शिशु

बेबी को सेल्फ सूदिंग सिखाने के प्रभावी तरीके

सेल्फ सूदिंग एक बेहतरीन तरीका है जिससे सिर्फ बच्चे को सेटल होने में ही मदद नहीं मिलती है बल्कि यह अच्छी नींद में भी मदद करता है। बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने से आपको आसानी हो सकती है क्योंकि जब भी बच्चा जागे तो आपको उठने की जरूरत नहीं है। आप बच्चे को नींद के लिए आप पर पूरी तरह से निर्भर होने से पहले कई तरीकों से उसे खुद शांत होना सिखाना शुरू कर सकती हैं। 

सेल्फ सूदिंग क्या है?

सेल्फ सूदिंग एक स्किल है जिसकी मदद से एक छोटा बच्चा विशेषकर रात में जागने के बाद बिना रोए या केयर गिवर व पेरेंट्स के बिना शांत कराए खुद ही सो जाता है। न्यू बॉर्न बच्चों को सुलाने से पहले सुविधाजनक महसूस कराने के लिए कई चीजें करनी पड़ती हैं, जैसे कडलिंग, फीडिंग या थपथपाना और यदि नहीं किया तो वह रोना शुरू कर सकता है। बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने से उसे लगातार बिना शांत कराए नींद लेने में मदद मिलती है। 

इसमें क्या होता है?

सेल्फ सूदिंग में कई चीजें होती हैं जिससे बच्चा खुद को शांत कर पाता है। सेल्फ सूदिंग के कुछ तरीके निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

1. शरीर के अंगों का उपयोग करता है, जैसे हाथ, पैर, उंगलियां, मुंह और चेहरा

  • बच्चा अंगूठा या पैसिफायर चूसेगा।
  • बच्चा दोनों हाथ को एक साथ पकड़ेगा।
  • बच्चा हल्के से अपनी आंखों को मसलेगा।
  • बच्चा ब्लैंकेट या खिलौने को चूसेगा।

2. स्पर्श और वाइब्रेशन पर आधारित सेल्फ सूदिंग

  • बच्चे को गोदी में लेकर झुलाना।
  • उसके बालों में सहलाना।
  • लोरी गुनगुनाना या गाना।

3. बच्चा मूव करते-करते खुद चीजों को समझता है

खुद से एक्स्प्लोर करने के तरीकों में आप बच्चे को क्रिएटिव होने के लिए छोड़ दें और उसे अपने सुविधाजनक रूप से मूवमेंट्स करने दें। 

छोटे बच्चे को सेल्फ सूदिंग कब सिखाना चाहिए?

बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने का कोई भी विशेष तरीका नहीं है क्योंकि इसमें एक्सपर्ट्स के कुछ अलग ही विचार हैं। हालांकि यह माना जाता है कि पहले 3 महीने में बच्चे खुद से शांत नहीं होते हैं। उन्हें 6 महीने के बाद तक ही कुछ स्किल्स सीख पाते हैं। बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने का सबसे बेस्ट समय 4 से 7 महीने के बीच का माना जाता है। 

बच्चे को सेल्फ सूदिंग कब सिखानी चाहिए, आइए जानें 

1. न्यूबॉर्न बच्चे

सेल्फ सूदिंग वह स्किल है जिसमें बच्चा खुद से सो जाता है और न्यूबॉर्न बच्चे में यह स्किल नहीं होती है। उनका दिमाग इतना विकसित नहीं होता है कि वे अपनी भावनाओं को मैनेज कर सकें और इसलिए उन्हें शांत करने के लिए पेरेंट्स की जरूरत पड़ती है जो बच्चे को गाकर, गले से लगाकर, पकड़ कर, झुला कर या दूध पिला कर सुलाते हैं। इसलिए पहले 3 महीने तक बच्चा पेरेंट्स पर निर्भर होता है। 

