे और जीवन में आगे हर स्टेज में आने वाली किसी भी स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता ढूंढ लेंगे।
6. आपको ब्रेक मिलता है
हर कोई इस बात से वाकिफ है कि बच्चों को संभालना चुनौतियों से भरा काम है। डायपर बदलने से लेकर उनका पहला कदम चलने में मदद करने तक, माता-पिता वह सब कुछ करते हैं जिसकी जरूरत होती है। बच्चे को स्वतंत्र होकर खेलने के लिए प्रोत्साहित करके, आप खुद की भी मदद करती हैं। जब आपका छोटा बच्चा खेलने में व्यस्त हो तो आप अपने लिए कुछ समय निकाल सकती है और उसका मजा ले सकती हैं।
बच्चों को अकेले खेलने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें?
ऐसे कई तरीके हैं जिनका पालन करके आप बच्चों को अकेले खेलने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं। वे तरीके क्या हैं, जानने के लिए आगे पढ़ें।
1. सही खिलौने दें
बच्चे हर वो चीज पसंद करते हैं जो अलग होती है और उन्हें देखकर उन्हें आश्चर्य होता है। उन्हें बिल्डिंग ब्लॉक्स या क्ले जैसे नए खिलौने दें, जिनके साथ वे प्रयोग कर सकें। आप अपने बच्चे को लेगो पीस या पहेलियों वाले क्यूबलेट भी खरीद कर दे सकती हैं जिन्हें वे हल कर सकें।
2. बच्चे को स्पेस दें
अपने बच्चे को समझने और चीजों को करने के लिए उनको एकांत में थोड़ा समय देना फायदेमंद साबित होगा। एक बच्चे को उसका स्पेस और अपनी चीजें करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। जिस क्षण आप उन पर कुछ भी जबरदस्ती करने का दबाव देती हैं, वे अधिक निर्भर हो जाते हैं।
3. बच्चे की जरूरतों को समझें
कुछ बच्चे अकेले खेलने में तुरंत सहज हो जाते हैं जबकि कुछ अकेले में अपनी खुशी ढूंढने ले लिए समय लेते हैं। आपको अपने बच्चे के मन की बात और उसकी पर्सनल जरूरतों को समझने की जरूरत है, न कि उन्हें किसी ऐसी चीज में डालने की जो उन्हें पसंद नहीं है।
4. एक खुली जगह दें
अपने बच्चों को खेलने के लिए सही जगह देना जरूरी है। उन्हें पर्याप्त और सुरक्षित जगह दें। आप उन्हें प्ले स्पेस डिजाइन का भी का दे सकती हैं।
5. हस्तक्षेप न करें
अपने बच्चों को बिना किसी रुकावट के खेलने देना काफी हद तक उत्साहजनक होता है। यहां तक कि इस दौरान किसी प्रशंसा या सुझाव को भी प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे उसकी रूचि और लय बिगड़ सकती है।
6. सब स्वाभाविक तौर पर होने दें
अपने बच्चे को अकेले खेलने के लिए मजबूर न करें। चाहे वह 6 महीने का हो या 3 साल का, अकेले खेलना पसंद करता हो या न हो, इसे स्वाभाविक तरीके से होने देना सबसे अच्छा विकल्प होगा। उसे यह न बताएं कि क्या करना है और क्या नहीं। ऐसे शब्द इस्तेमाल करें जो प्यार और प्रोत्साहन से भरे हों। केवल प्ले टाइम पर नजर और नियंत्रण रखें, इतना ही काफी है।
अकेले खेलने से जुड़े हर पहलू को देखते हुए अब आपको पता चल गया होगा कि कब, क्यों और कैसे अपने बच्चे को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए। हालांकि, याद रखें कि उसे कभी भी लंबे समय तक अकेला न छोड़ें और उसके खेलने के माहौल को हमेशा सुरक्षित बनाए रखें। आप उसके खेलने के समय पर नजर रखने के लिए आसपास सीसीटीवी कैमरे भी लगा सकती हैं ताकि आप यह भी जान सकें कि बच्चा क्या कर रहा है।
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