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अब आपका शिशु स्वयं चारों ओर घूमने की कोशिश करने लगेगा और जो भी उससे बातें करेगा या उसकी ओर देखेगा वह उसे देखकर मुस्कुराएगा और उनसे बातें करने की कोशिश करेगा, इसलिए अपने बच्चे के साथ इस लम्हे का आनंद लें और उनके साथ खूब सारी बातें करें। वह आपको तरह-तरह के चेहरे बनाकर जवाब देने की कोशिश करेगा । यह वह समय है जब आपका बच्चा खुद आवाजें निकालना शुरू कर देगा और दूसरी आवाजों और ध्वनियों को गौर से सुनेगा । जैसे-जैसे आपका बच्चा आपकी देख-रेख में बड़ा होता जाएगा, आप उसमें बहुत सारे बदलाव देख सकेंगी।
अब तक आप अपने बच्चे की हर जरूरत अपने अनुमान के हिसाब से आप पूरा कर रही थीं। लेकिन अब वह धीर-धीरे आपको अपनी जरूरतों को बताना शुरू कर देगा। वह बहुत तेजी से विकास कर रहा है और नई-नई चीजों को करना सीख रहा है। माता-पिता होने के नाते आप उन्हें नई-नई चीजों को करने के लिए प्रोत्साहित करें। 25 सप्ताह की आयु में, आपके शिशु का मस्तिष्क बहुत सारी चीजों को पहचानने लगता है और यह विकास अभी भी जारी रहने वाला है । यह वह समय है जब आपका बच्चा ठोस आहार के लिए तैयार हो जाता है, अब वह खुद बैठने और घुलटने में भी सक्षम होगा। इस आयु में बच्चे के दाँत निकलना शुरू हो जाते हैं, जिससे वह चिड़चिड़े होने लगते हैं। ऐसे और भी कई लक्षण हैं, जो इस समय उनमें दिखाई दे सकते हैं, जैसे बच्चे का लगातार रोना, बार-बार बुखार आना, मसूड़ों में सूजन होना आदि।बच्चे का यह व्यवहार देखकर हो सकता है आप परेशान हो जाएं, लेकिन चिंता न करें यदि बच्चा ज्यादा परेशान हो रहा है तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
प्रत्येक माह में आपके शिशु में एक नए बदलाव होते हैं, क्योंकि वह लगातार बढ़ रहा है, अपने आसपास की दुनिया को देखता है और उसके बारे में सीखता है। यहाँ कुछ विकासक्रम दिए गए हैं, जिन्हें वह इस माह में प्राप्त कर सकता है।
अब तक संभवतः आप अपने बच्चे को दूध देने के साथ-साथ ठोस आहार देना भी शुरू कर चुकी होंगी। हालांकि, अब समय आ गया है कि उसे थोड़ी ज्यादा मात्रा में ठोस आहार दिया जा सकता है। आपका शिशु मीठा स्वाद पसंद करता है और इसलिए आप अपने शिशु को सादी और हल्के स्वाद वाली सब्जियां जैसे एवोकाडो, शकरकन्दी या गाजर दे सकती हैं । कुछ माएं अपने बच्चे को ठोस आहार देने के लिए थोड़े कसैले खाद्य पदार्थों जैसे हरी फलियां देना पसंद करती हैं, ताकि उनका शिशु मीठे स्वादों का आदी ना हो ।
आप फिंगर फूड दे सकती हैं जैसे कि फुलवड़ी या पापड़ देना शुरू कर सकती हैं, लेकिन ध्यान रहे, यह गले में फस सकता है, इसलिए शिशु पर नजर बनाए रखें, बच्चे को ठोस आहार खाने की आदत नहीं होती है, इसलिए ऐसा होना स्वाभाविक है। अपने शिशु को धीरे-धीरे, प्रतिदिन अलग-अलग भोजन दें और किसी भी तरह की एलर्जी होने पर नजर रखें।
यहाँ आपके शिशु के सोने की कुछ आदतें बताई गई हैं:
यहाँ 25 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं:
बच्चों को सभी जाँच के लिए ले जाना बहुत आवश्यक है।इस समय डॉक्टर उन्हें इन्फ्लुएंजा का टीका लगा सकते हैं । जब आप अपने बच्चे को उसके छठे माह में चिकित्सक के पास ले जाएंगी, तब उसे पी.सी.वी.13, एच.आई.बी, डी.टा.पी., रोटाविषाणु, हेपेटाइटिस ‘बी’ और पोलियो विषाणु टीके की तीसरी खुराक दिलवा सकती हैं।
बच्चों को हमारे साथ खेलने में बहुत आनंद आता है। यह न केवल आपको अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताने का मौका देता है, बल्कि इससे उसके शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास में मदद मिलती है। यहाँ कुछ खेल और गतिविधियां बताई गई हैं, जिसका आनंद आप अपने बच्चे के साथ खेलकर उठा सकती हैं।
इसके लिए आपको बस एक साधारण फोटो एल्बम की आवश्यकता है। आप इसमें अपने घरवालों की, अपनी, अपने साथी की तस्वीर और उनकी तस्वीर लगाएं जो आपके शिशु की देखभाल करते हों। आप अपने बच्चे के साथ बैठकर उन्हें एल्बम से तस्वीरों को दिखाएं । जब बच्चा इन सभी रंगीन तस्वीरों को देखेगा तो उसकी ओर आकर्षित होगा और तस्वीरों में मौजूद चेहरों को पहचानने पर उत्साहित हो जाए । यकीन मानिए आपका बच्चा इस गतिविधि करने में बहुत उत्साह दिखाएगा।
इस समय आपका शिशु लगभग हर नई चीज को देखकर मोहित होगा, जो आप उसे दिखाती हैं, क्योंकि वह सब कुछ उसके लिए नया है। बिजली का बटन बंद करने और चालू करने पर क्या होता है उसे दिखाएं, उसे दरवाजे की घंटी बजाने के लिए प्रोत्साहित करें, आप चाहें तो उसे पानी का नलका चालू करने की अनुमति भी दे सकती हैं, इससे उसे यह जानने में मदद मिलेगी कि इन सभी चीजों को करने से क्या होता है।
यदि आपका बच्चा बाकि बच्चों की तरह अपने आप बड़बड़ा नहीं रहा है या आपको देख कर मुस्कुराता नहीं है, चीजों को ठीक से देख पाने में सक्षम नहीं है और विभिन्न आवाजों या ध्वनियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है; तो आपको अपने चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए, हो सकता है यह संकेत आपके बच्चे में किसी विकार की ओर संकेत दे रहे हों, इसलिए बिना देर किए अपने बच्चे को चिकित्सक को दिखाएं।
हर बच्चा एक ही गति से विकास नहीं करता है। प्रत्येक बच्चा सही समय पर अपनी सुविधानुसार अपने विकासक्रमों को पार करता है। यदि अविकसित शिशु की बात की जाए तो, उनको अपने विकासक्रम तक पहुँचने में औरों के मुकाबले थोड़ा अधिक समय लगने की सम्भावना होती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं वह अपने विकास के पड़ाव को पार नहीं करेंगे। शिशुओं का पालन-पोषण करने में बहुत समय, प्रयास और धैर्य लगता है, लेकिन माता-पिता के प्यार और मार्गदर्शन के साथ, शिशु पूर्ण रूप से विकसित होने में सक्षम होते हैं।
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