गर्भावस्था एक आसान सा शब्द है, हैं न? यह प्राकृतिक रूप से तब होती है जब एक कपल अपना परिवार शुरू करने के लिए तैयार होता है। हालांकि गर्भवती होने पर महिलाओं का समय, एनर्जी, धैर्य लगता है और उसके बाद भी महिला में विभिन्न प्रकार की गर्भावस्था हो सकती है। हाँ, गर्भावस्था एक से ज्यादा प्रकार की होती है।
कुछ प्रकार की गर्भावस्था होने के कई कारण होते हैं, जैसे रिप्रोडक्टिव सिस्टम में कुछ कमी होने से, एक साथ बहुत सारे अंडे रिलीज होने से या एक अंडे में बहुत सारा स्पर्म एक ही अंडे में फर्टिलाइज होने से, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और इत्यादि।
महिलाओं में अलग-अलग गर्भावस्था के बारे में जानने के लिए, यह लेख पूरा पढ़ें।
यह एक नॉर्मल गर्भावस्था है जिसमे भ्रूण गर्भाशय के अंदर मुख्य कैविटी में प्रत्यारोपित होता है और भ्रूण को बच्चा बनने में मदद के लिए प्लेसेंटा का निर्माण होता है।
मोलर गर्भावस्था वह है जिसमें प्लेसेंटा और भ्रूण अब्नॉर्मल तरीके से विकसित होते हैं और प्लेसेंटा के टिश्यू ट्यूमर बन जाते हैं। मोलर गर्भावस्था दो प्रकार की होती है – पहली कंप्लीट और दूसरी पार्शियल। कंप्लीट मोलर गर्भावस्था तब होती है जब प्लेसेंटा अब्नॉर्मल तरीके से बन जाती है पर इसमें भ्रूण नहीं होता है। पार्शियल मोलर गर्भावस्था तब होती है जब प्लेसेंटा और भ्रूण दोनों ही अब्नॉर्मल तरीके से बनते हैं। मोलर गर्भावस्था तब होती है जब अंडा अतिरिक्त क्रोमोसोम के साथ फर्टिलाइज होता है। इससे मिसकैरेज हो सकता है या डॉक्टर एबॉर्शन करवाने की सलाह दे सकते हैं क्योंकि इसमें बच्चे का सुरक्षित और स्वस्थ तरीके से नहीं होता है।
एक्टॉपिक गर्भावस्था तब होती है जब गर्भाशय में फर्टिलाइज्ड अंडा कैविटी के बाहर ही प्रत्यारोपित हो जाता है, जैसे गर्भाशय ग्रीवा या पेट में। कई मामलों में भ्रूण फैलोपियन ट्यूब में ही प्रत्यारोपित हो जाता है (जो अंडे को गर्भाशय तक पहुँचाती है) जिससे ट्यूबल गर्भावस्था होती है। एक्टॉपिक गर्भावस्था माँ और बच्चे, दोनों के लिए सुरक्षित नहीं होती है क्योंकि इसमें बच्चे का विकास ठीक से नहीं होता है जिससे माँ को भी हानि हो सकती है। इसमें यदि प्राकृतिक रूप से मिसकैरेज नहीं होता है तो डॉक्टर एबॉर्शन कराने की सलाह देते हैं।
इंट्रा-एब्डॉमिनल गर्भावस्था तब होती है जब एब्डॉमिनल कैविटी में भ्रूण गर्भाशय से बाहर प्रत्यारोपित हो जाता है। अक्सर भ्रूण गर्भाशय के अंदर या पहले फैलोपियन ट्यूब में प्रत्यारोपित होता है पर यह फटने या डैमेज होने की वजह से वह स्लिप हो जाता है। उदाहरण के लिए सी-सेक्शन के बाद चीरा लगने से यह फट जाता है और कमजोर हो जाता है जिसकी वजह से बच्चा एब्डॉमिनल कैविटी में खिसक जाता है। इंट्रा-एब्डॉमिनल गर्भावस्था का पता नहीं चलता है और यह पूरी गर्भावस्था तक रहता है पर इसमें बच्चे के बचने की संभावना बिलकुल भी नहीं रहती है। इसमें जन्म के बाद पूर्ण हिस्टरेक्टॉमी या सर्जरी की जरूरत होती है।
सिंगल गर्भावस्था उसे कहते हैं जब महिला के गर्भाशय में एक अंडे में एक ही स्पर्म फर्टिलाइज होता है और एक ही बच्चा विकसित होता है।
