39 सप्ताह का बच्चा – विकास, पड़ाव और देखभाल

39 सप्ताह का बच्चा - विकास, पड़ाव और देखभाल

शिशुओं में जन्म के बाद से काफी बदलाव आते हैं और उनका तेजी से विकास होने लगता है, माता-पिता होने के नाते आप यह चाहती हैं कि आपका बच्चा अपने विकास के हर चरण को अच्छी तरह से पार करे । बच्चे के जन्म से लेकर, प्रति सप्ताह आप उनमें कोई न कोई नया परिवर्तन होते हुए देखेंगी, जो बच्चे में होने वाले विकास का संकेत है। उदाहरण के लिए, वे सबसे पहले अपने हाथों और पैरों को इधर-उधर घुमाना शुरू करते हैं या अपने अँगूठे को चूसना शुरू करते हैं और ऐसे ही वह धीर-धीरे बहुत सारी गतिविधियां करना शुरू कर देते हैं। 39वें सप्ताह में आपका बच्चा कैसे विकास कर रहा है यह जानने के लिए आगे पढ़ें।

39 सप्ताह के बच्चे का विकास

आपका 39वें सप्ताह का बच्चा अब बहुत सारी नई गतिविधियों को सीख रहा है और अपने आसपास के परिवेश को देखकर व सुनकर चीजों को समझने की कोशिश करता है । इस चरण के दौरान, उनके शरीर में काफी ताकत विकसित हो जाती है और वे गतिशील हो जाते हैं जिसके चलते वह अब खुद से बैठने लगते हैं, घुटने के बल चलने लगते हैं, यहाँ तक कि सहारा लेकर खड़े होने का प्रयास भी करने लगते हैं और यह उनकी पसंदीदा गतिविधि में शामिल है। साथ-साथ इस समय तक वह आपसे अपनी भाषा में बात करने की कोशिश करते हैं और अपनी बात आपको समझाने की कोशिश भी करते हैं। आप बच्चे से जो भी कहेंगी वे उन्हें समझने लगते हैं, इसलिए बच्चे से ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें । उसे बताएं कि आप कहाँ जा रही हैं या आप क्या कर रही हैं। इस प्रकार वह आपको सुनेगा और फिर इन्ही शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए वह संवाद करना शुरू करेगा । इस समय में बच्चे की दिनचर्या में शामिल है नहाना, खाना, पीना और सोना आदि। अब वह चित्रों वाली पुस्तकों से कहानियां सुनना पसंद करेगा और आपको इशारे से बताएगा कि उनको क्या पसंद है और जब आप उनका नाम पुकारेंगी तो वह बहुत ध्यान से सुनेगा। 

39 सप्ताह के बच्चे की विकासात्मक उपलब्धियां

आपके 39वें सप्ताह के शिशु के विकास के कुछ विकासक्रम नीचे दिए गए हैं:

  • आपका बच्चा तेजी से रेंगने या घुटनों के बल दौड़ने में सक्षम हो जाएगा, किसी चीज का सहारा लेते हुए खड़े होकर आगे बढ़ने की कोशिश करेगा।
  • अब वह अपनी वस्तुओं को पहचानना शुरू कर देगा और यदि आप उसकी किसी पसंदीदा चीज को दूर करने की कोशिश करेंगी, तो वह रोना शुरू कर सकता है।
  • आपका शिशु आपसे बात करने की कोशिश में लगातार बड़बड़ाता रहेगा। अपने आस-पास की चीजों की ओर इशारा करते हुए, उनसे बातें करें, ताकि यह चीजों का सही उच्चारण करना सीखें उन्हें ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • आपका बच्चा आपको देखकर या अपनी पसंदीदा वस्तु को देखकर मुस्कुराएगा और जब आप सामने तरह-तरह के चेहरे बनाएंगी तो ऐसी क्रियाओं पर खूब खिलखिला कर हँसेगा।
  • अब बच्चा अपने हाथों को आसानी से घुमा सकता है इसलिए अब वो अपने खिलौने और भोजन को गिराएगा, इस प्रकार वह मोटर स्किल का परीक्षण करेगा।
  • बच्चा अब आपके इशारे को समझने लगेगा, वे आपके सिर हिलाने से समझ जाएंगे की उन्हें मना कर रही हैं या हाँ बोल रही हैं ।
  • बच्चा आपकी ओर लपकने लगेगा ताकि आप उसे तुरंत अपनी गोद में उठा लें। यह बच्चे का एक महत्वपूर्ण संचार विकासक्रम है।

