अच्छे पिता कैसे बनें

अच्छे पिता कैसे बनें

बच्चे की जिंदगी में हमेशा से ही माँ की भूमिका को काफी महत्वपूर्ण माना गया है तो वहीं पिता की भूमिका को घर की सभी जरूरतों को पूरा करने के रूप में देखा जाता है। एक पिता घर की जिम्मेदारी उठाता है और अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। बदलते दौर के साथ अब माँ के साथ-साथ पिता के महत्व पर भी बात होने लगी है। आज पापा लोगों का व्यावहारिक और एक्टिव होना समय की मांग है और यह समाज में काफी देखा भी जाने लगा है। पिता का बच्चे के सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर काफी प्रभाव पड़ता है और इसके दूरगामी परिणाम होते हैं।  

अच्छे पिता के गुण

हम आपको कुछ ऐसी खासियत बताने जा रहे हैं जो एक अच्छे पिता में होनी चाहिए:

1. परिवार की रक्षा करना

सबसे पहले एक पिता अपने परिवार का अभिभावक होता है। वह सिर्फ किसी खतरे को देखते हुए अपने परिवार की रक्षा ही नहीं करता, बल्कि सामाजिक और आर्थिक तौर पर देखभाल भी करता है। पिता कई जिम्मेदारियां निभाता है, वह परिवार के लिए लंबी आर्थिक योजनाएं बनाता है तो वहीं हर महीने घर का खर्च चलाने के लिए बजट भी देता है। एक अच्छा पिता सबसे पहली प्राथमिकता अपने परिवार को देता है इसके लिए वह अपनी खुद की जरूरतों और ख्वाहिशों का बलिदान भी कर देता है।    

2. एक अनुशासक की भूमिका

पिता अपने बच्चे को अनुशासन के साथ-साथ सामाजिक व्यवहार के तौर तरीके भी सिखाता है। कोई भी बच्चा परफेक्ट पर्सनालिटी के साथ पैदा नहीं होता बल्कि उसका व्यक्तित्व बनाया जाता है और उसे निखारा जाता है। बच्चे को अनुशासित करने में पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका मतलब यह नहीं है कि पापा अपने बच्चे के साथ मारपीट करे बल्कि इसका अर्थ यह है कि पिता अपने बच्चे को समझाए कि उसका यह व्यवहार गलत क्यों हैं। 

3. बच्चों को खुद आगे बढ़ने देना

कहते हैं कि अनुभव जिंदगी का सबसे अच्छा शिक्षक होता है। हम गलती करते हैं और फिर उन गलतियों से सीखते भी हैं। बड़े होते हुए हमसे गलतियां होना आम बात है और यह बड़े होने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। एक अच्छा पिता इस बात को जानता है और वह कभी भी अपने बच्चे को शारीरिक या मानसिक तौर बांध कर नहीं रखता है। वह जानता है कि जब तक बच्चा गिरेगा नहीं तब तक खुद से उठना भी नहीं सीखेगा।  

4. ओपन माइंडेड रहना

हम सभी ने जनरेशन गैप को कभी न कभी अपनी जिंदगी में अनुभव किया है। हमारे पेरेंट्स उस दौर के पढ़े-लिखे हैं जब स्मार्टफोन या सोशल मीडिया नहीं था। ऐसे में विचारों या सोच में अंतर होना आम है। अब खुद पेरेंट्स होने पर विचारों में अंतर को हम ज्यादा सही तरीके से महसूस कर सकते हैं। 

5. बच्चों को जीवन के प्रति आभारी रहना सिखाना

अपने बच्चों को जिंदगी जीना सिखाएं और जिंदगी को लेकर उत्साह भरें। एक अच्छा पिता अपने बच्चे के आराम का काफी ध्यान रखता है। वह उसके लिए अच्छा खाना और अच्छे कपड़ों का इंतजाम तो करता ही है बल्कि उसे अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास करता है। वह अपने बच्चे में जिंदगी में उत्साह भरता है और उसे जिंदगी अच्छे से जीना सिखाता है। वह बच्चा अपनी जिंदगी में जरूर सफल होता है जो सुख-सुविधाओं और उसे मिल रहे लाभों का गलत फायदा नहीं उठाता। 

