In this Article
- क्या डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होना नॉर्मल है?
- डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होने का क्या कारण है?
- डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग के लक्षण
- ब्लड क्लॉटिंग का निदान कैसे किया जाता है?
- डिलीवरी के बाद होने वाली ब्लड क्लॉटिंग का इलाज कैसे करें
- आपको डॉक्टर से कब परामर्श करना चाहिए
- क्या सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होने का खतरा अधिक होता है?
- क्या आप बच्चे के होने के बाद ब्लड क्लॉटिंग रोक सकती हैं?
- डिलीवरी के बाद हैवी ब्लड फ्लो को कम करने के टिप्स
डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होना नॉर्मल है, खासकर सीजेरियन डिलीवरी के बाद। डिलीवरी के बाद, यदि ब्लड योनि से नहीं निकलता है, तो इससे क्लॉटिंग होने लगती है। कभी-कभी, ये क्लॉटिंग बड़ी मात्रा में हो सकती है, जो चिंता का कारण बन जाता है। डिलीवरी के बाद 6-8 सप्ताह तक महिलाओं में थ्रोम्बोएम्बोलिक डिसऑर्डर (ब्लड के थक्कों के विकसित होने का खतरा) होता है। यदि इसे बिना इलाज किए छोड़ दिया जाता है, तो यह घातक साबित हो सकता है, यही कारण है कि आपको इसके बारे में ठीक से जानकारी होना चाहिए। जानिए कि इसके होने के कारण और लक्षण क्या हैं, इसका उपचार कैसे किया जा सकता है। अधिक जानने के लिए पढ़ना जारी रहे।
क्या डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होना नॉर्मल है?
डिलीवरी के बाद गर्भाशय सिकुड़ता है और इसकी लाइनिंग भी खून के जरिए निकल जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान, महिलाओं को ब्लीडिंग का अनुभव होता है और कुछ लोगों को ब्लड क्लॉटिंग होने लगती है। हालांकि, आपको होने वाली ब्लड क्लॉटिंग के साइज और यह कितनी बार पास हो रहा है इसकी जांच करनी चाहिए। बार-बार और ज्यादा मात्रा में ब्लड क्लॉटिंग का होना खतरे का कारण बन सकता है, इसलिए इसका इलाज तुरंत कराना चाहिए।
डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होने का क्या कारण है?
डिलीवरी के बाद, महिलाओं को आमतौर पर हैवी ब्लीडिंग का अनुभव होता है, जिसे लोकिया कहा जाता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शरीर अतिरिक्त म्यूकस, प्लेसेंटा टिश्यू और ब्लड को योनि के रास्ते से बाहर करता है। उस समय, ब्लड क्लॉटिंग से रोकने के लिए, शरीर स्वाभाविक रूप से एंटी-कोगुलंट्स का उत्पादन करता है। हालांकि, जब हेवी ब्लीडिंग होती है, तो हमारा शरीर एंटी-कोगुलेंट्स को समय पर प्रोडूस करने में असमर्थ होता है, जिसकी वजह से ब्लड क्लॉटिंग शुरू हो जाती है।
डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग के लक्षण
वैसे डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होना कुछ महिलाओं के लिए नॉर्मल होता है, लेकिन यह आपकी हेल्थ के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। आपको नीचे डिलीवरी के बाद होने वली ब्लड क्लॉटिंग के कुछ लक्षण बताए गए हैं, जिससे आप इसे पहचान सकती हैं और समय पर उपचार ले सकती हैं।
1. बुखार
बच्चे को जन्म देने के बाद ठंड के साथ 100.4° फारेनहाइट या उससे अधिक तापमान होना आपके शरीर में ब्लड क्लॉटिंग का संकेत हो सकता है।