39 सप्ताह के बच्चे की विकासात्मक उपलब्धियां

आहार

39वें सप्ताह की आयु में अपने शिशु को स्तनपान करवाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। आप देखेंगी की दिन के समय आपका बच्चा कितना ज्यादा उत्तेजित हो जाता है और ठीक से दिन में स्तनपान नहीं करता है और केवल रात में ही ठीक से स्तनपान करता है, इसलिए दिन के समय आप उसे कुछ न कुछ ठोस आहार दे सकती हैं । बच्चे के दाँत निकलने के कारण भी वह स्तनपान के लिए मना कर सकते है, आप उन्हें फिंगर फूड दे सकती हैं इससे उनके मसूड़ों में होने वाली दर्द से राहत मिलेगी । स्तनपान के दौरान आप बच्चे के आसपास का माहौल शांत बनाए रखें ताकि उनका ध्यान इधर-उधर न भटके । 39वें सप्ताह तक बच्चा अधिक सक्रिय हो जाता है और इसलिए भोजन करते समय उसका ध्यान भटकेगा, जैसे वह खाने के बजाय बर्तनों के साथ खेलना ज्यादा पसंद करेगा। यदि बच्चा कम भोजन कर रहा है तो परेशान न हों, जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, वह अधिक दूध की मांग करेगा । बच्चे को ठोस आहार दें लेकिन ख्याल रहे कि अभी भी दूध प्राथमिक भोजन में शामिल होना चाहिए।

नींद

39वें सप्ताह में बहुत सारी नई गतिविधियों के कारण बच्चे की नींद प्रभावित हो सकती है । यदि आपका शिशु पालने में सोता है, तो रात में उठकर रोना शुरू कर सकता है, ऐसे में आपको बच्चे का ख्याल रखने की जरूरत होती है क्योंकि बच्चा पालने में सहारा लेकर खड़ा हो सकता है और इससे बच्चे को चोट लगने का खतरा रहता है। आप दिन के समय उन्हें खड़े होकर बैठने के अभ्यास करने में मदद करें ताकि वह इस क्रिया को जल्द से जल्द करना सीख जाएं। बच्चे के पालने में स्लीपिंग बैग जरूर रखें जो कि आपके शिशु के पैरों में उलझें नहीं । जो बच्चे अपने माता-पिता के साथ सोते हैं उनमें जागने पर खड़े हो जाने की संभावना कम होती है। आप बच्चे को ऐसी जगह सुलाएं जहाँ शांति हो और रौशनी कम हो इससे उन्हें जल्दी सोने में मदद मिलती है ।

39 सप्ताह के बच्चे की नींद

39 सप्ताह के बच्चे की देखभाल के टिप्स

आपके 39 सप्ताह के शिशु की देखभाल के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • अपने शिशु से ज्यादा से ज्यादा बात करें। वह जो भी गतिविधि करते हैं उसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करें, जैसे जब वह अपना खिलौना उठाकर रखते हैं तो उन्हें शाबाशी दें, उनसे पूछें की उन्होंने अपना भोजन समाप्त कर लिया आदि वाक्यों का प्रयोग करें। यह आपके बच्चे को शब्दों को चुनने और समझने में मदद करेगा, इससे उनका संवाद बेहतर होगा।
  • हो सकता है कि आपका शिशु ‘नहीं’ का अर्थ समझने लगे, लेकिन वह अभी उसका पालन नहीं करेगा। इसलिए हर चीज के लिए उन्हें रोकना और ‘न’ कहना कम करें। यदि आप उन्हें किसी चीज को करने से रोकना चाहती हैं तो उनका ध्यान किसी और गतिविधि की ओर लगाएं ।
  • हर दिन एक जैसा भोजन खाने से हो सकता है कि आपका बच्चा इंकार कर दे, इसका अर्थ यह नहीं है कि आप उसे वह भोजन देना बंद कर दें, आपको बच्चे को अलग-अलग तरह से उसी खाने को बना कर दे सकती हैं या कुछ दिन बाद उसे फिर से वही भोजन दे सकती हैं, ताकि उसका स्वाद बदलता रहे और बच्चा खाना खाने से मना न करे ।
  • अपने शिशु के भोजन में नमक का उपयोग न करें, लेकिन आप उनके खाने में स्वाद लाने के लिए एक चुटकी मसला हुआ लहसुन, प्याज, दालचीनी, वनीला अर्क इत्यादि का इस्तेमाल कर सकती हैं।
  • यदि बच्चा कम खाना खा रहा है तो चिंता न करें । वे खुद ही भूख लगने पर खाते है और संतुष्ट होने पर रुक जाते है। यदि आपका शिशु संकेत देता है कि उसका पेट भरा हुआ है और अधिक खाने से इंकार करता है, तो उसे जबरदस्ती न खिलाएं।
  • यदि बच्चा आपको कई प्रकार के खाद्य पदार्थ खाते हुए देखता है, तो वह खाने के लिए प्रोत्साहित होगा। वे आपको खाते हुए देखकर उस विशेष भोजन को खाने के लिए अधिक इच्छुक होगा।