2. 4 महीने के बच्चे

इस समय तक बच्चे का दिमाग भावनाओं को काफी हद तक नियंत्रित करने लगता है और उनके नींद का पैटर्न भी बन जाता है। इसलिए गहरी नींद के लिए पेरेंट्स पर बच्चों की निर्भरता कम होने लगती है। हालांकि सेल्फ सूदिंग पूरी तरह से खुद से सोने के लिए नहीं होनी चाहिए क्योंकि बच्चा अभी भी बहुत छोटा है। 

छोटे बच्चों के लिए सेल्फ सूदिंग के फायदे

सेल्फ सूदिंग एक स्किल है जो बच्चे को खुद से जल्दी सोने में मदद करती है और यह लंबे समय के लिए फायदेमंद है। सेल्फ सूदिंग के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं;

1. बच्चा देर तक और ठीक से सोता है

रिसर्च के अनुसार जो बच्चा रात में सोने के लिए सेल्फ सूदिंग कर लेता है वह बेहतर तरीके से लंबे समय के लिए सोता है। इसके अलावा यदि बच्चा रात में कभी भी उठता है तो दोबारा से खुद ही सो जाता है। 

2. बच्चे को खुद पर भरोसा रखने के लिए प्रेरणा मिलती है

सेल्फ सूदिंग खुद पर निर्भरता को प्रेरित करता है क्योंकि इसमें बच्चा खुद से सोना सीख जाता है। यदि शुरूआती उम्र में बच्चे को यह स्किल सिखा दी जाए तो इससे उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता है। ऐसे बच्चे बदलाव को स्वीकार करते हैं और खुद से ही मोटिवेट रहते हैं। 

3. माँ को ज्यादा से ज्यादा समय मिलता है

बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाना आपके लिए भी फायदेमंद है। एक बार जब बच्चा सेल्फ सूदिंग सीख जाता है तो वह रोता नहीं है और कम्फर्टेबल रहता है। पर इसका यह मतलब नहीं है कि बच्चा कभी भी नहीं रोएगा क्योंकि वह सिर्फ इसी तरह से कम्युनिकेट कर सकता है। 

4. लंबे समय के लिए मदद करता है

जो छोटे बच्चे सेल्फ सूदिंग स्किल्स सीख जाते हैं वे बड़े होते-होते अपने टैंट्रम्स खुद ही मैनेज करने लगते हैं। ऐसे बच्चे कम चीड़चिड़े होते हैं और जब पेरेंट्स घर पर न हों तो चीजों को कैसे हैंडल करना है यह उन्हें पता होता है। 

बेबी को सेल्फ सूदिंग कैसे सिखाएं

अन्य कई स्किल्स जैसे ही बच्चे के लिए कई सेल्फ सूदिंग तरीके हैं जिन्हें आप उसे सिखा सकती हैं, आइए जानें;

1. अपनी सोच बढ़ाएं

इसमें बच्चे को हर समय सुलाने के बारे में आपकी मानसिकता व धारणा में बदलाव शामिल है। यह सच है कि पेरेंट्स होने के नाते आप बच्चे को दर्द में नहीं देख सकते हैं पर यह भी जरूरी नहीं है कि जैसे ही वह रोए तो आप उसे तुरंत उठा लें। ऐसा करने से आप बच्चे को खुद पर निर्भर होने की गंदी आदत डाल रहे हैं। जाहिर है शुरूआत में बच्चे को सोने के लिए फीडिंग की जरूरत पड़ेगी। पर कुछ समय के बाद आप उसे सेल्फ सूदिंग सिखा सकती हैं। इसके लिए आपको विश्वास करना होगा कि वह खुद से कर सकता है। 

2. रूटीन सेट करें

बच्चे की रोजाना की एक्टिविटी का रूटीन बनाना बहुत जरूरी है। शुरुआती उम्र में बच्चे को एक पैटर्न में ढालना आसान है। इससे बच्चा लिस्ट की अगली एक्टिविटी के लिए भी तैयार रहता है। उदाहरण के लिए यदि आप नहाने, सोने, स्नैक्स खाने और खेलने के एक सीक्वेंस को फॉलो करती हैं तो आपको यह करते रहना चाहिए। अचानक से कोई नई एक्टिविटी करने से बच्चे को एंग्जायटी को सकती है। इसके अलावा लगातार एक चीज करने से बच्चा चिंता कम करता है क्योंकि उसे पता है कि अगला क्या होने वाला है जिसमें नींद का समय भी शामिल है। 

