In this Article
- मेलाटोनिन क्या है?
- क्या मेलाटोनिन बच्चों के लिए सुरक्षित है?
- बच्चों में मेलाटोनिन का उपयोग
- बच्चों को मेलाटोनिन कब देना चाहिए
- बच्चों के लिए मेलाटोनिन की सही मात्रा
- मेलाटोनिन की ज्यादा मात्रा देने का खतरा
- बच्चों को कब मेलाटोनिन नहीं देना चाहिए?
- मेलाटोनिन के दुष्प्रभाव
- मेलाटोनिन के सप्लीमेंट
- मेलाटोनिन से भरपूर खाने की चीजें
हमारे शरीर में एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है जो हमें दिनभर सक्रिय और रात में आराम की स्थिति में लाने का काम करती है। दिन के अंत में, हमारा शरीर कुछ हार्मोन रिलीज करता है, जो नींद लाने में मदद करते हैं और हमें अगले दिन तरोताजा महसूस करने में सहायता करते हैं। लेकिन कई बार, कुछ लोगों को सोने में परेशानी होती है, जो अलग-अलग कारणों से हो सकती है। बच्चों में अगर नींद की समस्या हो, तो इसका असर उनके विकास पर पड़ सकता है। साथ ही, पर्याप्त नींद न मिलने से उनकी स्कूल में ध्यान देने और सीखने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
अगर आप सभी कोशिशें कर चुकी हैं, जैसे कि बच्चों की दिनचर्या और व्यवहार में बदलाव लाना, लेकिन फिर भी कोई सुधार नहीं हो रहा है, तो आप अब शायद बच्चों को मेलाटोनिन देने के बारे में सोच रही हैं। ऐसे में, मेलाटोनिन के बारे में सभी जरूरी जानकारी और इसके प्रभावों के बारे में अच्छी तरह जानना महत्वपूर्ण है।
मेलाटोनिन क्या है?
मेलाटोनिन एक ऐसा हार्मोन है जो हमारे शरीर में प्राकृतिक तरीके से बनता है और खासकर पीनियल ग्लैंड (ग्रंथि) में तैयार होता है। इसका मुख्य काम नींद के तरीके को सही रखना होता है। यह हार्मोन हमारी जैविक घड़ी के अनुसार, रोशनी और अंधेरे के संपर्क में आने पर काम करता है। रात में मेलाटोनिन की मात्रा शरीर में बढ़ जाती है और सुबह होते ही यह कम होने लगती है, जिससे हमें नींद और जागने का क्रम बनाए रखने में मदद मिलती है।
अगर पीनियल ग्लैंड किसी वजह से मेलाटोनिन नहीं बना पाता है, तो बच्चों का नींद का समय नियमित नहीं रह पाता। ऐसे में, मेलाटोनिन सप्लीमेंट देने की जरूरत होती है ताकि उनका नींद का चक्र जिसे स्लीप साइकिल कहते हैं, सही ढंग से चलता रहे।
क्या मेलाटोनिन बच्चों के लिए सुरक्षित है?