6. अपने बच्चे की सराहना करना

एक अच्छा पिता यह जानता और समझता है कि हर बच्चे का अपना व्यक्तित्व होता है। उसका कर्तव्य अपने बच्चे के व्यक्तित्व का विकास करना और उसे निखारना है। अच्छा पिता जानता है कि बच्चे पर किसी भी विचार या व्यवहार को थोपा नहीं जा सकता। एक अच्छा पिता हमेशा बच्चे को प्रोत्साहित करता है और उसके कार्यों की सराहना करता है।    

7. एक अच्छा लीडर होना

एक अच्छे पिता को एक अच्छा लीडर भी होना चाहिए। उसे अपने बच्चे को घर के काम भी सिखाने चाहिए और उसे शराब-सिगरेट जैसे चीजों से भी दूर करना चाहिए। एक अच्छा पिता हमेशा अपने बच्चे को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित भी करता है जिससे उसके बच्चे का भविष्य अच्छा हो सके। 

8. पत्नी के साथ जिम्मेदारियां निभाना

एक अच्छा पिता अपने साथी की जिम्मेदारी निभाने में मदद करता है। जब माँ गर्भवती होती है तब पेरेंट्स के बीच आपसी सहयोग काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। बच्चे को जन्म देने के बाद भी एक अच्छा पिता कई तरह की जिम्मेदारियां संभालने में अपनी पत्नी की मदद करता है। वह डायपर बदलना सिखता है तो कभी बच्चे को नहलाता है। वह बच्चे को बोतल में दूध पिलाता है जिससे उसकी पत्नी को आराम मिल सके।  

9. अच्छा समय साथ बिताना

बच्चे को जानने और समझने के लिए बच्चे व परिवार के साथ समय बिताना काफी जरूरी होता है। एक अच्छा पिता हमेशा इस बात का खयाल रखता है कि परिवार में सभी का बॉन्ड आपस में हमेशा मजबूत बना रहे। साथ मूवी देखने, पिकनिक पर जाने और आउटिंग करने से आप अपने बच्चे को सही तरह से समझ पाएंगे और उसके साथ आपका बॉन्ड काफी मजबूत भी होगा। यह सब तब और भी अहम हो जाता है जब आपका बच्चा अपनी किशोरावस्था में कदम रखता है। इस समय आपके और आपके बच्चे के बीच आपसी समझ का अच्छा होना काफी जरूरी हो जाता है जिससे वह आपसे सारी बातें साझा कर सके। 

बच्चे की जिंदगी के अलग-अलग चरणों में आप कैसे शामिल हों 

आप अपने बच्चे को छोटे से बड़ा होते हुए देखते हैं। बच्चे के के साथ-साथ आपकी भूमिका में भी अंतर आ जाता है। यह जरूरी नहीं कि जो आप अपने बच्चे के साथ पहले करते थे वह अभी भी करना सही हो। जैसे कि पहले आप अपने बच्चे के डायपर बदलते थे और उसे दूध पिलाते थे लेकिन बच्चे के किशोरावस्था में प्रवेश करने के बाद आप अपने बच्चे के साथ यह कार्य नहीं कर सकते। 

1. गर्भावस्था से पहले

माता-पिता बनने की तैयारी करने से पहले पेरेंट्स को यह अच्छे से देखना चाहिए कि उनकी जिंदगी में सब सही है। क्या वह पेरेंट्स बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं?

  • अच्छा खाना-पीना इस दौरान काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। अच्छा और हेल्दी भोजन खाना शुरू करें। अपने घर में ताजी सब्जियों और फलों को रखें और उनका ही इस्तेमाल करें। फास्ट फूड और ज्यादा तला-भुना खाने से बचें। आप और आपके पार्टनर का स्वस्थ होना आपके बच्चे के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है। यह आपके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।  

