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भारतीय संस्कृति में श्लोकों का महत्व बहुत पुराना है। ये सिर्फ कुछ शब्द नहीं होते, बल्कि इनमें बहुत गहराई और शक्ति होती है। जब हम श्लोक बोलते हैं, तो उनका असर हमारे मन को शांत करने में मदद करता है। बच्चों को अगर छोटी उम्र से ही श्लोक सिखाए जाएं, तो इससे उनकी एकाग्रता बढ़ती है, मन शांत रहता है और पढ़ाई में भी मन लगता है। श्लोकों की ध्वनि बच्चों के दिमाग को सकारात्मक ऊर्जा देती है। यही वजह है कि घर के बड़े हमेशा कहते हैं कि रोज सुबह उठकर हमें दिन की शुरुआत श्लोक बोल कर करनी चाहिए। श्लोक सीखना मुश्किल नहीं होता, अगर उन्हें प्यार से और मजेदार तरीके से सिखाया जाए। आइए सबसे पहले जानते हैं कुछ ऐसे आसान संस्कृत श्लोक जिनका मतलब भी बच्चों को आसानी से समझ आ जाए ताकि वे सिर्फ याद न करें, बल्कि उन्हें समझकर बोलना शुरू करें।
श्लोक संस्कृत की ऐसी पंक्तियां होती हैं जो खास लय और ताल में बोली जाती हैं। इसे यूं समझें कि जैसे कोई कविता होती, वैसे ही श्लोक भी होते हैं लेकिन इनका मतलब बहुत गहरा होता है। इन पंक्तियों में ज्ञान, भक्ति और जीवन की सीख छुपी होती है। हमारे महाकाव्य जैसे रामायण, महाभारत व भगवद्गीता पूरी तरह श्लोकों में ही रचे गए हैं। श्लोकों से बच्चों को ना सिर्फ संस्कृत सीखने में मदद मिलती है, बल्कि वे हमारी संस्कृति से भी जुड़ते हैं।
बचपन से अगर बच्चों को श्लोक बोलने की आदत डाली जाए, तो इसका असर उनके दिमाग, शरीर और मन तीनों पर बहुत अच्छा होता है। आइए जानते हैं इसके कुछ आसान और जरूरी फायदे।
जब बच्चे श्लोक बोलते हैं, तो उनके दिमाग में एक सकारात्मकता का संचार होता है, जो एकाग्रता और याददाश्त को मजबूत करती है। ऐसा करने से बच्चों का मन पढ़ाई में लगने लगता है।
श्लोकों की धुन और उनका उच्चारण बच्चों के मन को शांत करता है। इससे उनके अंदर आने वाला चिड़चिड़ापन कम होता है और उनका धैर्य बढ़ता है।
श्लोक बोलते समय सांसें धीमी और गहरी ली जाती हैं, जिससे फेफड़े अच्छे से काम करते हैं और दिल भी सेहतमंद रहता है। ऐसे ही जब बच्चे श्लोक पढ़ते हैं, तो उनके सांसों का नियंतत्रण स्वस्थ बना रहता है।
श्लोक के कुछ मंत्र ऐसे होते हैं जो बच्चों की जीभ, गले और मुंह की नसों को सक्रिय करते हैं। श्लोक बोलने से जो हल्की-हल्की कंपन होती है, वो हमारे दिमाग की एक खास ग्रंथि जिसे हाइपोथैलेमस कहते हैं को सक्रिय करती है। ये ग्रंथि शरीर में हार्मोन का संतुलन ठीक रखती है और बच्चों की इम्युनिटी यानी रोगों से लड़ने की ताकत को मजबूत बनाती है।
हमारे शरीर में सात चक्र होते हैं, जो हमारी सेहत और मानसिक संतुलन के लिए जरूरी होते हैं। जब ये चक्र ठीक से काम नहीं करते या असंतुलित हो जाते हैं, तो हमें बार-बार बीमारियां होने लगती हैं। बच्चों को श्लोक बोलने से ये चक्र संतुलन में रहते हैं, जिससे उनका शरीर मजबूत रहता है और वो संक्रमण से भी बचे रहते हैं।
श्लोकों के नियमित जप से बच्चों के शरीर में खून का संचार अच्छा होता है और शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं।
यहां 20 ऐसे आसान संस्कृत श्लोक दिए गए हैं, जिन्हें बच्चे आसानी से याद कर सकते हैं। हर श्लोक के साथ उसका सरल हिंदी अर्थ भी है, ताकि बच्चे उसे समझकर मन से बोल सकें।
यह सबसे प्रसिद्ध और पहला शांति मंत्र है और बच्चों के लिए बहुत अच्छा है। यह उपनिषदों से लिया गया एक प्रार्थना मंत्र है और ये बोलने में आसान है और मन को शांति देता है।
असतो मा सद्गमय।
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
अर्थ : हे प्रभु! हमें असत्य से सत्य की ओर ले चलिए, अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलिए और मृत्यु से अमरता की ओर ले चलिए। चारों ओर हमेशा शांति बनी रहे।
