In this Article
- बच्चों के लिए मछली के फायदे
- बच्चों को मछली कब से देना शुरू करें?
- बच्चे को मछली खिलाना कैसे शुरू करें?
- बच्चे को मछली खिलाना शुरू करने से पहले कुछ सावधानियां बरतें
- बच्चों के लिए कौन सी मछली सुरक्षित है?
- बच्चों को किस प्रकार की मछलियां न दें
- बच्चों को मछली खिलाने के साइड इफेक्ट्स
- बच्चों को मछली से एलर्जी होने के लक्षण
- बच्चों के लिए मछली की स्वादिष्ट रेसिपी
मछली में बहुत प्रोटीन होता है और यह मांसहारी खाद्य पदार्थों में प्रोटीन का सबसे बेहतरीन और हेल्दी स्रोत है। यदि आप नॉन-वेज खाती हैं तो आपके बच्चे के आहार में इस स्ववास्थ्यप्रद खाद्य पदार्थ को जरूर शामिल करें पर ऐसा करने से पहले आपको खोजना होगा कि आपके बच्चे के लिए कौन सी मछली सबसे बेहतरीन है।
बच्चों के लिए मछली के फायदे
आपके बच्चे के स्वास्थ्य व विकास के लिए मछली निम्नलिखित कारणों से सबसे बेहतरीन खाद्य पदार्थ है, आइए जानते हैं;
- मछली में बहुत प्रोटीन होता है।
- यह खाद्य पदार्थ ओमेगा-3 एसिड से भरपूर होता है इसलिए आपके बच्चे के मानसिक विकास के लिए इसे चुनना महत्वपूर्ण है।
- मछली खाने से हार्ट का स्वास्थ्य ठीक रहता है।
- यह खाद्य पदार्थ आँखों के विकास और स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहतर है।
- मछली में उच्च मात्रा में फैट-सोल्युबल विटामिन भी होते हैं, जैसे विटामिन ‘ए’, ‘डी’, ‘ई’ और ‘के’ ।
बच्चों को मछली कब से देना शुरू करें?
एक बच्चे को मछली देना सॉलिड फूड देने के बराबर होता है। यद्यपि 6 महीने से अधिक उम्र के बच्चे को थोड़ी मात्रा में कुछ प्रकार की मछली खिलाई जा सकती है। पर ऐसा करने से पहले यह देखना जरूरी है कि आपके बच्चे को मछली से एलर्जी न हो। यदि बच्चे को मछली से एलर्जी है तो उसे यह खिलाने के लिए लगभग 8 महीने तक रुकें क्योंकि तब तक बच्चे में एलर्जी का प्रभाव कम हो सकता है या आप इस बारे में डॉक्टर से भी बात कर सकती हैं। यदि आप अपने बच्चे को सीरियल या घर पर बने अन्य खाद्य पदार्थ खिलाती हैं जिससे बच्चे को कोई भी समस्या नहीं है तो उसे मछली खिलाने में भी कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। किसी भी स्थिति में बच्चे को मछली खिलाने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें और यदि परिवार में पहले किसी को भोजन से एलर्जी हुई है तो इस बारे में भी डॉक्टर को बताएं।
बच्चे को मछली खिलाना कैसे शुरू करें?
बच्चे को कोई भी नया खाद्य पदार्थ खिलाते समय पूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है और साथ ही यह सुनिश्चित करना भी जरूरी है कि वह ठोस आहार अच्छी तरह से खा पा रहा है या नहीं। बच्चे को अलग-अलग तरह की मछली एक साथ खिलाना शुरू न करें। इसके बजाय उसे एक प्रकार की मछली का व्यंजन बनाकर खिलाएं और देखें कि आपका बच्चा इसे खा पा रहा है या नहीं। यदि कोई समस्या नहीं होती है तो फिर आप उसे एक-एक करके अन्य प्रकार की मछली भी खिला सकती हैं। बच्चे के पाचन के लिए स्टीम की हुई मछली बेहतरीन होती है और इसलिए मछली खाने का यह तरीका बहुत अच्छा माना जाता है। आप मछली के कांटे निकाल कर इसे शैलो फ्राई या बेक भी कर सकती हैं और फिर इसकी प्यूरी बनाकर अपने बच्चे के नियमित आहार में शामिल करें। इसके अलावा आप मछली को हल्दी में मैरीनेट करके फ्राई भी कर सकती हैं और फिर इसके कांटे निकाल कर अपने बच्चे को खिलाएं।
बच्चे को मछली खिलाना शुरू करने से पहले कुछ सावधानियां बरतें
बच्चे को मछली खिलाना शुरू करते समय निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है, आइए जानते हैं;
- ध्यान रखें मछली पकाने से पहले यह पूरी तरह से साफ की जानी चाहिए।
- बच्चे को ऐसी मछली बिलकुल भी न खिलाएं जिसमें अत्यधिक मात्रा में मरक्युरी होता है।
- सुनिश्चित करें कि आप अपने बच्चे को सिर्फ ताजी मछली ही खिलाती हैं।
- बच्चों को रॉ फिश की रेसिपी नहीं खिलानी चाहिए, जैसे सुशी।
बच्चों के लिए कौन सी मछली सुरक्षित है?