गर्भावस्था से पहले

  • इस दौरान ऐसी हरकतों से बचना चाहिए जिससे आपके स्पर्म की गुणवत्ता प्रभावित हो। इसके साथ-साथ अपना मोबाइल और डिवाइस अपने प्राइवेट पार्ट के एरिया से दूर रखें। ध्यान रखें कि आपके अंडकोष पर ज्यादा तनाव न आ पाए। 
  • अपने डॉक्टर से जांच करवाते रहें कि कहीं आप कोई ऐसी दवाई का सेवन तो नहीं कर रहे हैं जो आपकी प्रजनन क्षमता पर गलत असर डाल रही हो। कोई दवाई आपकी प्रजनन क्षमता को कमजोर तो नहीं कर रही है। इसकी जांच समय-समय पर डॉक्टर से करवाते रहे।
  • कुछ मामलों में समस्या विरासत में मिली हुई होती हैं। यह आनुवंशिक हो सकती है जो कई पीढ़ियों के साथ चली आ रही हैं। अगर बीमारी आपकी पकड़ में नहीं आ रही है तो आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। 

2. गर्भावस्था के दौरान 

किसी भी माँ के लिए गर्भावस्था सबसे चुनौतीपूर्ण समय होता है। इस समय उसका लाइफ पार्टनर उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है। 

  • इस दौरान घरों में काम करने के लिए लोगों को नियुक्त करें या अगर आपके घर में पहले से ही हेल्पर्स हैं तो उनका ज्यादा सहयोग लेना शुरू करें। खाना बनाना, सफाई करना या कपड़े धोने में मदद लेना शुरू करें। इस दौरान महिला को ऐसा कोई भी काम नहीं करना है जिसमें उसे झुकना पड़े या जिसमें शारीरिक मेहनत ज्यादा हो। 
  • ध्यान दें कि आप क्या खा रहे हैं – इस दौरान पेरेंट्स को साथ में मिलकर एक अच्छा डाइट प्लान बनाना चाहिए। इसके अनुसार ही घर में खाना बनना चाहिए। 
  • अगर आप किसी ऐसे स्थान पर रह रहे हैं जहाँ आसपास गर्भावस्था और चाइल्ड बर्थ की क्लास चल रही हो तो आप उन क्लासेस में भी शामिल हो सकते हैं। 
  • इस दौरान एक अच्छा पार्टनर अपनी पत्नी को कभी अकेला नहीं छोड़ता। डॉक्टर द्वारा पत्नी की जांच के समय उसके साथी को वहाँ जरूर होना चाहिए।  
  • इस दौरान आपके साथी के व्यवहार में काफी बदलाव भी आ सकते हैं।  होने वाली माँ को कभी ज्यादा थकान तो कभी अकेलेपन का अनुभव अक्सर इस दौरान होता है। ऐसे में हमेशा अपनी पत्नी का साथ देना चाहिए और उसके साथ बैठकर बात करनी चाहिए। 

3. बच्चे के शुरुआती दिनों में

बच्चे के जन्म के कुछ दिन बाद तक आपको थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आपने जो चीजें सीखी थीं या जो प्लान तैयार किए थे अब उन पर अमल करना होता है। 

  • जब आप अपने बच्चे को घर लेकर आते हैं तो आपको बच्चे के कपड़े, उसके डायपर, बेबी बोतल, और कंबल सब पहले से ही तैयार करने पड़ते हैं क्योंकि बच्चे को घर लाते ही इन चीजों का इस्तेमाल होना शुरू हो जाता है।
  • इस दौरान आपको घर का काम भी करना होगा। साफ सफाई और खाना बनाने में आपको पूरा सहयोग करना होगा। आपके इस सहयोग से आपके साथी को काफी आराम मिलेगा। ऐसे समय में माँ को आराम की काफी जरूरत होती है।
  • इस दौरान आप किसी खास दोस्त या रिश्तेदार को भी अपने घर ला सकते हैं जो आप दोनों की मदद कर सके। ध्यान रखें कि सिर्फ उन्हीं दोस्तों या रिश्तेदारों को घर लाएं जिनके और आप दोनों के बीच आपसी समझ अच्छी हो।
  • इस दौरान आपकी जिंदगी में काफी बदलाव आते हैं। आपकी नींद पर भी इसका असर पड़ेगा। अगर संभव हो तो आप अपने काम से वक्त निकालकर घर में मदद कर सकते हैं।  

4. टॉडलर 

एक 8 से 36 महीने तक बच्चा बहुत छोटा होता है। इस समय वह सिर्फ चलना सीख रहा होता है।  