मेलाटोनिन बच्चों के लिए तब सुरक्षित माना जाता है, जब इसे कम मात्रा में, थोड़े समय के लिए और डॉक्टर की सलाह के अनुसार दिया जाए। हालांकि, बच्चों में मेलाटोनिन के लंबे समय तक इस्तेमाल पर ज्यादा अनुसंधान (रिसर्च) नहीं हुआ है। कुछ अध्ययनों में देखा गया है कि जानवरों पर मेलाटोनिन के इस्तेमाल से उनकी प्यूबर्टी यानी किशोरावस्था में पदार्पण में देरी हो सकती है, लेकिन इंसानों पर ऐसे प्रभाव का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।
बच्चों में मेलाटोनिन का उपयोग
ऐसे बच्चे जो तंत्रिका विकास संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हों, जैसे कि ऑटिज्म, एडीएचडी, या नजर से जुड़ी समस्याएं और जिन्हें सोने में परेशानी होती है, उनके लिए मेलाटोनिन फायदेमंद हो सकता है। लेकिन जिन बच्चों में नींद की समस्या एंग्जायटी यानी चिंता के कारण है, उनके लिए मेलाटोनिन देने से पहले अन्य तरीकों पर विचार करना बेहतर है।
मेलाटोनिन के सप्लीमेंट केवल नींद लाने में मदद करते हैं, लेकिन पक्के तौर पर यह नहीं कहते कि बच्चा पूरी रात सोता ही रहेगा। इसके अलावा, अगर बच्चे का सोने में असमर्थ होना इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे मोबाइल, टैबलेट की लाइट के कारण है, तो मेलाटोनिन से कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि ये उपकरण मेलाटोनिन के असर को कम कर देते हैं।
बच्चों को मेलाटोनिन कब देना चाहिए
अगर आपके बच्चे को सोने में परेशानी हो रही है, तो आप सोने से करीब 30 से 60 मिनट पहले उसे मेलाटोनिन दे सकती हैं। इससे बच्चे के शरीर में मेलाटोनिन का स्तर बढ़ता है, जो उसे प्राकृतिक तरीके से नींद लाने में मदद करता है। आप थोड़ा समय बदल कर भी देख सकती हैं कि किस समय देने पर बच्चे पर सबसे अच्छा असर होता है। मतलब, कोशिश करें कि सोने से करीब आधा घंटा पहले मेलाटोनिन दें, इससे बच्चे को आराम से और जल्दी नींद आ सकती है।
बच्चों के लिए मेलाटोनिन की सही मात्रा
बच्चे की नींद की समस्या के अनुसार मेलाटोनिन की मात्रा अलग-अलग होती है, जो आमतौर पर 0.5 मिलीग्राम से 6 मिलीग्राम तक होती है। अधिकतर बच्चों को 0.5 मिलीग्राम की छोटी मात्रा से ही अच्छा असर होता है। अगर आपके बच्चे को बार-बार सोने में परेशानी होती है, तो 3 से 6 मिलीग्राम की मात्रा से भी मदद मिल सकती है। छोटे बच्चों के लिए लिक्विड मेलाटोनिन भी एक विकल्प है, जो आसानी से दिया जा सकता है। आपके बच्चे की जरूरत के हिसाब से मेलाटोनिन की सही मात्रा तय करने के लिए अपने बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेना जरूरी है।
ध्यान रखें कि जितनी मात्रा डॉक्टर ने बताई है, उतनी ही दें, क्योंकि ज्यादा मेलाटोनिन लेना नुकसान पहुंचा सकता है, जैसा कई दूसरी दवाइयों के साथ होता है।
मेलाटोनिन की ज्यादा मात्रा देने का खतरा
अगर बच्चों को मेलाटोनिन ज्यादा मात्रा में दिया जाए, तो इससे उन्हें उल्टी जैसा महसूस होना, चक्कर आना, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, घबराहट और दस्त जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अधिक मेलाटोनिन का उपयोग बच्चे के शरीर की प्राकृतिक नींद व जागने की प्रक्रिया को भी बिगाड़ सकता है, जिससे उसकी नींद का समय प्रभावित हो सकता है।
बच्चों को कब मेलाटोनिन नहीं देना चाहिए?
