टॉडलर (1-3 वर्ष)

ऑटिज्म – शिशुओं और बच्चों में संकेत और लक्षण

पेरेंट्स के तौर पर, आप लगातार हर उस खतरे पर नजर रखते हैं, जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचा सकता है। जहाँ कुछ संकेतों और लक्षणों को नजरअंदाज किया जा सकता है, वहीं कुछ ऐसे लक्षण होते हैं, जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए।

ऑटिज्म और ऑटिज्म की रेंज की बीमारियों की स्थिति में, शुरुआती दौर में दिखने वाले लक्षणों को पहचानना, माता-पिता के लिए काफी मुश्किल हो सकता है। इस लेख में कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में जानकारी दी जा रही है, जिन्हें आसानी से देखा जा सकता है और बच्चे के इस समस्या से प्रभावित होने की संभावना के बारे में सचेत रहा जा सकता है।

शिशुओं और बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण

ऐसे कुछ खास संकेत हैं, जिनका अर्थ यह हो सकता है, कि आपका बच्चा इसके खतरे में है। यहाँ पर ऐसे कुछ लक्षण दिए गए हैं, जिनकी जांच आपको अपने बच्चे में करनी चाहिए। 

1. धीमा विकास

ऑटिस्टिक बच्चों में दूसरे बच्चों की तुलना में विकास की दर काफी धीमी होती है। जहाँ आमतौर पर, माता-पिता इस पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं, वहीं असल में इसका यह अर्थ हो सकता है, कि आपके बच्चे को कोई गंभीर समस्या है। बच्चे का विकास और कम्युनिकेशन की क्षमता केवल कुछ शब्दों और सामान्य हाव-भाव तक सीमित हो जाती है और बच्चे का विकास जल्दी नहीं होता है। 

2. आई कांटेक्ट

ऑटिस्टिक शिशुओं और बच्चों के बारे में एक और बात जिसका ध्यान रखना चाहिए, वह यह है, कि ऐसे बच्चे अपने आसपास के लोगों के साथ लंबे समय के लिए आई-कांटेक्ट नहीं बनाते हैं। जब माता-पिता बच्चे का नाम पुकारते हैं, तब भी ऐसा देखा जाता है। ऑटिस्टिक बच्चे की नजर भी असामान्य होती है और उनमें फोकस करने की क्षमता भी कम होती है। ये अपने आसपास के वातावरण में दिलचस्पी भी नहीं दिखाते हैं या फिर सुस्त नजर आते हैं।

3. बार-बार एक ही व्यवहार करना

ऑटिज्म से प्रभावित कुछ बच्चे अपने रूटीन से कुछ अलग करने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। यह एक ऐसी चीज है, जिसके बारे में अधिकतर माता-पिता ज्यादा नहीं सोचते हैं। खासकर अगर बच्चा यहाँ दिए गए कुछ लक्षण भी दिखाता है, तो इसका अर्थ यह हो सकता है, कि वह एएसडी का शिकार है। अगर आप उनके रूटीन में दखल देने की कोशिश करते हैं, तो भी वे कुछ अजीब सा व्यवहार करते हैं, जैसे – गुस्सा दिखाना, सिर को दीवार पर पटकना आदि। अपने शरीर को अजीब ढंग से आगे पीछे झुलाना भी आम है। 

4. सनक

शिशुओं और बच्चों में यह संभवतः ऑटिज्म का सबसे आम और महत्वपूर्ण संकेत है। ऑटिस्टिक बच्चे अपने आसपास की चीजों, जैसे खिलौने या खाने की किसी चीज को लेकर सनकी हो जाते हैं। वे उस खास चीज में पूरी तरह डूबे हुए नजर आते हैं और ऐसी ही दूसरी चीजों पर ध्यान नहीं देते हैं। उनकी खाने-पीने की आदतें भी बहुत ही सीमित हो जाती हैं और आमतौर पर वे इनके अलावा और कुछ भी नहीं खाते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि वे अपने वातावरण में बदलाव को स्वीकार करने में न तो सक्षम होते हैं और न ही उनकी इच्छा होती है।

