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एक महिला के लिए गर्भावस्था का समय काफी लंबा और तनावपूर्ण समय होता है क्योंकि इस दौरान शरीर कई सारे बदलावों से गुजरता है। प्रसव के बाद शरीर को गर्भावस्था से पूर्व की स्थिति में वापस लाने के लिए आपको एक अच्छी सी मालिश की जरूरत होती है। यह मालिश शरीर की थकान को दूर करने मे मदद करती है। गर्भावस्था के दौरान ढीली पड़ी मांसपेशियों और ऊतकों को मजबूत करने के लिए प्रसवोत्तर मालिश की आवश्यकता होती है, ताकि आपका शरीर स्वाभाविक रूप से अपनी ताकत वापस पा सके।
प्रसवोत्तर मालिश क्या होती है
प्रसवोत्तर मालिश मूल रूप से प्रसव के बाद पूर्ण शरीर की मालिश करना है। यह आमतौर पर किसी पेशेवर रूप से प्रशिक्षित मालिश करने वाली से कराई जाती है, जो आपके पूरे शरीर की मालिश करती है। आयुर्वेद में भी प्रसव के बाद माँ और बच्चे के लिए 40 दिनों तक अलग से देखभाल करने की सलाह दी जाती है।जहाँ माँ और नवजात बच्चे के स्वास्थ्य की पूर्ण तरीके से देखभाल की जाती है। इस दौरान माँ के शरीर की अच्छे से मालिश की जाती है। बाद में जड़ी बूटियों का उपयोग करके और घरेलू उपचारों के इस्तेमाल से स्नान करना इसका एक महत्वपूर्ण भाग है।
शरीर की मालिश करने से रक्त प्रवाह बेहतर होता है और यह एंडोर्फिन हार्मोन के स्राव में सहायता करती है जिससे आपको अपने शरीर में आराम महसूस होता है। प्रसवोत्तर मालिश आपके शरीर की उन विशिष्ट मांसपेशियों के लिए भी जरूरी है जिन पर प्रसव के बाद जोर आता है।
प्रसव के बाद मालिश के दस लाभ
प्रसव के बाद शरीर की मालिश के कई लाभ हैं:
1. गर्भाशय को वापस स्वस्थ होने में मदद करता है – गर्भाशय का संकुचन प्रसव के बाद प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया से रक्त और अन्य प्रसवोत्तर स्राव को निकलने में मदद करता है। प्रसव के बाद पेट की मालिश गर्भाशय को उसकी प्राकृतिक सफाई प्रक्रियाओं में सहायता कर सकती है और उसके प्रसव पूर्व आकार और रूप को बहाल करने में भी मदद करती है।
2. सूजन को कम करता है – गर्भाशय में भारीपन और हार्मोनल असंतुलन से प्रमुख रक्त वाहिकाओं पर बढ़ते दबाव के कारण रक्त संचार में कमी हो जाती है जिससे जलधारण (वॉटर रिटेंशन) होता है और जोड़ों में सूजन हो सकती है। शरीर के नरम ऊतकों पर काम करने से परिसंचरण में सुधार होता है और अतिरिक्त द्रव और विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।
3. स्तनपान में सुधार – प्रसवोत्तर मालिश में स्तनों के ऊतक को उत्तेजित करने के लिए विशेष तरीके से मालिश की जाती है। यह ऑक्सीटोसिन हार्मोन के उत्पादन को सक्रिय करता है, जिससे दूध के उत्पादन में वृद्धि होती है।
4. गांठ से बचाव – मालिश स्तनों में दूध के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद करती है, दूध की गांठों को ढीला करती है और यहाँ तक कि स्तन की सूजन को कम करने में भी मदद करती है। स्तन की सूजन एक तरह का जीवाणु संक्रमण है जिसके कारण स्तन में दूध अवरुद्ध होने लगता है।
5. सुदृढ़ता, अंगविन्यास और तालमेल को सुधारना – गर्भावस्था के दौरान मुख्य मांसपेशियों में खिंचाव बढ़ता है और वे कमजोर हो जाती हैं। शरीर के वजन और संतुलन में परिवर्तन के कारण अंग विन्यास में होने वाले बदलाव और हार्मोनल परिवर्तन संयोजी ऊतकों को काफी हद तक शिथिल बनाते हैं। प्रसवोत्तर मालिश इस बदलाव को ठीक कर सकती है और आपको अपनी ताकत वापस पाने में सहायता करती है।
