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अपने नवजात शिशु के साथ बातचीत करना काफी चैलेंजिंग काम हो सकता है। चूंकि नवजात शिशु के लिए उनके संचार का एकमात्र तरीका रोना है, बड़ों को अक्सर बच्चों के साथ इंटरैक्ट करने में दिक्कत होती है। लेकिन आपको यह सलाह दी जाती है कि बच्चे को बातों में बिजी रखें, हालांकि उसे बहुत ज्यादा उत्तेजित न करें वरना वह चिड़चिड़ा हो सकता है। तो आपको क्या करना चाहिए?
जो तरीका आप अपने बच्चे के साथ बातचीत करने के लिए चुनेंगी, वह आपके बच्चे को कम्युनिकेशन, सोशलाइजिंग, मूविंग और अपने आस-पास के एनवायरमेंट को समझने और चीजों को सीखने में मदद करेगा। शुरुआती हफ्तों के दौरान आपका बेबी जो प्रमुख चीजें सीखेगा, उनमें से एक आपके स्पर्श, आवाज और चेहरे को पहचानने से जुड़ा है। आपकी भूमिका यह है कि आप बच्चे की लर्निंग में हेल्प करें जो पॉजिटिव तरीके से, प्यार से, मधुर आवाज में और फ्रेंडली स्माइल के साथ होनी चाहिए।आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इतनी कम उम्र में भी बच्चे अपने आसपास के बारे में जानना और सीखना कैसे पसंद करते हैं। लेकिन बच्चे को चेहरे देखना पसंद होता है, खासकर अपनी मां का चेहरा देखना। शिशु आपकी आवाज से जुड़ जाता है, वह जल्दी ही आपकी आवाज को भी पहचान जाएगा और धीरे-धीरे अलर्ट होकर आपकी बातों का जवाब देना भी शुरू कर देगा। जब आप बेबी के साथ संवाद करती हैं, उसे समय देती हैं, तो वह आपकी आवाज से परिचित होने लगता है, फिर आपकी आवाज सुनकर सहज महसूस करता है।
यह बच्चों में एक और जन्मजात गुण होता है, जो उन्हें कुछ उत्तेजित करने वाली चीजों जैसे स्पर्श, आवाज और उसके आसपास के लोगों के चेहरे के फीचर जैसी चीजें और उसके आसपास की दुनिया को समझने में मदद करता है। जब बच्चा उत्तेजित होने लगता है, तो अपना सिर घुमाता है और रिएक्शन देता है, उदाहरण के लिए, जब आप बच्चे के गाल को छूती हैं, तो वह अपना मुंह खोलेगा और आपकी ओर देखेगा, जिसका मतलब है कि वह खाना खाने के लिए तैयार है। बच्चा इन रिफ्लेक्सेस का प्रदर्शन तब करता है जब वह जाग रहा होता और बहुत ज्यादा एक्साइटेड होता है। एक बार जब वह रिएक्ट करना सीख जाता है तो उसके हिसाब से ही अपनी हर चीज पर प्रतिक्रिया देता है। अब जब आप अगली बार उसके गाल पर हाथ फेरेंगी, तो इस बात की संभावना है कि वो अपनी फीडिंग रोक दे।
शुरुआती महीनों के दौरान, बच्चा अपना अधिकांश समय या तो ऊंघने में या गहरी नींद में बिताएगा। ऐसा कुछ हफ्तों तक होता है जब तक बच्चा मैच्योर नहीं हो जाता, उसके बाद वह लंबे समय तक जागता है। आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि बच्चा कब आपके साथ बातचीत करने के लिए तैयार है और कब वह अकेला रहना चाहता है। यदि बच्चा जाग रहा है लेकिन बहुत एक्टिव है, जैसे हाथों के साथ खेलना, पैरों को घुमाना या लात मारना, तो ये इस बात का संकेत हैं कि ऐसे समय में उसका फोकस आप नहीं रहेंगी। यदि आप उसका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करती हैं, तो वह चिढ़ जाएगा और रोना शुरू कर देगा। यह उसे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर सकता है। दूसरी ओर, यदि वह जाग रहा है और बहुत एक्टिव नहीं है, तो आप बातचीत करने की कोशिश करके बच्चे का ध्यान अपनी ओर मोड़ सकती हैं।