बच्चों के लिए वह मछली ही सर्वोत्तम है जिसमें ज्यादा प्रोटीन और कम मरक्युरी होने के साथ-साथ वह आकार में बड़ी होती है। बड़ी मछली का मतलब है उसमें कांटे भी बड़े होंगे और इससे आपके बच्चे के गले में कांटे फसने का खतरा भी कम होता है। बच्चों के आहार में निम्नलिखित मछलियां शामिल करना बेहतर हो सकता है, आइए जानें;
1. सार्डिन
इसे आम भाषा में तरली या पेड़वे कहा जाता है, इस मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रोटीन, विटामिन डी और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसमें विटामिन ‘डी’ काफी मात्रा में होने के कारण यह शरीर में कैल्शियम और फॉस्फोरस को अब्सॉर्ब करता है और हड्डियों को मजबूत बनाता है।
2. पॉम्फ्रेट
इस मछली में विटामिन ‘ए’, ‘बी3’, ‘बी12’, ‘ई’ और नियासिन प्रचुर मात्रा में होता है जो अच्छी त्वचा और पाचन तंत्र को ठीक करने के लिए बेहतरीन है। पॉम्फ्रेट में मरक्युरी की मात्रा बहुत कम होती है।
3. सामन (सैल्मन)
भारत में यह मछली रावस के नाम से उपलब्ध है और यह बच्चों के आहार में सबसे सुरक्षित खाद्य पदार्थ है। रावस में मरक्युरी की मात्रा बहुत कम होती है और इससे एलर्जी होने की संभावना भी बहुत कम होती है, ये गुण इसे बच्चे के आहार के लिए बेहतरीन बनाते हैं।
बच्चों को किस प्रकार की मछलियां न दें
बच्चों के आहार में निम्नलिखित प्रकार की मछलियां नहीं देनी चाहिए, आइए जानते हैं;
- मैकेरल: आम भाषा में इसे बांगड़ा कहा जाता है। इस मछली में मरक्युरी की मात्रा अधिक होती है इसलिए बच्चों और गर्भवती महिलाओं को यह खाने की सलाह नहीं दी जाती है।
- शेलफिश: मछलियों के इस प्रकार में केकड़े (क्रैब), श्रिम्प और प्रॉन्स आते हैं। यद्यपि इनमें मरक्युरी की मात्रा कम होती है पर शेलफिश से बच्चों को एलर्जी हो सकती है और इसलिए जब तक आपका बच्चा 1 वर्ष से अधिक का न हो जाए, उसे शेलफिश बिलकुल भी न दें।
बच्चों को मछली खिलाने के साइड इफेक्ट्स
बच्चों के आहार में मछली शामिल करने से पहले इससे होने वाले दुष्प्रभावों को जानना भी जरूरी है, वे इस प्रकार हैं;
- जैसा कि पहले बताया गया है कि कई मछलियों में मरक्युरी की मात्रा अधिक होती है। यह बच्चों के तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) के विकास को प्रभावित करता है।
- यदि मछलियों को लंबे समय के लिए खाया जाता है तो इसमें मौजूद मरक्युरी की मात्रा बच्चों की किडनी और त्वचा को प्रभावित करती है।
- शेलफिश में मिथाइल-मरक्युरी और अन्य हानिकारक केमिकल अधिक मात्रा में होते हैं जो बच्चों के पूरे विकास को प्रभावित करते हैं।
बच्चों को मछली से एलर्जी होने के लक्षण
जब आप अपने बच्चे को पहली बार मछली खिलाती हैं तो आपको निम्नलिखित लक्षणों पर ध्यान देने की आवश्यकता है, आइए जानते हैं;
- बच्चों की त्वचा में रैशेज या खरोंच के निशान हो सकते हैं
- बच्चों के चेहरे और जीभ में सूजन हो सकती है
- बच्चों को उल्टी या डायरिया होना
- बच्चों को सांस लेने में समस्या होना
- बच्चों का खांसना या घुरघुराना
बच्चों के लिए मछली की स्वादिष्ट रेसिपी
आप अपने बच्चे के लिए मछली की निम्नलिखित स्वादिष्ट रेसिपी बना सकती हैं, आइए जानते हैं;
1. मछली की प्यूरी
सामग्री
- मछली (कांटे निकाले हुए)
- काली मिर्च या जीरा पाउडर
विधि
- एक पैन में मछली के टुकड़े रखें, उसमें पानी मिलाएं और मछली के सफेद होने तक स्टीम करें।
- हो जाने के बाद मछली को पैन से निकालें और उसमें एक चुटकी काली मिर्च या जीरा पाउडर मिलाएं।
- अंत में इसका पेस्ट बनाने के लिए अच्छी तरह से मैश करें या ब्लेंडर में ब्लेंड करें और सर्व करें।
2. मछली और गाजर की प्यूरी
सामग्री
- ½ कप मछली (कांटे निकाले हुए)
- 1 गाजर (कटी हुई)
- जीरा पाउडर या काली मिर्च
विधि
- कांटे निकाली हुई मछली और कटी हुई गाजर को पकने व मुलायम होने तक स्टीम करें।
- अब मिश्रण को ब्लेंडर में डालकर प्यूरी बनने तक ब्लेंड करें।
- अंत में एक चुटकी जीरा और काली मिर्च डालकर, सर्व करें।
मछली में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में होने के कारण इसे बच्चों के विकास के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। खयाल रखें इसका उपयोग बहुत ज्यादा संयमित मात्रा में होना चाहिए। अपने बच्चे को मछली खिलाने से पहले उसमें मौजूद मरक्युरी की मात्रा जरूर जांच लें, यह आपके लिए फायदेमंद होगा।
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