  • इसके बाद बच्चा माँ के दूध पर ज्यादा निर्भर नहीं होता। ऐसे समय में पिता को बच्चे की जिम्मेदारी ज्यादा संभालनी चाहिए जिससे की माँ अपनी जिंदगी फिर से नॉर्मल कर सके। 
  • पिताओं के लिए यह समय थोड़ा मुश्किल होता है। इस उम्र में बच्चे आपके साथ इंगेज नहीं होते। अगर आप अकेले बच्चे की देखभाल कर रहे हैं तो इस उम्र में आप खड़े नहीं रह सकते। आपको बच्चे के साथ जमीन पर बैठना पड़ेगा। इस उम्र में बच्चे जमीन पर बैठकर ज्यादा खेलते हैं। 
  • एक पिता के तौर पर आपका ज्यादा गुस्सा होना आपके बच्चे के सामाजिक विकास और उसकी भावनाओं पर गलत असर डाल सकता है। इस समय बच्चे आपके धैर्य की परीक्षा ले रहे होते हैं। वह जिद और परेशान कर रहे होते हैं। जब उनको खेलना होता है तो उनको साथ खेलने के लिए कोई न कोई चाहिए ही होता है। ऐसे वक्त में एक अच्छे पिता को हमेशा खुद पर कंट्रोल रखना चाहिए और गुस्सा नहीं होना चाहिए। 

5. बच्चे के स्कूल जाने की उम्र में 

यहाँ से आपके बच्चे का सामाजिक जीवन शुरू होता है। 

  • अभी तक आपका बच्चा हर पल आपके सामने ही रहता था। उसे आप अपनी आँखों के सामने एक पल के लिए जाने नहीं देते लेकिन अब उसकी स्कूल लाइफ शुरू हो चुकी होती है। ऐसे में आपको अपने बच्चे की सुरक्षा की चिंता होनी लाजमी है। ऐसे में आज जिस स्कूल में अपने बच्चे का दाखिला करवा रहे हैं, उसकी सुरक्षा व्यवस्था को अच्छी तरह से चेक कर ले। पेरेंट्स को यह भी देखना चाहिए कि स्कूल तक जाने के लिए जो परिवहन व्यवस्था है वह भी सुरक्षित है या नहीं। 
  • पेरेंट्स इस दौरान अपने बच्चे को दूसरा का सम्मान करना सिखाएं लेकिन इसके साथ बच्चे को यह भी जानकारी दें कि बिना जान पहचान वाले से कभी बात न करें। इस दौरान पेरेंट्स को यह भी तय करना होता है कि वह अपने बच्चे को मोबाइल फोन दे या नहीं दे। अगर पेरेंट्स अपने बच्चे को सुरक्षा के मद्देनजर मोबाइल फोन देना चाहते हैं तो वह बेसिक मॉडल का फोन बच्चे को दे सकते हैं।
  • इस उम्र में आपका बच्चा अपने व्यक्तित्व को धीरे-धीरे आकार दे रहा होता है। यह बात आपके बच्चे को पता नहीं होती। इस समय एक पेरेंट्स के तौर पर आपको चाहिए कि आप अपने बच्चे को प्रोत्साहित करें कि वह अपनी भावनाएं और अपने विचारों को व्यक्त करें। 
  • आपको अपने बच्चे के साथ इस दौरान कुछ देर के लिए एक अच्छा समय जरूर बिताना चाहिए। 

6. किशोरावस्था और उसके आगे 

जैसे-जैसे आपका बच्चा किशोरावस्था में जा रहा होता है वैसी ही पिता की भूमिका भी काफी बदल जाती है। इस समय पिता को एक अच्छे दोस्त की भूमिका में भी आना पड़ता है। वह अपने बच्चे के दोस्त की भूमिका को भी निभाता है जिससे पिता और बच्चे के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित हो जाता है। 

