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गर्भावस्था के दौरान खर्राटे लेना आपके लिए एम्बेरसिंग हो सकता है। लेकिन आप चिंता न करें यह काफी नॉर्मल है, लगभग 1/4 महिलाएं इसका अनुभव करती हैं। यह आमतौर पर तीसरी तिमाही में शुरू होता है और डिलीवरी के बाद तक जारी रहता है। यह एक मेडिकल समस्या है इसलिए जब अपने डॉक्टर से मिलने जाएं तो उन्हें यह समस्या बताएं।
क्या आपने कभी सोचा है कि गर्भवती महिलाएं खर्राटे क्यों लेती हैं? गर्भावस्था के दौरान खर्राटों के कुछ सामान्य कारण आपको नीचे दिए गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:
गर्भावस्था के दौरान, आपके शरीर में खून की मात्रा बढ़ने लगती है और इसलिए ब्लड वेसल्स थिक हो जाती हैं। ये सूजी हुई ब्लड वेसल्स आपके नाक के मार्ग को ब्लाक कर देती हैं जिससे सांस लेने में मुश्किल होने लगती है, जिससे खर्राटे आना शुरू हो जाते हैं।
प्रेगनेंसी के दौरान हाई एस्ट्रोजन लेवल होने के कारण भी म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन होने लगती है, जिससे नाक में जमाव होने लगता है और आप खर्राटे लेने लगती हैं।
सर्दी, फ्लू या एलर्जी आदि कारणों से नाक भर जाती है और आपको खर्राटे आने लगते हैं।
आपका वजन जितना ज्यादा बढ़ेगा आपको उतना ही ज्यादा सांस लेने में परेशानी होगी, क्योंकि जब आपका वजन बढ़ता है तो आपके गले में एक्स्ट्रा फैट जमा हो जाता है, इसलिए वजन बढ़ने के कारण आपको सांस लेने में परेशानी होती है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया खर्राटे लेने का एक और कारण हो सकता है। यह एक मेडिकल कंडीशन है जिसका ट्रीटमेंट किया जाना जरूरी है, इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान जब आप डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाएं तो उन्हें इसके बारे में सूचित करें। अगर आप बहुत तेज या लगातार खर्राटे लेती हैं तो इसका निदान भी किया जा सकता है। कभी-कभी आप अपनी नींद में भोंपू या हांफने जैसी आवाज कर सकती हैं। स्लीप एपनिया का उपचार करना जरूरी होता है, क्योंकि इस कंडीशन में, आपके वायुमार्ग अवरुद्ध (ब्लॉक) हो जाते हैं, जिससे नींद के दौरान सांस लेना बंद हो जाता है। यह बच्चे को भी प्रभावित कर सकता है क्योंकि यह आपके शरीर में और बच्चे के लिए ऑक्सीजन की कमी पैदा कर सकता है। इस कंडीशन का उपचार आमतौर पर सोते समय आपकी नाक से जुड़ी मशीन की मदद से किया जाता है।
गर्भावस्था के दौरान खर्राटे लेना शिशु के लिए काफी जोखिम भरा हो सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन स्लीप स्टडी सेंटर ने बताया कि खर्राटे लेने वाली माओं में छोटे बच्चे को जन्म देने का खतरा ज्यादा होता है और उनकी सी-सेक्शन डिलीवरी होने की भी संभावना अधिक होती है। यदि आप नोटिस करती हैं कि आप सप्ताह में तीन बार से अधिक खर्राटे ले रही हैं, तो आपको मेडिकल हेल्प के लिए डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता है।
खर्राटों को कैसे रोकें? यहाँ आपको कुछ सरल उपाय बताए गए हैं, जो खर्राटों को मैनेज करने के लिए आपको बताए जा रहे हैं।
यहाँ कुछ होम रेमेडीज बताई गई हैं जिन्हें आप अजमा सकती हैं:
गर्भावस्था के दौरान खर्राटों का इलाज करने के लिए नेसल स्ट्रिप का इस्तेमाल किया जाता है, जो आसानी से मेडिकल स्टोर पर मिल जाएगी। यह ड्रग फ्री होती है और प्रेगनेंसी के दौरान इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित भी होता है। आपको बिस्तर पर जाने से पहले इसे बस अपनी नाक पर लगा कर रखना होगा।