6. तनाव को कम करती है – गर्भावस्था की अवधि काफी तनावपूर्ण होती है और 9 महीनों तक आपके शरीर को बहुत सारे परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। प्रसवोत्तर मालिश से आपके शरीर को तनाव कम करने में मदद मिलती है।
7. प्रसवोत्तर अवसाद को कम करती है – प्रसव के बाद किसी भी महिला के लिए चिंता, तनाव और अन्य भावनाओं का अनुभव होना स्वाभाविक है। इस संबंध में प्रसवोत्तर अवसाद एक गंभीर समस्या है, जो 10-15 % नई माताओं में देखी जाती है। अपने शरीर की जरूरत को महसूस करें और इस पर ध्यान दें।
8. जल्दी स्वस्थ करती है – प्रसवोत्तर मालिश मांसपेशियों को मजबूत करती है और आपके शरीर को जल्दी से स्वस्थ होने में मदद करती है।
9. दमकती त्वचा – मालिश रक्त के प्रवाह में सुधार करती है और फैले हुए ऊतक को ठीक करने में मदद करती है। इससे आपको गर्भावस्था के बाद भी आपकी त्वचा में सुंदर चमक मिलती है। यहाँ तक कि ये शरीर पर खिंचाव के निशान को भी कम करती है, जिसे आप हमेशा से खत्म करना चाहती हैं।
10. शरीर को पूर्व रूप में पाना – गर्भावस्था के बाद की मालिश वास्तव में मांसपेशियों को आराम पहुँचाने में मदद करती है और रक्त के प्रवाह में सुधार करके आपके पेट को कम करने में मदद कर सकती है। यह मांसपेशियों के तनाव को कम करती है और आपके शरीर में दोबारा ताकत लौटाने में मदद करती है।
आप मालिश कब शुरू कर सकती हैं
जिन महिलाओं का प्रसव सामान्य हुआ है, वे अस्पताल से वापस आते ही प्रसवोत्तर मालिश शुरू कर सकती हैं। आमतौर पर, यह प्रसव के बाद पहले पाँच दिनों के भीतर होता है। हालांकि, सी-सेक्शन (सिजेरियन) प्रसव के बाद मालिश केवल तब की जा सकती है जब घाव पर्याप्त रूप से ठीक हो जाए। यह आमतौर पर 1-2 सप्ताह के बाद होता है। ऐसे मामले में मालिश शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर होता है। इसके अलावा अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए मालिश को लगातार 40 दिनों तक जारी रखा जाना चाहिए। हालांकि, कई महिलाएं, जिनमें ज्यादातर नौकरी करने वाली होती हैं, उन्हें इसके लिए कम समय मिल पाता और अक्सर समय की कमी के कारण वह ठीक से मालिश नहीं करा पाती हैं ।
सिजेरियन प्रसव होने पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए
सिजेरियन प्रसव के मामले में मालिश 1-2 सप्ताह के बाद शुरू करना बेहतर होता है और इसके लिए डॉक्टर से मंजूरी लेनी भी बहुत जरूरी है। ऐसा इसलिए कहा जाता है कि टाँकों वाले क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई खिंचाव न हो और पहले आपके घाव ठीक से भर जाएं ताकि इससे कोई जोखिम न रहे । आप 1-2 सप्ताह हो जाने के बाद मालिश शुरू सकती हैं। फिर भी, मालिश करने वाली को टाँकों वाले हिस्से से दूर रह कर शरीर के बाकि हिस्सों की मालिश करने को कहें।
यद्यपि, एक स्कार्स टिश्यू मसाज नामक मालिश होती है जो प्रसव की लगभग एक महीने की अवधि होने पर कराई जा सकती है । इस तरह की मालिश शरीर के अन्य अंगों और ऊतकों में टाँके के निशान वाले ऊतक के जुड़ाव से बचने में मदद करती है और गर्भाशय, मूत्राशय और आंत में पैदा होने वाली समस्याओं को रोकती है। इस मालिश की शुरुआत करने से पहले, यह सुनिश्चित कर लें कि आपके प्रसव के निशान स्पर्श करने पर संवेदनशील तो नहीं महसूस होते हैं। मालिश तभी करना चाहिए जब प्रसव के घाव अच्छी तरह से भर जाएं ।
आपको कब प्रसवोत्तर मालिश से बचना चाहिए
किसी भी मालिश के दौरान, या मालिश करने से पहले निम्न सावधानियां बरतनी चाहिए:
