शिशु

बेबी फूड के चरण – बच्चे का पहला, दूसरा और तीसरा आहार

एक नवजात शिशु के लिए, ब्रेस्टमिल्क पोषण का प्राथमिक स्रोत होता है। लेकिन फिर एक ऐसा समय आता है, जब बच्चे को ठोस आहार से परिचय कराने की जरूरत होती है। बच्चे को केवल दूध पिलाना छोड़ कर, ठोस आहार की  ओर रुख करना, उसके जीवन का एक बड़ा माइलस्टोन होता है। यह पूरी प्रक्रिया पेरेंट्स के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण हो सकती है। इसलिए एक बच्चे को विभिन्न चरणों में ठोस आहार देना अच्छा होता है, ताकि इस नए विकास को अपनाने के लिए उसे पर्याप्त समय मिल सके। 

आपको अपने बच्चे के भोजन में ठोस आहार की शुरुआत धीरे-धीरे करनी चाहिए। लिक्विड प्यूरी से शुरू करते हुए, धीरे-धीरे मुलायम खाने की ओर बढ़ना अच्छा होता है। इसे धीरे-धीरे आगे बढ़ाने से बच्चे को दाँतों के बिना चबाकर खाने की आदत होने में मदद मिलती है और दाँत आने पर ठोस आहार लेना उसके लिए आसान हो जाता है। 

आपने बेबी फूड के ऊपर लेबल लगे हुए देखे होंगे, जिन पर स्टेज एक, दो या तीन लिखा होता है। इन लेबल्स के बीच अंतर कर पाना काफी उलझन भरा हो सकता है। बेबी फूड बनाने वाली कंपनियां, बेबी फूड के हर स्टेज के बेबी फूड के लिए अलग-अलग लेबल का इस्तेमाल करती हैं, जिससे कन्फ्यूजन पैदा होता है। एक्सपर्ट्स, शुरुआती दौर में स्टेज वन के लेबल वाले बेबी फूड का इस्तेमाल करने की सलाह देते हैं और जब तक आपका बच्चा इसमें पारंगत नहीं हो जाता है, तब तक उसे बड़े टुकड़े वाला खाना देने से बचना चाहिए। 

शिशु के खाने के विभिन्न चरण

सभी स्टेज के लिए यह रिकमेंडेशन केवल एक जनरल गाइडलाइन है। कुछ बच्चे 7 से 8 महीने की रिकमेंडेड उम्र के पहले ही स्टेज-2 के खाने के लिए तैयार हो सकते हैं, वहीं कुछ बच्चे 8 से 9 महीने के होने के बाद भी इसके लिए तैयार नहीं हो पाते हैं। इसके लिए पेरेंट्स को बेवजह परेशान नहीं होना चाहिए या गाइड लाइन के अनुसार व्यवहार करने के लिए अपने बच्चे पर दबाव नहीं डालना चाहिए। आपको अपने बच्चे को अपनी गति से विकास के पड़ाव तक पहुँचने देना चाहिए। लेकिन अगर आपको ऐसा महसूस होता है, कि उम्र के अनुसार उसके खाने-पीने की आदतों का विकास नहीं हो रहा है, तो आप उचित निर्देश के लिए अपने पेडिअट्रिशन से परामर्श ले सकती हैं। 

बेबी फूड स्टेज – 1 (6 से 8 महीने की उम्र)

इस स्टेज के दौरान, आपका बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद चखता है। आदर्श रूप से जब बच्चा अपने सिर और गर्दन पर पकड़ बनाने के योग्य हो जाता है और थोड़े सहारे के साथ बैठने में सक्षम हो जाता है, तो उसे ठोस आहार देने की शुरुआत की जा सकती है। शारीरिक संकेतों के अलावा आपको सामाजिक संकेतों की ओर भी नजर डालनी चाहिए। जैसे – आसपास के लोग क्या खा रहे हैं, इसमें आपके बच्चे को दिलचस्पी है या नहीं और वह उनके खाने-पीने की आदतों की नकल करता है या नहीं। कभी भी खाना देखने पर वह अपना मुँह खोल सकता है और दूध पिलाने के बाद वह भूखा दिखता है। 

