बच्चों को ईश्वर का रूप कहा गया है, क्योंकि उनके अंदर किसी भी प्रकार का छल-कपट नहीं होता, वे मन के बहुत साफ होते हैं। माता-पिता के रूप में हम बच्चे को आकार देते हैं। वो कच्ची मिट्टी की तरह नाजुक होते हैं, इसलिए बच्चे के अंदर आप कैसे संस्कार डाल रहे, वो तय करता है कि उनके आने वाला भविष्य कैसा होगा। 14 नवंबर का दिन जिसे ‘बाल दिवस’ के रूप में हम जानते हैं, यह दिन बच्चों को समर्पित है, इस दिन देश के प्रथम प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ का जन्म हुआ था और क्योंकि पंडित नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था इसलिए उनके जाने के बाद 14 नवंबर बाल दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
यहाँ बच्चों के लिए बाल दिवस पर कविताएं दी गई हैं, जिन्हें वे अपने स्कूल में बाल दिवस के अवसर पर पढ़ सकते हैं। ये कविताएं बच्चों के विभिन्न प्रतियोगिताओं में भी प्रस्तुत की जा सकती हैं।
बचपन की यादें सजाएं,
आओ इस दिन को मनाएं,
आता नहीं है कभी यह दिन दोबारा,
क्यों न बचपन का जश्न मनाएं।
बचपन देता है सपनों की उड़ाने,
रंगीन पतंग सा चंचल मन,
कभी बाघी बनकर कभी भोला सा,
हर हद को पार करता बचपन।
नहीं रुकता किसी के जोर से,
सरपट भागा जाता है बचपन,
कभी माँ का आँचल पकड़ता है,
कभी बाप की डांट खाता बचपन।
निर्भीक साहसी होता है,
किसी कसबस में न आता बचपन,
बात-बात पर अड़ जाता यह,
बड़ी मनमानी करता बचपन।
हंसता-गाता खूब मुस्कुराता,
भागा-भागा मौज मनाता बचपन,
और खूब जमा कर यादें,
न जाने कब बड़ा हो जाता बचपन।
खिलौनों की जिद, वो किस्से पुराने,
जब बैठे दोस्तों में तो कई निकले फसाने,
ले आई हर बार चेहरे पर मुस्कान,
वो कहानी पुरानी बचपन की बात।
मिले जब भी चार यार एक जगह पर,
निकले किस्से वही खेल के और उन सुहाने पलों के,
वो नुक्कड़ पर बैठे सबका इंतजार करना,
वो बचपन की यादें, वो किस्सा पुराना।
बहुत साल होने को आए अब तो,
जो बीता था बचपन, वो था शायराना,
हंसी के ठहाकों से बसता था आंगन,
घुलती थी फिजा में वो अनमोल खुशियां।
कभी स्कूल न जाने का बहाना,
कभी अम्मा के डंडे से मार खाना,
वो एक रुपए के लिए हजारों जतन करना,
जो पुराना पिटारा खोलूं तो बचपन याद आना।
जिसके पास होती थी खुशियों की चाभी,
वो जादूगर और कोई नहीं बचपन हुआ करता था,
कहानी सुनना और सुनाने का सिलसिला हुआ करता था,
खुशियों की मीठी यादें आज फुहारें बन कर जीवन को ताजा करती है।
आओ मिलकर एक बार से फिर जी लें वो पल,
बचपन की बीती बातों का आओ लगाएं मेला,
जिसमें होंगी बातें खूब सारी पुरानी,
सब बताएंगे अपनी-अपने बचपन की कहानी।
समय के साथ बड़े हो जाने से नहीं छूटता बचपन का साथ,,
वो पल कभी जो भुलाए न जा सके उनका भी है अपना एक मोल,
खेल के मैदान, दोस्तों की टोली और न जाने कितना कुछ,
बात निकाली बचपन की तो कितना कुछ याद आया।
सपनों में खोए रहने की अद्भुत कला थी हम सब में,
लगती है आज वो सब बातें जैसे कोई मीठा साज हो,
समय का पहिया चलता गया फिर बचपन छूट गया वहीं,
लेकिन बचपन का जादू आज भी उतना ही अद्भुत लगता है।
आओ फिर से वो दिन बचपन जी लें,
वही खुशियों को फिर से जी लें।
संग-साथ, हंसी और प्यार बाटें,
बेफिक्र हो कर मस्त जिएं।
सपनों में खोए रहते हैं और जागे सोए रहते हैं,
मनमानी करते रहते हैं, नहीं एक किसी की भी सुनते।
बाघी हो जाता था तब भी यह जिद्दी मन,
जब कुछ पाने की होती थी लगन।
जो वक्त गया उसे जाने दो,
पर बीते बचपन को फिर से आने दो।
