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बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा करना बहुत मुश्किल का काम है पर बच्चों के लिए भी बड़ा होना उतना आसान काम नहीं है। हर हफ्ते एक नया कौशल दिखाना जिसमें वह महारत हासिल करने की कोशिश करता है, हर पल विकास का एक नया चरण जिससे वह गुजरता है और उसके के लिए हर समय एक नया विषय होता है जिसे उसे पार करना होता है । 40 सप्ताह में, दाँत निकलने के कारण बच्चे के मसूड़ों में सूजन और दर्द बना रहता है जिसके वजह से वह हर चीज को मुँह में डालने की कोशिश करता है। इस समय उनमें ऊर्जा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और सारा दिन वह इधर से उधर घूमता मिलता है। बच्चे का लगातार विकास होने के कारण यह उनकी नींद भी बाधित कर सकता है । यह वह समय है जब बच्चे की पोषण संबंधी सभी जरूरतें अच्छे से पूरी की जानी चाहिए और उनकी अच्छे से देखभाल करना चाहिए ताकि उनका विकास बेहतर तरीके से हो सके ।
40 सप्ताह में, बच्चा काफी विकास कर लेता है और अभी भी उनका विकास जारी है। अब वह लोगों से घुलने मिलने लगेगा उनको देखकर मुस्कुराएगा लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर बच्चा खुशमिजाज हो, कुछ बच्चे शर्मीले होते हैं और लोगों को देखकर छिपने लगते हैं। जब आपका बच्चा 10 महीने का हो जाएगा और लोगों के साथ रहना सीख जाएगा तो उसके व्यवहार में काफी परिवर्तन आ जाएगा । जब आप बाहर जाने लगेंगी तो वह आपको बाए कहने के लिए हाथ से इशारा करेंगे । यह वह चरण है जब बच्चा खुद से खड़ा होना में सक्षम हो जाएग।
नीचे कुछ पड़ाव दिए गए हैं जिनको आप अपने 40 सप्ताह के शिशु के विकास में देख सकती हैं:
अब आप अपने बच्चे को सिप्पी कप का प्रयोग करने दे सकती हैं। यह बिलकुल सही समय है कि जब आप बच्चे को कप से पीने से परिचित करवा सकती हैं। हालांकि वह स्तनपान से पर्याप्त जल प्राप्त कर लेता है, लेकिन सिप्पी कप में रूचि के कारण वह उससे पानी पीने की कोशिश करते हैं । आप अब बच्चे को ठोस आहार देना शुरू कर सकती हैं और अगर वह किसी चीज को खाने से मना करें तो उन्हें जबरदस्ती न खिलाएं बल्कि उसे किसी चीज में मिलाकर और उसका स्वाद बदल दें ताकि बच्चा उसे खा सके। यदि आप आपको यह चिंता है की आप बच्चे को ठोस आहार में क्या दे सकती हैं और क्या नहीं तो बेहतर है कि इस विषय पर आप अपने डॉक्टर से बात करे।
40 सप्ताह के बच्चे में कई सारे अलग-अलग और एक ही समय में होने वाले विकास के कारण उनकी नींद पर इसका प्रभाव पड़ सकता है । क्योंकि इस समय उनके दाँत निकल रहे होते हैं इसलिए उनको मसूड़ों में दर्द महसूस होते है और दर्द के कारण वह रात में नींद से उठ जाते हैं। मानसिक विकास और गतिशीलता के कारण होने वाले दर्द से भी उनकी नींद बाधित होती है। चूंकि, रात में उनकी नींद ठीक से पूरी नहीं होती है इसलिए आप देखेंगी की दिन के दौरान बहुत ज्यादा चिडचिड़ाते और परेशान करते हैं। एक बार जब उसके दाँत निकल आएंगे, तभी उसे थोड़ी राहत मिलेंगी। लेकिन तब तक, आप उसकी असुविधा को कम करने के लिए उन्हें शांत कराएं उन्हें स्तनपान कराने की कोशिश करे और अपनी गोद में लें इससे वह बेहतर महसूस करेंगे। बच्चे आमतौर पर इस अवस्था के दौरान अपनी माँ से सबसे ज्यादा चिपके रहते हैं और किसी और के पास जाने से मना कर देते हैं।
यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं, जिनसे आप अपने 40 सप्ताह के शिशु की देखभाल कर सकती हैं:
जब आपका शिशु 40 सप्ताह का हो जाएगा, तब शिशु की व्यक्तिगत जरूरतों के आधार पर डॉक्टर द्वारा एक शारीरिक परीक्षा की जाएगी।
डॉक्टर आपके शिशु के रक्त में आयरन, हीमोग्लोबिन और लेड के स्तर की जाँच करने के लिए रक्त परीक्षण कर सकते हैं, ताकि बच्चे में एनीमिया को नियंत्रित किया जा सके।
डॉक्टर आपके शिशु को खसरे का टीका लगा सकते हैं और यदि आपके शिशु को नियमित रूप से पोलियो की खुराक दी जा रही है तो उसे इस समय पांचवीं खुराक दी जाएगी।
यहाँ कुछ खेल हैं, जिन्हें आप अपने 40 सप्ताह के शिशु के साथ खेल सकते हैं:
यह खेल आपके बच्चे को आपसे दूर होने के डर को दूर करने में मदद करता है । आपका छिप जाना और फिर अचानक से उनके सामने आ जाना उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि आप उनके आसपास ही मौजूद हैं, भले ही वे आपको देख न सकें।
बच्चे के सामने अपने हाथों से ताली बजाएं और उन्हें भी ताली बजाने के लिए प्रोत्साहित करें। इससे उन्हें अपने हाथ के घुमाने को समन्वित करने में मदद मिलती है।
एक ऐसा खेल खेलें जिसमें आप अपने शिशु को यह बताने के लिए कहें कि उसकी आँखें, नाक और मुँह कहाँ है। इससे उसे शरीर के विभिन्न अंगों के नाम जानने में मदद मिलती है।
जैसा कि अब आपका शिशु चलने में सक्षम होगा, आप उसके साथ-साथ नाचकर और गाकर उसकी गतिशीलता को और बढ़ावा दे सकती हैं।
यहाँ बताया गया है कि आपको किन हालातों में अपने डॉक्टर से परामर्श करने की आवश्यकता पड़ सकती है:
40वें सप्ताह आपके बच्चे के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय है, इसलिए माता-पिता के रूप में यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे की दूसरे के साथ तुलना न करें, हर बच्चा अलग होता है इसलिए उसका विकास भी अलग समय पर होता है। अगर बच्चे में तेजी से विकास होते हुए नहीं महसूस करती हैं तो चिंता न करे देर से ही सही बच्चा अपने विकास के हर चरण को पार करता है, लेकिन यदि आप बच्चे में जरा भी विकास होते हुए नहीं देख रही हैं, तो इस विषय को लेकर अपने डॉक्टर से चर्चा करें।
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