  • किशोरावस्था में बच्चे विद्रोही किस्म के होते हैं। उनके हार्मोन्स में बदलाव आ रहे होते हैं। बच्चे स्कूल और एक्स्ट्रा गतिविधियों से बचते हैं। किसी बड़े के लिए काम के प्रेशर को झेलना आसान होता है लेकिन बच्चों के लिए यह आसान नहीं होता।
  • इस समय आप अपने बच्चे के अच्छे दोस्त बनिए। उनके साथ एक अच्छा समय बिताएं। उनके शौक के बारे में जानिए। उनका मन किन चीजों में लगता है और उनका क्या अच्छा लगता है यह जानिए। उसे वह विषय आपको सिखाने दें जिनके बारे में बच्चा आपसे ज्यादा जानता है। इसी के साथ खुद के शौक और पसंद के बारे में भी अपने बच्चे को बताइए। इससे आप दोनों के बीच एक आपसी समझ विकसित होगी। 
  • इस उम्र में बच्चे अपने दोस्तों को बहुत महत्व देते हैं। उनके रिश्तों का सम्मान करें और अच्छे दोस्त बनाने में अपने बच्चे की मदद करें। कभी-कभी कुछ सीखने के लिए गिरना जरूरी होता है। 
  • अपने बच्चों को पैसे का महत्व बताएं। उनको पैसे का सही उपयोग करना भी सिखाएं। आप उन्हें महीने के खर्चे के लिए एक तय रकम दे सकते हैं जिससे वह पैसों का महत्व भी जानेंगे और पैसे का सही उपयोग करना भी सीखेंगे।

अपनी बेटी के लिए आप एक अच्छे पिता कैसे बन सकते हैं

रिसर्च में यह बात लगातार साबित हो रही है कि बेटी के सामाजिक विकास में उसके पिता की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक बेटी के उसके पिता के साथ संबंध आत्मीय होते हैं। 

1. आप अपने साथी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं

आपकी बेटी काफी छोटी उम्र से हमेशा यह देखती रहती है कि आप अपनी पत्नी के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। अगर आप अपनी पत्नी का सम्मान करते हैं, उसके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तो आपकी बेटी भविष्य में उसी हिसाब से अपने रिश्तों को आंकती है।  

2. हर काम करने दें

आप अपनी बेटी को उन गतिविधियों से शामिल होने से न रोकें जिनके लिए माना जाता है कि यह काम सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं। यह काम ज्यादातर घर के आसपास के ही होते हैं। जैसे लाइट बल्ब बदलना, मामूली बिजली रिपेयरिंग आदी। यह एक तरह के कौशल हैं जो आगे जाकर जिंदगी में बहुत काम आते हैं। 

3. खुद की वैल्यू करना

आपकी बेटी के स्वाभिमान का इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपनी बेटी के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। उसके लुक्स की ज्यादा तारीफ करने के बजाय उस चीज की तारीफ करें जिसके लिए वह काफी मेहनत करती है। उसके प्रतिभा को हमेशा प्रोत्साहन देते रहें।

खुद की वैल्यू करना 

4. उसकी बातें सुनें

कोई और चीज ये साबित नहीं कर पाएगी कि आप उसकी चीजों को वैल्यू करते हैं, लेकिन अगर उसे सुनेंगे तो ऐसा जरूर लगेगा। बहुत बार ऐसा होता है कि आपको अपनी बेटी की प्रॉब्लम को ठीक करने की जरूरत नहीं होती है, उसे बस सुनने के जरूरत होती है। क्योंकि आपसे बात करके वो खुद अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व कर सकती हैं।

5. अपनी बेटी से दूरी न बनाएं

कई बार बेटी के बड़े होने पर पिता अपनी बेटी से दूरी बना लेते हैं। इस वजह से बेटी के सामाजिक जीवन पर आगे जाकर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है। हर पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपनी बेटी के करीब ही रहे। पिताओं को सोचना चाहिए कि वह इस समस्या को कैसे संभालेंगे। 

अपने बेटे के लिए आप एक अच्छे पिता कैसे बन सकते हैं 

नीचे हम कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं जिसका पालन करते हुए आप अपने बेटे की अच्छे पिता बन सकते हैं:

1. जेंडर नियम मत थोपिए

एक समय था जब महिलाओं और पुरुषों में अंतर समझा जाता था। उस समय घर की साफ-सफाई और खाने बनाने का काम महिलाओं के लिए ही था। आज के समय में महिला और पुरुष को अपने भविष्य के निर्माण के लिए कई बार अकेले रहना भी पड़ता है। ऐसे में लड़का हो या लड़की, दोनों को ही साफ-सफाई, खाना बनाना, कपड़े धोने जैसे काम करने पड़ते हैं। 

