क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध पीने से मिल्क प्रोडक्शन बढ़ता है?

क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध पीने से मिल्क प्रोडक्शन बढ़ता है?

पहली बार माँ बनना अपने आप में ही बहुत अलग अनुभव होता है। आपका जीवन एक नया मोड़ ले लेता है और आपको इस जीवन का पहले से कोई भी अंदाजा नहीं होता है। आपका परिवार, करीबी दोस्त, पति, डॉक्टर और यहाँ तक ​​कि अजनबी भी आपको सलाह देने के लिए मौजूद रहेंगे। कॉमन प्रॉब्लम जो नई मांओं को अक्सर परेशान करती है वह है ब्रेस्टफीडिंग और मिल्क प्रोडक्शन। बच्चे के ग्रोथ और डेवलपमेंट में माँ का दूध बहुत जरूरी होता है। इसके अलावा, कई प्रकार के स्वादों का पहला परिचय बच्चे को उसकी माँ के दूध से प्राप्त होता है, जो तरह तरह-तरह की डाइट लेती है। 

ब्रेस्ट मिल्क बहुत सारे फैक्टर से प्रभावित होता है, जिसमें से कुछ तो जेनेटिक होते हैं और कुछ फैक्टर एनवायरमेंट पर निर्भर करते हैं। इसके कुछ कॉम्पोनेंट लगातार मौजूद रहते हैं, जबकि अन्य कॉम्पोनेंट मां की डाइट पर निर्भर करते हैं। जैसे रिसर्च से पता चला है कि गाय के दूध का सेवन करने से ब्रेस्ट मिल्क में मौजूद फैट की मात्रा में बदलाव नहीं होता है, लेकिन फैट के टाइप पर इसका प्रभाव पड़ता है। किसी भी मामले में, आपके ब्रेस्ट मिल्क द्वारा मिलने वाली एनर्जी या कैलोरी में कोई भारी बदलाव नहीं होता है। बल्कि यह आपके बच्चे को फीड करने में मदद करता है। इस तरह, माँ के दूध से बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए उन्हें वो सभी न्यूट्रिएंट प्रदान करता है, जो उनके लिए जरूरी है। इसलिए ज्यादातर माएं ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान दूध पीती हैं। लेकिन, अगर आप सोच रही हैं कि आपको ब्रेस्टफीडिंग करते समय दूध पीना चाहिए या नहीं, तो ब्रेस्टफीडिंग के दौरान दूध पीने के महत्व और आपके मिल्क प्रोडक्शन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है यह समझने के लिए लेख को पढ़ना जारी रखें।

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँ को कितना दूध पीना चाहिए? 

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को हर दिन 2.25 से 3.1 लीटर फ्लूइड की आवश्यकता होती है, जो लगभग 9 से 13 कप के बीच होता है। यह आपके मेटाबॉलिज्म, एक्टिविटी लेवल के आधार पर भिन्न हो सकता है। यह फ्लूइड किसी भी रूप में लिया जा सकता है – पानी, दूध, जूस, या अन्य हेल्दी ड्रिंक। इसके अलावा, सोडा, कॉफी और अल्कोहल जैसे पेय से बचा जाना चाहिए क्योंकि वे कॉम्प्लिकेशन पैदा कर सकते हैं

जब दूध की मात्रा की बात आती है, तो सबसे पहला नियम यह है कि आपको इतनी मात्रा में इसका सेवन करना ही चाहिए जितने में आपकी प्यास बुझ सके। ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान नई माओं को बहुत ज्यादा प्यास लगती है, खासकर अगर बच्चा नवजात है। यदि आपके पेशाब का रंग हल्का है, तो इसका मतलब है कि आप पर्याप्त मात्रा में फ्लूइड ले रही हैं। बहुत से लोग मानते हैं कि हर्बल चाय, एक्सट्रेक्ट और अन्य नेचुरल प्रोडक्ट मिल्क सिंथेसिस को उत्तेजित करने में मदद करते हैं। हालांकि, दूध उत्पादन बढ़ाने का एकमात्र तरीका यह है कि बच्चे को दूध पिलाते समय पूरी तरह से ब्रेस्ट खाली हो जाएं, जिससे मिल्क डक्ट ज्यादा दूध प्रोड्यूस करते हैं। इसके अलावा, ये हर्बल मिश्रण आप और आपके बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकते हैं, इसलिए इनका उपयोग सीमित मात्रा में और सावधानी के साथ होना चाहिए।

कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के लिए डाइट में शामिल किए जाने वाले अन्य खाद्य पदार्थ