बच्चे के रोज के रूटीन को ऑब्जर्व करें, जैसे वह कितनी देर तक सोता है, कितनी बार खाता है आदि और उसके इस रूटीन को लिख लें। यदि बच्चा दिन में उसी समय नहीं सोता है तो आप उसकी नींद के समय को नियमित करने का प्रयास करें। 

3. बच्चे को बहुत जल्दी कंफर्ट न करें

बच्चे को सेल्फ सूदिंग का एक मौका दें। रोना शुरू करते ही उसे तुरंत उठाने के बजाय थोड़ी देर तक इंतजार करें। आप किसी फन एक्टिविटी से बच्चे का ध्यान भटकाने की कोशिश करें या उसे कुछ मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें। यदि वह रोना बंद नहीं करता है तो इसका यह अर्थ है कि उसे बेचैनी हो रही है या भूख लगी है तब आपको उसे उठा लेना चाहिए। बच्चे की छोटी-छोटी शिकायतें और रोना सुनने से वह बिगड़ सकता है इसलिए आप इस बात का ध्यान रखें। 

4. जब बच्चे को आलस आए तो उसे बिस्तर पर लिटा दें

जब बच्चे को नींद आ रही हो तो उसे बिस्तर पर न लिटाएं क्योंकि इससे वह नींद पर निर्भर हो जाएगा। इसके बजाय जब वह आधा नींद में हो तो आप उसे बिस्तर पर बैठा दें। इससे बच्चे को खुद से सोने में मदद मिलेगी। 

5. बच्चे को सुलाने के लिए फीड न कराएं

ज्यादातर पेरेंट्स बच्चे को सुलाने के लिए फीडिंग कराने की गलती करते हैं। उन्हें यह पता नहीं लगता है कि इससे बच्चा सेल्फ सूदिंग नहीं कर पाएगा। बच्चे को सुलाने से पहले दूध पिलाना बंद कर दें ताकि सोने के लिए वह दूध पर निर्भर न रहे। 

6. आठ दिन का ट्रायल रखें

बच्चे को सेल्फ सूदिंग कैसे सिखानी है यह जानने से आप उसे शुरुआत में एक ट्रायल पर मदद कर सकती हैं। तो यहाँ पर वो ट्रायल दिया हुआ है, जिसे आप फॉलो कर सकती हैं, आइए जानें;

  • दिन 1-4: बच्चे के लिए एक टॉय या ब्लैंकेट लाएं जो उसे खुशी का एहसास दे सके। बच्चे को इसे सूदर की तरह उपयोग करना सिखाएं।
  • दिन 5-7: बच्चे को इस नए पैटर्न में आने दें। उसे ब्लैंकेट या टॉय से बेहतर अटैचमेंट होने लगेगा और तब आप बच्चे को रात में सूद करने के लिए इसका उपयोग कर सकती हैं। यहाँ तक कि यदि बच्चा जागने के बाद रोता है तो उसे शांत करने के लिए उस ब्लैंकेट या टॉय का उपयोग करें। थोड़ा धैर्य रखें चूंकि बच्चा अभी सीख ही रहा है इसलिए शुरूआत में यह थोड़ा सा चैलेंजिंग लग सकता है।
  • दिन 8: ट्रायल के अंतिम दिन में बच्चा खुद से शांत होने में सक्षम हो सकता है। आखिरी दिन में आप बच्चे को टॉय या ब्लैंकेट न दें। इसके बजाय उसके क्रिब में यह चीजें रख दें। यदि बच्चा जागने के बाद रोने लगता है तो उसे थोड़ा सा समय दें वह खुद ही शांत हो जाएगा।