अपने छुपे भीतर बच्चे को तुम अब,
बेजिझक बाहर निकल कर आने दो।
यह बचपन ही तो हमें जिंदा दिल रखता है,
इसके होने से ही तो जीवन उजागर लगता है।
हर एक बातों को थोड़ी कोई ऐसे भला याद करता है,
बड़े दिल से लगाए रखता है, वो बीता बचपन।
5. मनाते हैं बाल दिवस
14 नवंबर को मनाते हैं बाल दिवस,
जिसे कहते हैं बच्चों का दिन।
क्यों न इसको सब मिलकर मनाएं,
इस दिन होता है चाचा नेहरू का जन्म।
बच्चों का हर सपना हो साकार,
चाचा नेहरू का बच्चों के लिए यह प्यार।
वे चाहते थे आने वाला कल बन जाए इतना सफल,
जिसमें बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा, हर हक मिले सामान।
नेहरू जी को बड़ा प्रेम था बच्चों से,
इसलिए उन्हें बच्चे कहते हैं प्यार से चाचा नेहरू।
वो बच्चों के बचपन को भी हमेशा,
ऐसी ही हंसते खिलखिलाते देखना चाहते थे।
आओ साथ मिलकर करें एक वादा,
बच्चों के लिए बनाएंगे एक नया जमाना।
खुशियों से भरी होगी जिसकी हर एक सुबह,
बचपन में खिल उठे हर एक दिल की तरंग।
बाल दिवस की हैं ये शुभकामनाएं,
बच्चों का भविष्य रहे सदा उज्जवल।
संग-संग बनी रहे ईश्वर की भी कृपा,
वे सदा करते रहे हर बच्चे का मार्ग दर्शन।
हर बच्चे को मिले शिक्षा का अधिकार,
खुशियों से भरा हो उनका संसार।
सपनों को पूरा करने का उन्हें मिले हर मौका,
बचपन का हर लम्हा उनका रहे यादगार सदा।
हम सब मिलकर एकजुट हो कर,
करें बाल अधिकारों का मन से सम्मान।
हमें शांति, सुरक्षा और प्यार से भरना होगा,
हर बच्चे का आने वाला भविष्य।
आओ, हम सब इस ओर कदम बढ़ाएं,
बाल मजदूरी के विरुद्ध आवाज उठाएं।
एक नया सवेरा लाने का संकल्प हमें करना होगा,
हर बच्चे के सामान अधिकारों की लड़ाई हम सबको मिलकर लड़ना होगा।
आओ जन जन तक यह बात फैलाएं,
चलो मिलकर बाल दिवस का महत्व बताएं।
यह लड़ाई है खिलाफ उन बाल कुरुतियों के,
जिसने छीन लिया उनके अधिकारों का वरदान।
यह समय है हम सभी के मिलकर साथ खड़े होने का,
बच्चों के हक की आवाज को अब और ध्यान से सुनने का।
शिक्षा, सुरक्षा, और प्रेम का हर बच्चे को अधिकार दिलाने का,
वादा करों हर बच्चे को उसके सामान्य अधिकार दिलाने का।
जागरूकता से ही अब आएगा बड़ा बदलाव,
हर दिल में भरना है इस नई उमंग का जज्बा।
यही सही वक्त है आओ, हम सब मिलकर करें यह प्रण,
बच्चों के भविष्य को सफल बनाने का हम सब करते हैं यह कर्तव्य।
ठान लो कि अब हर आवाज में हो अधिकार की गूंज,
हर बच्चे के सपने हो साकार, अब एक यही धुन होगी।
बाल दिवस के महत्व को अब सभी को पहचानना होगा,
तभी हम एक बेहतर समाज की ओर अब बढ़ पाएंगे आगे।
वो बचपन दोस्तों वाला था,
जब बनाते थे कागज की कश्ती,
जब छोटी-छोटी बातों में हंसी ढूंढ लिया करते थे,
जब जीवन को मौज मस्ती में लिया करते थे।
सपनों की एक अलग दुनिया में अपना आशियाना हुआ करता था,
बचपन की खुशियों का हो मेला बेहिसाब लगा करता था,
स्कूल न जाने को अनगिनत बहाने करने पड़ते थे,
सावन आते ही पड़ जाते थे पेड़ो पर झूले।
अपनी बारी का वो सब्र से इंतजार करना,
अब कहां मिलेगा वो बेबाक बचपन,
वो नगरी जहां यार पुराने बसते थे मन में,
वो बचपन दोस्तों वाला था।
उम्मीद है आपको बाल दिवस पर विशेष बच्चों के लिए लिखी गई कविताओं का यह संग्रह पसंद आया होगा। बच्चे आने वाला भविष्य है इसलिए हमारे देश का आने वाला कल उनके हाथ में है, हमारा प्रयास हर बच्चे के जीवन और भविष्य को सफल बनाने का होना चाहिए ताकि आगे चलकर एक बेहतर भारत का निर्माण हो सके।
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