In this Article
- कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
- अकबर-बीरबल की कहानी : खाने के बाद लेटना (Resting After Meal Story In Hindi)
- अकबर-बीरबल की कहानी : खाने के बाद लेटना से सीख (Moral of Resting After Meal Hindi Story)
- अकबर-बीरबल की कहानी : खाने के बाद लेटना का कहानी प्रकार (Story Type of Resting After Meal Hindi Story)
- अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- निष्कर्ष (Conclusion)
अकबर और बीरबल की कहानियां सालों से सुनती और सुनाई जाती रही हैं। ये कहानियां बहुत मनोरंजक होती हैं। बीरबल ने एक बार अकबर से कहा था कि खाने के बाद लेटना उनकी ऐसी आदत है जो वह कभी नहीं छोड़ते। अकबर ने सोचा कि क्यों न इस बारे में बीरबल की परीक्षा ली जाए। बीरबल की सच्चाई परखने के लिए अकबर ने उन्हें एक धर्म संकट में डाल दिया। तब भी बीरबल ने अपनी चतुराई और होशियारी से स्थिति को संभाल लिया और एक बार फिर अकबर को अपना मुरीद बना लिया।
कहानी के पात्र (Characters Of The Story)
इस प्रसिद्ध कहानी के मुख्य पात्र इस प्रकार हैं –
- बादशाह अकबर
- बीरबल
- एक नौकर
अकबर-बीरबल की कहानी : खाने के बाद लेटना (Resting After Meal Story In Hindi)
एक बार की बात है, सम्राट अकबर और बीरबल बैठे बातें कर रहे थे। तब किसी विषय पर बीरबल ने अकबर से कहा कि खाने के बाद लेटना उनकी आदत है और चाहे जो हो जाए वह ये आदत कभी नहीं छोड़ते। अकबर ने उस समय बीरबल की बात सुनकर छोड़ दी। लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें यह बात फिर से याद आई। बादशाह अकबर ने मन ही मन सोचा कि क्यों न आज बीरबल की परीक्षा ली जाए, इस समय वह खाना खा ही रहा होगा। आज देखते हैं कि वह अपनी बात पर कितना कायम रहता है।
यह सोचकर अकबर ने एक नौकर को आवाज देकर आदेश दिया –
“जाओ जाकर बीरबल से कहो कि खाना होते ही बादशाह ने बुलाया है।”
नौकर तुरंत बीरबल के घर पहुंचा। बीरबल बस खाना समाप्त ही कर रहे थे। नौकर ने उन्हें बादशाह के फरमान के बारे में बताया। बीरबल झट से समझ गए कि इसके पीछे अकबर क्या चाहते हैं। बीरबल ने नौकर से कहा –
“बस कुछ देर रुको। मैं कपड़े बदलकर आता हूँ।”
बीरबल हाथ धोकर कमरे में गए और उन्होंने अलमारी से अपना वह पजामा ढूंढ निकला जो उन्हें थोड़ा तंग होने लगा था। पजामा तंग था इसलिए उसे पहनने के लिए बीरबल अपने पलंग पर बैठे और फिर लेट भी गए। खाने के बाद लेटने का नियम पालन करने के लिए बीरबल चार पल पलंग पर वैसे ही लेटे रहे। फिर वह उठे और कपड़े पहनकर बाहर आकर नौकर के साथ महल की ओर चल दिए।
अकबर अपने महल में बीरबल का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। उन्हें देखते ही अकबर ने पूछा –
“क्यों बीरबल खाने के बाद आने में देर लगा दी, खाने के बाद लेटे थे क्या?”
बीरबल ने जवाब दिया –
“जी हुजूर लेटा तो था।”
यह सुनते ही अकबर को गुस्सा आ गया और वह गरजकर बीरबल से बोले –
“इसका मतलब तुमने शाही आदेश की अवहेलना की! जब हमने तुम्हें खाना खत्म होते ही चले आने को कहा था तब भी तुमने लेटने की हिम्मत की। अब तुम्हें इसकी सजा दी जाएगी।”
बीरबल पहले से ही तैयार थे। वह बोले –
“आलमपनाह मैंने कतई आपके आदेश की अवहेलना नहीं की है। चाहे तो नौकर से पूछ लें। मैं खाना खाकर तुरंत ही आपके पास आने के लिए निकला था। बस अपने कपड़े बदलने कमरे में गया था। क्या है कि यह पजामा बड़ा तंग है। इसलिए इसे पहनने के लिए मुझे पलंग पर बैठना और लेटना पड़ा ताकि इसे अच्छे से पहन सकूँ।”
बीरबल का जवाब सुनते ही अकबर का सारा गुस्सा काफूर हो गया और वह ठहाका लगाकर हंसने लगे और जान गए कि एक बार फिर से बीरबल ने अपनी चतुराई से सब कुछ संभाल लिया है।
अकबर-बीरबल की कहानी : खाने के बाद लेटना से सीख (Moral of Resting After Meal Hindi Story)
अकबर-बीरबल की कहानी : खाने के बाद लेटना से यह सीख मिलती है कि हमें किसी भी परिस्थिति में धैर्य के साथ सोचकर और अपनी सूझबूझ के इस्तेमाल से समस्या को हल करना चाहिए।
अकबर-बीरबल की कहानी : खाने के बाद लेटना का कहानी प्रकार (Story Type of Resting After Meal Hindi Story)
यह कहानी अकबर-बीरबल की कहानी के अंतर्गत आती है जो मनोरंजक होने के साथ ही यह शिक्षा भी देती है कि हमें हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. बीरबल कौन थे?
बीरबल मुगल बादशाह अकबर के दरबार में प्रमुख वज़ीर और उनके नवरत्नों में से एक थे। वे बेहद तीव्र बुद्धि के थे।
2. बीरबल का असली नाम क्या था?
बीरबल का असली नाम महेश दास था।
3. अकबर के नवरत्न कौन थे?
अकबर के दरबार में नवरत्न ऐसे 9 व्यक्ति थे जिन्हें किसी न किसी क्षेत्र में महारत हासिल थी।
निष्कर्ष (Conclusion)
अकबर और बीरबल की कहानियां बच्चों का भरपूर मनोरंजन करती हैं और उन्हें नैतिक शिक्षा भी देती हैं। बीरबल अपनी उत्कृष्ट बुद्धि, चतुराई और समझदारी के लिए जाने जाते थे। बादशाह अकबर को उनसे बहुत लगाव था और वह उनकी होशियारी के कायल थे। इसलिए बीरबल न केवल अकबर के एक दरबारी थे बल्कि उनके दोस्त और सलाहकार के रूप में भी उनके साथ रहते थे। बच्चों को इस तरह की कहानियां सुनाने से उन्हें मानवीय रिश्तों के महत्व का भी अहसास होता है।
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