2. त्वचा का रंग बदलना
चूंकि ब्लड क्लॉटिंग से नसों में ब्लडफ्लो प्रभावित होता है, इसलिए व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन सप्लाई कम होने लगती है और इस वजह से उसका रंग पीला और फिर बाद में नीला पड़ने लगता है।
3. दर्द
जिस क्षेत्र में ब्लड क्लॉटिंग हुई है, उसमें आपको दर्द महसूस हो सकता है। इसे हल्के से छूने पर भी आपको दर्द होगा। यदि क्लॉट फेफड़ों में चला गया है, तो व्यक्ति को छाती में भारीपन और दर्द का अनुभव हो सकता है।
4. सूजन
नसों पर ब्लड क्लॉटिंग द्वारा पड़ने वाले प्रेशर के कारण ब्लड क्लॉटिंग के क्षेत्र में सूजन हो सकती है और यह लाल पड़ सकता है। इससे प्रेशर बनता है और आसपास के टिश्यू को प्रभावित करता है। आप सूजन वाले क्षेत्र में नंबनेस यानी सुन्नपन और गर्मी महसूस कर सकती हैं।
5. खांसी
अगर ब्लड क्लॉट फेफड़ों में चला जाए, तो इससे आपको गंभीर रूप से खांसी की समस्या हो सकती है, जिससे आपको गुलाबी रंग का म्यूकस दिखाई दे सकता है।
6. सांस लेने में तकलीफ
यदि आपको ब्लड क्लॉटिंग हो रही हो, तो आपको सांस लेने में भी तकलीफ भी हो सकती है। आपके दिल की धड़कन तेज हो जाएगी और आप अपना होश खो सकती हैं।
ब्लड क्लॉटिंग के सामान्य लक्षण
दिन / सप्ताह | खून का रंग | ब्लड डिस्चार्ज /ब्लड क्लॉटिंग का प्रमाण |
दिन 1 | भूरा लाल या गहरा लाल | बहुत ज्यादा हैवी ब्लड फ्लो या कभी-कभी टमाटर और अंगूर के साइज की ब्लड क्लॉटिंग होना |
दिन 2 – 6 | हल्का लाल, गुलाबी या गहरे भूरे रंग का | ब्लड फ्लो कम हो जाता है और निकलने वाले क्लॉट्स का साइज छोटा होता है |
दिन 7 – 10 | रंग में कोई खास परिवर्तन नहीं होता है, हालांकि, यह हल्का हो सकता है | ब्लड फ्लो बहुत कम होता है |
दिन 11 – 14 | ब्लड का रंग बहुत हल्का हो सकता है। अगर बहुत ज्यादा एक्टिविटी की गई तो, ऐसे मामले में, रंग नॉर्मल से थोड़ा अधिक ब्राइट हो सकता है | शायद ही कोई ब्लड फ्लो हो |
तीसरा और चौथा सप्ताह | यदि ब्लीडिंग अभी भी लगातार जारी है, तो इसका रंग हल्का होगा – क्रीमी सफेद | ब्लड फ्लो रुक जाएगा। हालांकि, इस पीरियड के बाद आपका मासिक धर्म फिर से शुरू हो सकता है। |
छठे सप्ताह के आसपास | ब्लड का रंग भूरा, हल्का लाल या क्रीमी रंग लिए पीला हो सकता है | इस दौरान ब्लड फ्लो कभी-कभार होगा और नैपकिन पर हल्का दाग दिखाई देगा। |
टेबल सोर्स: http://www.uhs.nhs.uk/Media/Controlleddocuments/Patientinformation/Pregnancyandbirth/Blood-loss-what-to-expect-after-the-birth-of-your-baby-patient-information.pdf
असामान्य रूप से ब्लड क्लॉटिंग के लक्षण
यहाँ आपको ब्लड क्लॉटिंग के कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताया गया है, जो असामान्य माने जाते हैं।
- डिलीवरी के बाद बहुत ज्यादा और हैवी ब्लीडिंग होना ।
- हल्का-हल्का सिर घूमना, चक्कर आना और मतली लगना।
- एक गोल्फ की गेंद के साइज जितना बड़े आकार का ब्लड क्लॉट पास होना।
- गंभीर सिरदर्द के कारण नॉर्मली काम करने में असमर्थ होना।
- हिलने, खड़े होने या बैठने के दौरान दर्द।
ब्लड क्लॉटिंग का निदान कैसे किया जाता है?
डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) और पल्मोनरी एम्बोलिज्म का निदान करने के लिए नीचे आपको कई टेस्ट की लिस्ट दी गई है।
- यदि डॉक्टर को ब्लड क्लॉटिंग होने का संदेह है, तो वह डीप वेन थ्रोम्बोसिस की जांच करने के लिए अल्ट्रासोनोग्राफी का सुझाव दे सकते हैं।
- डॉक्टर डी-डाइमर काउंट की जांच करने के लिए ब्लड टेस्ट के लिए भी कह सकते हैं, यह वो पदार्थ जो ब्लड क्लॉट के साथ रिलीज होता है।
- पल्मोनरी एम्बोलिज्म का पता लगाने के लिए छाती का सीटी स्कैन (कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन) किया जाता है।
डिलीवरी के बाद होने वाली ब्लड क्लॉटिंग का इलाज कैसे करें
डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग का फौरन उपचार करना जरूरी होता है, क्योंकि ब्लड क्लॉटिंग से शरीर में ब्लडफ्लो प्रभावित होता है, जो आपके लिए घातक साबित हो सकता है। नीचे आपको ऐसे तरीके के बारे में बताया गया है, जो ब्लड क्लॉटिंग का इलाज करने में मदद कर सकते हैं।
- जो ब्लड क्लॉट दिखाई दे रहे हैं उसका इलाज करने के लिए आप गर्म सिकाई, कम्प्रेशन बैंडेज का इस्तेमाल कर सकती हैं अगर ब्लड क्लॉट अंगों में हो गया हो तो।
- डॉक्टर यूटरस को कॉन्ट्रैक्ट करने के लिए अपने हाथों से आपके पेट पर दबाव डाल सकता है।
- ब्लडफ्लो को रोकने के लिए गर्भाशय के अंदर एक छोटा बैलून इंसर्ट किया जा सकता है।
- दवा के माध्यम से यूटरस वॉल को कॉन्ट्रैक्ट करके ब्लड क्लॉट का इलाज किया जा सकता है।
- ऐसी प्रक्रिया जिसमें गर्भाशय की धमनियों में ब्लड प्रवाह रुक जाता है।
- ब्लड क्लॉटिंग की कंडीशन में गर्भाशय को हटाने के लिए हिस्टेरेक्टॉमी की जा सकती है।
आपको डॉक्टर से कब परामर्श करना चाहिए
यदि आपको नीचे दिए गए लक्षणों या संकेतों में से किसी का भी अनुभव हो तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए
- यदि डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग गोल्फ बॉल के साइज जितनी बड़ी हो।
- ब्लड क्लॉटिंग का अक्सर दिखाई देना।
- यदि डिलीवरी के बाद ब्लड फ्लो नॉर्मल से ज्यादा हो और डिलीवरी के एक सप्ताह बाद भी कम न हो रहा हो।
- यदि योनि से डिस्चार्ज में दुर्गंध आती है, जो गर्भाशय या पेरिनेम में इन्फेक्शन का संकेत हो सकती है।
- यदि आप पेल्विक क्षेत्र में दर्द का अनुभव करती हैं, तो यूटरस इन्फेक्शन, यूरिन इन्फेक्शन, यहाँ तक कि कब्ज की समस्या पैदा हो सकती है। ऐसे मामलों में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
क्या सी-सेक्शन डिलीवरी के बाद ब्लड क्लॉटिंग होने का खतरा अधिक होता है?
सिजेरियन डिलीवरी के बाद, वेनस थ्रोम्बोएम्बोलिज्म (वीटीई) का खतरा अधिक होता है। जिन महिलाओं की सी-सेक्शन डिलीवरी हुई होती है उन्हें नसों में ब्लड क्लॉट होने की संभावना चार गुना ज्यादा होती है।
क्या आप बच्चे के होने के बाद ब्लड क्लॉटिंग रोक सकती हैं?