1. 4 से 6 महीने की उम्र में

इस बात का ध्यान रखें, कि इस स्टेज में भी ब्रेस्टमिल्क ही पोषण का मुख्य स्रोत होना चाहिए। क्योंकि, अभी भी बच्चे के लिए यह सबसे जरूरी आहार है। इस पड़ाव में, अच्छी तरह से मसले हुए खाने की थोड़ी-थोड़ी मात्रा से शुरुआत करना अच्छा होता है। आपके बच्चे के लिए कुछ चम्मच खाना ही काफी होगा। आप चाहें, तो मैश किए हुए हुए खाने को अपनी सुविधा के अनुसार पतला बनाने के लिए, उसमें थोड़ा ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला मिल्क भी डाल सकती हैं। इस उम्र में बच्चे के खाने में नमक व शक्कर न डालने की सलाह दी जाती है।

इस चरण में आप अपने बच्चे को जो खिलाने की कोशिश कर सकती हैं, वे इस प्रकार है: 

  • केला, सेब जैसे फलों की स्मूद प्यूरी
  • सब्जियों की बारीक प्यूरी
  • चावल, दाल जैसे किसी एक अनाज का पारदर्शी सूप (अधिकतर शिशुओं के लिए इसकी सलाह 6 महीने की उम्र के बाद दी जाती है)

2. 6 से 8 महीने की उम्र में

इस दौरान आपको उस लिक्विड का इस्तेमाल कम कर देना चाहिए, जिसे आप प्यूरी को पतला करने के लिए इस्तेमाल करती थी। क्योंकि अब तक आपके बच्चे को इसे खाने की आदत हो चुकी होगी। आप उसे नए-नए खाने देने की शुरुआत कर सकती हैं, लेकिन एक बार में केवल एक खाने का परिचय ही करवाएं, ताकि आपको पता चल सके, कि उसे क्या पसंद आ रहा है और क्या नहीं। दूसरे नए खाने को उसे खिलाने से पहले लगभग 3 दिनों तक इंतजार करें, ताकि किसी तरह के एलर्जिक रिएक्शन या डाइजेस्टिव प्रॉब्लम होने की स्थिति में उसका पता चल सके। 

कुछ खाद्य पदार्थ, जो आप उन्हें खिला सकती हैं, वे इस प्रकार है: 

  • बार्ली और ओट्स जैसे अनाज
  • नाशपाती, एवोकाडो, आम, केला, सेब जैसे फल
  • मीठे आलू, हरी बीन्स, मटर, गाजर, आलू जैसी सब्जियां

बेबी फूड स्टेज – 2 (8 से 10 महीने की उम्र)

शायद आपको पता होगा, कि अगर आप टंग ट्रस्ट रिफ्लेक्स जैसे संकेत देखते हैं, तो बच्चा अब अगले फूड स्टेज-2 के लिए तैयार है, क्योंकि ऐसे में एक बच्चा अपने मुँह में खाने को आसानी से ले सकता है और अच्छी तरह से उसे निगल सकता है। लार बहने की समस्या कम हो जाती है और बच्चे के मुँह से खाना बाहर निकलना भी बहुत कम हो जाता है। अब तक आपको यह भी पता चल चुका होगा, कि आपका बच्चा किन खाद्य पदार्थों के प्रति सेंसिटिव है। इस स्टेज तक बेबी फूड की कंसिस्टेंसी पहले से गाढ़ी भी हो सकती है और उसमें छोटे-छोटे खाने के टुकड़े भी हो सकते हैं। इस समय तक बच्चों के बहुत सारे दाँत नहीं आते हैं, इसलिए खाने को छान कर देना अच्छा रहेगा। आप अलग-अलग सब्जियों, फलों और अनाजों का मिश्रण उसे देने की कोशिश कर सकती हैं और खाने की मात्रा को भी धीरे-धीरे बढ़ा सकती हैं। 

इस उम्र में बच्चे को खिलाने के लिए कुछ खाद्य पदार्थ: 

