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आपके शिशु की वृद्धि बहुत तीव्रता से हो रही है और अब वह अपने 34वें सप्ताह में प्रवेश कर चुका है। इस समय तक वह अपनी भावनाओं को हँसकर या रोकर व्यक्त कर पाएगा । अब वह थाली में रखे भोजन को देखकर उस तक पहुँचने की कोशिश करेगा और न जाने कितनी नई-नई चीजें करना सीख जाएगा । आप उनमें आने वाले इन बदलावों को देखकर इसका खूब आनंद उठाएंगी।
इस समय आपका शिशु कई परिवर्तनों से गुजरते हुए विकासात्मक पड़ाव को पार कर रहा होगा जैसे कि उसका घुटनों के बल चलना, सुनना, स्पर्श करना और चीजों की खोज करना आदि। यह एक बेहतरीन समय है जब शिशु को उसके परिवेश और नई चीजों के साथ-साथ विभिन्न खाद्य पदार्थों से परिचित कराया जाना चाहिए। बच्चे में होने वाले विकास पर नजर बनाए रखिए और उनके बेहतर विकास के लिए आपको क्या करना है चाहिए यह जानने के लिए लेख पढ़ें ।
शिशु के 34वें सप्ताह में होने वाले विकास कुछ इस प्रकार हैं-
जहाँ तक शिशु के आहार की बात है तो अब वह ठोस आहार खाना शुरू कर देगा । यह सही समय है कि आप अपने शिशु को वो खाने दें जो वह खाना चाहता है, लेकिन इस बात का ख्याल रहे कि उसे स्तनपान कराना अभी भी जरी रखें । क्योंकि माँ के दूध से बच्चे को सभी आवश्यक पोषण मिलता है जो बच्चे को मिलना बहुत जरूरी है। आपका शिशु को दिन में तीन बार भोजन करना चाहिए और दिन में तीन बार अल्प आहार यानि स्नैक्स खाना चाहिए।
बच्चे को खाना खिलाते समय बिब का प्रयोग करें ताकि जब वह खुद से खाने के कोशिश करें तो उनका कपड़ा गंदा न हो । आपके बच्चे को नए बर्तनों में खाना पसंद आएगा और आप उनके लिए बाजार से इसे रंग-बिरंगे खाने के बर्तन जैसे उनकी थाली, कटोरी और चम्मच खरीद सकती हैं। थाली खरीदते वक्त इस बात का ख्याल रहे कि उसमें कटोरी वाला भाग भी होना चाहिए ताकि वह शरारत में कोटरी को थाली में न उलटें ।
घर पर बच्चे के द्वारा पसंद किए जाने वाले खाद्य पदार्थों को स्टोर करने के लिए सील किए जा सकने वाले छोटे-छोटे डिब्बे खरीदें। यह बाजार में आसानी से मिल जाएगा। जब कभी जल्दीबाजी में कहीं निकलना हो उसके लिए पहले से ही बच्चे के भोजन व स्नैक्स साथ ले जाने के लिए रीफिल पॉउचेस जरूर खरीद लें और साथ ही 2-4 एक्स्ट्रा चम्मच भी रखें क्योंकि आपका शिशु इन्हें कई बार फर्श पर गिराएगा और उगलेगा।
आपका शिशु खुद से खाने में दिलचस्पी दिखा सकता है । इसलिए आप बच्चे को फिंगर फूड देना शुरू कर सकती हैं, लेकिन जब वो खा रहा हो तो इस बात का खास ध्यान रखें कि उसके गले में कुछ फँस ना जाए। शिशु को कोई भी खाद्य पदार्थ भाप में पकाकर या मैश करके दें और सुनिश्चित करें कि उसे आसानी से इसे चबा सके और पचा सके। शुरुआत में जब बच्चा अपने आप खाना शुरू करता है, तो उसके लिए ठीक से खाना मुश्किल हो सकता है और वह आधे से ज्यादा खाना नीचे गिरा देता हैं । धैर्य रखें और पहले ही फर्श पर कुछ बिछा दें ताकि इसे साफ करना आसान हो जाए।
34 सप्ताह के बच्चे की नींद इस समय बाधित हो सकती है क्योंकि इस चरण वह और नई-नई गतिविधि करना सीख जाएंगे, और यह उनकी नींद पर प्रभाव डाल सकता है। इस आयु में बच्चा घुटनों के बल चलना सीख जाता है और उसके दाँत आना शुरू हो जाता है । बच्चे में लगातार होने वाले विकास के कारण उनकी नींद पर भी इसका प्रभाव पड़ता है और हो सकता उनकी नींद में आने वाले बदलाव लंबे समय तक चलें । आप बच्चे को घड़ी के हिसाब से सुलाने की कोशिश ना करें और उसके नींद के संकेतों पर ध्यान दें। क्योंकि यह एक क्षणिक चरण है इसलिए अपने काम और जीवनशैली की समय सारणी को अपने शिशु के नींद के स्वरुप समायोजित करने की कोशिश करें।
कुछ शिशुओं का विकास धीमी गति से होता है जबकि कुछ शिशुओं के विकास की गति तीव्र होती है और कुछ की विकास गति औसत भी होती है, लेकिन विचार करने योग्य यह बात यह है कि उन अप्रत्याशित समय और विकास के क्षणों में कुछ जाँच और उपायों को ध्यान में रखा जाना जरूरी है। माता-पिता के लिए 34 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए सुझाव निम्नलिखित हैं-
इस आयु में निम्नलिखित जाँच और टीकाकरण किए जाने चाहिए। ध्यान रखें और सुनिश्चित करें कि बच्चों को रोगों से बचाव और विकासात्मक देरी होने से बचने के लिए उन्हें सभी टीकाकरण सही समय पर दिए जाएं-
इस आयु में शिशुओं के लिए निम्नलिखित खेलों और गतिविधियों को करने की सलाह दी जाती हैं-
एक चिकित्सक से परामर्श करें यदि-
आपके जीवन में शिशु के आ जाने के बाद बहुत सारे बदलाव आते हैं । बच्चे को अपनी सामने विकास के पड़ाव को पार करते देखना एक माता-पिता के सबसे सुखद पल होता है ।
हर बच्चा अपनी गति से बढ़ता है, इसलिए परेशान न हो। हर बच्चा अलग-अलग समय पर अपने विकास के पड़ाव को पार करता है, थोड़ा धैर्य रखें वह जल्दी और बच्चों की तरह अपने विकास पार कर लेंगे।
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