2. उससे बात कीजिए

हमारे समाज में पिताओं द्वारा कभी भी लड़कों को अपनी भावनाएं शेयर करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता। ऐसे में लड़कों का व्यक्तित्व जटिल हो जाता है और वे अपनी भावनाएं शेयर करने में सहज नहीं होते। उनके जीवन में एक मजबूत वृद्ध व्यक्ति की उपस्थिति उन्हें विचार में परिपक्वता खोजने में मदद कर सकती है। जब इंसान अपनी कमजोरियों और ताकत को पहचान लेता है तो उसे उसका समाधान या हल निकालने में मदद मिलती है। 

उससे बात कीजिए

3. गलती करना सीखने की प्रक्रिया का हिस्सा है

आपके बेटे के लिए जीवन में सतर्क दृष्टिकोण विकसित करना काफी जरूरी है। गलतियों को लेकर परेशान न हों बल्कि उन्हें सीखने के अनुभव के तौर पर ही देखें। 

4. महिलाओं के साथ व्यवहार

कहते हैं कि बेटे, पिता से सीखते हैं। आप महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार करते हैं वैसा व्यवहार आपके बेटे भी महिलाओं के साथ कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने आपसे यह सीखा है। बेटे की सही उम्र देखकर उसके साथ यौन संबंधों के बारे में बात करनी चाहिए और उसे संबंधों के मायने समझाने चाहिए।  

5. व्यवहारिक ज्ञान

हमारे देश की शिक्षा प्रणाली छात्रों को व्यवहारिक ज्ञान की जानकारी नहीं देती। आप, बच्चे को यह समझाने में मदद कर सकते हैं कि वह क्या जानते हैं और वह किस-किस विषय का ज्ञान ले सकते हैं। भविष्य में बच्चों के लिए यह काफी मददगार साबित हो सकता है। 

विभिन्न स्थितियों के अनुसार अलग-अलग दृष्टिकोण

कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि जब पिता की भूमिका बदल जाती है। किसी पार्टनर की मृत्यु या तलाक के बाद ऐसे केस ज्यादा सामने आते हैं। ऐसे में आपको क्या करना चाहिए इसके टिप्स नीचे दिए गए हैं।

1. दत्तक पिता (अडॉप्टिव फादर)

गोद लेना एक अच्छा कार्य है। इससे दुनिया को और ज्यादा अच्छा बनाने में मदद मिलती है।

  • अपने बच्चों से मिलने के लिए समय जरूर निकालें। आपको उनके जीवन के महत्वपूर्ण वर्षों को मिस नहीं करना चाहिए। 
  • अपने साथी के साथ समय बिताने के लिए भी हमेशा समय निकालें।
  • ज्यादा सोचने से बचना चाहिए। एक दत्तक पिता के तौर पर आप सोचते रहते हैं कि आपने कुछ गलत तो नहीं किया या आपसे किसी ने गलत तो नहीं कहा। कभी-कभी मन में यह भी सोचते हैं कि हो रही किसी घटना का उनके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।  
  • बच्चे से बात करने के लिए उसे प्रोत्साहित करें क्योंकि बच्चे के मन में कई सवाल होते हैं। 

2. सौतेले पिता (स्टेप फादर)

सौतेले पिता होते हुए आपको अपने सौतेले बच्चे के साथ संबंध अच्छे करने में कुछ दिन या कुछ साल तक का समय लग सकता है।

  • अपने आपको उस पर न थोपें अर्थात उसके साथ बात करने के लिए कभी भी जबरदस्ती न करें। उसे अपना समय लेने दें। अपने साथी के साथ पालन-पोषण के तरीकों के बारे में बात करें। 
  • आप दोनों पार्टनर के बीच यह जरूरी है कि आप दोनों इस विषय पर एक जैसा सोचते हों।
  • बच्चे को बताएं कि आप उसके असली माता या पिता के साथ उसके संबंधों को महत्व देते हैं। 