बच्चों को मेलाटोनिन देने से बचें अगर:
- उनकी उम्र तीन साल से कम है।
- बच्चे की नींद की समस्या चिंता या किसी स्थिति (जैसे स्कूल या परीक्षा का तनाव) के कारण है।
- यदि नींद की समस्या का कारण कोई शारीरिक या स्वास्थ्य समस्या है, जैसे स्लीप एपनिया, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम वगैरह।
- बच्चे की समस्या का कारण कोई अस्थायी कारण है, जैसे कोई बीमारी, कान का संक्रमण, आदि।
- अगर उसे खून से जुड़ी समस्या है या डायबिटीज, डिप्रेशन, मिर्गी या हाई ब्लड प्रेशर जैसी कोई स्वास्थ्य समस्या है।
हमेशा यह सलाह दी जाती है कि बच्चों को मेलाटोनिन देने से पहले अन्य तरीकों को आजमाएं, जैसे उनका आहार, दिनचर्या, गतिविधियों और व्यवहार में बदलाव करें। ये प्राकृतिक तरीके पहले आजमाने से मेलाटोनिन से जुड़े बुरे प्रभावों का खतरा भी कम हो जाता है।
मेलाटोनिन के दुष्प्रभाव
हालांकि मेलाटोनिन एक प्राकृतिक सप्लीमेंट है, लेकिन इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जैसे:
- दिनभर उनींदा होना
- चिड़चिड़ापन
- सिरदर्द
- शरीर का तापमान कम होना
- अजीब-अजीब सपने आना
- उदासी या डिप्रेशन (अवसाद) महसूस करना
- पेट में दर्द
ये सभी दुष्प्रभाव आमतौर पर तब होते हैं जब बच्चे को मेलाटोनिन की ज्यादा मात्रा दी जाती है।
मेलाटोनिन के सप्लीमेंट
बच्चों के लिए प्राकृतिक मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स 1 मिलीग्राम की खुराक में चबाने वाली टैबलेट के रूप में उपलब्ध हैं। बच्चों को मेलाटोनिन देने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, ताकि सही मात्रा और जरूरत का पता चल सके।
मेलाटोनिन से भरपूर खाने की चीजें
बच्चों में मेलाटोनिन बढ़ाने के लिए प्राकृतिक तरीकों से कुछ खाने-पीने की चीजों का इस्तेमाल किया जा सकता है। ट्रिप्टोफैन नामक एक अमीनो एसिड शरीर में सेरोटोनिन में बदलता है और फिर मेलाटोनिन में, जो नींद लाने में मदद करता है। ट्रिप्टोफैन से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थ हैं:
- लीन मीट जैसे चिकन और टर्की
- डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, पनीर, कम फैट वाला दही
- समुद्री आहार (सीफूड) जैसे सार्डिन, झींगा, कॉड, सैल्मन आदि
- बादाम, मूंगफली, काजू, कद्दू के बीज, अलसी के बीज जैसे बीज और नट्स
- काबुली चना और राजमा
- एवोकाडो, सेब, आड़ू, केला आदि फल
- पालक, शतावरी, ब्रोकोली, शलजम की पत्तियां जैसे हरी सब्जियां
- चावल, गेहूं, जौ, ओट्स आदि
- कैल्शियम से भरपूर भिंडी, सोयाबीन – जो दिमाग को मेलाटोनिन बनाने में मदद कर सकते हैं
- विटामिन बी6 पिस्ता और सूखे आलूबुखारे में होता है, जो ट्रिप्टोफैन को मेलाटोनिन में बदलने में मदद करता है
- इसके अलावा, गुनगुना दूध, पुदीने की चाय, कैमोमाइल चाय, और पैशन फ्रूट चाय भी नींद के पैटर्न को सुधारने में सहायक हो सकती हैं।
बच्चों की नींद में खलल न पड़े, इसके लिए ध्यान रखें कि सोने से पहले उन्हें कैफीन वाले पेय पदार्थ (जैसे चाय, कॉफी, चॉकलेट ड्रिंक्स) या बहुत भारी खाना न दें। इससे उनकी नींद में खलल पड़ सकता है और आराम से सोने में परेशानी हो सकती है।
अगर बच्चों को सही मात्रा में मेलाटोनिन दिया जाए, तो यह सुरक्षित होता है। लेकिन हमेशा ध्यान रखें कि किसी अनुभवी बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही मेलाटोनिन की सही खुराक बच्चे को देना तय करें। साथ ही, बच्चों के लिए मेलाटोनिन सप्लीमेंट देने से पहले नींद सुधारने के दूसरे तरीकों को भी आजमाएं। पहले देखें कि बच्चे की नींद की समस्या का असल कारण क्या है और उसी के हिसाब से उसका इलाज करें।
एक और जरूरी बात -बिना डॉक्टर की सलाह के कभी भी खुद से बच्चे को मेलाटोनिन न दें। अगर बाकी सभी तरीके असरदार साबित न हों, तो ही डॉक्टर से सलाह लेकर मेलाटोनिन की खुराक देना शुरू करें।
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