बच्चे के लिए रात के समय एक शांति भरा माहौल बनाए रखना एक अच्छा आईडिया है, जिसमें आप दिन के समय फन एक्टिविटी के लिए प्लानिंग कर सकती हैं। हमारे कहने का मतलब यह नहीं है कि बेबी को लेकर किराने की दुकान चली जाएं। बल्कि आप परिवार के लोगों को बच्चे के साथ घुलने मिलने, बात करने और उसके साथ खेलने के लिए समय दे सकती हैं। अपने घर में जहाँ सब मौजूद हों वहाँ एक बूस्टर सीट या हाई चेयर लगाएं और बच्चे को इस पर बैठ कर ह्यूमन एक्टिविटी देखने दें। जब आप टीवी देख रही हों, तो आप अपने उसे भी साथ में बिठा कर टीवी एन्जॉय कर सकती हैं। हो सकता है कि बच्चा समझ न पाए कि क्या हो रहा है, लेकिन आप उससे थोड़ी-थोड़ी देर में बताएं कि उसके आसपास क्या हो रहा है और बच्चे के साथ आप भी फनी टेलीविजन टाइम बिता सकती हैं।
अपने बच्चे साइलेंट मोमेंट एन्जॉय करने दें, जब मौसम ठंडा हो लेकिन धूप खिली हो, तो स्ट्रोलर में बच्चे को बिठा कर उसे एक्सप्लोर कराएं। आप एक सॉफ्ट और रीदमिक सॉन्ग भी गा सकती हैं, इससे बच्चा आपके साथ कनेक्टेड महसूस करेगा। उसे अपने चारों ओर देखने दें और शांत वातावरण को एन्जॉय करने दें।
यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे के साथ शारीरिक स्पर्श को महत्त्व दें। बच्चे को प्यार देने और उसकी देखभाल करने के लिए त्वचा से त्वचा का संपर्क होना बहुत आवश्यक है। बस बच्चे को अपने शरीर के पास रखें, उसे रिलैक्स करें और कम्फर्ट फील कराएं। आप ऐसा भी कर सकती हैं कि लेटकर बेबी को अपने ऊपर पेट के बल लिटा दें और उसकी पीठ पर धीरे से हाथ फेरें।
आपका छोटा बच्चा अभी तक इमेज के बीच अंतर नहीं कर पाता होगा, लेकिन उसे विभिन्न कलर, साइज और शेप से परिचित कराना एक अच्छा विचार रहेगा। बेबी को ऐसी जगहों पर ले जाएं जो मनोरंजक और सुखदायक हों। ये प्लेफुल मेथड निश्चित रूप से उसके कॉग्निटिव डेवलपमेंट पर पॉजिटिव प्रभाव ही डालेंगे।
अपने बच्चे से कुछ पॉजिटिव रिएक्शन लेने का प्रयास करें। नर्सरी राइम गाएं जिसमें अलग अलग साउंड का उपयोग किया गया हो। ये आपके बेबी को अलग-अलग आवाजें सीखने के लिए अट्रैक्ट करेगा और बच्चा अपने तरीके से इसका जवाब देगा।
आप इस बात को समझें कि शिशुओं की नॉर्मल लैंग्वेज डेवलपमेंट की एक बड़ी रेंज है जिसमें अक्षर और ध्वनियां शामिल हैं, लेकिन बच्चे के साथ जल्दी इंटरैक्ट शुरू कर देना ज्यादा बेहतर होता है। बेबी को आपकी आवाज सुनने में अच्छा लगता है, इसलिए उसके साथ ढेर सारी बातें करें और सही तरीके के साथ उससे इंटरैक्ट करें!
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