यह दूसरा शांति मंत्र है।
ॐ सहनाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सहवीर्यं करवावहै।
तेजस्विनावधीतमस्तु मा विद्विषावहै।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
अर्थ : हे ईश्वर! आप हम गुरु और शिष्य दोनों की रक्षा करें। हमें साथ मिलकर ज्ञान प्राप्त करने की हिम्मत दें। हम मिलकर मेहनत करें और हमारा ज्ञान उज्ज्वल हो। हमारे बीच कभी भी मनमुटाव न हो। हमारे अंदर, हमारे आसपास और पूरी दुनिया में शांति बनी रहे।
यह तीसरा शांति मंत्र सभी के कल्याण की प्रार्थना करता है।
ॐ सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु।
सर्वेषां शान्तिर्भवतु।
सर्वेषां पूर्णं भवतु।
सर्वेषां मङ्गलं भवतु।
सर्वे भवन्तु सुखिनः।
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु।
मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्॥
अर्थ: सभी का भला हो, सभी को शांति मिले, सभी को सुख और सफलता मिले। सभी लोग स्वस्थ रहें और कोई भी दु:खी न हो। सबका जीवन मंगलमय हो।
यह चौथा शांति मंत्र है। इसे बच्चे हर दिन बोल सकते हैं।
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदं।
पूर्णात् पूर्णमुदच्यते।
पूर्णस्य पूर्णमादाय।
पूर्णमेवावशिष्यते।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
अर्थ: भगवान सब जगह हैं और वे हमेशा पूर्ण हैं। उनसे कुछ लेने पर भी वे वैसे ही पूर्ण रहते हैं। इस मंत्र से हम सीखते हैं कि देने से कुछ भी कम नहीं होता, बल्कि संतुलन बना रहता है।
यह मंत्र भगवान गणेश जी की स्तुति है, जो सभी विघ्नों को दूर करते हैं।
मूषिकवाहन मोदकहस्त।
चामरकर्ण विलम्बितसूत्र।
वामनरूप महेश्वरपुत्र।
विघ्नविनायक पाद नमस्ते॥
अर्थ: हे गणेश जी, जिनकी सवारी मूषक है, हाथ में मोदक है, कान पंखे जैसे बड़े हैं, शरीर छोटा है और जो भगवान शिव के पुत्र हैं, मैं आपके चरणों में नमस्कार करता हूं। आप हमारे जीवन की सभी रुकावटें दूर करें।
यह मंत्र हमें यह समझाता है कि गुरु का जीवन में कितना बड़ा स्थान होता है। इसमें गुरु की तुलना भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) से की गई है।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु:।
गुरुर देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म ।
तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अर्थ : गुरु ही इस धरती पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान हैं। वे हमें ज्ञान देते हैं, हमारी अज्ञानता को दूर करते हैं और हमें सही दिशा दिखाते हैं। ऐसे गुरु को मैं नमन करता हूं।
यह श्लोक देवी सरस्वती, जो ज्ञान और विद्या की देवी हैं, उनसे आशीर्वाद मांगने के लिए है।
सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी।
विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा।।
अर्थ : हे माँ सरस्वती, मैं आपको प्रणाम करता हूं। आप सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली हैं। मैं अपनी पढ़ाई शुरू करने वाला हूं, कृपया मुझे सफलता दें।
यह श्लोक भगवान हनुमान से आशीर्वाद मांगने के लिए है।
मनोजवं मारुत तुल्य वेगं।
जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं।
श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये।।
अर्थ : हे हनुमान जी मैं आपकी शरण में आया हूं। जो विचार से तेज, हवा से भी तेज, अपनी इंद्रियों पर काबू पाने वाले, बुद्धिमान और वानर सेना के नेता हैं, और श्रीराम के दूत हैं। मैं उनके चरणों में प्रणाम करता हूं।
गायत्री मंत्र वेदों का एक प्रसिद्ध मंत्र है, जो सूर्य देव को समर्पित है। बच्चे इसे सुबह सूर्य को जल चढ़ाकर पढ़ सकते हैं।