7. बच्चे को आराम से सेल्फ सूदिंग सिखाएं

आप अपने बच्चे को 3 से 4 महीने की उम्र से लेकर एक साल तक उसकी जरूरत के अनुसार सिखाना शुरू कर सकती हैं। चूंकि सेल्फ सूदिंग के लिए धैर्य की जरूरत है इसलिए हम बहुत सरल तरीके की सलाह देते हैं। 

बच्चे को जल्दी सुलाने के बजाय उसे थोड़ी देर के लिए सुलाएं, फिर जब वो आधी नींद में हो तो उसे नीचे बैठा दें ताकि वह पूरी तरह से जाग जाए। 

इसमें धैर्य की जरूरत है और यह धीरे-धीरे सही हो जाएगा। एक बार जब आप इसे फॉलो करने लगेंगी तो बच्चा अपने आप ही इस स्थिति को स्वीकार कर लेगा और आपके समय की जरूरत के बिना ही खुद से सेटल होकर सोने लगेगा। 

8. कपड़ों में माँ की गंध

बच्चे माँ की गंध बहुत जल्दी पहचान लेते हैं। माँ के द्वारा पहनी हुई टी-शर्ट को को बच्चे के क्रिब में बांधने से रात के दौरान उसे शांत होने में मदद मिलती है। 

छोटे बच्चे या बेबी को सेल्फ सूद करने के टिप्स

बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने के लिए कई सारे ट्रिक्स हैं। कौन सी ट्रिक काम करती है और कौन सी नहीं, आइए जानें;

1. म्यूजिकल टॉय के साथ क्रिब

कई सालों से म्यूजिक लोगों में शांति प्रदान करने के लिए बेहतरीन है। आप बच्चे के लिए एक म्यूजिकल क्रिब खरीदें जिसमें टॉय भी लगा जाना चाहिए और उसमें सूदिंग ट्यून्स भी होंगी जिससे बच्चे को नींद आने में आसानी होगी। 

2. नींद के समय में निरंतरता लाएं

बच्चे को लगातार एक ही समय पर सुलाने से उसकी नींद का एक विशेष शेड्यूल बन जाता है। यदि बच्चा नींद के समय पर असुविधाओं का अनुभव करता है तो उसके सोने के समय को थोड़ा सा आगे बढ़ाने का प्रयास करें। 

3. रात के रूटीन को रिलैक्स बनाए रखें

रात के रूटीन से बच्चे को अच्छी नींद आती है। आप बच्चे को नहलाकर, कहानी पढ़कर या लोरी गा कर उसके इस रूटीन को बेहतर बना सकती हैं। इसके अलावा आप बच्चे को कम्फर्टेबल फिटिंग के फुल कपड़े पहनाएं जिसमें गंध न आती हो ताकि रात में उसे ठंड न लगे या मच्छर व कोई भी कीड़ा न काटे। कमरे की लाइट धीमी होनी चाहिए ताकि यदि बच्चा रात में जाग भी जाए तो दोबारा से सो सके। 

4. सही सूदिंग टॉयज का उपयोग करें

क्रिब सेफ्टी गाइडलाइन्स के अनुसार आपको बच्चे के क्रिब में सूदिंग और हानिरहित टॉयज ही लगाने चाहिए। 8 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए क्रिब में टांगने वाले टॉयज का उपयोग करने की सलाह दी जाती है जिन्हें बच्चा महसूस कर सकता है, सूंघ सकता है और समझ भी सकता है पर उसे पास नहीं ला सकता है। आठ महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए आप सिर्फ क्रिब में कुछ टॉयज ऐसे ही डाल दें। 

5. बच्चे के सोते समय आप कमरे में कम जाएं

आप क्रिब के साइड में बैठकर बच्चे को बिना उठाए उसके बाल या पीठ सहला सकती हैं। फिर धीमे से बिना आवाज के उसके करीब बैठ जाएं। आप बस कमरे में रहने का प्रयास करें और ज्यादा एक्टिव न रहें। अंत में बच्चे को क्रिब में लिटाएं और बच्चे के रोने पर बिना ध्यान दिए कमरे से बाहर निकल जाएं ताकि वह सो सके। 