कैल्शियम एक अहम न्यूट्रिएंट है, जिसकी आवश्यकता पृथ्वी पर हर एक जीव को होती है। मानव शरीर में, कैल्शियम दांतों और हड्डियों के संश्लेषण और संरक्षण में महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यह अपने आयनिक फॉर्म में सेल्स के भीतर और साथ ही विभिन्न सेल्स के बीच सिग्नल ट्रांसडक्शन के साधन के रूप में उपयोग किया जाता है। कैल्शियम एक केमिकल मेसेंजर के रूप में भी जुड़ा हुआ है, जो मांसपेशियों के संकुचन और रिलैक्सेशन को संचालित करता है। अन्य फंक्शन में नर्व सिग्नल को ट्रांसपोर्ट करना, ब्लड क्लॉट, स्पर्म द्वारा एग सेल्स के फर्टिलाइजेशन को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं।

हालांकि, ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माओं के लिए गाय का दूध आवश्यक कैल्शियम प्राप्त करने का एकमात्र ऑप्शन नहीं है। यहाँ कुछ कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ दिए गए हैं जिनका सेवन आप अपने ब्रेस्ट मिल्क में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाने के लिए कर सकती हैं:

  • पत्तेदार हरी सब्जियां जैसे चुकंदर का साग, केल और कोलार्ड ग्रीन्स।
  • तिल के बीज, जिनका सेवन तिल के मक्खन, तिल के पेस्ट के रूप में या साबुत तौर पर भी किया जा सकता है। इन बीजों को ठीक से चबाया जाना चाहिए, ताकि डाइजेस्टिव सिस्टम इनमें मौजूद कैल्शियम को अच्छी तरह से अब्सॉर्ब कर सके।
  • टोफू, जो सोयाबीन से कैल्शियम सल्फेट और कैल्शियम क्लोराइड जैसे कौयगुलांट्स की मदद से तैयार किया जाता है।
  • ब्रेस्टफीडिंग कराते समय बकरी या भेड़ का दूध पीना एक अच्छा ऑप्शन है।
  • मछली, विशेष रूप से डिब्बाबंद मैकेरल, सार्डिन, पिलचार्ड्स और सामन। इनमें हड्डियां होती हैं जो प्रोसेसिंग के दौरान सॉफ्ट हो जाती हैं, जिससे उन्हें खाने में आसानी होती है। एन्कोवी से बना पेस्ट भी कैल्शियम से भरपूर होता है और इसे आप अपने भोजन के साथ खा सकती हैं।
  • होल ग्रेन्स, जैसे ब्राउन राइस, क्विनोआ, ओट्स आदि।
  • चिकन शोरबा, जिसमें मांस को लंबे समय तक उबाला जाता है, जिससे हड्डियां सॉफ्ट हो जाती हैं।
  • अखरोट, बादाम, हेजलनट्स, सूखे अंजीर आदि जैसे मेवे। इसमें कैलोरी की मात्रा काफी ज्यादा होती है इसलिए इनका बहुत ज्यादा सेवन करने से बचें।
  • कुछ प्रकार के समुद्री पौधे या शैवाल, उदाहरण के लिए, वकामे, कैल्शियम से भरपूर होते हैं।
  • मिसो और सोया सॉस जैसी फर्मेंट चीजों को अपने आहार में शामिल किया जा सकता है।
  • चीज़, पनीर, बटर और दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट में भी थोड़ी मात्रा में कैल्शियम होता है।
  • फलियां जैसे कि दाल, छोले, बीन्स, आदि।
  • गुड़, जैसा नेचुरल स्वीटनर जो गन्ने को रिफाइन कर के बनाया जाता है।
  • अंडा, जो उबला हुआ या पका हुआ होना चाहिए।
  • खट्टे फल जैसे अंगूर, संतरा, नींबू, मौसंबी, चकोतरा, आदि।
  • अमरंथ, एक अत्यधिक पौष्टिक स्यूडोसीरियल, कैल्शियम के अलावा मैंगनीज, मैग्नीशियम और आयरन प्रदान करता है।

कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के लिए डाइट में शामिल किए जाने वाले अन्य खाद्य पदार्थ

इस बात का कोई सबूत नहीं है कि दूध या डेयरी प्रोडक्ट का सेवन करने से ब्रेस्ट में दूध का प्रोडक्शन बेहतर होता है। हालांकि, दूध पीने से ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माओं के लिए बहुत सारे फायदे होते हैं और इसे उनकी डाइट में शामिल किया जाना चाहिए, बशर्ते यह आप और आपके बच्चे में एलर्जी का कारण न हो।

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