ॐ भूर्भुवः स्वः।
तत्सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात्।।
अर्थ: हम उस सूर्य की महिमा का ध्यान करते हैं जो जीवन देता है और जिसकी दिव्य रोशनी हमारे शरीर, मन और आत्मा को प्रकाशित करती है। भगवान आपकी यह रोशनी हमारी बुद्धि को भी रोशन करे।
यह मंत्र दक्षिणामूर्ति (भगवान शिव) की स्तुति में है।
गुरवे सर्व लोकानाम्।
बिषजेय भव रोगिणाम्।
निधये सर्व विद्यानाम्।
श्री दक्षिणामूर्तये नमः।।
अर्थ: हम उस गुरु को प्रणाम करते हैं, जो पूरी दुनिया के शिक्षक हैं और सभी रोगों के उपचारक भी हैं।
यह श्लोक ज्ञान, धन, संतान व मोक्ष की प्राप्ति के लिए होता है।
विद्यार्थी लभते विद्याम्।
धनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्।
मोक्षार्थी लभते गतिम्।।
अर्थ: जो ज्ञान की इच्छा रखता है, उसे ज्ञान मिलता है। जो धन की इच्छा रखता है, उसे धन मिलता है। जो संतान की इच्छा रखता है, उसे संतान मिलती है। जो मोक्ष की इच्छा रखता है, वह मोक्ष को प्राप्त करता है।
यह श्लोक भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगने के लिए है ताकि जीवन के रास्ते में आने वाली बाधाएं दूर हों।
वक्रतुंड महाकाय।
सूर्यकोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव:।
सर्वकार्येषु सर्वदा।।
अर्थ: हे गणेश भगवान, जिनका मुख मुड़ा हुआ है और शरीर विशाल है, जिनकी चमक करोड़ों सूर्य के समान है, मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि आप मेरे हर काम में आने वाली बाधा को दूर करके मुहे सफलता प्रदान करें।
यह श्लोक माता गौरी से सफलता और समृद्धि पाने के लिए किया जाता है।
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते।।
अर्थ: हे सर्व मंगलों की देवी, जो सबकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं, जो तीन नेत्रों वाली हैं और सुनहरी रंग की हैं, हम आपको प्रणाम करते हैं।
हयग्रीव भगवान विष्णु का अवतार हैं। बच्चे इस श्लोक को दिन की शुरुआत में पढ़ सकते हैं।
ज्ञानानन्दमयं देवं।
निर्मल स्फटिका कृति।
आदरं सर्व विद्यानां।
हयग्रीवं उपास्महे।।
अर्थ: हम श्री हयग्रीव को नमन करते हैं, जिनका मुख घोड़े जैसा है। आप सभी प्रकार के ज्ञान के देवता हैं। कृपया हमें ज्ञान और बुद्धि का वरदान दें।
यह श्लोक माँ लक्ष्मी, धन की देवी, से आशीर्वाद पाने के लिए है।
नमस्तेस्तु महामाये।
श्रीपीठे सुरपूजिते,
शंख चक्र गदा हस्ते।
महालक्ष्मी: नमोस्तुते।।
अर्थ: मैं उस माँ लक्ष्मी को नमस्ते करता हूँ जो इस पूरी सृष्टि की जननी हैं और देवताओं द्वारा पूजित हैं। जिनके हाथों में शंख, चक्र और गदा हैं। मैं आपको आदरपूर्वक नमन करता हूँ।
यह श्लोक भगवान राम की प्रशंसा में है और उनके कई नामों को शामिल करता है।
अच्युतं केशवं राम-नारायणम् ।
कृष्ण-दामोदरं वासुदेवं हरिम।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं।
जानकी-नायकं रामचंद्रं भजे।।
अर्थ: यह श्लोक भगवान राम की स्तुति करता है, जिन्हें अच्युत, केशव, राम, नारायण, कृष्ण, दामोदर, वासुदेव, हरि, श्रीधर, माधव, गोपीका वल्लभ और जानकीनायक के नामों से जाना जाता है।
यह श्लोक माँ दुर्गा को समर्पित है। आप अपने बच्चे से इसे स्कूल जाने से पहले सुबह पढ़वाएं।
या देवी सर्वभूतेषु निद्रा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
अर्थ: हे देवी! आप हर जगह हैं, हर जीव के अंदर सोने के रूप में भी मौजूद हैं। मैं आपको नमन करता हूं और तीन बार प्रणाम करता हूँ।
यह श्लोक माँ सरस्वती की कृपा पाने के लिए पढ़ा जाता है, जो ज्ञान और बुद्धि की देवी हैं। बच्चे इसे हर दिन पढ़ाई शुरू करते वक्त पढ़ सकते हैं।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला।