क्या करें और क्या न करें

बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाते समय आपको निम्नलिखित कुछ चीजें ध्यान में रखनी चाहिए, जैसे;

1. धैर्य रखें

बच्चे को सेल्फ सूदिंग सीखने के लिए उसे पर्याप्त समय और मौका दें। हर बच्चा अलग-अलग तरीके से बढ़ता व सीखता है इसलिए यदि वह रोने लगे तो जल्दबाजी बिलकुल भी न करें। बच्चे को खुद शांत होने के लिए एक या दो मिनट दें। 

2. नींद और फीडिंग का समय अलग-अलग होना चाहिए

यदि आप बच्चे को सुलाने के लिए उसे दूध पिलाती हैं तो सेल्फ सूदिंग सीखने में उसकी मदद नहीं कर रही हैं। इसे ठीक करने के लिए आप उसके फीडिंग और नींद के समय को अलग-अलग कर दें। 

3. बच्चे को निर्भर न करें

यदि आप हर बार सुविधा के लिए बच्चे को दूध पिलाती हैं, गले से लगाती हैं, थपथपाती हैं तो उसके लिए सेल्फ सूदिंग सीखना कठिन हो सकता है। बच्चे को अपने तरीके से सेल्फ-सूदिंग करने के लिए समय दें और उसे गुड नाईट किस करें व खुद से सेटल होने दें। 

यदि बेबी सेल्फ सूद नहीं होता है तो क्या होगा?

ज्यादातर बच्चे आसानी से सेल्फ सूदिंग सीख जाते हैं पर कुछ ट्रेनिंग के बाद भी नहीं सीख पाते हैं। यहाँ पर आपको लगातार करते रहने और धैर्य की जरूरत है। 

इसके अलावा बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने का कोई भी बेस्ट तरीका नहीं है। आप खुद की सुनें और और सेल्फ सूदिंग के लिए जो भी सही लगता है वह करें। 

यदि बेबी नर्सिंग के बिना नहीं सोता है तो क्या होगा?

इस मामले में बच्चा नर्सिंग पर बहुत ज्यादा निर्भर होता है। यह आदत होने के बाद भी बच्चे को बढ़ने में मदद के लिए आप फीडिंग का समय सोने से बहुत पहले ही बढ़ा दें और नींद के दौरान फीडिंग का समय कम कर दें। 

याद रखने योग्य कुछ आवश्यक बातें

  • जब एक बच्चा खुद से सोने और जागने लगता है तब उसे सेल्फ सूदिंग के लिए छोड़ा जा सकता है।
  • आठ दिनों तक प्रयास करने के बाद भी यदि बच्चा सेल्फ सूदिंग नहीं सीख पाता है तो आप इरिटेट न हों।
  • बच्चे को खुद से शांत होना शुरू करने से पहले आप उसे कुछ स्किल्स का अभ्यास कराएं।
  • बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने के लिए आसान तरीकों का उपयोग करें। आप प्रोग्रेसिव तरीकों और एक्सरसाइज के कॉम्बिनेशन का उपयोग भी कर सकती हैं। ध्यान रहे बच्चे को नीचे छोड़ा ही उसे सिखाने के लिए पर्याप्त नहीं है।

बच्चे को सेल्फ सूदिंग सिखाने के लिए आसान तरीकों और टिप्स का उपयोग करें। इससे बच्चे को सोने और कुछ स्थितियों से बचने में मदद मिलती है, जैसे अलग होने की एंग्जायटी या चिड़चिड़ापन और इससे बच्चा खुद ही बड़ा होना सीखता है। 

यह भी पढ़ें:

नवजात शिशु का बहुत ज्यादा सोना
आपका बच्चा पूरी रात सोने की शुरुआत कब करेगा?
बच्चों की नींद संबंधी 10 समस्याएं और उनसे निपटने के प्रभावी उपाय

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

1 day ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

1 day ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

1 day ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

3 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

3 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

3 days ago