3. एकल पिता

परवरिश करते समय सिंगल पेरेंट होना एक मुश्किल काम है। 

  • अपने वर्क शेड्यूल को सही करें। आपको अपने बच्चे को दिन में भी समय देना होगा। इसके लिए आपको फिर से नौकरी भी खोजनी पड़ सकती है। 
  • सिंगल पेरेंट होना मुश्किल है इसलिए आप सहायता भी ले सकते हैं। दोस्तों और परिवार वालों से मदद मांग सकते हैं। खाने से लेकर बच्चे को संभालने तक की मदद इसमें शामिल हो सकती है। 

एकल पिता 

  • मनोरंजन के लिए समय निकालें। वही रोजाना की जिंदगी से अलगाव की भावना आ सकती है। हर वीकेंड पर आउटडोर एक्टिविटी के लिए समय निकालें। अपने शहर या इलाके में हर वीकेंड फैमिली या सोशल क्लबों या ग्रुप एक्टिविटी में शामिल होना एक अच्छा विकल्प है।
  • अपने बच्चे के सामने अपनी पूर्व साथी की बात न करें। बछ्कों के जीवन में यह जरूरी है कि उनकी जिंदगी में कोई मजबूत महिला रोल मॉडल के तौर पर हो। वह बच्चे की चाची, ताई से लेकर दादी और शिक्षिका भी हो सकती हैं।  

4. अलगाव के बाद पिता

अलगाव में शामिल सभी लोगों के लिए यह मुश्किल होता है लेकिन बच्चों के लिए यह काफी कठिन समय होता है। अलगाव किसी न किसी कारण के साथ जिंदगी में आता है इसलिए  एक खुशहाल भविष्य का रास्ता भी दिखा सकता है। 

  • अपने बच्चों के करीब रहें। एक पिता का होना बच्चे के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। रिसर्च से पता चलता है कि दूर रह रहे पिता जितनी ज्यादा बार बच्चे से मिलने आते हैं , बच्चे उतने ही हेल्दी और ज्यादा एडजस्ट हो जाते हैं।
  • इसका मतलब यह भी है कि आप अपने पूर्व साथी से अक्सर मिलते रहेंगे। आपको समझौता करना होगा और सामान्य मुद्दों को शांति से निपटाना होगा। अगर आप दोनों के बीच लड़ाई चलती रहती है तब इसका बच्चों पर काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ता सकता है।
  • बच्चों से काम में ज्यादा मदद लेना उनकी बेहतर शिक्षा और विकास के लिए जरूरी होता है। यह महत्वपूर्ण है कि आपके पूर्व साथी के साथ आपका रिश्ता स्थिर हो, ताकि आप दोनों बच्चों की भलाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।

5. पालक पिता

पालक पिता यानी फोस्टर फादर को बच्चे आसानी से स्वीकार नहीं करते हैं और न ही उनकी मदद आसानी से स्वीकर करते हैं। फोस्टर फादर की अवधारणा का संबंध बच्चों से है न कि पेंरेट्स से। 

  • पालक पिता होने पर कठिनाई भरा समय हो सकता है क्योंकि बच्चा किसी आघात के बाद आप तक पहुंचा हुआ होता है। समय के साथ और अलग-अलग पैमाने बच्चे का ये ट्रामा आपको प्रभावित कर सकता है।
  • थेरेपी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे आपको और आपके बच्चे को काफी मदद मिल सकती है। यह एक पूरी प्रक्रिया होगी जिसका पालन आपको करना होगा।  
  • कोई भी पूरी तरह से यह नहीं कह सकता कि उसने पालक पिता का कर्तव्य बिना गलती के निभाया है। समय के साथ सीखते हुए आगे यात्रा को बेहतर जरूर बनाया जा सकता है। यह जिंदगी के सफर का हिस्सा है।

पिता की भूमिका बहुत अहम होती और यह बच्चे के सामाजिक विकास के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती है। अगर एक पिता अपने बच्चे पर विश्वास करता है, तो बच्चे को भी अपने ऊपर विश्वास होने लगता है। इस प्रकार यह सबसे बेहतर बात हो सकती है।

यह भी पढ़ें:

बच्चों के सामने माता-पिता के लड़ने के 10 गलत प्रभाव
36 अच्छी आदतें – जो माता-पिता को अपने बच्चों को सिखानी चाहिएं
बच्चों को स्वावलंबी बनाने के लिए 10 टिप्स