यदि नाक में जमाव के कारण आपको खर्राटे आते हैं, तो इससे राहत पाने के लिए आप सोते समय अपने बेडरूम में एक ह्युमिडिफायर का उपयोग करें। आपको ह्युमिडिफायर किसी भी ऑनलाइन शॉपिंग साइटों पर आसानी से मिल जाएगा। इसमें कई सारे वेरिएशन भी होते हैं आप इसे अपनी जरूरत के अनुसार खरीद सकती हैं। कोशिश करें की 8 घंटे या उससे अधिक चलने वाला ह्युमिडिफायर लें ताकि आप रात को अच्छी नींद ले सकें।
आपमें से बहुत सी महिलाएं पहले ही इस चीज को फॉलो कर रही होंगी, क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान सीधे होकर लेटना संभव नहीं है, लेकिन ध्यान रखें कि लेफ्ट साइड लेटने से आपका ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और आपको अच्छी नींद आती है।
यदि आप बिस्तर पर ही सिर रख कर सोती हैं तो आपको दो तकिया अपने सिर के नीचे रख कर सोना चाहिए। सिर ऊँचा करके सोने से नाक के जरिए एयर फ्लो बेहतर तरीके से होता है। इससे आपको सांस लेने में आसानी होगी और आपके खर्राटे कम होंगे।
गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना आम बात है, लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आपका वजन बहुत ज्यादा न बढ़ जाए क्योंकि प्रेगनेंसी के बाद इसे कम करने में बहुत परेशानी होती है। बहुत ज्यादा वजन बढ़ने से आपको खर्राटे आते हैं इसलिए सही डाइट लें और हेल्दी रहें।
अपने पार्टनर के लिए एयर प्लग खरीद लें, ताकि आपके खर्राटों की वजह से उनकी नींद खराब न हो। नींद की कमी होने से आपके पार्टनर को भी परेशानी हो सकती है।
अपने पति से बेडरूम के बाहर सोफे पर या काउच पर सोने के लिए कहें या फिर उन्हें किसी दूसरे कमरे में शिफ्ट होने के लिए कहना बेहतर होगा। नींद में कमी उनके लिए परेशानी का कारण बन सकती है, इसलिए अच्छा होगा कि वो कुछ समय के लिए शिफ्ट हो जाएं।
गर्भावस्था के दौरान शराब, धूम्रपान और नींद की गोलियां बिलकुल भी न लें। आपके लिए प्रेगनेंसी के दौरान इनसे बचना ही अच्छा है, ये न केवल आपके खर्राटों का कारण बनते हैं बल्कि बच्चे को भी नुकसान पहुँचाते हैं।
हालांकि खर्राटे एक हानिरहित समस्या है, गर्भावस्था के दौरान, यह किसी सीरियस कॉम्प्लिकेशन का संकेत हो सकते हैं। यदि आपको नीचे बताए गए लक्षणों में से कोई दिखाई देते हैं, तो आपको तुरंत हॉस्पिटल में जाकर अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए:
ऊपर बताए गए लक्षण प्री-एक्लेमप्सिया के संकेत हो सकते हैं, जो एक गंभीर चिंता का विषय है। यदि निदान कन्फर्म हो जाता है, तो आपको तुरंत डिलीवर किया जाएगा। ये बताए गए लक्षण शायद प्री-एक्लेमप्सिया के संकेत हो सकते हैं, लेकिन आपको पहले ही सावधानी बरतनी चाहिए, इसलिए जितनी जल्दी हो सके ईआर करवाएं। प्री-एक्लेमप्सिया के मामले में बच्चे को बचाने का एकमात्र तरीका यह है कि वह कितने भी हफ्तों का हो उसकी डिलीवरी कर दी जाए, जिससे शायद उसके जीने की संभावना बढ़ सके।
गर्भावस्था के दौरान आपके द्वारा देखे जाने वाले कोई भी लगातार और असामान्य लक्षण पर तुरंत एक्शन लेना जरूरी है। इसलिए जब आप प्रेगनेंसी के दौरान अपने डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाएं, तो आपको उन्हें इसके बारे में बताना चाहिए, भले ही खर्राटे की समस्या इतनी बड़ी न लगे लेकिन यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकती है, इसलिए हमेशा सावधानी बरतें।
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