- सुनिश्चित करें कि, आपको खुजली या चकत्ते की कोई पूर्व बीमारी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि मालिश करने से इसके बढ़ने की संभावना होती है । यदि आपको संवेदनशीलता का अहसास हो, तो उस व्यक्ति को बताएं जो आपकी मालिश कर रही है।
- ये बात उन तेलों और दवाओं पर भी लागू होती है जिनका मालिश के दौरान आपके शरीर पर उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, अपने स्तनाग्र क्षेत्र पर इन उत्पादों को लागू करने से बचें, ताकि बच्चे को दूध पीते समय इससे कोई खतरा न हो।
- उन उत्पादों का उपयोग करने से बचें जिनमें पैराबेन्स होते हैं। पैराबेन्स हार्मोन के कार्य को बाधित करते हैं और स्तन कैंसर या किसी अन्य कैंसर का कारण बन सकते हैं।
- जिन महिलाओं में उच्च रक्तचाप या हर्निया जैसी समस्या होती है, उनके लिए यह बात विशेष रूप से लागू होती है कि किसी भी दबाव बिंदु पर अनावश्यक रूप से दबाव न डालें।
- जो महिलाएं लगातार ब्रेक्सटन-हिक्स से पीड़ित हैं उनको भी इससे सावधान रहने की जरूरत है।
- गर्भावस्था में होने वाले उच्च रक्तचाप (पी.आई.एच), उचित या उच्च जोखिम वाले गर्भधारण जैसी स्थितियों वाली महिलाओं को मालिश की शुरुआत करने से पहले उचित चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए।
- अन्य जटिलताएं जैसे अत्यधिक सूजन या अचानक, गंभीर सिरदर्द होने पर आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए ।
- अगर आपकी मांसपेशियों पर मालिश के दौरान सघन तनाव पड़ रहा हो, तो शरीर को ठीक से सहारा देना जरूरी है। उदाहरण के लिए, लाइना अल्बा, जो मलाशय की मांसपेशियों को अलग करती है, उसमें अतिरिक्त वजन और प्रसव के दबाव के कारण अत्यधिक खिंचाव हो सकता है। मालिश के दौरान, इस तरह के क्षेत्रों पर का ध्यान रखना चाहिए ।
मालिश के दौरान शरीर की कौन सी पोजीशन बेहतर है
गर्भावस्था की ही तरह, प्रसव के बाद पेट की मालिश करवाने के लिए सबसे अच्छी स्थिति ‘करवट लेकर लेटना’ होती है। कमर को आमतौर पर एक तकिए का सहारा दिया जाता है। मालिश के लिए आपको किसी मेज का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आपके पेट के क्षेत्र पर गलत दबाव पड़ सकता है और बाद में इससे आपको परेशानी हो सकती है ।
गर्भावस्था के बाद की जाने वाली मालिश कई प्रकार की हो सकती फिर चाहे वह हल्के गोलाकार गति से मालिश करना हो या फिर अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करके। क्रेनिओसक्रेल थेरेपी का केंद्र-बिंदु गर्दन, चेहरे और कपाल की मांसपेशियों पर होता है, जो की मांओं में आम तौर पर पाए जाने वाले गंभीर सिरदर्द को कम करने में मदद करता है। सरसों के तेल (गर्म तासीर वाले तेल) से लेकर तिल के तेल (ठंडी तासीर वाले तेल) तक, नारियल, बादाम या विशेष रूप से तैयार आयुर्वेदिक तेल आदि मालिश के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित कर लें कि आपको इन तेलों से कोई एलर्जी तो नहीं है। मालिश के लिए खास अलग-अलग तकनीकें भी हैं जैसे एक्यूप्रेशर, इंडोनेशिया का जुमू मसाज, स्वीडिश मसाज आदि। आप मालिश में अपने पैरों का मसाज भी शामिल करें ।
प्रसवोत्तर मालिश मांओं के लिए अपने शरीर को पूर्व रूप में वापस पाने का एक बेहतरीन जरिया है। सभी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए, डॉक्टर से उचित परामर्श करके, अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप आप अपने लिए बेहतर विकल्प चुन सकती हैं।