इलाज करने से बेहतर बचाव करना होता है, ताकि डिलीवरी के आपको ब्लड क्लॉटिंग की समस्या का सामना न करना पड़े। नीचे आपको कुछ सावधानियां बरतने के तरीके बताए गए हैं, जिन्हें आप आजमा सकती हैं।
- अपने बच्चे को जन्म देने के बाद पूरे समय लेटी न रहें। अपने पैरों को ब्लड पूलिंग से बचने के लिए समय-समय पर चलती रहे, यह आपके लिए अच्छा रहेगा।
- आप अपने डॉक्टर से ब्लड थिनर प्रेसक्राइब्ड करने के लिए कह सकती हैं, अगर आपको पहले से ही ब्लड क्लॉटिंग होने का खतरा है या फिर फैमिली हिस्ट्री में ब्लड क्लॉटिंग की समस्या हो।
- अपने परिवार में ब्लड क्लॉटिंग की हिस्ट्री की जांच करें। अपने डॉक्टर को इसके बारे में बताएं।
- यदि आपकी डिलीवरी सी-सेक्शन के जरिए होती है, तो डॉक्टर पैरों में कम्प्रेशन डिवाइस लगाते हैं। ये उपकरण पिंडली की मांसपेशियों को दबाते हैं और ब्लड क्लॉटिंग के जोखिम को कम करते हैं।
- ब्लडफ्लो को बेहतर बनाने के आप कुछ लेग एक्सरसाइज करें ताकि घर आने के बाद आपको ब्लड क्लॉटिंग की समस्या का सामना न करना पड़े।
- आपको डिलीवरी के बाद बहुत ज्यादा समय तक आराम करने की सलाह नहीं दी जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप बहुत ज्यादा घूमें-फिरें या कोई काम करें। इससे आपको हैवी ब्लीडिंग और ब्लड क्लॉटिंग शुरू हो सकती है।
- आप लेग-हगिंग स्लैक्स पहन सकती हैं। यह पैरों को हल्के से दबा सकती हैं, इससे ब्लडफ्लो में सुधार होता है और ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम भी कम होता है।
- जब आप लेटी हों या बैठी हों, तब भी अपने पैरों को ऊपर उठाएं ताकि ब्लडफ्लो नॉर्मल बना रहे।
- अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखें और खूब सारा पानी व तरल पदार्थ पिएं, इससे आपका पेट साफ रहेगा। पेट के ठीक से साफ न होने के कारण आपको कब्ज हो सकता है।
- डिलीवरी के बाद कम से कम 6 – 8 सप्ताह तक टैम्पोन का उपयोग करने से बचें।
- डिलीवरी के बाद सतर्क रहें। यदि आप किसी भी ब्लड क्लॉटिंग के लक्षणों को नोटिस करती हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
डिलीवरी के बाद हैवी ब्लड फ्लो को कम करने के टिप्स
डिलीवरी के बाद आपके पैरों में ब्लड क्लॉटिंग होना घातक हो सकता है। यह डिलीवरी के बाद हैवी ब्लीडिंग के कारण होता है। हालांकि, डिलीवरी के बाद थोड़ा बहुत ब्लड क्लॉट होना नॉर्मल है। लेकिन डिलीवरी के बाद नॉर्मल ब्लड क्लॉटिंग साइज क्या होना चाहिए? ऐसा कहा जाता है कि जन्म के बाद एक चौथाई से बड़ी ब्लड क्लॉटिंग नॉर्मल है। छोटी ब्लड क्लॉटिंग नॉर्मली दिन में एक या दो बार होती है। लेकिन अगर आपको हैवी ब्लड क्लॉटिंग या ब्लड फ्लो हो रहा है, तो यहाँ आपको इसके लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं, जो डिलीवरी के बाद ब्लड के अत्यधिक फ्लो को कम करने में मदद कर सकते हैं।
- अपने आप को ओवरएक्सर्ट न करें। यह डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग को बढ़ा सकता है।
- गर्भाशय का संकुचन डिलीवरी के बाद ब्लड फ्लो को कम करने में मदद करता है। इसलिए, अपने ब्लैडर को पेशाब के जरिए खाली रखें, क्योंकि आप प्रेशर महसूस करती हैं।
- ठंडी सिकाई करें।
- एक कप दूध या गर्म पानी में 1-2 चम्मच काली मिर्च मिलाकर पीने से हैवी ब्लीडिंग कम होती है। चूंकि ब्लैकस्ट्रैप मोलासेस में आयरन पाया जाता है, इसलिए यह रेड ब्लड सेल्स ज्यादा प्रोडूस करता है। यह ब्लड क्लॉटिंग को भी कम करता है।
लेख में बताए गए ब्लड क्लॉटिंग के लक्षणों को ध्यान से देखें और यदि आपको डिलीवरी के बाद कोई लक्षण नजर आते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। डिलीवरी के बाद सतर्क रहें, ताकि बहुत ज्यादा ब्लीडिंग और ब्लड क्लॉटिंग के जोखिम को समय पर कम किया जा सके।
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