5. सामाजिक इंटरेक्शन का सीमित होना

यह भी एक आम लक्षण है और पेरेंट्स इसे तुरंत और आसानी से पहचान सकते हैं। बच्चा दूसरे लोगों से इंटरेक्ट करने में दिलचस्पी नहीं दिखाता है, फिर चाहे वे दूसरे बच्चे हों या खुद उसके माता-पिता ही क्यों न हों। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि ज्यादातर ऑटिस्टिक बच्चे ठीक से सुन नहीं पाते हैं और इसलिए उनका इंटरेक्शन भी सीमित हो जाता है। वे जल्दी मुस्कुराते नहीं हैं। उन्हें नए लोगों से मिलने से नफरत होती है और आमतौर पर वे अपने आरामदायक कोने में अकेले रहना पसंद करते हैं। इससे उनमें आक्रामक व्यवहार भी पैदा हो जाता है, जैसे, अपने हमउम्र बच्चों या दूसरे बच्चों पर बिना कारण हमला कर देना।

6. बड़बड़ाने में देरी

आमतौर पर एक साल की उम्र तक बच्चे ज्यादा बोलने लगते हैं। जिसके बाद आप अपने बच्चे के मुँह से बहुत सारी बातें सुन सकते हैं। किलकारी मारना और बड़बड़ाना, आसपास के लोगों से कम्युनिकेट करने का उनका एक तरीका होता है, जिनमें उनके माता-पिता भी शामिल होते हैं। वहीं ऑटिस्टिक बच्चों में बड़े होने तक ऐसे लक्षण नहीं दिखते हैं और इसी कारण उनके आम विकास में भी देरी होती है।

7. अटेंशन पाने में दिलचस्पी न होना

जैसा कि ऊपर बताया गया है, ऑटिस्टिक बच्चे आमतौर पर अकेले रहना पसंद करते हैं और दूसरों के साथ सामाजिक इंटरेक्शन से नफरत करते हैं। इसकी शुरुआत कम उम्र में ही हो जाती है और पेरेंट्स को इसका पता भी नहीं चल पाता है। इसके कारण कम उम्र में ही बच्चा माता-पिता की गोद में आने की इच्छा नहीं जताता है। अगर आपका बच्चा आपसे इंटरेक्ट नहीं कर रहा है या अपनी उम्र के बच्चों के अनुसार आपके साथ व्यवहार नहीं कर रहा है, तो यह आपके बच्चे में ऑटिज्म की शुरुआत की ओर इशारा करता है।

8. धीमा मोटर डेवलपमेंट

यह भी ऑटिज्म के सबसे आसानी से दिखने वाले लक्षणों में से एक है। आप देखेंगे, कि बच्चा क्रॉल नहीं करता है, वह पलटता नहीं है और खुद को धकेलता भी नहीं है, जो कि उसे आमतौर पर करना चाहिए। ऑटिस्टिक बच्चों में इस उम्र के दूसरे बच्चों की तुलना में मोटर डेवलपमेंट में बहुत अधिक देरी देखी जाती है। इसलिए अगर आपका बच्चा अपनी उम्र के अनुसार कॉल नहीं कर रहा है या पलट नहीं रहा है, तो आपको निश्चित रूप से डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। 

ऊपर दिए गए लक्षण, दो साल की उम्र तक के शिशुओं और छोटे बच्चों में ऑटिज्म के कुछ लक्षण हैं, जिन्हें मिस नहीं करना चाहिए। अगर आपको ऐसा महसूस हो रहा है, कि आपके बच्चे को ऑटिज्म है, तो जितनी जल्दी हो सके, उसके डॉक्टर से संपर्क करें और उचित कदम उठाएं। 

यह भी पढ़ें: 

बच्चों में बौनापन
शिशुओं और बच्चों में सेरेब्रल पाल्सी
शिशुओं और बच्चों में सिस्टिक फाइब्रोसिस

पूजा ठाकुर

Recent Posts

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

3 days ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

3 days ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

1 week ago

रामायण की कहानी: क्या सीता मंदोदरी की बेटी थी? Ramayan Story: Was Sita Mandodari’s Daughter In Hindi

रामायण की अनेक कथाओं में से एक सीता जी के जन्म से जुड़ी हुई भी…

1 week ago

बदसूरत बत्तख की कहानी | Ugly Duckling Story In Hindi

यह कहानी एक ऐसे बत्तख के बारे में हैं, जिसकी बदसूरती की वजह से कोई…

1 week ago

रामायण की कहानी: रावण के दस सिर का रहस्य | Story of Ramayana: The Mystery of Ravana’s Ten Heads

यह प्रसिद्द कहानी लंका के राजा रावण की है, जो राक्षस वंश का था लेकिन…

1 week ago