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यह कहानी एक देवभक्ति नाम के राजा की है, जिसके बेटे के पेट में सांप अपना डेरा बनाया हुआ था। जिसकी वजह से राजकुमार हर दिन बेहद कमजोर होता जा रहा था। अपने पुत्र की सेहत को लेकर राजा बहुत परेशान था, साथ में अपने पिता की हालत देखकर राजकुमार भी तनाव में आ गया था, इसलिए वह अपना राज्य छोड़कर वहां से चला गया और दूसरे राज्य में जाकर गरीब व्यक्ति की तरह रहने लगा और तभी उस राज्य के राजा ने अपनी बेटी की किसी बात से नाराज हो कर राजकुमार को गरीब व्यक्ति समझ कर उनसे अपनी बेटी की शादी करा दी। और राजकुमारी ने जब सांप की बात सुनी तो वो समझ गई कि इन सांप को कैसे सबक सिखाना है और अपने पति की जान कैसे बचानी है। ये सब जानने के लिए कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- राजा देवशक्ति
- राजा का बेटा (राजकुमार)
- राजा बलि
- राजा बलि की दो बेटियां
- दो सांप
दो सांपों की कहानी | Two Snakes Story In Hindi
कई सालों पहले की बात है, देवशक्ति नाम का एक राजा रहा करता था। उसका एक पुत्र था, जिसके पेट में एक सांप रहता था। राजकुमार के पेट में सांप होने की वजह से वह दिन पर दिन बीमार और कमजोर होता जा रहा था। अपने बेटे की हालत देखकर राजा ने कई मशहूर वैद्य को उसके इलाज के लिए बुलाया, लेकिन उनके इलाज का राजा का बेटे पर कोई असर नहीं हो रहा था। अपने बेटे की तबियत को लेकर राजा बहुत परेशान रहता था और ये सब देखने के बाद राजकुमार भी बहुत दुखी हो गया और अपना राज्य छोड़कर दूसरे राज्य के मंदिर में एक भिखारी बनकर रहने लगा।
राजकुमार भागकर जिस राज्य में गया था, वहां पर बलि नाम के राजा का शासन था। उस राजा की दो बेटियां थीं। दोनों बेटियां हर सुबह अपने पिता का आर्शीवाद लेने जाया करती थीं। एक दिन जब दोनों बेटियां अपने पिता का आशीर्वाद लेने गई तो एक बेटी ने राजा को प्रणाम किया और कहा, “महाराज की जय हो, आपकी कृपा से ही संसार में सब सुखी हैं।” वहीं दूसरी बेटी ने बोला, “महाराज, भगवान आपको आपके कर्मों का फल दे।” दूसरी बेटी की बात सुनकर राजा को बहुत गुस्सा आया और उसने अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि, “ये कठोर शब्दों को बोलने वाली इस लड़की की शादी किसी गरीब से कर दो, ताकि वह अपने कर्मों का फल खुद भोगे।”
राजा बलि के हुक्म पर मंत्री ने मंदिर में बैठे भिखारी से उसकी शादी करवा देते हैं। वह भिखारी कोई नहीं बल्कि वही राजकुमार था, जिसके पेट में सांप था। राजकुमारी ने उसे खुशी-खुशी अपना पति मान लिया था और उसकी सेवा करने लगी। कुछ समय बाद दोनों पति-पत्नी मंदिर छोड़कर दूसरे देश के सफर पर निकल जाते हैं, क्योंकि अब मंदिर में रहना उन्हें अच्छा नहीं लग रहा था।
रास्ते में जाते वक्त राजकुमार थक जाता है और आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे लेट जाता है। तभी राजकुमारी खाने का प्रबंध करने पास के गांव में चली जाती है। वह जब वापस लौटकर आती हैं, तो उसे अपने सोए हुए पति के मुंह से सांप निकलता हुआ दिखाई देता है। साथ में एक पास के बिल से भी एक सांप बाहर निकलकर आता है। दोनों सांप आपस में बात करने लगते हैं, उनकी बातें राजकुमारी सुन लेती है।
एक सांप बोलता है, “तुम इस राजकुमार के पेट में रहकर उसे दर्द और तकलीफ क्यों दे रहे हो। साथ में अपना जीवन भी खतरे में डाल रखा है। अगर किसी ने राजकुमार को जीरा और सरसों का सूप पिलाया, तो तुम्हारी मौत हो सकती है।” फिर राजकुमार के मुंह से निकला हुआ सांप कहता है, “तुम इस बिल में रखे सोने के घड़ों की रक्षा क्यों करते हो, जो तुम्हारे तो किसी काम का नहीं है। यदि किसी को इन सोने के घड़ों के बारे में पता चल गया, तो वह बिल में गर्म पानी या तेल डालकर तुम्हारी जान ले सकते हैं।”
कुछ समय बाद दोनों सांप अपनी-अपनी जगह वापस चले गए, लेकिन अब राजकुमारी को उनके राज का पता चल गया था। इसलिए, राजकुमारी ने सबसे पहले राजकुमार को जीरा और सरसों का सूप पिलाया। इसके कुछ देर बाद राजकुमार सही होने लगा। फिर राजकुमारी ने दूसरे सांप के बिल में गर्म पानी और तेल डाल देती है, जिसकी वजह से सांप मर जाता है। सांप की मृत्यु के बाद बिल में रखे सोने के घड़ों को राजकुमारी निकाल लेती है और दोनों अपने शहर लौट जाते हैं। राजा देवभक्ति अपने बेटे और बहु को देखकर बहुत खुश होते हैं और उनका धूमधाम से स्वागत करते हैं।
दो सांपों की कहानी से सीख (Moral of Two Snakes Hindi Story)
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि व्यक्ति किसी का बुरा सोचता है, तो उसके साथ बुरा होना तय है। जैसे सांप ने राजकुमार का बुरा सोचा, तो उल्टा उसका बुरा हुआ।
दो सांपों की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Two Snakes Hindi Story )
यह कहानी नैतिक कहानियों के अंतर्गत आती है जिसमें सांप राजकुमार को तंग करने के लिए उसके पेट में चला जाता है और अंत में अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. दो सांपों की नैतिक कहानी क्या है?
दो सांपों की कहानी का मकसद ये है कि हर किसी का अपना समय आता है। अगर आप आज किसी का बुरा कर रहे हो तो आगे आपको उसका बुरा परिणाम भी भुगतना पड़ेगा।
2. हमें किसी का बुरा क्यों नहीं करना चाहिए?
हमें कभी भी किसी का बुरा न करना चाहिए न सोचना चाहिए। यदि हम किसी के लिए लगातार बुरा सोचते हैं या करते हैं तो एक समय के बाद चीजें उल्टा हम पर भी आती हैं और हम भी मुसीबत में पड़ सकते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
इस कहानी का निष्कर्ष ये है कि अगर हम किसी का बुरा करेंगे तो हमारा भी वही हाल होगा। जैसे कर्म हम करते हैं वैसे ही परिणाम हमें भुगतना होता है। सांप ने बिना कारण राजकुमार को परेशान किया और अंत में उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। ऐसे रोचक कहानियां बच्चों को पसंद आती है और एक से एक अच्छी कहानियां पढ़ने के लिए आप बाकि अन्य कहानियां भी बच्चों को सुना सकते हैं।
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