39 सप्ताह के बच्चे की देखभाल के टिप्स

जाँच और टीकाकरण

39वें सप्ताह में आपके शिशु को चिकित्सक से नियमित जाँच की आवश्यकता होगी, जिसमें कुछ जाँचें और टीकाकरण शामिल होंगी:

1. जाँच

चिकित्सक शारीरिक परीक्षण में आपके शिशु की लंबाई, वजन और सिर की परिधि को मापेंगे। इसके अलावा हीमोग्लोबिन की जाँच करने के रक्त परीक्षण कर सकते हैं। जब दाँत निकलने शुरू होंगे, तो डॉक्टरफ्लोराइड वार्निश’ परीक्षण करने के लिए के लिए कह सकते हैं।

2. टीकाकरण

आपका चिकित्सक बच्चे का इन्फ्लूएंजा टीकाकरण करवाने के लिए कह सकते हैं, जिसे आपके शिशु को फ्लू के मौसम में वर्ष में एक बार और प्रथम वर्ष में दो बार लेना होगा। 

खेल और गतिविधियां

यहाँ कुछ खेल बताए गए हैं जिन्हें आप अपने 39वें सप्ताह के शिशु के साथ उसके विकास को प्रोत्साहित करने के लिए खेल सकती हैं:

  • बच्चे का सिर, कंधा, घुटना और पैर की अंगुलियों का प्रयोग करके खेल खेलाएं । आपका शिशु इस खेल का पूरा आनंद लेगा और इस प्रक्रिया में शरीर के विभिन्न भागों का प्रयोग करना भी सीखेगा।
  • आप बच्चे को चॉपस्टिक्स के ढेर से पेंसिल निकालने के लिए बोल सकते हैं।
  • बच्चे के साथ लुका-छिपी खेलें, यह उसे आपसे दूर होने के डर को कम करता है, इस खेल से उन्हें विश्वास होने लगता है कि भले ही आप उसे दिख नहीं रहीं लेकिन आप उनके आप आसपास ही कहीं हैं।
  • आप बच्चे के साथ ऐसे खेल खेलें जिसमें उनकी पैरों की अंगुलियों की कसरत हो और उन्हें खेल में मजा भी आए। ऐसे खेल आपके बच्चे को उसके पैरों के बारे में जानने में मदद करते हैं।
  • आप बच्चों वाली कविता गाते हुए उनकी हाथों की अंगुलियों का प्रयोग करें- इस क्रिया से उसे अपनी अंगुलियों और हाथों को समन्वित करने में मदद मिल सकती है।

खेल और गतिविधियां 

चिकित्सक से परामर्श कब करें

नौ माह में आपके शिशु को किन टीकाकरणों और जाँचों की आवश्यकता पड़ सकती है इस संबंध में आप अपने चिकित्सक से परामर्श कर सकती हैं। यहाँ बताया गया है कि किन हालातों में आपको अपने चिकित्सक से परामर्श चाहिए:

  • यदि आपके शिशु को साँस लेने या निगलने में कठिनाई हो रही है, गले में खराश होती है, 38 डिग्री से अधिक तापमान या टॉन्सिल्स होना। यह स्ट्रेप थ्रोट के लक्षण हो सकते हैं।
  • यदि आपका शिशु संतुलन बनाने के लिए अपने पैर के चाप (फूट आर्च) पर अधिक भार डालता है और अपने पैरों को दूर-दूर रखकर खड़ा होता है, तो यह सपाट पैर (फ्लैट फीट) होने का संकेत हो सकता है।
  • यदि आपके बच्चे में रक्त की कमी के लक्षण दिखाई दें जैसे पीलापन, कमजोरी, दिल की धड़कन तेज होना या साँस में कमी आदि ।

39वें सप्ताह के बच्चे की भाषा व संचार करने के तरीके में काफी सुधार आता है । इसलिए अपने शिशु के साथ बात खूब बातें करें, इशारों में चीजों को समझाएं या इशारे से कुछ देने को कहें या बच्चों की किताबें पढ़कर सुनाएं। 

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