एकाधिक गर्भावस्था तब होती है जब महिला के गर्भ में दो या उससे अधिक भ्रूण का निर्माण होता है, जैसे ट्विन्स। यदि एक स्पर्म द्वारा फर्टिलाइज किया हुआ एक अंडा दो भ्रूण में विभाजित होता है तो आइडेंटिकल ट्विन्स बच्चे होते हैं जिनका जेनेटिक एक जैसा ही होता है। यदि 2 अंडे दो अलग-अलग स्पर्म से फर्टिलाइज होते हैं तो फ्रैटर्नल (नॉन-आइडेंटिकल) ट्विन्स बच्चे होते हैं और इनका जेनेटिक एक समान नहीं होता है। फर्टिलिटी का ट्रीटमेंट के परिणामस्वरूप दो या अधिक भ्रूण हो सकते हैं।
यदि महिला 35 साल से ज्यादा की हो जाती है तो उसकी गर्भावस्था में कई सारी कॉप्लिकेशन आ सकती हैं इसलिए इसे हाई रिस्क प्रेगनेंसी भी कहा जाता है। यदि महिला की आयु अधिक है और उसे डायबिटीज है, उसके गर्भ में एक से अधिक बच्चे हैं या उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं तो यह समस्याएं उसे उसके बच्चे व पूर्ण गर्भावस्था को प्रभावित कर सकती हैं। कई मामलों में यदि समस्याओं को कम करने के लिए दवाओं की आवश्यकता है तो भी गर्भावस्था में खतरे हो सकते हैं। यदि पहले भी बच्चे के जन्म में कॉम्प्लिकेशन हुई हैं तो भी गर्भावस्था में कई खतरे हो सकते हैं।
लूपस गर्भावस्था में कई सारे खतरे होते हैं। लूपस एक ऑटो-इम्यून रोग है जिसकी वजह से गर्भावस्था में कॉम्प्लीकेशंस आ सकती हैं और इससे महिला में प्रीक्लेम्पसिया का खतरा भी बढ़ सकता है। यदि महिला में लूपस की समस्या होती है तो यह बहुत जरूरी है कि उसे अपनी गर्भावस्था के लिए प्लान करना चाहिए ताकि महिला में अचानक से कोई भी कॉप्लिकेशन्स न हों।
प्रत्यारोपण के बाद ही गर्भावस्था खत्म हो जाने के लिए यह एक मेडिकल टर्म है। इसमें अंडा फर्टिलाइज होने के बाद गर्भाशय में प्रत्यरोपित हो जाता है पर इसकी वृद्धि व विकास नहीं हो पाता है। अल्ट्रासाउंड में बच्चे के दिल की धड़कन सुनने से पहले ही अक्सर यह गर्भावस्था खत्म हो जाती है।
ब्रीच गर्भावस्था तब होती है जब गर्भाशय में बच्चे का सिर ऊपर की तरफ होता है और पैर या निचला हिस्सा नीचे की ओर सर्विक्स और बर्थ कैनाल की ओर होता है। सामान्य गर्भावस्था में जन्म के लिए बच्चे का सिर अक्सर बर्थ कैनाल की तरफ मुड़ जाता है। बच्चे की पोजीशन के अनुसार ब्रीच गर्भावस्था तीन प्रकार की होती हैं – पहली कंप्लीट, दूसरी फ्रैंक और तीसरी इनकंप्लीट (फूट्लिंग ब्रीच)। गर्भ में एक से ज्यादा बच्चे होने, गर्भाशय का शेप अब्नॉर्मल होने, प्लेसेंटा प्रिविया होने, एमनियोटिक द्रव बहुत ज्यादा या बहुत कम होने की वजह से ब्रीच गर्भावस्था हो सकती है जिससे बच्चे के मूवमेंट और इत्यादि पर असर पड़ता है।
गर्भावस्था के बारे में जानने और समझने के लिए बहुत कुछ है। क्या आपको पता था कि विभिन्न प्रकार की गर्भवस्थाएं भी हो सकती हैं? गर्भवती होने के बाद महिलाओं को नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए और यदि उसमें पहले से ही कॉम्प्लिकेशन या स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं तो उसे पहले अच्छी तरह से मॉनिटर करना चाहिए और उसके बाद ही गर्भावस्था प्लान करनी चाहिए।
स्रोत और संदर्भ:
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