  • मक्का, गाजर, मटर जैसी सब्जियों का मिश्रण
  • फूलगोभी, ब्रोकली, एस्पेरागस, बैंगन जैसी अन्य सब्जियां
  • आयरन फोर्टिफाइड सीरियल्स
  • क्विनोआ, बकव्हीट, फ्लैक्स जैसे ग्रेन्स
  • अंगूर, कीवी, पपीता, अंजीर, ब्लूबेरी, क्रैनबेरी जैसे कच्चे फल छोटे टुकड़ों में कटे हुए
  • फिश, चिकन, टर्की, जैसे मीट (फिश, चिकन और पूरी तरह से पके हुए अंडे जैसे लीन मीट के साथ शुरुआत करें)
  • अंडे की जर्दी
  • टोफू
  • पनीर, शेडर चीज, क्रीम चीज
  • दही

बेबी फूड स्टेज – 3 (10 से 12 महीने की उम्र)

उम्र के अनुसार बच्चे के खाने में अगला चरण तब आता है, जब वह 10-12 महीने का हो जाता है। अब तक वह अच्छी तरह से निगलना शुरू कर देता है। उसके और भी कई दाँत आ जाते हैं। वह चम्मच पकड़ कर खाना भी सीख चुका होता है। 10 से 12 महीने की उम्र के बच्चे आमतौर पर छोटे टुकड़ों और आसानी से चबा सकने वाले फिंगर फूड आसानी से खा पाते हैं। अब तक उनके खाने की मात्रा भी अधिक हो जाती है। एक भोजन के दौरान वे एक चौथाई कप अनाज, फल और सब्जियां खाने के योग्य हो जाते हैं। जब तक बच्चा एक साल का नहीं हो जाता, तब तक उसके खाने में नमक और शक्कर डालने से बचें। 

इस उम्र में बच्चे को खिलाने के लिए कुछ खाद्य पदार्थ इस प्रकार है: 

  • सभी तरह के खट्टे फल और बेरीज
  • अलग-अलग तरह के ग्रेन्स और सीरियल
  • साबुत अंडे
  • होल मिल्क
  • मुलायम चीज
  • हरी पत्तेदार सब्जियों समेत सभी तरह की सब्जियां

अगर आप अपने बच्चे के खाने को लेकर चिंतित हैं, तो आप उम्र के अनुसार उसके लिए सही डायट बनाने के लिए किसी न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह ले सकती हैं। इसके साथ अपने बच्चे के खाने की आदतों और योग्यताओं को बदलते हुए और बढ़ते हुए देखने का सुख लेना कुछ अलग ही होता है। 

यह भी पढ़ें: 

बच्चों की भूख कैसे बढ़ाएं
बच्चों के लिए 10 सर्वश्रेष्ठ आहार
शिशुओं को ठोस आहार खिलाने की शुरुआत करना

पूजा ठाकुर

Recent Posts

रियान नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Riyan Name Meaning in Hindi

आज के समय में माता-पिता अपने बच्चों के लिए कुछ अलग और दूसरों से बेहतर…

6 days ago

राजीव नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल – Rajeev Name Meaning In Hindi

लगभग हर माता-पिता की ख्वाहिश होती है कि उनके बच्चे का नाम सबसे अलग और…

6 days ago

35+ पति के जन्मदिन पर विशेस, कोट्स और मैसेज | Birthday Wishes, Quotes And Messages For Husband in Hindi

एक अच्छा और सच्चा साथी जिसे मिल जाए उसका जीवन आसान हो जाता है। कहते…

1 week ago

माँ के लिए जन्मदिन पर विशेस, कोट्स और मैसेज – Birthday Wishes, Quotes And Messages For Mother in Hindi

माँ वह इंसान होती है, जिसका हमारे जीवन में स्थान सबसे ऊपर होता है। माँ…

1 week ago

बेटी के पहले बर्थडे पर विशेस, कोट्स और मैसेज – Wishes, Quotes And Messages For Baby Girl’s First Birthday in Hindi

यह बात हर कोई जानता है कि बेटियों से घर की रौनक होती है। चाहे…

1 week ago

बेटे के पहले बर्थडे पर विशेस, कोट्स और मैसेज – Wishes, Quotes And Messages For Baby Boy’s First Birthday in Hindi

माता-पिता बनना किसी भी शादीशुदा जोड़े की जिंदगी में एक बेहद यादगार और अनमोल पल…

1 week ago