या शुभ्र वस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा,
या श्वेत पद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर:,
प्रभुतिभिर्देवैः सदाऽवंदिता।
सा मां पातु सरस्वती,
भगवती निःशेष जाड्यापहा।।
अर्थ: माँ सरस्वती चन्द्रमा की रोशनी, बर्फ और मोतियों की चमक जैसी बहुत धवल और सुंदर होती हैं। वह सफेद कपड़ों में लिपटी, वीणा बजाती हैं और सुंदर सफेद कमल पर बैठती हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शिव समेत सभी देवता उनकी पूजा करते हैं। माँ सरस्वती मेरी सभी बाधाएं दूर करें और मेरी रक्षा करें।
यह श्लोक शाम के समय दीपक जलाकर कहा जाता है।
शुभं करोति कल्याणम् ।
आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धि विनाशाय:।
दीपज्योति नमोऽस्तुते।।
अर्थ: हम उस रोशनी की पूजा करते हैं जो हमें खुशियां, अच्छा स्वास्थ्य, धन और समृद्धि देता है और हमारे बुरे विचारों और शत्रुओं को दूर करता है।
यह भगवान अय्यप्पा की भक्ति में कहा जाने वाला प्रार्थना श्लोक है।
मत्तमथंगा गमनं।
करुणामृत पूरितं।
सर्व विघ्न हरं देवं।
सस्थरं प्रणमाम्यहम्।।
अर्थ: हम भगवान अय्यप्पा को प्रणाम करते हैं, जो हाथी की तरह चलते हैं, बहुत दयालु हैं और हमारे सारी परेशानियां दूर करते हैं।
अपने बच्चे को श्लोक सिखाने से वो मन में शांति और एकाग्रता बना पाता है। आप सबसे पहले श्लोक का मतलब बच्चे को आसान भाषा में समझाएं। फिर श्लोक को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दें ताकि उसे याद करना आसान हो जाए। बच्चे को हर शब्द को सही तरीके से बोलने की कोशिश करने के लिए प्रोत्साहित करें। धीरे-धीरे उनसे श्लोक दोहराने को कहें। जब वे हर दिन श्लोक का अभ्यास करेंगे, तो जल्दी ही श्लोक बोलने में निपुण हो जाएंगे।
श्लोक का अभ्यास करते समय बच्चों को कुछ जरूरी आदतें और शिष्टाचार सीखना बहुत जरूरी होता है। इससे वे ध्यान, अनुशासन और श्रद्धा के साथ सीखते हैं।
अगर आप अपने बच्चे को संस्कृत श्लोक सिखाना चाहते हैं, तो इन किताबों से शुरुआत करना बहुत अच्छा रहेगा। ये किताबें बच्चों के लिए आसान भाषा, सुंदर चित्रों और सरल अर्थों के साथ तैयार की गई हैं।
यह किताब बच्चों को संस्कृत श्लोकों से परिचित कराने के लिए एक शानदार शुरुआत है। इसमें सुंदर रंग-बिरंगे चित्र हैं, जो बच्चों का ध्यान खींचते हैं और उन्हें पढ़ने के लिए उत्साहित करते हैं।
यह किताब रोजमर्रा में बोले जाने वाले श्लोकों और मंत्रों से भरी हुई है। हर श्लोक के साथ उसका अर्थ और महत्व भी दिया गया है, ताकि बच्चे उसे समझ सकें और दिल से अपनाएं।
यह किताब बच्चों के लिए सरल और याद रखने वाले श्लोकों से भरी हुई है। इसमें हर मंत्र और श्लोक का मतलब भी दिया गया है, जिससे बच्चे सही भावना के साथ उसका जाप कर सकें।
बच्चे 3 से 5 साल की उम्र में श्लोक सीखना शुरू कर सकते हैं। इस उम्र में उनका मन जल्दी चीजें याद करता है और उन्हें लय में बोलना भी अच्छा लगता है। इसलिए यह उम्र श्लोक सिखाने के लिए एकदम सही होती है।
बच्चों को श्लोक सीखने में मजा आए, इसके लिए माता-पिता उसे गाने, कहानियों और छोटे-छोटे खेलों के साथ सिखा सकते हैं। इससे माहौल हल्का और मस्ती भरा रहता है और बच्चे खुशी-खुशी श्लोक दोहराने लगते हैं।
यहां कुछ सरल और छोटे श्लोक दिए गए हैं जो बच्चे आसानी से सीख सकते हैं। बच्चे बहुत जल्दी चीजें याद कर लेते हैं, उन्हें बस कोई श्लोक दो-तीन बार सुनाना होता है ताकि वे उसे बोल सकें। माना जाता है कि श्लोकों का दिमाग पर अच्छा असर होता है जो हमेशा के लिए रहता है।
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